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SPN'S strength within, pride throughout, nothing is worthy more than health.....spn's

We SAM PROLIFE NUTRITION are dedicated to DIETETICS SCIENCE AND SUPPLEMENT RESEARCH. Intellectual property issues are an important consideration for dietary supplement companies, including patenting ingredients and formulas, avoiding infringement of existing products and registering false claims for their product. So we are PROFESSIONALLY MANAGED with HIGHLY EXPERIENCED RESEARCHERS, DOCTORS, FOOD TECHNOLOGISTS, PHARMACISTS, PHARMACOLOGISTS, SPORTS AUTHORITIES, & DIET EXPERTS to share their PRACTICAL APPROACH to SPORTS AND HEALTH NUTRITION for FAR BETTER PERFORMANCE. Our entire team understands the importance of QUALITY WITH BETTER RESULTS and follows strict guidelines as per regulations with practicality to nurture human capital and to serve society with highly ETHICAL AND QUALITY products. We SAM PROLIFE NUTRITION understand needs of an individual in FITNESS AND HEALTH field in better aspects.

28/09/2025

प्लेग की आड़ में अंग्रेज जब हिन्दू घरों में घुसकर बेइज्ज़ती कर रहे थे, तब 1897 में चापेकर बंधुओं ने रैंड को गोली मार दी ! ये आज़ादी की पहली गोली थी, तीनों भाइयों को फांसी हुई, पर इतिहास ने उन्हें मिटा दिया।

27/09/2025

जब चंगेज खान ने बुखारा की घेराबंदी की, तब उसने एक बार में ही शहर को नहीं रौंद डाला था बल्की उसने एक तरकीब अपनाई, उसने बुखारा शहर के लोगो के नाम एक खत लिखा: "वह लोग जो हमारा साथ देंगे उनकी जान बख़्श दी जाएगी।" ये खबर सुनकर बुखारा शहर के लोग दो हिस्सों में बट गए थे। इनमे से एक गिरोह ने चंगेज खान की बात मानने से इनकार कर दिया, जबकि दूसरा चंगेज़ खान की बात से सहमत हो गया।

इसके बाद चंगेज खान ने अपने साथ हुए लोगो को खबर पहुंचाई की "अगर वह लोग उसके मुख़ालिफ़ हुए लोगो से लड़ने में उसकी मदद करते हैं तो हम आपका शहर आपको सौंप देंगे।"

ये खबर सुनकर उन लोगो ने चंगेज़ खान के आदेश का पालन किया और बुखारा शहर में अपने ही लोगों के बीच भयंकर जंग छिड़ गई। आखिर में, "चंगेज खान के समर्थकों" की जीत हुई।

लेकिन जीतने वाले गिरोह के होश तब उड़ गए जब चंगेज़ खान की फौज ने उनपर हमला बोल दिया और उनका क़त्ल ए आम शुरू कर दिया। और फिर चंगेज खान ने ये शब्द कहे: "अगर ये लोग सच्चे और वफादार होते, तो उन्होंने हमारे लिए अपने भाइयों को धोखा नहीं दिया होता, जबकि हम उनके लिए अजनबी थे"

अरब इतिहासकार इब्न अल-अथिर (1160-1234)

26/09/2025

#🔨ᴿᵉᵃᵈʸ ᵗᵒ ᵇᵘᶦˡᵈ ᵗʰᵉ ᶠᵒᵘⁿᵈᵃᵗᶦᵒⁿ ᵒᶠ ʸᵒᵘʳ ᵃᶜᵗᶦⁿᵍ ᶜʳᵃᶠᵗ?

ᴶᵒᶦⁿ ᵘˢ ᶦⁿ-ᵖᵉʳˢᵒⁿ ᵃᵗ ᵒᵘʳ ᴸᵒˢ ᴬⁿᵍᵉˡᵉˢ ˢᵗᵘᵈᶦᵒ ᶠᵒʳ ᵗʰᵉ ⁶-ᵂᵉᵉᵏ ᴬᶜᵗᶦⁿᵍ ᵀᵉᶜʰⁿᶦᵠᵘᵉ ᵖʳᵒᵍʳᵃᵐ, ᵗʰᵉ ᵉˢˢᵉⁿᵗᶦᵃˡ ᶠᶦʳˢᵗ ˢᵗᵉᵖ ᶠᵒʳ ᵃˡˡ ˢᵗᵘᵈᵉⁿᵗˢ ᵃᵗ ᵗʰᵉ ˢᵗᵘᵈᶦᵒ.🌟

ᴵⁿ ᵗʰᶦˢ ᶜᵒᵐᵖʳᵉʰᵉⁿˢᶦᵛᵉ ᶜᵒᵘʳˢᵉ, ʸᵒᵘ’ˡˡ ᵉˣᵖˡᵒʳᵉ:

🔹• ᴴᵒʷᵃʳᵈ ᶠᶦⁿᵉ’ˢ ˢᶜʳᶦᵖᵗ ᴬⁿᵃˡʸˢᶦˢ ᴸᵉᶜᵗᵘʳᵉ

🔹• ᵁᵗᵃ ᴴᵃᵍᵉⁿ’ˢ ᴼᵇʲᵉᶜᵗ ᴱˣᵉʳᶜᶦˢᵉˢ

🔹• ᴾᵉʳˢᵒⁿᵃˡᶦᶻᵃᵗᶦᵒⁿ, ˢᵉⁿˢᵒʳʸ ʷᵒʳᵏ, ᵃⁿᵈ ᵉᵐᵒᵗᶦᵒⁿᵃˡ ʳᵉᶜᵃˡˡ ʷᶦᵗʰ ᴰᵃᵛᶦᵈ ᶜᵒᵘʳʸ

🔹• ᴴᵒʷ ᵗᵒ ʰᵃⁿᵈˡᵉ ⁿᵉʳᵛᵉˢ ᵃⁿᵈ ᵇʳᵉᵃᵏ ᵒˡᵈ ʰᵃᵇᶦᵗˢ

🔹• ᴬˢˢᶦᵍⁿᵉᵈ ᵐᵃᵗᵉʳᶦᵃˡ ᵃⁿᵈ ᵃⁿ ᶦⁿᵗʳᵒ ᵗᵒ ˢᶜᵉⁿᵉ ˢᵗᵘᵈʸ

ᵀʰᶦˢ ᶜᵒᵘʳˢᵉ ᵍᵒᵉˢ ᵇᵉʸᵒⁿᵈ ᵃᵘᵈᶦᵗᶦᵒⁿ ᵖʳᵉᵖ, ᶠᵒᶜᵘˢᶦⁿᵍ ᵒⁿ ᵗʰᵉ ᵉⁿᵗᶦʳᵉ ᶜʳᵃᶠᵗ ᵒᶠ ᵃᶜᵗᶦⁿᵍ ᵗᵒ ʰᵉˡᵖ ʸᵒᵘ ⁿᵒᵗ ᵒⁿˡʸ ᵇᵒᵒᵏ ᵗʰᵉ ʲᵒᵇ ᵇᵘᵗ ⁿᵃᶦˡ ᵗʰᵉ ʳᵒˡᵉ ᵒⁿ ˢᵉᵗ ᵒʳ ˢᵗᵃᵍᵉ.🎥

📚ᴿᵉᵠᵘᶦʳᵉᵈ ᵀᵉˣᵗˢ:

🔹• ᴬ ᶜʰᵃˡˡᵉⁿᵍᵉ ᶠᵒʳ ᵗʰᵉ ᴬᶜᵗᵒʳ ᵇʸ ᵁᵗᵃ ᴴᵃᵍᵉⁿ

🔹• ᶠᶦⁿᵉ ᴼⁿ ᴬᶜᵗᶦⁿᵍ: ᴬ ⱽᶦˢᶦᵒⁿ ᵒᶠ ᵗʰᵉ ᶜʳᵃᶠᵗ ᵇʸ ᴴᵒʷᵃʳᵈ ᶠᶦⁿᵉ

ᴮᵉ ˢᵘʳᵉ ᵗᵒ ᵍʳᵃᵇ ʸᵒᵘʳ ᵇᵒᵒᵏˢ ᵇᵉᶠᵒʳᵉ ᵗʰᵉ ᶠᶦʳˢᵗ ᶜˡᵃˢˢ ᵃⁿᵈ ˢᵗᵃʳᵗ ʳᵉᵃᵈᶦⁿᵍ ᴴᵒʷᵃʳᵈ’ˢ ᵇᵒᵒᵏ ᵗᵒ ᵈᶦᵛᵉ ᶦⁿᵗᵒ ᵗʰᶦˢ ᵗʳᵃⁿˢᶠᵒʳᵐᵃᵗᶦᵒⁿᵃˡ ᵉˣᵖᵉʳᶦᵉⁿᶜᵉ.📖

➡️ᶜˡᵃˢˢ ᵇᵉᵍᶦⁿˢ ᴼᶜᵗᵒᵇᵉʳ ¹⁵ᵗʰ ᵃᵗ ¹⁰ ᵃᵐ ᴾᵀ

ˢᵉᶜᵘʳᵉ ʸᵒᵘʳ ˢᵖᵒᵗ ᵗᵒᵈᵃʸ

26/09/2025

1990 से बिहार के नालंदा जिले की राजगीर बस स्टैंड के पास एक छोटी सी चाय की दुकान बच्चों और महिलाओं के लिए एक अनमोल सेवा करती आ रही है। इस दुकान का नाम है "श्रवण कुमार की चाय दुकान"। यहाँ 18 महीने तक के छोटे बच्चों को मुफ्त दूध दिया जाता है। यह सेवा श्रवण कुमार ने अपने व्यक्तिगत मिशन के रूप में शुरू की थी, जिसका मकसद मानव सेवा और समाज की भलाई था।

जब माताएं अपने नन्हे-मुन्नों को दूध नहीं दे पाती थीं, तो श्रवण कुमार ने बिना किसी शर्त के हर बच्चे को हर दिन दूध उपलब्ध कराया। उन्होंने कभी भी इस सेवा के लिए किसी की मदद स्वीकार नहीं की, बल्कि इसे अपनी ज़िम्मेदारी माना। श्रवण कुमार के निधन के बाद, उनके परिवार ने इस सेवा को जारी रखा और आज उनके भाई रणजीत कुमार, जिन्हें 'तुन्‍ना बाबा' कहा जाता है, रोजाना तीन लीटर दूध वितरित करते हैं।

यह छोटी सी पहल दिखाती है कि संकल्प, करुणा और समर्पण से जीवन कितना बेहतर बनाया जा सकता है। इस तरह के समाज सेवा के अद्भुत उदाहरण देश में सकारात्मकता फैलाते हैं और प्रेरणा देते हैं कि सेवा का कोई सीमांत नहीं होता।

26/09/2025

"विकसित भारत के सपनों के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट हमारी न्यायिक प्रणाली है। जजों को 'माय लॉर्ड’ कहा जाता है, याचिका को ‘प्रेयर’ कहा जाता है। क्या मज़ाक है। हम सब एक ही देश के नागरिक हैं , न कि किसी राजा के प्रजा। न्यायपालिका भी देश की अन्य सेवाओं की तरह एक सार्वजनिक सेवा है । क्या कभी ऐसा सुना है कि पुलिस विभाग या अस्पताल महीनों तक बंद कर दिए जाएं, सिर्फ़ इसलिए कि अधिकारियों को गर्मियों की छुट्टियां चाहिए, फिर न्यायिक व्यवस्था में ऐसा क्यों? "

क्या खूब कहा है संजीव सान्याल ने, वाह!

26/09/2025

ये किसकी लाश है जिसे इस पेड़ पर लटका रखा है, देखकर तो लग रहा जैसे काफी दिनों से ये टंगी हुई है, दुभाषिये की मदद से एक अंग्रेज ने जिज्ञासा से उस नारे लगाती भीड़ में खड़े एक व्यक्ति से पूछा, जो उस भीड़ में पेड़ पर टंगे उस मानव शरीर को देखकर इस कड़ाके की ठंड में भी सम्मान में नारे लगा रहे थे।

ये अंग्रेज था पीटर मडी जो ब्रिटेन से भारत भ्रमण पर आया था और, इस समय वाराणसी के प्रवेश द्वार मुगलसराय में उस पेड़ के नीचे खड़ा था जिस पेड़ पर एक मानव शरीर को टांग रखा गया था। (मडी 3 सितम्बर 1632 को आगरा से पटना जाते हुए वाराणसी पहुंचा था)

दुभाषिए ने जवाब मिलने पर उसने मडी को समझाया कि, कल शाहजहां के सभी हिन्दू मंदिरों को तोड़ देने के आदेश पर जब इलाहाबाद के सूबेदार हैदर वेग ने अपने चचेरे भाई अहमद वेग को वाराणसी के मंदिरों को ध्वस्त करने के लिए यहां भेजा, तो इसकी खबर पाकर एक राजपूत योद्धा ने इनपर अकेले छिपकर हमला किया और अहमद वेग समेत इसके पूरे जत्थे को अकेले मार गिराया और आखिरी सांस तक लड़ता रहा। अकेले होने की वजह से ये दूसरे जत्थे के हाथों वीरगति को प्राप्त हुआ।

ये महज एक कहानी नही है तथ्यों की कसौटी पर आप इसे कभी भी कस सकते हैं, वाराणसी ऐसे ही नही हर बार उठ खड़ी होती है, ऐसे गुमनाम धर्म योद्धा जिन्होंने खुद को धर्म के लिए मिटा लिया उसे हम सबने इतिहास में खो जाने दिया।

सोर्स: इलियट: भाग 7 पृष्ठ 70, द ट्रेवल्स ऑफ पीटर मडी (टेम्पिल द्वारा संपादित) भाग 2, पृष्ट 178, London 1914

26/09/2025

सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘नेहरू जी आइये रिक्शा में बैठ लीजिए !’’

जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘नहीं पटेल जी हम खान साहब से जरूरी बातें कर रहे हैं।’’

सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘ऐसी क्या जरूरी बाते हैं?

जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘यह पाकिस्तान जाने की जिद किए हुए हैं, हम चाहते हैं कि भारत में ही रहें।’’

सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘तो जाने क्यों नहीं देते, फिर पाकिस्तान बनवाया ही किसलिए।’’

जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘वह तो ठीक है, लेकिन इनके साथ पांच लाख मुस्लिम और पाकिस्तान चले जाएंगे।’’

सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘तो जाने दीजिए।’’

जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘लेकिन दिल्ली तो खाली हो जाएगी।

सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘जो लाहौर से हिन्दू आएंगे उनसे भर जाएगी।’’

जवाहर लाल नेहरू :- '‘नहीं उन्हें मुस्लिमों के घर हम नहीं देंगे, वक्फ बोर्ड को सौंप देंगे।’’

सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘और लाहौर में जो अभी से मंदिर और डीएवी स्कूल पर कब्जा कर उनके नाम इस्लामिक रख दिए हैं।

जवाहर लाल नेहरू :- ‘'पाकिस्तान से हमे क्या लेना-देना, हम तो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाएंगे।’’

सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘लेकिन देश का बंटवारा तो धर्म के आधार पर हुआ है। अब यह हिन्दुस्तान हिन्दुओं का है।’’

जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘नहीं यह देश कांग्रेस का है. . कांग्रेस जैसा चाहेगी वैसा होगा।’’

सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘इतिहास बदलता रहता है, अंग्रेज भी जा रहे हैं फिर कांग्रेस की हस्ती ही क्या है ? मुस्लिम साढे सात सौ साल में गए, अंग्रेज 200 साल में गए और कांग्रेस 60-70 साल में चली जाएगी और लोग भूल जाएंगे।'’

जवाहर लाल नेहरू :- ‘‘ऐसा कभी नहीं होगा।’’

सरदार वल्लभ भाई पटेल :- ‘‘जरूर होगा, आप मुगल सोच त्याग दें।’’ कहकर पटेल ने रिक्शा चालक से कहा, ‘आप तेज चलिए, हम भी किस मूर्ख से जबान लडा बैठे !’

इतिहास की अनकही सत्य कहानियां" का एक अंश (एक रिक्शा चालक, धर्मसिंह तोमर की डायरी के आधार पर)

26/09/2025

📖 Description:क्या आपको पता है असली इतिहास और सच्चाई क्या है?हमारी शिक्षा, संस्कृति और परंपरा को किस तरह तोड़ा गया और क्यों...

26/09/2025

‘वह जो पहाड़ दिख रहा है, वह मेघालय है। वहाँ पहुँच कर सब ठीक हो जाएगा’, गुवाहाटी की भीड़-भाड़ भरे ट्रैफिक में रेंगती गाड़ी के चालक ने कहा।

मैंने पूछा, ‘जब अधिकांश गाड़ियाँ शिलॉन्ग की तरफ़ जा रही है, सड़क भी एक ही है, तो आखिर मेघालय सीमा पर ऐसा क्या करिश्मा होगा?’

उन्होंने कहा, ‘वहाँ कोई ग़लत ओवरटेक नहीं करेगा। सब लेन से चलेगा। डिसिप्लिन अच्छा है।’

वाकई असम सीमा खत्म होते ही यूँ लगा जैसे किसी स्कूल असेंबली की घंटी बज गयी हो, और उछल-कूद शोर करते बच्चे अचानक पंक्तिबद्ध होकर चलने लगे हों। आड़ी-तिरछी खड़ी मेटाडोर सीधी हो गयी। दो बड़ी गाड़ियों के बीच नाक घुसेड़ती एक पुरानी मारुति अपनी नाक सहित पीछे कतार में लग गयी। सड़क से उतर कर हिचकोले खाती गाड़ियाँ सड़क पर आ गयी। वादे के मुताबिक़ सब ठीक हो गया था।

मैंने पूछा, ‘अगर मेघालय में लेन तोड़ दें तो क्या जुर्माना लग जाएगा? क्या यह पुलिस का डर है?’

उन्होंने कहा, ‘नहीं नहीं। पुलिस तो हर जगह एक जैसा है। लाइन तोड़ने पर यहाँ का लोग आपको परेशान कर देगा। गाली देगा, हॉर्न बजाएगा। न खुद लेन तोड़ेगा, न आपको तोड़ने देगा।’

यह बात शायद हर किसी के गले न उतरे, मगर भारतीय इस फ़ेनोमेनन से ख़ूब वाक़िफ़ हैं। यहाँ दस कोस पर लोग बदल जाते हैं। भाषा बदल जाती है। संस्कृति बदल जाती है। दुनिया बदल जाती है। भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में यह फ़ेनोमेनन अपने चरम पर होता है, जब एक ही भोगौलिक राज्य में दर्जनों सांस्कृतिक समूह दिखने लगते हैं।

‘ये एरिया खासी लोगों का है। यहाँ से शिलॉन्ग और आगे तक अधिकतर लोग खासी है। सबसे ज़्यादा वही लोग है। ये पहाड़ सब खासी पहाड़ है।’, उसने सुर्ख़ लाल पत्थरों और घनी हरियाली वाले पहाड़ों को दिखा कर कहा

‘हाँ! खासी, गारो, जैन्तिया। सुने हैं ये नाम’, मैंने कहा

‘गारो हिल्स पूरब के तरफ़ है। उधर थोड़ा तिब्बत कल्चर है। जैन्तिया अभी आगे मिलेगा। बांग्लादेश के तरफ जाने से…’

हम जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे, मैंने ग़ौर किया कि घरों की ऊँचाई कुछ कम दिख रही है। अंदाज़न सात-आठ फीट ऊँचाई पर छत, और छह फ़ीट ऊँचे दरवाज़े। बनावट पहाड़ी इलाकों जैसी ही थी, मगर दूर से खिलौनानुमा रंग-बिरंगे छोटे-छोटे घर दिख रहे थे।

‘सबका हाइट छोटा है, तो घर भी छोटा-छोटा है…’, यह टिप्पणी कुछ नस्लवादी सी लगी मगर सहजता से कह दी गयी थी

‘मेरा तो दरवाज़े पर ही सर टकरा जाए’, मैंने भी सहजता से कह दिया

‘नहीं नहीं! सर झुका कर नहीं जाना होगा। आराम से घुस जाता है। आपके तरफ तो पंखा टाँगते हैं, हवा चाहिए, इसलिए छत ऊँचा रखते हैं। यहाँ क्या जरूरत है? ये तो पहले से ठंडा है!’

‘यहाँ इतने पहाड़ हैं। बस्तियाँ हैं। मगर दूर-दूर तक कहीं कोई मंदिर नहीं दिख रहा। असम में तो बहुत थे।’

‘मंदिर है। लेकिन बहुत कम। आपको चर्च दिखेगा। ये क्रिश्चियन स्टेट है न, इसलिए’

अंदाज़ा तो था, मगर नज़र नहीं थी। देखा तो कोस-कोस पर दूर-दूर तक छोटे, मझोले, बड़े गिरजाघर और चैपल दिखने लगे। अलग-अलग ईसाई पंथों के। बैप्टिस्ट, प्रेस्बाइटेरियन, कैथॉलिक, चर्च ऑफ गॉड। इतने तरह के गिरजाघर तो मैंने यूरोप में नहीं देखे।

‘इधर छोटा-छोटा बच्चा भी इंगलिश बोल लेता है। यहाँ का जो भाषा है, वह पढ़ने में इंगलिश जैसा ही है। पहले बोलने का भाषा था, लिखने का नहीं था। लिखने के लिए तो मिशनरी लोग ही सिखाया’

जब मैंने मेघालय के तमाम बोर्ड पर रोमन में लिखे खासी भाषा की सूचनाओं के विषय में पूछा तो यह उत्तर मिला। एक अन्य व्यक्ति ने जोड़ा-

‘चर्च यहाँ स्कूल बनाया, अस्पताल बनाया, बहुत सुविधा दिया। नहीं तो क्या था? सब जंगल था इधर’

‘जंगल तो अभी भी है”, मैंने दूर हाथ दिखा कर कहा

‘हाँ! अभी भी जंगल है लेकिन गाँव में सभी बच्चे स्कूल जाते हैं। सब लिख सकता है। पढ़ सकता है’, उन्होंने कहा

‘हाँ! साक्षरता तो 75 प्रतिशत है….लेकिन, ये मिशनरी लोग कब आए? ब्रिटिश लेकर आए?’, मैंने उत्तर जानते हुए भी पूछा

‘हाँ! वही लोग लाया। एक फादर जोंस था, जो सबसे पहले इधर आया’

‘किधर आया? शिलॉन्ग?’

‘वो सोहरा में आया। उधर से फिर पूरा मेघालय में घूमा। शिलॉन्ग में भी उसका चर्च है’

‘सोहरा?’

‘तुमको सोहरा मालूम नहीं? फिर मेघालय कैसे आया?’, उन्होंने हँस कर कहा

मेरे चालक ने अपनी हँसी मिला कर कहा, ‘आपलोग जिसको चेर्रापूंजी बोलता है, उसका नाम सोहरा है’

‘अच्छा? सोहरा को ही अंग्रेज़ चेर्रा या चेर्रापूंजी बुलाने लगे?’, मैंने तर्क लगाया

‘ये मालूम नहीं। पता नहीं क्यों बाहर का टूरिस्ट लोग चेर्रापुंजी बोलता है’

शिलॉन्ग से डेढ़ घंटे दूर स्थित चेरापूंजी का नाम हमने जनरल नॉलेज की किताबों में पढ़ा था कि वहाँ सबसे अधिक बारिश होती है। इस में एक और कौतूहल जुड़ गया। अब मुझे वह पहला गिरजाघर देखना था, जहाँ से पूरा मेघालय ईसाई बनता गया।

जब गिरजाघर ढूँढते हुए पहुँचा, तो एक लाल रंग की इमारत थी, जिसके दरवाजे पर दो कुत्ते बैठे थे। यह लिखा था कि स्थाप्ना 1846 ई. में हुई। वहीं एक सफ़ेद पट्टिका पर अंकित था कि पादरी थॉमस जोन्स 1841 में चेर्रा आए, और वह पहले मिशनरी थे।

गिरजाघर के इतिहास में लिखा था-

थॉमस जोन्स खासी पहाड़ियों में वर्षों घूमते रहे, वहाँ की भाषा सीखी, और स्थानीय लोगों से घुल-मिल गए। वह काश्तकारी में निपुण थे। उन्होंने खासी भाषा को रोमन लिपि में लिखना शुरू किया, और लोगों को यह लिपि सिखायी। उन्होंने बाइबल का खासी भाषा में अनुवाद कर इसका प्रचार किया, और इस भाषा की पहली पुस्तक लिखी। वह खासी लिपि के पितामह कहे जाते हैं।

यह प्रक्रिया जितनी सहज लगती है, उतनी शायद न रही हो। क्या एक ईसाई मिशनरी खासी भाषा सीख कर, काश्तकारी करते हुए पूरे समुदाय को ईसाई बना गए? यह फौरी तौर पर मुमकिन नहीं लगता। बशर्तें कि यह ऐसा प्रस्ताव हो, जिसे ठुकराया न जा सके।

इन उत्तरों को तलाशते हुए देखा कि कई छोटे टीलों पर ईसाई कब्र हैं, जिन पर क्रॉस लगे हैं। वहीं कुछ टीलों पर क्रॉस के बजाय ऊँचे पत्थर टिका कर रखे हैं। मुझे लगा कि वह भी ईसाई कब्र ही होगी, मगर करीब जाकर देखा तो वह कुछ और ही निकला।

खासी पहाड़ियों में बिखरी वे एकाकार शिलाएँ एक खोयी हुई संस्कृति की दास्तान कह रही थी। वे उन खासी और जैन्तिया नायकों की स्मृति थी जो युद्ध लड़ते हुए मारे गए। जितनी शिलाएँ, उतने गुमनाम नायक।

[दिसंबर 2022 में प्रकाशित। पूरा संस्मरण पढ़ने के लिए praveenjha.in पर जाएँ, या Praveen Jha’s podcast पर सुनें]

20/01/2025

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About

#कट्टरस्नातनी r

1. Founding and History: BMW, Bayerische Motoren Werke AG, was founded in 1916 in Munich, Germany, initially producing aircraft engines. The company transitioned to motorcycle production in the 1920s and eventually to automobiles in the 1930s.

2. Iconic Logo: The BMW logo, often referred to as the "roundel," consists of a black ring intersecting with four quadrants of blue and white. It represents the company's origins in aviation, with the blue and white symbolizing a spinning propeller against a clear blue sky.

3. Innovation in Technology: BMW is renowned for its innovations in automotive technology. It introduced the world's first electric car, the BMW i3, in 2013, and has been a leader in developing advanced driving assistance systems (ADAS) and hybrid powertrains.

4. Performance and Motorsport Heritage: BMW has a strong heritage in motorsport, particularly in touring car and Formula 1 racing. The brand's M division produces high-performance variants of their regular models, known for their precision engineering and exhilarating driving dynamics.

5. Global Presence: BMW is a global automotive Company

6. Luxury and Design: BMW is synonymous with luxury and distinctive design, crafting vehicles that blend elegance with cutting-edge technology and comfort.

7. Sustainable Practices: BMW has committed to sustainability, incorporating eco-friendly materials and manufacturing processes into its vehicles, as well as advancing electric vehicle technology with models like the BMW i4 and iX.

8. Global Manufacturing: BMW operates numerous production facilities worldwide, including in Germany, the United States, China, and other countries, ensuring a global reach and localized production.

9. Brand Portfolio: In addition to its renowned BMW brand, the company also owns MINI and Rolls-Royce, catering to a diverse range of automotive tastes and luxury segments.

10. Cultural Impact: BMW's vehicles often become cultural icons, featured in fi
Today's best photo♥️♥️♥️♥️






























29/12/2024

Ten Unknown Facts About

1. Founding and History: BMW, Bayerische Motoren Werke AG, was founded in 1916 in Munich, Germany, initially producing aircraft engines. The company transitioned to motorcycle production in the 1920s and eventually to automobiles in the 1930s.

2. Iconic Logo: The BMW logo, often referred to as the "roundel," consists of a black ring intersecting with four quadrants of blue and white. It represents the company's origins in aviation, with the blue and white symbolizing a spinning propeller against a clear blue sky.

3. Innovation in Technology: BMW is renowned for its innovations in automotive technology. It introduced the world's first electric car, the BMW i3, in 2013, and has been a leader in developing advanced driving assistance systems (ADAS) and hybrid powertrains.

4. Performance and Motorsport Heritage: BMW has a strong heritage in motorsport, particularly in touring car and Formula 1 racing. The brand's M division produces high-performance variants of their regular models, known for their precision engineering and exhilarating driving dynamics.

5. Global Presence: BMW is a global automotive Company

6. Luxury and Design: BMW is synonymous with luxury and distinctive design, crafting vehicles that blend elegance with cutting-edge technology and comfort.

7. Sustainable Practices: BMW has committed to sustainability, incorporating eco-friendly materials and manufacturing processes into its vehicles, as well as advancing electric vehicle technology with models like the BMW i4 and iX.

8. Global Manufacturing: BMW operates numerous production facilities worldwide, including in Germany, the United States, China, and other countries, ensuring a global reach and localized production.

9. Brand Portfolio: In addition to its renowned BMW brand, the company also owns MINI and Rolls-Royce, catering to a diverse range of automotive tastes and luxury segments.

10. Cultural Impact: BMW's vehicles often become cultural icons, featured in fi
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12/11/2024

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