प्रथा-परिवर्तन

प्रथा-परिवर्तन समाज की कुप्रथाओं में परिवर्तन लाना

https://youtu.be/18LXtDgamIs
01/01/2021

https://youtu.be/18LXtDgamIs

धौलपुर में मेरे साले को प्रथम सन्तान के रूप में पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई, पुत्री के प्रथम ग्रह प्रवेश पर जोरदार ....

01/01/2021
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02/02/2020

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अच्छा लगता है, जब विचारों को बल मिलता है।
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सादर नमन..  कोटिशः प्रणाम..गौरवान्वित हूँ.. मैं झाँसीवासी हूँ..
19/11/2019

सादर नमन.. कोटिशः प्रणाम..
गौरवान्वित हूँ.. मैं झाँसीवासी हूँ..

09/11/2019
वाह, कलेक्टर साहबकाश के सभी उच्च अधिकारी आपकी तरह सोचते तो, तो ये देश स्वर्ग बन गया होता..80 साल की बूढ़ी माता। घर में ब...
25/09/2019

वाह, कलेक्टर साहब
काश के सभी उच्च अधिकारी आपकी तरह सोचते तो, तो ये देश स्वर्ग बन गया होता..

80 साल की बूढ़ी माता। घर में बिल्कुल अकेली। कई दिनों से भूखी। बीमार अवस्था में पड़ी हुई। खाना-पीना और ठीक से उठना-बैठना भी दूभर। हर पल भगवान से उठा लेने की फरियाद करती हुई। खबर तमिलनाडु के करूर जिले के कलेक्टर टी अंबाजगेन के कानों में पहुंचती है। दरियादिल यह आइएएस अफसर पत्नी से खाना बनवाता है। फिर टिफिन में लेकर निकल पड़ता है वृद्धा के चिन्नमालनिकिकेन पट्टी स्थित झोपड़ी में।

जिस बूढ़ी माता से पास-पड़ोस के लोग आंखें फेरे हुए थे, कुछ ही पल में उनकी झोपड़ी के सामने जिले का सबसे रसूखदार अफसर मेहमान के तौर पर खड़ा नजर आता है। वृद्धा समझ नहीं पातीं क्या माजरा है। डीएम कहते हैं-माता जी आपके लिए घर से खाना लाया हूं, चलिए खाते हैं।

वृद्धा के घर ठीक से बर्तन भी नहीं होते तो वह कहतीं हैं साहब हम तो केले के पत्ते पर ही खाते हैं। डीएम कहते हैं-अति उत्तम। आज मैं भी केले के पत्ते पर खाऊंगा। किस्सा यही खत्म नहीं होता। चलते-चलते डीएम वृद्धावस्था की पेंशन के कागजात सौंपते हैं। कहते हैं कि आपको बैंक तक आने की जरूरत नहीं होगी, घर पर ही पेंशन मिलेगी। डीएम गाड़ी में बैठकर चले जाते हैं, आंखों में आंसू लिए वृद्धा आवाक रहकर देखती रह जातीं हैं।
प्रथा परिवर्तन आपको सलाम करता है..🙏🙏

 #आधुनिकता_और_अंधविश्वासदीपक की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में नई नई नौकरी लगी थी।अब घर वाले चाहते थे कि एक अच्छी सी लडक़ी देख के...
10/09/2019

#आधुनिकता_और_अंधविश्वास

दीपक की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में नई नई नौकरी लगी थी।
अब घर वाले चाहते थे कि एक अच्छी सी लडक़ी देख के उसकी शादी कर दी जाए।
दीपक के घर परिवार में उसकी माँ , बड़ा भाई नवीन भाभी रश्मि, बहन रीतू, बुआ सरला और दादी उमा रहते है। पिता जी की मृत्यु तभी हो गई थी जब दीपक 10वी में था।
वैसे तो दीपक के लिए बहुत रिश्ते आने शुरू हो गए थे पर दीपक का मन तो कही और ही लगा था, वो हर रिश्ते में कोई न कोई बुराई निकाल कर मना कर देता था।
तंग आकर भाभी ने पूछ ही लिया "भैया अगर कोई और हो पसंद तो बता दो, क्यों घर वालो को और लडक़ी वालो को परेशान कर रहे हो
दीपक जान गया की अब सही वक्त आ गया है घर वालो को संध्या के बारे में बताने का।
संध्या अपनी पढ़ाई पूरी कर के फ़ैशन डिज़ाइनिंग का कोर्स कर रही है। घर की इकलौती लड़की , पिता पुलिस डिपार्टमेंट में उच्च पद पर है, पर बचपन मे ही माँ का साया सर से छिन गया था।
संध्या और दीपक की मुलाकात का किस्सा भी बहुत रोचक है, दीपक जहा बहुत ही शांत स्वभाव का है वही संध्या बहुत की चंचल स्वभाव की है। दोनों की मुलाकात एक फ्रेंड की शादी में हुई थी, बस तभी से वो दीपक के दिल मे बस गई।
दीपक अपने दोस्त अमन की तरफ से और संध्या लड़की वालों की तरफ से यानी कि गामिनी की सहेली थी। अमन ने ही गमनी को बोल के दोनों की बात करवाई। धीरे धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गई। दोनो में तय था कि जैसे ही दीपक को नौकरी मिल जाती है, वैसे ही वो दोनों शादी की बात करेंगे।
आज वो टाइम आ गया था। दीपक ने अपने घर मे संध्या के बारे में बताया, संध्या से तो किसी को परेशानी नही थी पर उन्हें ये डर था कि इतने अमीर बाप की बेटी कैसे इस परिवार की जिम्मेदारिया संभालेगी। दोनों बच्चों की मर्ज़ी से शादी भी तय हो गई। संध्या और दीपक दोनो बहुत खुश थे आज वो शादी के बंधन में बंधने जा रहे थे।
शादी के बाद संध्या घर में आई। सब ने खुशी-खुशी उसका स्वागत किया। सारी रस्मे हो गई लेकिन संध्या की नज़र दीपक की माँ को ही खोज रही थी, बिन माँ की बेटी दीपक की माँ में अपनी माँ को तलाशना चाह रही थी। पर माँ का कही अता-पता नही था। संध्या ने ये सोच के तसल्ली दी खुद को कि हो सकता है माँ घर के कामों में व्यस्त होगी।
दूसरे दिन सत्यनारायण की कथा होनी थी, शादी के बाद दोनों पति-पत्नी को साथ में पूजा में बैठना था। संध्या नहा-धो कर पूजा में बैठने के लिए तैयार होने लगी। उस वक्त भी सोच रही थी कि अगर माँ जी आ जाए तो मेरी थोड़ी मदद कर देंगी साड़ी पहनने में। तभी बुआ जी ऑडर देती हुई आई कि जल्दी से तैयार हो के नीचे आओ। संध्या जैसे-तैसे साड़ी पहनी और तैयार हो कर पूजा में बैठने आ गई। उस समय भी वो अपनी सास को ही खोज रही थी। उसने दीपक से पूछा "मम्मी जी दिखाई नही दे रहीं कहा है वो" तभी दीपक के बोलने से पहले ही बुआ जी बोल पड़ी "संध्या तुम्हारी सासू माँ अपने कमरे में है, ऐसे शुभ कामों में विधवाओं को शामिल नही किया जाता" ये सुनते ही संध्या को बहुत गुस्सा आया वो तुरंत अपनी सास के कमरे में जा कर उनका हाथ पकड़ कर पूजा वाले स्थान पर ले आई। दीपक की माँ ने संध्या को बहुत मना किया लेकिन वो बिल्कुल नही मानी। बुआ जी संध्या की इस हरकत पर बहुत गुस्सा हुई,
हे भगवान इस लड़की ने आते साथ ही अपनी मनमानी शुरू कर दी, अरे कोई शर्म हया है या नही ये कोई ना कोई अनहोनी करवा के ही रहेगी घर में। बड़ों की बातों में और रीति-रिवाजों में दखल देना यही सिखाया गया है क्या तुम्हारे घर में, पंडित जी भी घोर कलयुग कह कर अपनी जगह से उठ गए। इतने में संध्या की जेठानी भी बोल पड़ी, देख लो नए जमाने की बहु ले कर आये है अब इस घर के तौर-तरीके बदलने वाले है, इसके पिता पुलिस में है तो अब ये हमे भी इशारों पर नचायेगी"
सब की बातें सुन कर संध्या ने सब से कहा -"चुप रहिये आप सब, ऐसे अंधविश्वास को घर की रीत का नाम दे रहे हो। एक माँ के जीवन की सबसे बड़ी खुशी होती है जब उसके बेटे या बेटी की शादी होती है, आज आप माँ को उस खुशी से ही दूर कर दे रहे हो। अरे कितनी मन्नते मांगी होंगी माँ ने अपने बेटे की खुशी के लिए तो उनके कारण घर मे अनहोनी कैसे हो सकती है। पिताजी के जाने के बाद वैसे ही माँ अंदर ही अंदर कितना घुट रही होगी और आप लोग उन्हें खुश रखने की बजाय उनकी खुशियां छीन रहे हो। मेरी माँ की मृत्यु बचपन मे ही हो गई थी फिर भी मेरे पापा हर पूजा-पाठ में शामिल होते थे उनके लिए तो ऐसा कोई नियम नही था। क्या ये नियम सिर्फ औरतों के लिए ही बना है। और हाँ मैं अपने पिता की नौकरी के बल पर नहीं बोल रही हूँ, मेरे पिता ने मुझे बहुत अच्छे संस्कार दिए है। मैं इन सब अंधविश्वास पर विश्वास नही रखती हूँ। अगर इसे नए जमाने की बहू कहते है तो हां, मैं हूं नए जमाने की। फिर उसने अपनी सास से कहा -"बचपन में माँ के चले जाने के कारण मुझे हमेशा से ही एक माँ की जरूरत थी, मुझे लगा कि आप के रूप में मुझे माँ मिलेगी, मैंने अपनी माँ को तो नही देखा लेकिन आप ही मेरे लिए असली माँ हो आप मेरे हर सुख-दुख में मेरे साथ रहोगी। आप की दुआ और प्यार हमें हर अनहोनी से बचा लेगा। संध्या ने अपनी सास के पैर छुए सास ने भी अपनी बहु को गले से लगा लिया। संध्या की बातों ने सब के आंखों पर चड़ी अंधविश्वास की पट्टी को हटा दिया था। फिर से पूजा शुरू हुई माँ के साथ। संध्या और दीपक अपने आने वाले समय के लिए भगवान की पूजा कर रहे थे और माँ आँखों मे आंसू और दिल मे सुकून लिए अपनी नए जमाने की बहू को देख रही थी...
इसीलिए मेरा सब से कहना है अंधविश्वास को दूर कीजिए। कहानी कैसी लगी कॉमेंट में जरूर बताएं...🙏🙏

जय श्री कृष्ण..  जय श्री राधे..सभी को श्री कृष्ण जन्मोत्सव कीहार्दिक शुभकामनाएं..
23/08/2019

जय श्री कृष्ण.. जय श्री राधे..
सभी को श्री कृष्ण जन्मोत्सव की
हार्दिक शुभकामनाएं..

आयुष्मान भारत योजना मुंह चिढ़ाते हुए..https://www.bhaskar.com/news/UP-LUCK-newborn-baby-died-due-to-hospital-negligence-n...
10/08/2019

आयुष्मान भारत योजना मुंह चिढ़ाते हुए..
https://www.bhaskar.com/news/UP-LUCK-newborn-baby-died-due-to-hospital-negligence-news-hindi-5392206-PHO.html?sld_seq=5

बहराइच के जिला अस्‍पताल में एक बच्‍चे की सही समय पर इलाज नहीं मिलने पर मौत हो गई। परिजनों ने अस्‍पातल प्रशासन पर रु....

09/08/2019
09/08/2019
इसे राक्षस कहना भी राक्षस का अपमान होगा।
04/08/2019

इसे राक्षस कहना भी राक्षस का अपमान होगा।

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