23/08/2024
"बिना बहुत बडी वजह के हत्या सार्वजनिक रूप की गई हो या हत्या के वीडियो/सीसीटीवी फुटेज मौजूद हों यानि आरोपी की पहचान निर्बाध रूप से स्पष्ट हो तो ऐसे मामलों में न्यायालय में ले जाने के बजाय केंद्र सरकार को एक सप्ताह के अन्दर फाँसी देनी चाहिए क्योंकि हत्या के मामले जिला न्यायालय से उच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में जाते हैं तथा सर्वोच्च न्यायालय से राष्ट्रपति के पास के पास जाते हैं तथा राष्ट्रपति अंततः मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार फाँसी पर निर्णय देते हैं तथा मंत्रिपरिषद का मुखिया प्रधानमंत्री होता है।
हत्या के जघन्य मामलों में जिनमें साक्ष्य अकाट्य हों उनमें न्यायपालिका की प्रक्रिया की जरूरत को कानून बनाकर खत्म करना चाहिए तथा सीधे ही प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद को एक सप्ताह में फाँसी देनी चाहिए।
अगर जघन्य हत्याकाण्ड के आरोपी/आरोपियों को यह अहसास हो जाए कि एक सप्ताह बाद उसे फाँसी दे दी जाएगी तो हत्या के मामलों बहुत तेजी से कमी आ जाएगी।इसी प्रकार हत्या व बलात्कार सहित हत्या के मामलों में बाल अपचारी के प्रावधान खत्म करने चाहिए और ऐसे बाल अपचारियों को सामान्य अपराधी की तरह माना जावे क्योंकि ऐसे मामलों को दुर्लभतम ही कहना चाहिए।
कानून लोगों के लिए बनते हैं जब आमजन की भावनाओं के अनुरूप तथा समय व परिस्थितियों के अनुसार बदलाव करते रहना चाहिए वैसे भी भारत की आम जनता कठोर दण्ड के पक्ष में है इसलिए संसद को कानून में उपरोक्तानुसार बदलाव करना चाहिए इसके लिए प्रधानमंत्री को "साहसी" बनकर पहल करनी चाहिए।जो व्यक्ति लगभग बेवजह दूसरे की जान लेता है वह भी उसी समय जीने का अधिकार खो देता है। ✍️VEERU JANNI