Jhunjhunu Club

Jhunjhunu Club Jhunjhunu Club is the organization to explore the people of Jhunjhunu District. Jhunjhunu district needs much to be done for its development.

There should be a Defense Research & Development Organisation (DRDO) lab, Agriculture and Livestock Research Institute, Medical and Engineering College, Entrepreneurship and Skill Development Institute, Military School, Defense University, Small and Middle scale Industries, Agro-food processing Industries, Mines and Mineral based Industries, Inclusion of Jhunjhunu in NCR, Network of Roads to each Village, Promotion of science and technology in agriculture, Drinking water for All (free from fluoride, germs etc.), promotion of floriculture, horticulture and forestry, Improved healthcare system and e-healthcare, Enhanced e-governance and people grievance system, welfare and rehabilitation of retired and ex-service persons, more facilities to military persons and for their families, and much is needed to improve in education, administration, child-women empowerment, and for youth employment.

अल्बानिया में  दुनिया की पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मंत्री नियुक्त की गई है, जिसका नाम है Diella। यह इंसान नहीं, बल्कि ...
13/09/2025

अल्बानिया में दुनिया की पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मंत्री नियुक्त की गई है, जिसका नाम है Diella। यह इंसान नहीं, बल्कि वर्चुअल असिस्टेंट है, जिसे प्रधानमंत्री एडि रामा ने अपने मंत्रिमंडल में जगह दी है। Diella का दायित्व है सरकारी टेंडर और ठेकों में लंबे समय से फैले भ्रष्टाचार को खत्म करना। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि अब से सभी सरकारी टेंडर Diella की निगरानी में होंगे, जहां न तो पक्षपात की जगह होगी, न ही रिश्वतखोरी या राजनीतिक दबाव की।

Diella का नाम अल्बानियाई भाषा में सूरज का अर्थ रखता है। इसे महिला की छवि में प्रस्तुत किया गया है, जो पारंपरिक अल्बानियाई पोशाक पहने हुए दिखाई देती है। जनवरी 2025 में यह पहली बार नागरिकों के लिए e-Albania पोर्टल पर डिजिटल असिस्टेंट के रूप में सामने आई थी। तब से अब तक इसने 36,000 से अधिक डिजिटल दस्तावेज जारी किए हैं और हजार से ज्यादा सेवाएँ नागरिकों तक पहुँचाई हैं। आज अल्बानिया की लगभग 95% सरकारी सेवाएँ इसी प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिससे यह देश डिजिटल प्रशासन में अपने क्षेत्र का अग्रणी बन गया है।

सबसे बड़ी बात यह है कि Diella अपने सारे निर्णय स्वचालित मानकों और डेटा विश्लेषण पर आधारित करती है। इसमें न सिफारिश चलती है, न डर काम करता है। यही वजह है कि सरकार को उम्मीद है कि टेंडर प्रक्रिया में अब पूर्ण पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार की जड़ें कमजोर होंगी।

अल्बानिया का इतिहास भ्रष्टाचार से जुड़े विवादों से भरा रहा है। कई बार अंतरराष्ट्रीय ड्रग और हथियार तस्करी नेटवर्क ने सरकारी ठेके हासिल करने के लिए रिश्वत का सहारा लिया। यूरोपीय संघ की सदस्यता पाने के लिए अल्बानिया को 2030 तक यह साबित करना होगा कि उसका प्रशासन पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त है। मई 2025 के चुनावों में बहुमत पाने के बाद प्रधानमंत्री रामा अब डिजिटल तकनीक की मदद से देश की छवि बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

अब मंत्री के रूप में Diella सीधे तौर पर सभी टेंडर प्रस्तावों की जांच करेगी और अनुबंधों पर अंतिम निर्णय लेगी। माना जा रहा है कि इससे नौकरशाही की बिकाऊ प्रवृत्ति और राजनीतिक दबाव में दिए जाने वाले ठेके काफी हद तक खत्म होंगे। हालांकि एक सवाल अभी बाकी है। क्या Diella के फैसलों पर कोई मानवीय निगरानी होगी या सब कुछ पूरी तरह AI के भरोसे छोड़ा जाएगा? विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि सुरक्षा की अनदेखी की गई तो यह सिस्टम हैक या मैनिप्यूलेशन का शिकार भी हो सकता है। वहीं जनता की राय बंटी हुई है। कुछ लोग इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ क्रांतिकारी कदम मानते हैं, तो कुछ व्यंग्य में कहते हैं, अल्बानिया में Diella भी भ्रष्ट हो जाएगी और दोष उसी पर डाल दिया जाएगा।

दुनिया के कई देश सरकारी कामकाज में AI का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन सत्ता के इतने करीब लाने का साहस किसी ने नहीं दिखाया। एस्टोनिया में 130 से अधिक सेवाएँ AI की मदद से चलती हैं और संयुक्त अरब अमीरात ने 2017 में AI नीति के लिए एक मंत्री नियुक्त किया था। मगर अल्बानिया का यह प्रयोग बिल्कुल अलग है। यहां प्रशासनिक प्रक्रिया को पहली बार पूरी तरह AI के हाथों सौंप दिया गया है। अब सबकी निगाहें Diella पर टिकी हैं। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो संभव है कि आने वाले वर्षों में और देश भी ऐसे ही कदम उठाएँ।

12/09/2025
11/09/2025

अमृत काल में ‘ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा’ की हक़ीक़त :

👉 अमीर उद्योगपति बैंकों का अरबों का कर्ज खाएँगे और ग़रीब जनता कर्ज़ चुकाएगी।

RBI की RTI लिस्ट के टॉप 99 विलफ़ुल डिफ़ॉल्टर:
1.गितांजलि जेम्स – ₹8,516 Cr
2.ABG शिपयार्ड – ₹4,684 Cr
3.कॉनकास्ट स्टील – ₹4,305 Cr
4.एरा इंफ़्रा – ₹3,637 Cr
5.REI एग्रो – ₹3,350 Cr
6.विन्सोम डायमंड – ₹2,927 Cr
7.ट्रांस्ट्रॉय – ₹2,919 Cr
8.रोटोमैक ग्लोबल – ₹2,894 Cr
9.ज़ूम डेवलपर्स – ₹2,217 Cr
10.यूनिटी इंफ़्रा – ₹1,987 Cr
11.डेक्कन क्रॉनिकल – ₹1,960 Cr
12.फ़्रॉस्ट इंटरनेशनल – ₹1,913 Cr
13.श्री लक्ष्मी कॉट्सिन – ₹1,887 Cr
14.SVOGL ऑयल गैस – ₹1,705 Cr
15.फ़ॉरेवर प्रेशियस ज्वेल – ₹1,692 Cr
16.हनुंग टॉयज़ – ₹1,647 Cr
17.सिद्धि विनायक लॉजिस्टिक – ₹1,575 Cr
18.नक़ोड़ा लिमिटेड – ₹1,550 Cr
19.प्रतिभा इंडस्ट्रीज़ – ₹1,548 Cr
20.सूर्य विनायक इंडस्ट्रीज़ – ₹1,479 Cr
21.गिली इंडिया – ₹1,447 Cr
22.नक्षत्रा ब्रांड्स – ₹1,440 Cr
23.गुप्ता कोल – ₹1,436 Cr
24.श्री गणेश ज्वेलरी – ₹1,401 Cr
25.पारेख एल्युमिनेक्स – ₹1,368 Cr
26.वद्राज सीमेंट – ₹1,291 Cr
27.कॉरपोरेट इस्पात – ₹1,190 Cr
28.एस कुमार्स नेशनवाइड – ₹1,137 Cr
29.अमीरा प्योर फ़ूड्स – ₹1,096 Cr
30.रेवेंट प्रिसिशन – ₹1,052 Cr
31.किंगफ़िशर – ₹1,021 Cr
32.सेल टेक्सटाइल्स – ₹980 Cr
33.मोसर बाएर – ₹977 Cr
34.बेस्ट फ़ूड्स – ₹964 Cr
35.Ezeego वन ट्रैवल – ₹944 Cr
36.HDIL – ₹922 Cr
37.फ़र्स्ट लीज़िंग – ₹912 Cr
38.PSL लिमिटेड – ₹910 Cr
39.वरुण इंडस्ट्रीज़ – ₹868 Cr
40.IVRCL – ₹842 Cr
41.न्यूट्रियोनेक्स – ₹828 Cr
42.सी महेंद्र एक्सपोर्ट्स – ₹795 Cr
43.कॉक्स & किंग्स – ₹794 Cr
44.सूर्या फ़ार्मा – ₹792Cr
45.जय पॉलीकेम – ₹787 Cr
46.बिलीफ़ रियल्टर्स – ₹750 Cr
47.मेटलिस्ट फ़ॉर्जिंग्स – ₹681 Cr
48.JVL एग्रो – ₹678 Cr
49.शक्ति भोग – ₹677 Cr
50.JAS इंफ़्रा – ₹673 Cr
51.VMC सिस्टम्स – ₹669 Cr
52.साई इंफ़ोसिस्टम – ₹669 Cr
53.जैन इंफ़्रा – ₹659 Cr
54.स्टर्लिंग बायोटेक – ₹656 Cr
55.रेडिकल फ़ूड्स – ₹646 Cr
56.फ़ायरस्टार इंटरनेशनल ₹643 Cr
57.GET पावर – ₹601 Cr
58.सूर्या इंडस्ट्रीज़ – ₹594 Cr
59.इंडियन टेक्नोमैक – ₹590 Cr
60.ज़ायलॉग सिस्टम्स – ₹579 Cr
61.इंडियन टेक्नोमेटल – ₹575 Cr
62.शिल्पी केबल – ₹572 Cr
63.JMD ऑयल्स – ₹567 Cr
64.बेस कॉर्पोरेशन – ₹533 Cr
65.यूनिटेक – ₹533 Cr
66.टोटेम इंफ़्रा – ₹528 Cr
67.अवंथा होल्डिंग्स – ₹521 Cr
68.अरविंद रेमेडीज़ – ₹521 Cr
69.पंज लॉयड – ₹518 Cr
70.पाथब्रेकिंग प्रोजेक्ट्स – ₹504 Cr
71.स्टर्लिंग SEZ – ₹495 Cr
72.श्री बांके बिहारी एक्सपोर्ट – ₹479 Cr
73.BS लिमिटेड – ₹477 Cr
74.क्वालिटी लिमिटेड – ₹475 Cr
75.लोहा इस्पात – ₹474 Cr
76.भारती डिफ़ेन्स – ₹461 Cr
77.स्पांको लिमिटेड – ₹461 Cr
78.सुनील हाईटेक – ₹461 Cr
79.वीज़ा पावर – ₹458 Cr
80.कृष्णा निटवियर – ₹456 Cr
81.सेंचुरी कम्युनिकेशन ₹454Cr
82.ACIL लिमिटेड – ₹453 Cr
83.अरावली इंफ़्रापावर –₹443Cr
84.कॉरपोरेट पावर – ₹441 Cr
85.अलफ़राआ इंफ़्रा – ₹434 Cr
86.कनिष्क गोल्ड – ₹431 Cr
87.प्रकाश वाणिज्य – ₹431 Cr
88.उशर एग्रो – ₹426 Cr
89.भद्रेश ट्रेडिंग – ₹426 Cr
90.पिक्सियन मीडिया – ₹425Cr
91.P. इंफ़ो सिस्टम्स – ₹412 Cr
92.श्री श्याम पल्प – ₹411 Cr
93.एथेना छत्तीसगढ़ पावर ₹408 Cr
94.वंदना विद्युत – ₹401 Cr
95.कॉक्स & किंग्स फ़ाइनेंशियल – ₹398 Cr
96.रोटोमैक एक्सपोर्ट्स – ₹388Cr
97.बायोटोर इंडस्ट्रीज़ – ₹387 Cr
98.कोनसीमा गैस पावर – ₹386 Cr
99.KS ऑयल्स – ₹381 Cr

👉 गरीब जनता का टैक्स,
👉 लुटेरे उद्योगपतियों का ऐश।

यही है मोदी जी का “ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा” का असली अर्थ।

#खाऊँगा_ना_खाने_दूँगा

तस्वीर नेपाली युवक की है,वर्दी रूसी फौज की.. तीस हजार से ऊपर नेपाली युवक रूस की तरफ से यूक्रेन में लड़ रहे हैं। पांच हजार...
11/09/2025

तस्वीर नेपाली युवक की है,
वर्दी रूसी फौज की..

तीस हजार से ऊपर नेपाली युवक रूस की तरफ से यूक्रेन में लड़ रहे हैं। पांच हजार डॉलर महीना, रहना खाना, मारे गए-विकलांग हुए तो अच्छा बोनस..

कुछ हजार नेपाली यूक्रेनी आर्मी की तरफ से रशियन से लड़ रहे हैं।
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भाड़े पर मरना, मारना नेपाल के लोगो के लिए मान्य व्यवसाय रहा है। भारत और ब्रिटेन की सेना में तो उन्हें बकायदे रिक्रूट किया जाता है।

गोरखा रेजिमेंट बनी है।
यह सम्मानजनक है।

भाड़े का कांट्रेक्ट फौजी बनना जरा असम्मानजनक है। लेकिन पैसा बहुत है। और रोजगार को तरसते युवा के लिए हथियार उठाना मजबूरी है।

20 साल पहले उन्होंने सस्ते में अपने देश के माओवादियों के लिए हथियार उठाये थे। फिर राजशाही उखाड़ फेंकी। उन्हें अच्छे दिन की आशा थी।
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जो आये नही। नेपाली माओवादी दो पार्टियों में बंट गए। पूर्व स्थापित नेपाली कांग्रेस, कुछ छोटे दल और इंडिपेंडेंट, औऱ दो माओवादी दल।

इनके बीच कोई भी कॉम्बिनेशन का गठबंधन बनाकर प्रचण्ड, देउबा और ओली सत्ता में आते रहे। फिर पार्टियां इधर उधर होती, नई सरकार, नया पीएम..

नेपाल में विपक्ष कोई नही। बारी बारी, आपसी अरेंजमेंट से सभी सत्ता की मलाई लेते रहे। सभी के करप्शन के किस्से हवा में तैरते रहे। खूब चीनी इन्वेस्टमेंट आया, और धन, ठेके, प्रोजेक्ट की लूट मची।

नेपाली युवा विदेशों में मामूली काम खोजता रहा। रिफ्यूजी स्टेटस लेकर विदेश में जाने लगा। तो नेताओ ने रिफ्यूजी साबित करने के दस्तावेज बेचने का धंधा अपना लिया।
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तो गरीब के बच्चों के ताबूत आते, औऱ नेताओ के बच्चों की विदेशों में गुलछर्रे उड़ाती तसवीरें। इसकी आलोचना औऱ गुस्सा सोशल मीडिया पर दिखने लगा।

कंट्रोल करना जरूरी था। तो सरकार कानून लाई की सभी विदेशी सोशल मीडिया प्लेटफार्म अपना रजिस्ट्रेशन करायें, और अमुक अमुक नियम पालन करें।

रजिस्ट्रेशन की डेट चली गयी। लेकिन टिकटोक छोड़ किसी ने रजिस्ट्रेशन नही कराया। नतीजा ट्विटर फेसबुक इंस्टाग्राम स्नैपचेट सहित 25 प्लेटफार्म बैन हो गए।
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इसके विरोध में मुट्ठी भर छात्रों ने जुलूस निकाला, संसद की तरफ तख्तियां लेकर बढ़े। 15-20-22 साल के बच्चे, उनपर लाठीचार्ज हुआ। वे भागे, कुछ संसद परिसर में छुपने लगे।

इनको सीधे गोली मार दी गई। 22 मौत में एक 12 साल का एक बच्चा था। हत्याकांड की खबर फैलते ही पूरा काठमांडू उमड़ पड़ा। देखते ही देखते दंगा, आगजनी, अराजकता फैल गयी। हालत नियंत्रण से बाहर हो गए।

सरकार को इस्तीफा देना पड़ा।
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भारत मे बैठे मूर्ख खुश हैं।

वे खुद को दक्षिणपंथी मानते हैं, इसलिए तो वामपन्थी सरकार गिरने से खुश है। खुद को सत्ताधारी मानते है, तो विपक्ष के घर जलने से खुश हैं।

उनकी खुशी तो हर कत्लेआम में है। गाजा में मुसलमान मरे- खुश। उक्रेन में पुतिन के दुश्मन मरे-खुश। मणिपुर में मोदी के दुश्मन मरे- खुश। कश्मीर में कश्मीरी मरे- खुश

मगर ऐसी खुशी किसी सरकार के लिए आत्मघाती है। जब सरकारें, और उनके समर्थक समाज की गहरी पीड़ाओं को नजरअंदाज कर ,अपने ही स्वप्नलोक में उतराते रहती हैं,
तब वे ज्वालामुखी के मुख पर बैठे होते है।
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यह ठीक कि भारतीय समाज की तासीर नेपाल, बंग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, या पकिस्तान जैसी नही। इसका लावा जल्द नही फूटता।

मगर जल्द ठंडा भी नही होता।

बेरोजगारी, महंगाई, मूर्खतापूर्ण टैक्स, दिशाहीन विदेश नीति, विचित्र मौद्रिक नीति, अर्थनीति और व्यापार- हर तरफ उदाहरणो की एक पूरी सूची बन चुकी है, कि प्रशासन किस तरह से नही चलाया जाना चाहिए।

लेकिन इनका सबसे बड़ा पाप सोशल एजेंडा है। नफरत औऱ टूट की राजनीति है। तो 90 साल जो विचारधारा हाशिये पर रही, घृणित औऱ हास्यास्पद मानी गई..

उसने पहली बार खुद को साबित करने को मिला भरपूर मौका यूँ गंवाया है, कि जब सत्ता से जाएगी, तो ढूंढे से न दिखेगी।
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नेपाली पोलिटिकल एलीट की तरह, वह भी, रिसते सामाजिक आर्थिक घावों से आंख मीचे, आवाज दबाने के टुच्चे तरीको में मशगूल है। चुनाव हो या सोशल मीडिया, अभिव्यक्ति का गला घोंटा गया है।

न्याय के मार्ग औऱ अदालती निदान भी अवरुद्ध हैं। सरकारी भाषा मे धमक, बुलडोजर और गुंडई की प्रतिध्वनि है। नतीजे गले तक आ चुके हैं। तेजी से नाक से ऊपर जा रहे हैं।

जिस तरह दिया बुझने के पहले तेजी से जलता है, आवाज में गुंडई की प्रतिध्वनि भी, पतन के पहले तेज होती जाएगी।
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तब इतिहास के नए सफहे पर, वक्त किस रंग से अंजाम लिखेगा, कोई नही जानता। लेकिन अब तक जो नुकसान हो चुका, उसके ही असर दूरगामी हैं।

भारत मे अग्निवीर लागू है। 10 साल के भीतर दुनिया के कॉन्फ्लिक्ट जोन में हमारे बच्चे लड़ते दिखेंगे।

ट्रेंड और बेरोजगार, वे दुनिया को असुरक्षित बनाने में योगदान देंगे। फटेहाल घरवालों को रेमिटेंस भेजेंगे।

तस्वीर आपके बेटे की होगी
वर्दी विदेशी फौज की..

11/09/2025

प्रधानमंत्री, गृहमंत्री का इक़बाल ख़त्म हो गया है।

संसद के मानसून सत्र का अंतिम दिन था। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सदन में मौजूद थे। लोकसभा में नारे लग रहे थे - 'वोट चोर, गद्दी छोड़'। राज्यसभा में नारे लग रहे थे - 'तड़ीपार गो बैक'।

गौर करने की यह बात नहीं है कि नारे लग रहे थे। सदनों में नारे लगते रहते है - पक्ष और विपक्ष दोनों ही ओर से। गौर करने की बात है कि विपक्ष नारे लगा रहा था और पूरा सत्तापक्ष मौन था, चुपचाप सुन रहा था, अपने नेताओं के विरोध को चुप रहकर स्वीकार रहा था।

ग्यारह वर्षों में यह पहली बार हो रहा था कि विपक्ष विरोध में नारे लगा रहा था, वह भी प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के विरुद्ध और भाजपा की पूरी फौज चुप थी।

यह सहज नहीं है, साधारण भी नहीं है। इस वाक़ये का संदेश है।

संदेश है कि भाजपाइ भी अब अपने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से दूर हो रहे हैं। संदेश है कि भाजपाइयों के पास भी अपने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को बचाने के साधन नहीं हैं। संदेश यह भी है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अपनों के लिए भी अविश्वसनीय हो गए हैं।

तो जिस नेता के साथ अपनी पार्टी खड़ी नहीं होती, उसके साथ देश कैसे खड़ा रहेगा? जो नेता अपनी पार्टी में ही अविश्वसनीय हो गया हो, वह देश के लिए विश्वसनीय कैसे होगा?

प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का इक़बाल अब ख़त्म हो गया है।

कभी कभार आम आदमी कीहँसी भी बहुत कुछ बयां कर जाती है..
11/09/2025

कभी कभार आम आदमी की

हँसी भी बहुत कुछ बयां कर जाती है..

11/09/2025

सुनने में आया है कि अमरीका के लिए चाचा नसीब सिंह का फिर से कच्चा कच्चा मन होने लगा है!!!???

एक बार एक पत्रकार ने हेनरी फोर्ड से पूछा,"आप सबसे ज्यादा वेतन किसको देते हैं?"फोर्ड मुस्कुराए, और पत्रकार को अपने प्रोडक...
11/09/2025

एक बार एक पत्रकार ने हेनरी फोर्ड से पूछा,
"आप सबसे ज्यादा वेतन किसको देते हैं?"

फोर्ड मुस्कुराए, और पत्रकार को अपने प्रोडक्शन रूम में ले गए।
●●
वहां लोग दौड़ रहे थे, घंटियाँ बज रही थीं। और लिफ्टें चल रही थीं। अफरातफरी का माहौल था। उस अफरातफरी के बीच एक कैबिन था, जिसमें एक व्यक्ति आराम से कुर्सी पर पैर टेबल पर रखकर लेटा था।

उसके चेहरे पर हैट था। फोर्ड ने उसका कंधा थपथपाया।व्यक्ति ने हैट उठाकर देखा और थकी हुई आवाज में बोला-"हैलो हेनरी, आप ठीक हैं?"

फोर्ड मुस्कुराए और सिर हिलाया। पत्रकार चकित होकर पूरा दृश्य देखता रहा। फोर्ड बोले- यह व्यक्ति मेरी कंपनी में सबसे ज्यादा वेतन लेता है।"
●●
पत्रकार हैरानी से पूछा-किस काम के?
फोर्ड बोले- कुछ नहीं। यह बस आता है, और सारा दिन टेबल पर पैर रखकर बैठा रहता है।"

- तो आप इसे सबसे ज्यादा वेतन क्यों देते हैं?"

फोर्ड की आवाज गम्भीर हो गयी। बोले-

"क्योंकि यह मेरे लिए सबसे उपयोगी व्यक्ति है मैंने इस व्यक्ति को सोचने के लिए रखा है।मेरी कंपनी के सारे सिस्टम और गाड़ियों के डिजाइन इसी व्यक्ति के आइडियाज़ हैं।

यह आता है, कुर्सी पर लेटता है, सोचता है, नए आइडियाज़ तैयार करता है, और मुझे भेज देता है। मैं उन पर काम करता हूँ और करोड़ों डॉलर कमाता हूँ।"
●●
दोस्तों-

दुनिया में सबसे कीमती चीज़ें आइडियाज़ होते हैं, और आइडियाज़ के लिए आपको फ्री टाइम चाहिए होता है।

पूर्ण शांति, हर तरह की बकबक से आज़ादी। यदि आप दिन-रात व्यस्त रहेंगे, तो आपके दिमाग में नए आइडियाज़ और नए प्रोजेक्ट्स नहीं आ सकते।

इसलिए फोर्ड जी ने एक समझदार व्यक्ति को सिर्फ सोचने के लिए रखा है। उसे आर्थिक आज़ादी भी दी हुई है ताकि वह रोज कोई नया आइडिया दे सके।"

यह सुनकर पत्रकार ताली बजाने पर मजबूर हो गया।
■■■■
तो एक बार एक पत्रकार ने मोदी जी से पूछा,"आप सबसे ज्यादा वेतन किसको देते हैं?"

मोदी जी मुस्कुराए, और पत्रकार को अपने कैबिनेट रूम में ले गए।
●●
वहां लोग दौड़ रहे थे, गालियां दी रहे थे, पटका पटकी, अफरातफरी का माहौल था। उस अफरातफरी के बीच एक कैबिन था, जिसमें एक व्यक्ति आराम से कुर्सी पर पैर टेबल पर रखकर लेटा था।

उसके चेहरे पर हैट था।

मोदी जी ने कंधा थपथपाया। जेम्स डोवाल ने हैट उठाकर देखा और थकी हुई आवाज में बोला-"हैलो मोदी जी, आप ठीक हैं?"

मोदी मुस्कुराए और सिर हिलाया।

पत्रकार चकित होकर पूरा दृश्य देखता रहा। मोदी जी बोले- यह व्यक्ति मेरी सरकार में सबसे ज्यादा वेतन लेता है।"

पत्रकार हैरानी से पूछा-किस काम के?

मोदी बोले- कुछ नहीं। यह बस आता है, और सारा दिन टेबल पर पैर रखकर बैठा रहता है।"

- तो आप इसे सबसे ज्यादा वेतन क्यों देते हैं?"

मोदी जी की आवाज गम्भीर हो गयी। बोले- क्योंकि यह मेरे लिए सबसे उपयोगी व्यक्ति है...और!!! अम्म्म ..

फिर सर खुजाते बोले- यार, मुझे याद तो था, लेकिन पर अब मैं भूल गया.. रुको एक मिनट। और कहकर मोबाइल निकाला, और धर्मो रक्षति ग्रुप में हेनरी फोर्ड के किस्से वाला फारवर्ड खोजने लगे।
●●
मोरल-अपना दिमाग लगायें। हेनरी फोर्ड और चाणक्य के नाम पर आए किसी भी पगलू व्हाट्सप फारवर्ड पर न जाएं।
■■
एक बार एक पत्रकार ने गौतम अडानी जी से पूछा से पूछा,"आप सबसे ज्यादा वेतन किसको देते हैं?" हमारे गौतम भाई मुस्कुराए,

और पत्रकार को PMO ले गए।
(to be continued)

मैं देश के पड़ोसियों से रिश्ता सुधारने की हर कोशिश का समर्थन करता हूं क्योंकि मुझे नहीं लगता कि संवाद की जगह युद्ध कुछ ब...
11/09/2025

मैं देश के पड़ोसियों से रिश्ता सुधारने की हर कोशिश का समर्थन करता हूं क्योंकि मुझे नहीं लगता कि संवाद की जगह युद्ध कुछ बेहतर हल कर सकता है लेकिन यदि कोई संघी घराने से इतर भारतीय यह कहता है लिखता है सही समझता है तो यह घराना उसे तुरंत देशद्रोही घोषित कर देता है!

लेकिन जब स्वयं यह सब करता है तो चारों तरफ खामोशी छाई रहती है!

11/09/2025

सुना जाना चाहिए...

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