28/03/2024
ग्रह और मानव जीवन
मनुष्य जब गर्भ में होता है तो उसे अपने माता के पेट की दुनिया हि संपूर्ण दुनिया लगती है ।।
वहीं जब उसे यह बतलाया जाता है कि बाहर की भी दुनिया एक हसीन दुनिया है तो उसे विश्वास नहीं होता...
पर जब वह जन्म लेता है और इस हसीन दुनिया को देखता है तो वह चकित रह जाता है ।।
जब वह जन्म लेता है ठीक उसी वक्त आकाश में जो ग्रह की स्थिति होती है वह उस बच्चे की जन्म कुंडली कहलाती है ।।
अब यह आकाश में उपस्थित ग्रह जो बच्चे के जन्म के समय उपस्थित रहता है यह ग्रह आजीवन उस बच्चे के उपर अपना प्रभाव डालती है ।।
हर समय एक निश्चित ग्रह उस जातक के करीब में होता है जिसे ज्योतिष में महादशा कही जाती है ।।
जैसे जैसे वह बच्चा बड़ा होता जाता है, महादशाएं बदलती जाती है , और महादशा अपने हिसाब से उस जातक के मन मस्तिष्क पर प्रभाव डालती है ।।
और वह जातक उसी अनुरूप कठपुतली की तरह कार्य करता रहता है ।।
महादशा ही तय करती है कि उस बच्चे को भविष्य में किस रास्ते में जाना है ।।
यहीं पर एक ज्योतिष की भूमिका होती है जो सच्चे सलाहकार के रूप में आपके दिशा को तय कर दे ।।
ज्योतिष केवल सलाह दे सकता है आपके कर्म और प्रारंभ को नहीं काट सकता ।।
किन दिशाओं में आपका भविष्य हो सकता है , एक सलाहकार रूपी ज्योतिष यह आपके मार्गदर्शन दे सकता है ।।
ग्रह नित्य गति में अपना कार्य करते रहते हैं, और जातक के ऊपर अपना प्रभाव डालते हैं ..
कभी-कभी हमने देखा की एक बच्चा जो नवमी, दसवीं कक्षा तक बेहद सामान्य था , अचानक से 12वीं तक बेहद मजबूत स्थिति में आ गया और आईआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थान में उसका चयन हो गया ।।
कहने का तात्पर्य दसवीं कक्षा तक उसकी महादशाएं भिन्न थी, पर ज्योंहि उच्च शिक्षा का समय आया संजोग और सौभाग्यवश 12वीं कक्षा के समय पंचमेश की महादशा चली और जातक का मन पढ़ाई में लगने लगा ।।
इसी दौरान प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के वक्त षष्ठेश और दशमेश की महादशा आ गई , छठा भाव प्रतिस्पर्धा ,प्रतियोगिता परीक्षा का है , दशम भाव पद का है तो बच्चे की सरकारी नौकरी हो गई ।।
व्यापार कर रहे हैं ,इसी बीच अगर धनेश और लाभेश की महादशा आ गई तो व्यापार में चार चांद लग गया ।।
सही उम्र में सही ग्रहों की महादशा का संयोजन ही आपकी सफलता को तय करता है ।।।
किसी जातक की 60 वर्ष के उम्र में दशमेश की महादशा आए तो 60 वर्ष की उम्र में किसको नौकरी की आवश्यकता है ?
इसलिए कहा जाता है कि आपकी आयु के 30 वर्ष से 50 वर्ष के मध्य में चलने वाली महादशाएं ही आपके भविष्य को तय करती है ।।
यह महादशा अगर कल्याणकारी हुई तो आप सफल होंगे वरना संघर्षमय जीवन रहेगा ।।
और इन्हीं 30 वर्ष से 50 वर्ष के मध्य राहु जैसी महादशाएं चले और वह कुंडली में योग कारक हुआ तो आप सफल भी होंगे और इतिहास में रचेंगे।।
Er. Bibhash Mishra
Consultant
Research & Development