
14/05/2023
वैसे तो कोई ऐसा दिन नहीं जो मातृ दिवस ना हो परंतु भारतीय संस्कृति एवं सनातन संस्कृति के अनुसार मातृ दिवस हो ही नहीं सकता क्योंकि उन्होंने मां का दर्जा सर्वोपरि दिया है इसलिए हमारा सारा जीवन भी मां के चरणों अर्पित हो जाए तब भी हम उसका कर्ज नहीं उतार सकते बस इसीलिए किसी दिन को उन्होंने मातृ दिवस नहीं कहा। यह तो पाश्चात्य देशों का दिखावा एवं व्यवसाई करण का ढंग है। यदि आप भी उनके द्वारा रचे गए इस मंघड़ंत दिवस की सच्चाई जानेंगे तो आपको बहुत हैरानी होगी क्योंकि यह अमरीका के एक वासी ने अपनी मां की पुण्यतिथि या यूं कहें बरसी पर यह दिवस बनाया था। और वह भी दूसरे विश्वयुद्ध के प्रभाव वश। सो जिस देश ने स्वयं परमाणु हमले करके बहुत सी माताओं का और उनके बहुत सी संतानों का बेगुनाहों को मौत के घाट उतार दिया हो उनके द्वारा मनाया जाने वाला या बनाया जाने वाला मातृ दिवस उतना ही खोखला है जितनी कि उनकी संस्कृति। अपितु जिसने यह मातृ दिवस बनाया था बाद में उसने स्वयं इसका विरोध किया और आज भी उनके रिश्तेदार इसे नहीं मनाते। क्योंकि उनके अनुसार अब यह मातृ दिवस ना होकर गोरख धंधा बन गया है और इसके साथ जुड़ी सारी भावनाएं खत्म हो चुकी है। इस पर एक पूरे लेख का लिंख साथ में दे रहा हूं कृपया जरूर पढ़ें। अजी हम उस माता का दिवस क्या मना पाएंगे या ऐसा कहें कि हमारी इतनी हैसियत ही नहीं कि हम उसकी महिमा का पूर्ण गुणगान भी कर सके जिन्होंने हमें जीवन दिया है। केवल भारतीय सनातन संस्कृति में ही स्त्री को मां को ईश्वर के रूप में देखा गया है और किसी संस्कृति में स्त्री को को ईश्वर रूप में ना ही जाना जाता है और ना ही माना जाता है उनके सभी धर्म अवतार केवल पुरुषों के इर्द गिर्द घूमते हैं। इक्का-दुक्का अपवाद हो सकते हैं। देखिए हमारी महान संस्कृति में हमने स्त्री को नवदुर्गा के रूप में पूजा शक्ति की आराध्य देवी ज्ञान की देवी एवं सुख-सुविधाओं की देवी के रूप में भी पूजनीय किया है। मैं किसी भी व्यक्ति की उसकी मां के प्रति प्रेम या प्रेम के प्रगटावे के पक्षधर हूं परंतु इस गलत चलन के पक्ष में नहीं। मैंने स्वयं भी कुछ वर्ष पहले इसी द्रु प्रचार के चलते अपनी फेसबुक और व्हाट्सएप पर मदर्स डे सेलिब्रेशन को लेकर पोस्ट एवं तस्वीरें शेयर की थी। परंतु पूर्ण सच्चाई जानने के बाद मैंने इस तरह के दिखावे एवं द्रुप्रचार से किनारा कर लिया।आप सब रोज अपनी माताजी के चरणों को स्पर्श करें उनसे आशीर्वाद ले उनकी सेवा करें। और यदि वह इस संसार में नही तो उनको याद करें उनकी दी हुई शिक्षाओं पर चलें। यही असल में मातृ प्रेम है
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मदर्स डे की आपने तमाम कहानियां पढ़ी होंगी। जाना होगा कि इस दिन की शुरुआत कैसे हुई? कैसे यह दिन मांओं को समर्पित किया