17/05/2024
एक गम्भीर रोग #पार्किंसंस के बारे में जानकारी
पुरे विश्व में बहुत तेजी से फ़ैल रहा हैँ! न्यूरोलॉजिकल विकार अब विश्व स्तर पर विकलांगता का प्रमुख स्रोत हैं, और दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला न्यूरोलॉजिकल विकार पार्किंसंस रोग है। 1990 से 2015 तक, पार्किंसंस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या दोगुनी होकर 6 मिलियन से अधिक हो गई। मुख्य रूप से उम्र बढ़ने से प्रेरित, यह संख्या 2040 तक फिर से दोगुनी होकर 12 मिलियन से अधिक होने का अनुमान है।हमारा कर्तव्य बनता हैँ उसके लिए जो भी जानकार हो उन्हें आगे लाये और पुरे ग्रूप को जागरूक बनाये!
पार्किंसन रोग दिमाग के उस हिस्से की बीमारी के कारण होता है, जो गतिविधि को समन्वित करने में सहायता करती हैं। अक्सर, सबसे आम लक्षण कंपन होता है जो मांसपेशियों की आराम वाली स्थिति में होता है। मांसपेशियाँ कड़ी हो जाती हैं, गतिविधि धीमी और असमन्वित हो जाती है, तथा आसानी से संतुलन खो जाता है।
लक्षण :
पार्किंसंस रोग से पीड़ित कई लोग ध्यान देते हैं कि कठोरता और कंपकंपी का अनुभव करने से पहले, उन्हें नींद की समस्या, कब्ज, सूंघने की शक्ति कम होना और बेचेनी रहना बाद में हाथ पैर में कम्पन होना ।
पार्किंसन रोग दिमाग के उस हिस्से की बीमारी के कारण होता है, जो गतिविधि को समन्वित करने में सहायता करती हैं। अक्सर, सबसे आम लक्षण कंपन होता है जो मांसपेशियों की आराम वाली स्थिति में होता है। मांसपेशियाँ कड़ी हो जाती हैं, गतिविधि धीमी और असमन्वित हो जाती है, तथा आसानी से संतुलन खो जाता है।
पार्किंसंस रोग तब होता है जब आपके मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाएं डोपामाइन नामक शरीर के रसायन का पर्याप्त मात्रा में निर्माण नहीं करती हैं!
योग की भूमिका
पार्किंसंस रोग एक न्यूरोडीजेनेरेटिव स्थिति है जो मस्तिष्क के एक हिस्से में तंत्रिका कोशिका हानि या हानि के परिणामस्वरूप होती है जिसे सबस्टैंटिया नाइग्रा कहा जाता है। इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि योग पार्किंसंस रोग के शारीरिक और मानसिक लक्षणों में मदद कर सकता है।
प्राणायाम
प्राणायाम: नाड़ीशोधन, भ्रामरी, उज्जायी और शीतली शीतकारी। ध्यान: सांस के प्रति जागरूकता, ओम का ध्यान या प्रभावित हिस्से पर ध्यान केंद्रित करने वाला निर्देशित ध्यान। ध्यान दें: उल्टे आसन और हाइपरवेंटिलेशन (जबरदस्ती सांस लेने) से बचना चाहिए।