
13/03/2023
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लक्षण-इसके लक्षण अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग दिखते हैं लेकिन कुछ लक्षण जोकि सभी में एक जैसे ही होते हैं वो निम्न हैं-
1) पेट दर्द- कुछ व्यक्तियों को पेट दर्द होता है और यह दर्द कभी चुभने जैसा होता है और कभी मरोड़ जैसा।
2)पेट फूलना- थोड़ा भोजन करने पर ही या अक्सर भोजन बिना किये भी लगता है कि पेट भरा हुआ है और भूख नहीं लगती।
3)कब्ज- कुछ व्यक्तियों को बहुत दिनों से कब्ज की शिकायत रहती है और यदि ध्यान से देखें तो उनका मल पानी मे डूब जाता है।
4)पतली दस्त- किन्हीं किन्हीं को अक्सर पतली दस्त होने लगती है और इससे उनका वजन भी कम होने लगता है।
5)अत्यधिक डकार- ऐसे व्यक्तियों को अक्सर बार बार डकार आती रहती है और किन्हीं लोगों को तो लगता है कि गैस उनके शरीर मे फँसी हुई है और वो जहाँ भी दबाते है तो गैस डकार के रूप में बाहर निकलती है।
6)असामान्य मल/ मल का स्वरूप बिल्कुल असामान्य होता है, किन्हीं को कभी पतला कभी रूखा मल निकलता है किन्ही को आँव के साथ मल आता है और मल त्याग के समय पेट दर्द भी होता है।
7)कुछ लोगों को भोजन करते ही मल त्याग की इच्छा होने लगती है।
8)तनाव -जिनको उपरोक्त समस्याएं होती हैं उन्हें तनाव अक्सर होता है,वजन कम होने लगता है और व्यक्ति चिढचिढा होने लगता है।
9)अन्य- किन्हीं व्यक्तियों को कमजोरी के कारण चक्कर आता है उन्हें लगता है कि हमेशा बुखार जैसा बना हुआ है और कुछ भी करने में मन नहीं लगता।
उपचार- आयुर्वेद के अनुसार यह एक चिरकारी व्याधि है इस व्याधि को पूरी तरह लक्षण दिखाने में बहुत समय लगता है और इसी तरह इसके ठीक होने में भी बहुत समय ठीक लगता है
इसके लिए आहार,विहार,योग आदि माध्यमों से ही स्वास्थ्य लाभ सम्भव है।
आहार- हल्का भोजन लें,भोजन के साथ दिन में मट्ठा जरूर लें
माँसाहार, अण्डे, फल,कटहल,टमाटर,सलाद,तले हुए खाद्य पदार्थ,बेकरी उत्पाद ,अचार वगैरह का प्रयोग बिल्कुल ना करें।
पनीर,दही,मलाई,सूखे मेवे का प्रयोग ना करें।
भूख लगने पर ही भोजन लें अन्यथा ना ले।
भोजन के साथ या बाद में भी गुनगुना पानी ही पीयें।
विहार- पूरी नींद लें।
व्यायाम करें।
सुबह टहलने जाएँ।
रात में सोने के 2 घण्टे पहले भोजन करें व भोजन के बाद 100 कदम टहलें।
औषधि- चूँकि यह एक चिरकारी व्याधि है इसलिए इस व्याधि की चिकित्सा भी धैर्य के साथ करनी पड़ती है इसके लिए नाड़ी परीक्षण,प्रकृति परीक्षण, कोष्ठ परीक्षण,मल परीक्षण कराएँ व किसी सिद्धहस्त वैद्य के निरीक्षण में चिकित्सा करावें।
साभार: वैद्य आनन्द पांडेय