
05/08/2025
वास्तु, ज्योतिष में संतान का सुख!!
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जीवन में संतान का सुख ना मिलना सिर्फ भाग्य का विषय नहीं है, यह एक ऊर्जा असंतुलन भी हो सकता है। हमने अपने अनुभवों में बार-बार देखा है कि जहाँ वास्तु दोष और ग्रहदोष दोनों मिलते हैं, वहाँ संतान का योग होते हुए भी फल नहीं देता। एक स्त्री की आँखों में माँ बनने की जो शब्दहीन इच्छा होती है, उसे सिर्फ औषधियों से नहीं, उस घर की दिव्यता से भी जोड़ा जाता है।
शास्त्रों में कहा गया है “गर्भाधानं पुण्यहेतुकम्।” अर्थात संतान की प्राप्ति एक पवित्र पुण्य से होती है। पर जब घर का ईशान कोण (ईशान्य) बंद हो जाए, या ब्रह्मस्थान पर भारी वस्तुएं हो जाएँ, तब वह पुण्य फल देने से रुक जाता है। इसी तरह, बृहस्पति यदि नवम, पंचम या सप्तम भाव में पीड़ित हो, विशेषतः शनि या राहु से ग्रसित हो, तो वह संतान सुख में बाधा डालता है।
पंचम भाव संतान का मुख्य कारक है। अगर कुंडली में यह स्थान शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, और साथ में चंद्रमा व शुक्र मानसिक व भावनात्मक रूप से संतुलित हों, तो संतान का योग बनता है। परंतु यदि घर की वास्तु रचना, विशेषकर दक्षिण-पश्चिम दिशा गडबड हो, या रसोई का अग्नि स्थान गलत हो — तो यह योग निष्क्रिय भी हो सकता है।
पंचम पचमेश व सन्तान कारक गुरु व मंगल का बलाबल देखना ही चाहिए तो साथ साथ ईशान कोण, पश्विम, दक्षिण पश्चिम की स्थिति भी जाँचिए।
कटा , बन्द, भारी, व सीढीयों से युक्त ईशान कोण वंश वृद्धि का शत्रु हुआ करते हैं।
मैंने ऐसे घर भी देखे हैं जहाँ कुंडली में संतान योग कमजोर था लेकिन जब घर के ब्रह्मस्थान व ईशान को शुद्ध किया गया, और पूजनस्थल को सही दिशा में स्थापित किया गया — वहाँ कई वर्षों बाद संतान का चमत्कारिक आगमन हुआ।
वैदिक सूक्ति है, "सन्तानं ते सुमनसः स्याम" — यानी संतान वहीं आती है जहाँ मन और घर दोनों पवित्र और सकारात्मक हों। और वास्तु, वास्तव में उसी पवित्रता को जीवित रखने की विद्या है।
ग्रह पीड़ा की स्थिति में लग्नेश(आपका पुत्र आपक ही अंश होता है) पंचमेश, गुरु व मंगल के जाप शान्ति करवाइए।
सन्तानगोपाल स्तोत्र, हनुमान गायत्री, व दुर्गा बत्तीसनाम का अनुष्ठान करें या करवाएं।
नित्य गौ सेवा व श्वानों को भोजन दें।
श्रीगणेश जी को हर मंगलवार ध्वजा अर्पित करें।
वास्तु में अपना दिमाग न लगाते हुए विशेषज्ञ की सेवाएं ही लें।
घर को देवस्थान बनाइए।
ग्रहों को पथप्रदर्शक बनाइए।
और संतान को वरदान के रूप में स्वीकार करने के लिए अपने जीवन को तैयार कीजिए।
कभी-कभी सिर्फ दिशा बदलने से भी, पूरा भाग्य बदल जाता है।
🔸 - चंद्र शेखर शर्मा
Jyotishacharya | Vastu Consultant | Life Rebuilder