ज्योतिष परामर्श केन्द्र Astrology Counseling Center

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ज्योतिष परामर्श केन्द्र  Astrology Counseling Center One consult can be changed your life. marriage, career, child, health, money ar Love trouble ? Get Astrological solution of your life problem.

ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान संस्थान

आचार्य घनश्याम कृष्ण चटर्जी एक प्रसिद्ध ज्योतिषीओर वास्तुविद हैं। ज्योतिष और वैदिक कर्मकांड के क्षेत्र में इनका अनुभव सराहनीय हैं । हिन्दू वैष्णव ब्राह्मण परिवार में जन्मे और सनातन धर्म संस्कृति के सुन्दर संस्कार से सुसंस्कृत हैं, इन्होंने अपने पिता द्वारा दिए गए अपार दुर्लभ ज्ञान से भी लाभ हुआ है। उन्हें बहुत कम उम्र से ही ज्योतिष विज्ञान पसंद है

प्रदर

्शन
आचार्य घनश्याम कृष्ण एक योग्य ज्योतिषी है जो ज्योतिष और आद्यात्म के माध्यम से भविष्य की सटीक रीडिंग देते है। वह एक प्रोफेशनल सर्टिफाइड कंसल्टेंट है जो अपने सभी प्रश्नकर्ता ओ को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए अपने अंतर्ज्ञान का उपयोग करते है, जिससे उन्हें सकारात्मक दिशा में जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उन चुनौतियों का सामना करें जो उनके आगे हो सकती हैं।
उनके द्वारा सुझाए गए उपायों की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि है और उनका पालन करना बहुत आसान है जो नियमित कार्यक्रम को विचलित नहीं करता है। भविष्यवाणी करते हुए उन्होंने स्वास्थ्य की देखभाल के लिए और भविष्य के कदमों की योजना बनाने में मदद करने वाले धन के निवेश की अवधि पर भी प्रकाश डाला।
उनके पास ९९.९% का रिपीट ग्राहक है। उन हजारों लोगों में शामिल हों, जिन्होंने अपनी सेवाओं का उपयोग अपने जीवन, दिशा और जहां वे जा रहे हैं, की बेहतर समझ हासिल करने के लिए किया है


अनुभव

8वर्ष


विशेषज्ञता

लव एंड रिलेशनशिप, विवाह कुंडली, करियर, मनी एंड इन्वेस्टमेंट, हेल्थ और जीवन में होने वाली घटनाओ का सटीक वेध

Thakur badi chanal Subscribe kre or ball icon ko tik kre radhe radhe
19/10/2024

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19/10/2024
जय हिंद  🇮🇳🇮🇳💐
26/01/2024

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जय श्री राधे। Astro solutions
02/12/2023

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श्री राधा रानी की कृपा से बरसाना जाने का मौका मिला जय राधे
01/12/2023

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29/10/2023

दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों होता है? राम और सीता की पूजा क्यों नही?

अधिकतर घरों में बच्चे यह दो प्रश्न अवश्य पूछते हैं जब दीपावली भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है तो दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों होता है? राम और सीता की पूजा क्यों नही?
दूसरा यह कि दीपावली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों होती है, विष्णु भगवान की क्यों नहीं?

इन प्रश्नों का उत्तर अधिकांशतः बच्चों को नहीं मिल पाता और जो मिलता है उससे बच्चे संतुष्ट नहीं हो पाते।आज की शब्दावली के अनुसार कुछ ‘लिबरर्ल्स लोग’ युवाओं और बच्चों के मस्तिष्क में यह प्रश्न डाल रहें हैं कि लक्ष्मी पूजन का औचित्य क्या है, जबकि दीपावली का उत्सव राम से जुड़ा हुआ है। कुल मिलाकर वह बच्चों का ब्रेनवॉश कर रहे हैं कि सनातन धर्म और सनातन त्यौहारों का आपस में कोई तारतम्य नहीं है।सनातन धर्म बेकार है।आप अपने बच्चों को इन प्रश्नों के सही उत्तर बतायें।

दीपावली का उत्सव दो युग, सतयुग और त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी इसलिए लक्ष्मीजी का पूजन होता है। भगवान राम भी त्रेता युग में इसी दिन अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने घर घर दीपमाला जलाकर उनका स्वागत किया था इसलिए इसका नाम दीपावली है।अत: इस पर्व के दो नाम है लक्ष्मी पूजन जो सतयुग से जुड़ा है दूजा दीपावली जो त्रेता युग प्रभु राम और दीपों से जुड़ा है।

लक्ष्मी गणेश का आपस में क्या रिश्ता है
और दीवाली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है?

लक्ष्मी जी सागरमन्थन में मिलीं, भगवान विष्णु ने उनसे विवाह किया और उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया। लक्ष्मी जी ने धन बाँटने के लिए कुबेर को अपने साथ रखा। कुबेर बड़े ही कंजूस थे, वे धन बाँटते ही नहीं थे।वे खुद धन के भंडारी बन कर बैठ गए। माता लक्ष्मी खिन्न हो गईं, उनकी सन्तानों को कृपा नहीं मिल रही थी। उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई। भगवान विष्णु ने कहा कि तुम कुबेर के स्थान पर किसी अन्य को धन बाँटने का काम सौंप दो। माँ लक्ष्मी बोली कि यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं उन्हें बुरा लगेगा।
तब भगवान विष्णु ने उन्हें गणेश जी की विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी। माँ लक्ष्मी ने गणेश जी को भी कुबेर के साथ बैठा दिया। गणेश जी ठहरे महाबुद्धिमान। वे बोले, माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊँगा , उस पर आप कृपा कर देना, कोई किंतु परन्तु नहीं। माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी।अब गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न, रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे।कुबेर भंडारी देखते रह गए, गणेश जी कुबेर के भंडार का द्वार खोलने वाले बन गए। गणेश जी की भक्तों के प्रति ममता कृपा देख माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्रीगणेश को आशीर्वाद दिया कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें।

दीवाली आती है कार्तिक अमावस्या को, भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं, वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद देव उठनी एकादशी को। माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में।इसलिए वे अपने सँग ले आती हैं अपने मानस पुत्र गणेश जी को।
इसलिए दीवाली को लक्ष्मी गणेश की पूजा होती है।

यह कैसी विडंबना है कि देश और हिंदुओ के सबसे बड़े त्यौहार का पाठ्यक्रम में कोई विस्तृत वर्णन नही है और जो वर्णन है वह अधूरा है।इस लेख को पढ़ कर स्वयं भी लाभान्वित हों और अपनी अगली पीढ़ी को भी बतायें। दूसरों के साथ साझा करना भी ना भूलेंI
जय श्री गणेश जी
जय महालक्ष्मी जी
*जय जय श्री राम*🙏🙏
🚩🚩🙏🙏

राखी के दिन श्रवण पूजने का शुभ समय भद्रा लगने से पूर्व पूजन कर लेवे सूर्योदय 06.09 के बाद 9:18 तक में पूजन इत्यादि कर ले...
29/08/2023

राखी के दिन श्रवण पूजने का शुभ समय भद्रा लगने से पूर्व पूजन कर लेवे सूर्योदय 06.09 के बाद 9:18 तक में पूजन इत्यादि कर लेवे

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 30 तारीख को। रात्रि 9 :02 से 12:28 तक है

ओर पूर्व उतर भारत में 31 तारीख को माना रहे है वो उदयात पूर्णिमा है
लेकिन रक्षा बंधन का मुहूर्त के लिए जो संस्कार तिथि में होने चाहिए उसका अभाव है

अतः 30 तारीख की रात्रि कालीन मुहूर्त अथवा 31 को ब्रम्ह मुहूर्त 3:27से 4 :42 तक लाभ की चौघडी में राखी बांध सकते है मंदिरों में भगवान जी को इसी समय राखी बांधी जायेगी ।

सत्यवर्त पूर्णिमा। 31 को ही मनाई जाएगी

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Shri Radha Madan Mohan Ji Mandir , Shyam Dungri, K***a Amer
Jaipur
302028

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