
26/04/2024
स्वयं-
तू स्वयं वो तेज है जिससे चिता जल्दी है!
तू स्वयं वो प्राण है जिससे जीवन खिलता है !
तू स्वयं वो पानी है जो बादल बनता है और नदी जैसा बहता है!
स्वयं सदा है न कुछ घटा है न कुछ बढ़ता है,
जो घटता है या बढ़ता है वो स्वयं से ही है.