Trinetra Institute of Astrology & Vastu

Trinetra Institute of Astrology & Vastu A ZONE FOR CONSULTING & LEARNING ASTROLOGY & VASTU

Officially attached with 92.7 BIG FM
KHABAR SILSILA & Punjabi Post Hiram. E.Butler. Mr.

NO BLACK MAGIC NO RED BOOK

NO JADU TONA NO TA**RA

PURE VEDIC NATURAL & SCIENTIFIC

We at Trinetra Astro & Vastu Research Centre provide the scientific, Vedic analyses of your horoscope along with spiritual & psychological counseling by International Astrologist Gaurav Kocher.The renowned Astro & Vastu Consultant of Politicians, Bureaucrats, Film Stars, Cricketers, Media Persons, industrialist etc. Astro Writer for Leading News Paper Danik Bhaskar
Astro Expert for so many News Channel

Cell No. +91 9888334736

He has credit 8 yrs. of extensive and intensive study and research in the Oriental North Indian Predictive Astrology, the modern South India's 'Krishnarmurthy Padhiti' and the Western scientific concept of 'Solar Biology' initiated by Mr. Kocher by synthesizing the above mentioned methods of predictive astrology have evolved his own unique method for giving an expert Astro & vastu advice/readings and counselling to our clients. He also gives vastu map for homes, shops, factory, showrooms, and malls. Based on science of directions. For diluting the negative affliction of the planets in your horoscope We only recommend Vedic remedies, Ved Mantar Jaap & Gem Stone


Mr. Gaurav Kocher is also running his own institute for learning astrology and vastu.With two overseas branches one in Italy & second is in Austria

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त्रिनेत्र ज्योतिष एवं वास्तु संस्थान तथा एस्ट्रो गुरु भारत कोचर आप सबको नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देते हैं।शारदीय...
03/10/2024

त्रिनेत्र ज्योतिष एवं वास्तु संस्थान तथा एस्ट्रो गुरु भारत कोचर आप सबको नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देते हैं।शारदीय नवरात्रि आज से शुरू हो रहे हैं. इस बार 2024 मैं मे शारदीय नवरात्रि 03 अक्टूबर से लेकर 11 अक्टूबर तक रहेगी. आज प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना के साथ ही नवरात्रि का महापर्व शुरू हो जाएगा.शारदीयन नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की समर्पित होता है. इस दिन लोग घटस्थापना के बाद मां शैलपुत्री की उपासना करते हैं।
हिमालय की पुत्री होने के कारण इनको शैलपुत्री कहा जाता है. पूर्व जन्म में इनका नाम सती था और ये भगवान शिव की पत्नी थी. सती के पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था, इसी कारण सती ने अपने आपको यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया था।अगले जन्म में यही सती ने शैलपुत्री बनी और भगवान शिव से ही विवाह किया. माता शैलपुत्री की पूजा से सूर्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं. मां शैलपुत्री को गाय के शुद्ध घी का भोग लगाना चाहिए. इससे अच्छा स्वास्थ्य और मान सम्मान मिलता है.
नवरात्रि के प्रथम दिन उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं. शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है जीवन के समस्त कष्ट क्लेश और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग सुपारी मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करें. तथा इस मंत्र का जाप करें।
॥ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:॥
मां भगवती आपके सभी दुखों को हर लेंगे तथा स्वास्थ्य एवं सुख में जीवन आपको प्रदान करेंगी। किसी भी प्रकार की शंकर एवं समाधान तथा अधिक जानकारी के लिए आप हमें संपर्क कर सकते हैं। त्रिनेत्र ज्योतिष एवं वास्तु संस्थान तथा एस्ट्रो गुरु भारत कोचर आप सबको नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देते हैं। जय माता दी। Astroguru Gaurav Kocher & Trinetra Institute of Astrology & Vastu wishing you all

भारत और भारतीय परंपरा अपने आप में अनगिनत गुण एवं रहस्य छुपाए हुए हैं हमारे त्योहार हमारे उपवास यह सब प्रकृति एवं विज्ञान...
03/10/2024

भारत और भारतीय परंपरा अपने आप में अनगिनत गुण एवं रहस्य छुपाए हुए हैं हमारे त्योहार हमारे उपवास यह सब प्रकृति एवं विज्ञान पर आधारित होकर हमारे मन को आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर करते हैं और साथ ही साथ इनमें सामाजिक एवं व्यवहारिक ज्ञान भी मिल जाता है बस हमें उसमें छिपे रहस्य को उजागर करने वाली बुद्धि एवं निर्विकार मन चाहिए।
इस जगत के दो आधार हैं आंतरिक एवं बाह्य, दृश्य एवं अदृश्य, शिव एवं शक्ति और इन्हीं का स्वरूप है नर तथा नारी नारी की समस्त मानव जगत को जो देन है उसका मूल्यांकन तो कभी किया ही नहीं जा सकता। हां उसको याद रखा जा सकता है धन्यवाद दिया जा सकता है। उसकी महिमा का गुणगान किया जा सकता है। आज जो सबसे जरूरी है एक ऐसे समाज की संरचना करना जिसमें नारी स्वयं को सम्मानित एवं सुरक्षित महसूस कर सके। इसी बात की और इंगित करता हैं नवरात्रि का पावन त्यौहार, नवरात्रि का पावन पर्व आज से शुरू हो गया है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नौ रूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंधमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। इन नौ रातों में तीन देवी पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ रुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। नवदुर्गा के नौ स्वरूप स्त्री के संपूर्ण जीवनचक्र को दर्शाते है।
1. जन्म ग्रहण करती हुई कन्या “शैलपुत्री” स्वरूप है।
2. स्त्री का कौमार्य अवस्था तक “ब्रह्मचारिणी” का रूप है।
3. विवाह से पूर्व तक चंद्र के समान निर्मल होने से वह “चंद्रघंटा” समान है।
4. नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह “कूष्मांडा” स्वरूप में है।
5. संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री “स्कन्दमाता” हो जाती है।
6. संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री “कात्यायनी” रूप है।
7. अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह “कालरात्रि” जैसी है।
8. संसार (कुटुंब ही उसके लिए संसार है) का उपकार करने से “महागौरी” हो जाती है।
9. धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार में अपनी संतान को सिद्धि(समस्त सुख-संपदा) का आशीर्वाद देने वाली “सिद्धिदात्री” हो जाती है।
है ना कितनी महान एवं अद्भुत शिक्षा क्या आज से पहले आपने नवरात्रि के त्यौहार को इस तरह जाना था। तो इसीअभिलाषा के साथ की इन नवरात्रों से हमें एक अच्छे एवं सुरक्षित समाज का सृजन करने का उत्साह मिले आप सबको Astroguru Gaurav Kocher & Trinetra Institute of Astrology & Vastu एस्ट्रोगुरु गौरव गोचर एवं त्रिनेत्र ज्योतिष एवं वास्तु संस्थान की तरफ से आप सबको नवरात्रि के पावन पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं🙏🙏

आप सब को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं। गणपति बप्पा आप सब को अच्छा स्वस्थ एवम आनादपूर्व जीवन प्रदान करे ऐसी हमारी ...
19/09/2023

आप सब को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं। गणपति बप्पा आप सब को अच्छा स्वस्थ एवम आनादपूर्व जीवन प्रदान करे ऐसी हमारी प्रार्थना है। प्रेम सहित एस्ट्रो गुरु गौरव कोचर सौजन्य से त्रिनेत्रा ज्योतिष एवम वास्तु अनुसंधान केंद्र। Astroguru Gaurav Kocher Trinetra Institute of Astrology & Vastu

वैसे तो कोई ऐसा दिन नहीं जो मातृ दिवस ना हो परंतु भारतीय संस्कृति एवं सनातन संस्कृति के अनुसार मातृ दिवस हो ही नहीं सकता...
14/05/2023

वैसे तो कोई ऐसा दिन नहीं जो मातृ दिवस ना हो परंतु भारतीय संस्कृति एवं सनातन संस्कृति के अनुसार मातृ दिवस हो ही नहीं सकता क्योंकि उन्होंने मां का दर्जा सर्वोपरि दिया है इसलिए हमारा सारा जीवन भी मां के चरणों अर्पित हो जाए तब भी हम उसका कर्ज नहीं उतार सकते बस इसीलिए किसी दिन को उन्होंने मातृ दिवस नहीं कहा। यह तो पाश्चात्य देशों का दिखावा एवं व्यवसाई करण का ढंग है। यदि आप भी उनके द्वारा रचे गए इस मंघड़ंत दिवस की सच्चाई जानेंगे तो आपको बहुत हैरानी होगी क्योंकि यह अमरीका के एक वासी ने अपनी मां की पुण्यतिथि या यूं कहें बरसी पर यह दिवस बनाया था। और वह भी दूसरे विश्वयुद्ध के प्रभाव वश। सो जिस देश ने स्वयं परमाणु हमले करके बहुत सी माताओं का और उनके बहुत सी संतानों का बेगुनाहों को मौत के घाट उतार दिया हो उनके द्वारा मनाया जाने वाला या बनाया जाने वाला मातृ दिवस उतना ही खोखला है जितनी कि उनकी संस्कृति। अपितु जिसने यह मातृ दिवस बनाया था बाद में उसने स्वयं इसका विरोध किया और आज भी उनके रिश्तेदार इसे नहीं मनाते। क्योंकि उनके अनुसार अब यह मातृ दिवस ना होकर गोरख धंधा बन गया है और इसके साथ जुड़ी सारी भावनाएं खत्म हो चुकी है। इस पर एक पूरे लेख का लिंख साथ में दे रहा हूं कृपया जरूर पढ़ें। अजी हम उस माता का दिवस क्या मना पाएंगे या ऐसा कहें कि हमारी इतनी हैसियत ही नहीं कि हम उसकी महिमा का पूर्ण गुणगान भी कर सके जिन्होंने हमें जीवन दिया है। केवल भारतीय सनातन संस्कृति में ही स्त्री को मां को ईश्वर के रूप में देखा गया है और किसी संस्कृति में स्त्री को को ईश्वर रूप में ना ही जाना जाता है और ना ही माना जाता है उनके सभी धर्म अवतार केवल पुरुषों के इर्द गिर्द घूमते हैं। इक्का-दुक्का अपवाद हो सकते हैं। देखिए हमारी महान संस्कृति में हमने स्त्री को नवदुर्गा के रूप में पूजा शक्ति की आराध्य देवी ज्ञान की देवी एवं सुख-सुविधाओं की देवी के रूप में भी पूजनीय किया है। मैं किसी भी व्यक्ति की उसकी मां के प्रति प्रेम या प्रेम के प्रगटावे के पक्षधर हूं परंतु इस गलत चलन के पक्ष में नहीं। मैंने स्वयं भी कुछ वर्ष पहले इसी द्रु प्रचार के चलते अपनी फेसबुक और व्हाट्सएप पर मदर्स डे सेलिब्रेशन को लेकर पोस्ट एवं तस्वीरें शेयर की थी। परंतु पूर्ण सच्चाई जानने के बाद मैंने इस तरह के दिखावे एवं द्रुप्रचार से किनारा कर लिया।आप सब रोज अपनी माताजी के चरणों को स्पर्श करें उनसे आशीर्वाद ले उनकी सेवा करें। और यदि वह इस संसार में नही तो उनको याद करें उनकी दी हुई शिक्षाओं पर चलें। यही असल में मातृ प्रेम है
🙏🙏

मदर्स डे की आपने तमाम कहानियां पढ़ी होंगी। जाना होगा कि इस दिन की शुरुआत कैसे हुई? कैसे यह दिन मांओं को समर्पित किया

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