Dr.Karunesh Samdariya

Dr.Karunesh Samdariya yes I can

18/07/2023

*मैंने कहा ऐ खुदा मुझे उस हूर से मिला दे !
जिसकी पुरी दुनिया कायल है !
मिला दिया ( मोटी से)💃
मै तो रात में पकड़ा था समझ कर भैंस का सिकड़ा
उसने कहा छोड़ कलमुहे वो मेरे पैर का पायल है
गर पिया कभी जी भर के ज़ालिम दिन रात तक न उतरी
हजारो पैक पानी हो गए जो एक बार वो दुर्दानता चोकरी
बहुत ही अच्छे अच्छे शब्दों से नवाजा उसने हजार दफ़ा बतलाओ कहा तक निभाउंगा मैं एकतरफा वफ़ा
बोली पी के तो आओ दुबारा एक एक हड्डी दो दो प्लास्टर से जुड़वाउंगी सर के बाल तो कर ही चुकी हूं तुम्हारा सफा
मैं भी आप कुछ लोगो मे से ही हूँ !
विपत्तियों का पूरे जोर शोर से मारा
जिसे अपनी बीबी छोड़कर दुनिया लगे जन्नत और फलानी लगे सारे जहांन से प्यारा
इतने खुशी मुड़ से जो क़भी मन बना लिया पीने का वो भी तेजाब सा हो गया कड़वा
हृदय पैरो की तरह नाली में तब लड़खड़ाये जब मुहल्ले
के भाभियो के सामने पुकारा आ गया हमारा भड़वा
इतना टूटा हू की अब घर की भी कोई बोतल छूने से डर जाता हूँ
इतनी ज्यादा झूठी कसम खाई है उसकी की अब वो अमर हो गयी सही बताता हूं
रोज रात सीने पे हुमुक के बैठ जाती है और बड़े प्यार से गला दबाती है
मैं दबे मुह से गरियार बर्धा जैसे चिल्लाता हूं फिर एक नई कसम के सहारे सुबह का सूरज देख पाता हूं
अब तो आदत सी हो गयी है बिन पिये भी कई बार दिन में मुँह से भाप निकालता हूँ कही गलती से कोई दुर्गंध न आएँ
एक तो 89 किलो वजन ऊपर से सतचंडी वाला रूप देख के रोंगटे खड़े हो जाये!
हे बन्हवा वाली भवानी पहलवान वीर बाबा!
ऐसे देवी से भगवान बचाएं*



*करुनेश समदरिया*

22/06/2023

इस बीमारी की दवा नही सिर्फ दुवा की जरूरत है!

फ़ेसबुक वाट्सएप न जाने कहा- कहा से हमे जो भी व्यक्तव्य अच्छे लगते हम कॉपी पेस्ट या स्क्रीनशॉट ले ले के अपने पिटारे में भरते रहते है ।
अपने समय के हिसाब से किसको कब क्या कहां कितना नीचे गिराकर उसमे शहद या कड़ुवे शब्द कितने मात्रा में परोसने है,,,,, हम अपने तरफ से और मसाला लगा कर बढ़ा चढ़ा देते है!
और फिर हम बड़े ऊर्जावान होकर परोसते भी है!
परन्तु दूसरे पर जो कटाक्ष कर करके अपने आप को दिन रात इस ज्ञान रूपी गंगा में तैराते है ,,,,,
दिल पे हाथ रख कर नही तो एक काम करिए आईने के सामने खड़े रहकर अपनी आँखों से आंखे मिलाकर एक बार सोचिये आप कभी एक शब्द जो लिखे है उसमें से आपने कभी एक दिन भी जिया है एक भी दिन उन बातों का अनुशरण किया है ,,,जवाब आएगा नही? कभी नही क्योंकि आप तो अपने को हमेशा से सर्वोपरि समझते है !

बाकी जो शब्द है वो कभी भी स्वयं के लिए नही है दुसरो को आइना दिखाने के लिए पर्याप्त है !
आप तो ईस्वर के द्वारा भेजे गए एक अवतरित अनुयायी महापुरुष है......
जो मनुष्य रूपी जीवन मात्र को .....
उद्धार सत्कर्म और सही मार्ग दिखाने का आप सिर्फ जोखिम उठा रहे है ।
पर हमेशा याद रहे आपकी इन करतूतो से यहाँ इंसानो के बीच में आप खुद को मीठा और चापलूस बनकर सबकी नजरों में धूल झोंक देंगे!
पर जब आपकी उस दिव्य शक्ति से सामना होगा यकीन करिये आप शर्मिंदा हो उठेंगे !
और उनमें इतना तेज होता है कि आप वहाँ आंख चुरा भी तो नही सकते आपके इन सभी निम्न अस्तर के कार्यों एवं गुणों का बखान वहाँ होगा और फिर आपके हाथ मे कुछ नही रहेगा न गलतियों के सुधारने का मौका न ही ईस्वर के सामने अपनी सफाई तोड़ मरोड़ कर पेश करने का साहस आपमे होगा क्योंकि उनके प्रकाश में आंखे चौधिया जाएंगी और आप अपनी खुद की नज़रो में गिर जाएंगे और वहाँ पछतावे के अलावा आपके पास हाथ मलने के उपरांत कुछ नही रहेगा

धन्य है आपको वन्दन

अपनी कलम✍️
करुनेश समदरिया

I have reached 100 followers! Thank you for your continued support. I could not have done it without each of you. 🙏🤗🎉
02/05/2023

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दर्द और अपनेपन का दिखावा,,,,,,,,,,,,,
03/09/2022

दर्द और अपनेपन का दिखावा,,,,,,,,,,,,,

 #खिलौना #नासमझी  #बचपना
27/05/2022

#खिलौना
#नासमझी
#बचपना

नुकिले कलम✍️
25/05/2022

नुकिले कलम✍️

16/05/2022
 #कर्त्तव्य
16/05/2022

#कर्त्तव्य

15/05/2022

✍️
रंग हमारी महफ़िल में किरदार उनके बड़े है ।
सारा समंदर है उनका किनारे हम खड़े है ।
हम सोचे चाँद तो सबसे बड़ा ।
पर लोगो से सुना सितारे उनके बड़े है।
हमी पर इल्जाम की समय हमने उनका गवाया है ।
कहने लगी तुम छोड़ो हमने दूसरा राजकुमार मंगाया है।
खाली बोतल सी है अपनी ज़िंदगी लोगो के पैरों तले रौदी जा रही है।
हम तो दुकान में लगे कागज़ के फ़ूल है खाली।।
एक तू है जो गमले में लगे पौधे की तरह सींचि जा रही हैं।
हमी से दोस्ती हमी से प्यार हमी से किनारा।
इतना पागल नही हु की समझू न मैं तुम्हारा इसारा।
ये तुम्हारे चक्रबिहू हमें क्या समझ नही आते
नही तो हम भी अभिमन्यू जैसे मारे जाते
हम इंसान में दोनों प्रवित्तिया है माना एक हाथ दुसासन।
पर दूसरे हाथो तेरा चीर बढ़ाते जाते।
आज मुझे हारकर तुम बेसक जीत जाओगी।
पर याद रखना बुढ़ापे तक मेरा गीत गाओगी।
हा आज मैं उदाश हु कि कल तुम्हारे हाथ पिले हो जायेगे।
रह लो खुश पर याद करके रोओगे जब
एक उम्र के किनारे तुम्हरे अश्थि पंजर ढीले हो जायेगे।
तुम साथ नही हो कारण ये था मैं तुम्हे भागने नही आया।
ये सोचकर डर जाता हूं कहि बाप रो कर न बोल दे आज तक कभी थाने नही आया।
फस जाएंगे हम फलाने(तुम्हारे बाप )के चक्कर मे
जिंदगी निकल जायेगी थाने के चक्कर मे
धारा पर धारा जोड़ी जाएगी कई दफ़ा
फिर तुम्हारी चुनरी में किसी और कि गांठ जोड़ी जाएगी बेवफ़ा 😓

15/05/2022

तलाश करोगें तो हो सकता है कई मिल जाएंगे हमारे जैसे ।
पर बिन पूछे कोई नही बताएगा हमारे अलावा की तुम हो कैसे।
हमे भुलाकर तुम बेशक गैरो से गुफ़्तगू कर लोगे
जहाँ से खत्म हुआ हमारा रिश्ता तुम फिर से किसी और के साथ शुरू करलोगे
क्या मेरी जात क्या मेरी अच्छाई क्या मेरी पहचान सबसे तुमने है छुपाया
बंद कमरे में तुमने मेरे प्यार को फरेब का नाम देकर सबको क्या खूब किस्सा है बतलाया
हा हूं मैं गरीब, बेसहारा,किश्मत का मारा,पर रिश्ते हमारे अनमोल थे।
सुनाई देता है महफिल मे गैरो के मुँह से मेरे लिए आपके क्या बोल थे।
बनाता हूँ एक बार रिश्ता जिस किसी से वो मेरे लिए खास होता है ।
बिखर कर फिर एक हो जाएंगे पत्तो की तरह ऐसा खेलो में सिर्फ ताश होता है।
मेरी छोड़ो सड़को पर देखा है मजनू को मैंने कइयो की दाढ़ी बड़ी बाल बिखरे लगभग सबकी यही कहानी है।

सुना है बड़बड़ाते वो मेरी जान थी मैं उसका प्यार था।
अब वो छोड़ गई असल मे वो उनके आँशु नही उनके हॄदय का पानी है।

अब भी तेरे चेहरे पर माशुमियत दिल मे दगा और हवस की महक आती हैं।
लोग हमें ही गलत ठहराते है तुम्हे क्यों समझ नही पाते।
दो मुखौटे के साथ कैसे रह पाती है।

तेरी करतूतों पर पाबंदियां हम क्यू लगाए
ख़ुदा करे तू जहन्नुम में डूब जाए।

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