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Astrologer Tarun K.Tiwari
s.b.b.j street chaura rasta
Jaipur.302003 rajasthan
india

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03/06/2025

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03/06/2025
International Vedic Astrologer Tarun K. TiwariDedicated to Spreading Peace and Harmony Across the UniverseWith deep know...
31/05/2025

International Vedic Astrologer Tarun K. Tiwari
Dedicated to Spreading Peace and Harmony Across the Universe

With deep knowledge rooted in the ancient science of Vedic astrology, Tarun K. Tiwari offers profound spiritual guidance to bring balance and peace into human life. Through time-tested remedies and rituals that transcend religious boundaries, he empowers individuals to harmonize their planetary influences and align with cosmic energies.
www.mahayogini.com

Karma forms your destiny, commencing with the mind, which directs you through thoughts that emerge from the universe a t...
31/05/2025

Karma forms your destiny, commencing with the mind, which directs you through thoughts that emerge from the universe a theory invented by Astrologer Tarun k.Tiwari

A Janam Kundli, also known as a birth chart or natal chart, is a personalized astrological blueprint created using your ...
21/05/2025

A Janam Kundli, also known as a birth chart or natal chart, is a personalized astrological blueprint created using your exact date, time, and place of birth. It captures the precise positions of planets at the moment you were born and reveals how these cosmic alignments influence various aspects of your life.

With the help of authentic Vedic astrology, a learned astrologer like Tarun K. Tiwari can interpret your Janam Kundli to uncover your natural strengths, hidden challenges, karmic patterns, and future possibilities.

Your digital Janam Kundli report is far more than just your sun sign—it provides deep insights into your love life, career direction, emotional tendencies, health patterns, and more. It serves as a spiritual guide, helping you understand your life path and make wiser, well-timed decisions.

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01/08/2022

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23/03/2022

चक्र फूल (Star Anise) एक तरह का गरम मसाला (spices) है जिसे सब्जी और पुलाव को सुगंधित बनाने के लिए किया जाता है. चक्र फूल का उपयोग दक्षिण भारतीय व्यंजनों (South Indian dishes) में सर्वाधिक किया जाता है और चाइनीज कुजीन (Chinese cuisine) का तो यह जरूरी हिस्सा है. लेकिन सुगंध के अतिरिक्त, चक्र फूल स्वास्थय लाभों की दृष्टि से भी एक महतवपूर्ण मसाला है.

आइये जानें इसके प्रयोग से क्या क्या मिल सकते हैं फायदे:
• यह पेट संबंधी बीमारियों (Stomach problems) में बहुत लाभदायक होता है. पेट की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को सब्जी में चक्र फूल डालकर खाना चाहिए.
• इसके सेवन से स्वाइन फ्लू (swine flu) जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है.
• इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढ़ जाती है.
• अगर शरीर के किसी हिस्से में चोट लग जाए या फिर सूजन (swelling) आ जाए तो चक्र फूल का तेल लगाने से ठीक हो सकती है.
• किसी भी मौसम में होने वाली सर्दी, खांसी (cough & cold) में इसे खाना लाभकारी होता है.
• इसके सेवन से मुंह से आने वाली दुर्गंध (bad breath) को कम किया जा सकता है.
• चक्र फूल की चाय पीने से दर्द (pain), सूजन (swelling), एसिडिटी (acidity), गैस (gas), कब्ज (constipation) और अपच (indigestion) में राहत मिलती है.
• ब्रेस्टफीड (breast feeding) कराने वाली महिलाओं को चक्र फूल खाना फायदेमंद होता है.
• खाने में इसका इस्तेमाल करने से टेंशन (tension), मोनोपोज (menopause), ब्रोंकाइटिस (bronchitis) और डायबिटीज (diabetes) के लक्षण कम होते हैं.
• चक्र फूल पाचन शक्ति (digestion) को बढ़ाता है. साथ ही शरीर में होने वाली ऐठन को कम करता है.
इसका इस्तेमाल पुलाव, बिरयानी बनाने में खड़े मसाले के रूप मे किया जा सकता है. इसे आप कई तरह के सूप में भी डाल सकते हैं.
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Courtsy हकीम सुलेमान

17/03/2022

।।जय श्रीनृसिंहाय नमः।।
श्रीमत्पयोनिधिनिकेतन चक्रपाणे

भोगीन्द्रभोगमणिरञ्जितपुण्यमूर्ते ।

योगीश शाश्वत शरण्य भवाब्धिपोत

लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्।।

* हे अति शोभायमान क्षीरसमुद्र में निवास करनेवाले,हाथ में चक्र धारण करनेवाले, नागनाथ(शेषजी) के फणोंकी मणियों से देदीप्यमान मनोहर मूर्तिवाले ! हे योगीश ! हे सनातन! हे शरणागतवत्सल ! हे संसारसागरके लिये नौकास्वरूप ! श्रीलक्ष्मीनृसिंह ! मुझे अपने करकमल का सहारा दीजिये ।

ॐ वासुदेवाय नमः
ॐ विष्णवे नमः
ॐ श्रीवराय नमः
ॐ प्रह्लादवरदाय नमः
ॐ सिंहाय नमः
ॐ सिंहराजाय नमः
ॐ महावीर्याय नमः
ॐ नारायणनारसिंहाय नमः
ॐ नारायणवीरसिंह नमः
ॐ नारायणक्रूरसिंहाय नमः
ॐ नारायणदिव्यसिंहाय नमः
ॐ नारायणव्याघ्रसिंहाय नमः
ॐ नारायणपुच्छसिंहाय नमः
ॐ नारायणपूर्णसिंहाय नमः
ॐ नारायणरौद्रसिंहाय नमः
ॐ भीषणभद्रसिंहाय नमः
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
ॐ हिरण्यकवचाय नमः
ॐ हिरण्यवर्णदेहाय नमः
ॐ हिरण्याक्षविनाशिने नमः
ॐ हिरण्यकशिपोर्हन्त्रे नमः
ॐ हिरण्यरेतसे नमः
ॐ हिरण्यवदनाय नमः
ॐ हिरण्यश्रृङ्गाय नमः
ॐ खण्डसिंहाय नमः
ॐ सत्यसिंहाय नमः
ॐ श्वेतसिंहाय नमः
ॐ पीतसिंहाय नमः
ॐ नीलसिंहाय नमः
ॐ रक्तसिंहाय नमः
ॐ हारिद्रसिंहाय नमः
ॐ धूम्रसिंहाय नमः
ॐ मूलसिंहाय नमः
ॐ बृहत्सिंहाय नमः
ॐ पातालस्थितसिंहाय नमः
ॐ जलस्थसिंहांय नमः
ॐ अन्तरिक्षस्थिताय नमः
ॐ कालाग्निरुद्रसिंहाय नमः
ॐ चण्डसिंहाय नमः
ॐ अनन्तसिंहसिंहाय नमः
ॐ विचित्रसिंहाय नमः
ॐ बहुसिंहस्वरूपिणे नमः
ॐ अभयङ्करसिंहाय नमः
ॐ नरसिंहाय नमः
ॐ सिंहराजाय नमः
ॐ नारसिंहाय नमः
ॐ सिंहाय नमः
ॐ गरुडध्वजाय नमः
ॐ जयसिंहरूपाय नमः
ॐ नरसिंहरूपाय नमः
ॐ रणसिंहरूपाय नमः
ॐ नरसिंहरुपाय नमः

आपको ओर आपके परिवार को रंगोत्सव (होली) की हार्दिक शुभकामनाएं ।
भगवान विष्णु आप पर दयादृष्टि बनाए रखे ।

धर्म की जय हो ।
अधर्म का नाश हो ।
सत्य सनातन धर्म कि जय ।

ज्योतिष में किसी भी ग्रह का परिचय या एक ही फलादेश नही होता अगर सूर्य यश कीर्ति के लिए जाना जाता है तो मंगल या दूसरे ग्रह...
17/03/2022

ज्योतिष में किसी भी ग्रह का परिचय या एक ही फलादेश नही होता अगर सूर्य यश कीर्ति के लिए जाना जाता है तो मंगल या दूसरे ग्रह भी यश कीर्ति के लिए उत्तरदाई हो सकते हैं । बिना एक लंबी साधना और आध्यात्म के कुछ कहना सिर्फ एक कल्पना मात्र ही होगा🌹🌹शुभ होली🙏🏼🙏🏼Astro Friend Pt Tarun k Tiwari
Jaipur
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Astrologer from Jaipur , Mumbai best astrologer, Bangalore astrologer– Get online video Astrology Services from best astrologer Tarun Tiwari

23/02/2022

|| कुमारीकवचं रुद्रयामलोत्तरतन्त्रान्तर्गतम् ||❤🙏
|| Kumarikavacham from Rudrayamala uttaratantra ||
कुमारीकवचं रुद्रयामलोत्तरतन्त्रान्तर्गतम्
आनन्दभैरव उवाच --
अथातः सम्प्रवक्ष्यामि कुमारीकवचं शुभम् ।
त्रैलोक्यं मङ्गलं नाम महापातकनाशकम् ॥ १॥
पठनाद्धारणाल्लोका महासिद्धाः प्रभाकराः ।
शक्रो देवाधिपः श्रीमान् देवगुरुर्बृहस्पतिः ॥ २॥
महातेजोमयो वह्निर्धर्मराजो भयानकः ।
वरुणो देवपूज्यो हि जलानामधिपः स्वयम् ॥ ३॥
सर्वहर्त्ता महावायुः कुबेरः कुञ्जरेश्वरः ।
धराधिपः प्रियः शम्भोः सर्वे देवा दिगीश्वरः ॥ ४॥
न मेरुः प्रभुरेकायाः सर्वेशो निर्मलो द्वयोः ।
एतत्कवचपाठेन सर्वे भूपा धनाधिपाः ॥ ५॥
त्रैलोक्यमङ्गलकुमारीकवचम् --
प्रणवो मे शिरः पातु माया सन्दायिका सती ।
ललाटोद्र्ध्वं महामाया पातु मे श्रीसरस्वती ॥ ६॥
कामाक्षा वटुकेशानी त्रिमूत्तिर्भालमेव मे ।
चामुण्डा बीजरूपा च वदनं कालिका मम ॥ ७॥
पातु मां सूर्यगा नित्यं तथा नेत्रद्वयं मम ।
कर्णयुग्मं कामबीजं स्वरूपोमातपस्विनी ॥ ८॥
रसनाग्रं तथा पातु वाग्देवी मालिनी मम ।
डामरस्था कामरूपा दन्ताग्रं कुञ्जिका मम ॥ ९॥
देवी प्रणवरूपाऽसौ पातु नित्यं शिवा मम ।
ओष्ठाधरं शक्तिबीजात्मिका स्वाहास्वरूपिणी ॥ १०॥
पायान्मे कालसन्दष्टा पञ्चवायुस्वरूपिणी ।
गलदेशं महारौद्री पातु मे चापराजिता ॥ ११॥
क्षौं बीजं मे तथा कण्ठं रुद्राणी स्वाहयान्विता ।
हृदयं भैरवी विद्या पातु षोडश सुस्वरा ॥ १२॥
द्वौ बाहू पातु सर्वत्र महालक्ष्मीः प्रधानिका ।
सर्वमन्त्रस्वरूपं मे चोदरं पीठनायिका ॥ १३॥
पार्श्वयुग्मं तथा पातु कुमारी वाग्भवात्मिका ।
कैशोरी कटिदेशं मे मायाबीजस्वरूपिणी ॥ १४॥
जङ्घायुग्मं जयन्ती मे योगिनी कुल्लुकायुता ।
सर्वाङ्गमम्बिकादेवी पातु मन्त्रार्थगामिनी ॥ १५॥
केशाग्रं कमलादेवी नासाग्रं विन्ध्यवासिनी ।
चिबुकं चण्डिका देवी कुमारी पातु मे सदा ॥ १६॥
हृदयं ललिता देवी पृष्ठं पर्वतवासिनी ।
त्रिशक्तिः षोडशी देवी लिङ्गं गुह्यं सदावतु ॥ १७॥
श्मशाने चाम्बिका देवी गङ्गागर्भे च वैष्णवी ।
शून्यागारे पञ्चमुद्रा मन्त्रयन्त्रप्रकाशिनी ॥ १८॥
चतुष्पथे तथा पातु मामेव वज्रधारिणी ।
शवासनगता चण्डा मुण्डमालाविभूषिता ॥ १९॥
पातु माने कलिङ्गे च वैखरी शक्तिरूपिणी ।
वने पातु महाबाला महारण्ये रणप्रिया ॥ २०॥
महाजले तडागे च शत्रुमध्ये सरस्वती ।
महाकाशपथे पृथ्वी पातु मां शीतला सदा ॥ २१॥
रणमध्ये राजलक्ष्मीः कुमारी कुलकामिनी ।
अर्द्धनारीश्वरा पातु मम पादतलं मही ॥ २२॥
नवलक्षमहाविद्या कुमारी रूपधारिणी ।
कोटिसूर्यप्रतीकाशा चन्द्रकोटिसुशीतला ॥ २३॥
पातु मां वरदा वाणी वटुकेश्वरकामिनी
इति ते कथितं नाथ कवचं परमाद्भुतम् ॥ २४॥
कुमार्याः कुलदायिन्याः पञ्चतत्त्वार्थपारग
यो जपेत् पञ्चतत्त्वेन स्तोत्रेण कवचेन च ॥ २५॥
आकाशगामिनी सिद्धिर्भवेत्तस्य न संशयः ॥ २६॥
वज्रदेही भवेत् क्षिप्रं कवचस्य प्रपाठतः ।
सर्वसिद्धीश्वरो योगी ज्ञानी भवति यः पठेत् ॥ २७॥
विवादे व्यवहारे च सङ्ग्रामे कुलमण्डले ।
महापथे श्मशाने च योगसिद्धो भवेत् स च ॥ २८॥
पठित्वा जयमाप्नोति सत्यं सत्यं कुलेश्वर
वशीकरणकवचं सर्वत्र जयदं शुभम् ॥ २९॥
पुण्यव्रती पठेन्नित्यं यतिश्रीमान्भवेद् ध्रुवम्
सिद्धविद्या कुमारी च ददाति सिद्धिमुत्तमाम् ॥ ३०॥
पठेद्यः श‍ृणुयाद्वापि स भवेत्कल्पपादपः ।
भक्तिं मुक्तिं तुष्टिं पुष्टिं राजलक्ष्मीं सुसम्पदाम् ॥ ३१॥
प्राप्नोति साधकश्रेष्ठो धारयित्वा जपेद्यदि ।
असाध्यं साधयेद्विद्वान् पठित्वा कवचं शुभम् ॥ ३२॥
धनिनाञ्च महासौख्यधर्मार्थकाममोक्षदम् ।
यो वशी दिवसे नित्यं कुमारीं पूजयेन्निशि ॥ ३३॥
उपचारविशेषेण त्रैलोक्यं वशमानयेत् ।
पललेनासवेनापि मत्स्येन मुद्रया सह ॥ ३४॥
नानाभक्ष्येण भोज्येन गन्धद्रव्येण साधकः ।
माल्येन स्वर्णरजतालङ्कारेण सुचैलकैः ॥ ३५॥
पूजयित्वा जपित्वा च तर्पयित्वा वराननाम् ।
यज्ञदानतपस्याभिः प्रयोगेण महेश्वर ॥ ३६॥
स्तुत्वा कुमारीकवचं यः पठेदेकभावतः ।
तस्य सिद्धिर्भवेत् क्षिप्रं राजराजेश्वरो भवेत् ॥ ३७॥
वाञ्छार्थफलमाप्नोति यद्यन्मनसि वर्तते ।
भूर्जपत्रे लिखित्वा स कवचं धारयेद् हृदि ॥ ३८॥
शनिमङ्गलवारे च नवम्यामष्टमीदिने ।
चतुर्दश्यां पौर्णमास्यां कृष्णपक्षे विशेषतः ॥ ३९॥
लिखित्वा धारयेद् विद्वान् उत्तराभिमुखो भवन् ।
महापातकयुक्तो हि मुक्तः स्यात् सर्वपातकैः ॥ ४०॥
योषिद्वामभुजे धृत्वा सर्वकल्याणमालभेत् ।
बहुपुत्रान्विता कान्ता सर्वसम्पत्तिसंयुता ॥ ४१॥
तथाश्रीपुरुषश्रेष्ठो दक्षिणे धारयेद् भुजे ।
एहिके दिव्यदेहः स्यात् पञ्चाननसमप्रभः ॥ ४२॥
शिवलोके परे याति वायुवेगी निरामयः ।
सूर्यमण्डलमाभेद्य परं लोकमवाप्नुयात् ॥ ४३॥
लोकानामतिसौख्यदं भयहरं श्रीपादभक्तिप्रद ।
मोक्षार्थं कवचं शुभं प्रपठतामानन्दसिन्धूद्भवम् ।
पार्थानां कलिकालघोरकलुषध्वंसैकहेतुं जय ।
ये नाम प्रपठन्ति धर्ममतुलं मोक्षं व्रजन्ति क्षणात् ॥ ४४॥
॥ इति श्रीरुद्रयामले उत्तरतन्त्रे महातन्त्रोद्दीपने
कुमार्युपचर्याविन्यासे सिद्धमन्त्रप्रकरणे
दिव्यभावनिर्णये नवमपटले कुमारीकवचम् सम्पूर्णम् ॥

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लग्न और राशि में अंतर होता है। … जातक की जन्म कुंडली के प्रथम भाव में जिस राशि का अंक होगा उसस...
22/02/2022

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लग्न और राशि में अंतर होता है। … जातक की जन्म कुंडली के प्रथम भाव में जिस राशि का अंक होगा उससे जातक का लग्न कहा जाएगा तथा जिस भाव में चंद्रमा स्थित होगी उसे जातक का राशि कहा जाएगा। लग्न और राशि का मिलान किसी भी जातक के जन्म कुंडली में द्वादश भाव होते हैं ।

जन्म कुण्डली में चन्द्रमा जिस राशि में स्थित होता है, वह राशि चन्द्र राशि होती है। इसे जन्म राशि के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिष में सभी ग्रहों में सबसे अधिक महत्व चन्द्र को ही दिया गया है। इसे “नाम राशि” की संज्ञा भी दी जाती है। क्योंकि ज्योतिष के अनुसार बालक का नाम रखने का आधार यही चन्द्र राशि होती है। जन्म के समय चन्द्र जिस नक्षत्र में स्थित होता है। उसके चरण के वर्ण से आरम्भ होने वाला नाम व्यक्ति का जन्म राशि नाम निर्धारित करता है।

चन्द्र मन के कारक ग्रह माने गये हैं। इसलिये मन को नियन्त्रित करने का कार्य चन्द्र के द्वारा किया जाता है
मन चिन्तामुक्त हो तो व्यक्ति को हर स्थान पर सुख- शान्ति का अनुभव होता है। इसके विपरीत अगर
मन दु:खी हों, तो उतम से उतम भोग- विलास की वस्तुओं भी आराम नहीं दे पाती. वैसे भी वैदिक
ज्योतिष में [[चन्द्र राशि, चन्द्र नक्षत्र, चन्द्र स्थित भाव को शुरु से अन्य सभी योगों की तुलना में कुछ
खास ही महत्व दिया जाता है।यूं तो ज्योतिष में नौ ग्रह है। पर व्यक्ति की जन्म राशि का स्वामी चन्द्र ही
होता है। सामान्यत: दैनिक राशिफल चन्द्र राशि आधारित होता है। विवाह के समय वर- वधू की कुंडली
का मिलान करने के लिये भी जन्म राशि का प्रयोग किया जाता है।
लग्न कुंडली आपके लग्न के अनुसार होती है और चंद्र कुंडली आपके नक्षत्र के अनुसार होती है दोनों
कुंडलियों में फर्क है लग्न कुंडली 2 घंटे में बदल जाती है और चंद्र कुंडली तकरीबन सवा दो दिन तक
एक ही रहती है

The aspect of planets has great importance in Vedic astrology. While considering the horoscope, it is very important to ...
19/02/2022

The aspect of planets has great importance in Vedic astrology. While
considering the horoscope, it is very important to see the sight of the planets
and its relation with other planets. The statement of results is done on the
basis of which planet is aspecting which house and which planet is affecting
which planet located there.

In astrology, all the planets have got a complete vision. That is, from the
house or zodiac in which all the planets are sitting, they see the seventh
house with complete vision. Some planets have also got additional vision.
Sun, Moon, Mercury and Venus have seventh vision. Along with the seventh,
Saturn also has the third and tenth vision. Jupiter also has fifth and ninth
aspect along with seventh. Mars also has fourth and eighth aspect along with
the seventh. Similarly Rahu-Ketu has been given the fifth-ninth vision along
with the seventh.

Understand by this way Sun – 7 Moon – 7 Mars – 4, 7, 8 Mercury – 7
Guru – 5, 7, 9 Venus – 7 Saturn – 3, 7, 10 Rahu – 5, 7, 9 Ketu – 5, 7, 9

From the zodiac where all the planets reside, the third and tenth house are
seen with one step point of view, ninth-fifth house with two feet point of view,
eighth-fourth house with three feet point of view and seventh house with full
feet view.

The aspect of the planets means that the house on which their aspect resides,
affects the fruits associated with that house. For example, if Mars is bad in
your horoscope and is sitting in the Ascendant, then it will affect the fourth
happiness place, seventh marriage place and eighth age place. The native may
remain deprived of happiness, there will be obstacles in his marriage, there
will be delay and due to being in the eighth, there may be a situation like
reduction in age.
ज्योतिष, रत्न, मंत्र मेरे लिए जुनून हैं।
मैंने आपके जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरल उपाय और
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