06/06/2024
इतिहास में झांकने पर नज़र आयेगा कि ब्राह्मण वोटों की एकजुटता ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाया था और अति पिछड़े वर्ग के वोटरों की किलेबंदी ने सूबे में सरकार की नींव को मजबूत किया। 2024 के आम चुनावों में उत्तर प्रदेश में भाजपा के अभेद्य किले को ध्वस्त करने वाले फैक्टर पर अगर ग़ौर करेंगे तो पिछले कई सालों से योगी आदित्यनाथ सरकार से ब्राह्मणों की सत्ता से नजदीकी न होने और क्षत्रिय समाज को तरजीह मिलने की नाराज़गी एक प्रमुख कारण है। ब्राह्मण अगर कमजोर है तो अपमान का घूंट पी लेगा लेकिन समय अनुकूल होते ही चरित्र परिवर्तन भी कर लेता है जिसकी गवाही इतिहास भी देता है। आचार्य चाणक्य ने नंद वंश को समाप्त करके एक साधारण से शख्स चंद्रगुप्त मौर्य को मगध का राजा बनाया जो तत्कालीन राजा के जरिए किये गये अपमान का बदला था। ठीक उसी तरह द्वापर युग में जिस तरह पांचाल के राजा द्रुपद जब द्रोणाचार्य को आधा राजपाट देने का अपना वादा भूल गये और फिर द्रोणाचार्य के जरिए याद दिलाने पर द्रोणाचार्य को अपमानित किया तो द्रोणाचार्य ने द्रुपद से उसका राज्य छीनकर बदला लिया। हालांकि इसे इतिहास में अपमान के बदले के तौर देखा जाता है मगर मौजूदा दौर में ब्राह्मण लाबी का भाजपा के खिलाफ जाना दोहरे चरित्र का परिचायक है जिसे भाजपा को समय रहते समझना होगा।
देश में हुए आम चुनावों में जिस तरह उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में भारतीय जनता पार्टी की करारी हार हुई और समाजवादी पार्टी ने भाजपा के अभेद्य किले को ध्वस्त किया उसमें ब्राह्मणों का सूबे की हुकूमत के खिलाफ मुखर होकर वोट करना भाजपा को भारी पड़ा। जब ब्राह्मण लाबी बसपा के साथ रही तो सूबे में बसपा ने हुकूमत किया। भारतीय जनता पार्टी का साथ ब्राह्मणों ने दिया तो सत्ता पर भाजपा काबिज हुई और फिर बीते कई मसलों पर योगी आदित्यनाथ के श्रत्रिय वर्ग को ज्यादा तरजीह देने के कुछ फैसलों से ब्राह्मण वर्ग नाराज़ था जिसका असर लोकसभा चुनाव 2024 में देखा गया और समाजवादी पार्टी को इसका सबसे बड़ा लाभ हुआ। ब्राह्मण वर्ग के इस बदले चरित्र से नुकसान किसे हुआ दोहराने की जरूरत नहीं है। 2019 के आम चुनावों में जहां समाजवादी पार्टी को 17.96 फीसदी वोट हासिल हुआ तो 2024 में उसका सीधा दो गुना लगभग 37 प्रतिशत। अखिलेश यादव का पीडीए बनाना, 400 पार के जुमले के बीच दलित लाबी का एकजुट होकर संविधान बचाना और फिर अचानक चुनावों के बीच सूबे का मुखिया श्री श्याम लाल पाल को बनाना निसंदेह लाभकारी रहा लेकिन लेकिन ब्राह्मण वर्ग के चरित्र परिवर्तन और उसका समाजवादी पार्टी को वोट करना ही समाजवादी पार्टी के इतिहास की अब तक सबसे बड़ी जीत का आधार रहा जबकि उधर अयोध्या में सबसे ज्यादा नौकरियां भारतीय जनता पार्टी के जरिए ब्राह्मण समुदाय को दी गई लेकिन ब्राह्मणों का अचानक पाला बदलना भारतीय जनता पार्टी को भारी पड़ा जो द्वापर और कलियुग के ब्राह्मणवाद में ज़मीन आसमान के अंतर को नि:संदेह बताता है, हालांकि उक्त बातें सभी ब्राह्मणों पर नहीं लागू होती है। रही बात दो लड़कों की जोड़ी के कमाल की तो इस बात की सच्चाई से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि दो लड़कों की जोड़ी के बजाय दो जातियों की वजह से समाजवादी पार्टी ने ऊंचाई को छुआ है - 1. भारतीय जनता पार्टी से ब्राह्मण लाबी का छिटकना और 2. पाल समाज का समाजवादी पार्टी के साथ एकमुश्त जुड़ना।
बहू जी
Uma Shankar Pal Jaya umesh pal Rajkumar Pal Shyam Lal Pal Pal Ramkumar विश्वनाथ पाल प्रदेश अध्यक्ष Bsp Ajay Pratap Pal Subhash Chandra Pal Akhilesh Yadav Ramvilas Pal Dimple Yadav Samajwadi Party Tufani Saroj Priya Saroj Dharmendra Yadav Babu Singh Kushwaha Sangita Pal Swati Navle Babu Singh Kushwaha बाबू सिंह कुशवाहा M.P. Pal Maa Abhiraji B.P Saroj DrDilip Pal DrLalbahadur Pal Rk Dhangar Journalist PalPublishing House Anurag R. Pal Akash Anand Anupriya Patel अनुप्रिया पटेल Dr. Pallavi Patel Kripa Shankar Pal Kangana Ranaut