30/06/2025
Ashutosh Rana जी को सुबह सुबह पढ़ना ,ऐसा लगता है , जैसे साक्षात् भोलेनाथ ने अहेतु कृपा कर दी हो 🙏🙏🙏
मैं सुबह नहा धो कर शिवजी को वेलपत्र चढ़ा के घर लौटा ही था की भाईसाहब मुझे बिल्डिंग के बाहर ही मिल गए, भाईसाहब का मिलना बिल्ली का रास्ता काटने के जैसा अपशकुन माना जाता था.. अपशकुन को काटने के लिए शास्त्रों में बताई विधि के अनुसार मैंने मुस्कुरा कर उन्हें मकर संक्रान्ति की बधाई दी, और उनके कल्याण की कामना की
"भास्करस्य यथा तेजो मकरस्थस्य वर्धते।
तथैव भवतां तेजो वर्धतामिति कामये।।"
भाईसाहब कुछ ना बोले सिर्फ़ निर्विकार भाव से मुझे देखते रहे, मुझे लगा की मैंने कुछ कठिन भाषा का इस्तेमाल कर लिया सो उसे और सरल करके, और अधिक मुस्कुरा के, लगभग चापलूसी सी करते हुए उनसे कहा..क्योंकि ये न्यूटन के गुरुत्वाकर्शन के नियम के जैसा निर्विवाद सत्य था की भगवान का दर्शन फले ना फले लेकिन भाईसाहब का दर्शन अवश्य कुफ़ल देता था .. मैं बोला भाईसाहब स्नान, दान, दया, धर्म एवं कर्तव्यपरायणता के पावन पर्व मकर सक्रान्ति की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ। भाईसाहब तीस सेकंड तक मुझे घूरते रहे फिर बोले .. बोल लिया ? हो गई मंगलकामना ? या कुछ और कहना बाक़ी है ? मकर संक्रान्ति का मतलब समझते भी हो या सियार के जैसे सबको हुआऽऽ हुआऽऽ करते देखकर तुम भी करने लगे ? मैं अंदर से हिल गया था फिर भी साहस को बटोरते हुए कहा .. जी सूर्य देव आज धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं, व् दक्षिणायन से उत्तरायण हो रहे हैं,जगत एवम प्राणी मात्र के कल्याण के लिए, इस पवित्र संक्रमण काल को मकर संक्रांति कहा जाता है। भाईसाहब बोले मुझे शब्दार्थ नहीं भावार्थ बताओ ?? जब तक तुम शिवजी को पूजते रहोगे तुम भिखारी ही रहोगे,ये भिखारियों का नहीं राजाओं का, सरकार का असरकारी पर्व है। तुमसे कितनी बार कहा की विष्णु जी की पूजा करो तो ही लक्ष्मी तुम्हारे पास टिकी रहेंगी, तुम मिस मैच कर रहे हो, तुमको लगता है विष्णुप्रिया लक्ष्मी ख़ुशी ख़ुशी तुम्हारे इष्ट शिवजी के साथ टिकी रहेंगी। धनु राशि को तुम धनराशि मानो और मकर को तुम करराशि मानो, सो सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में जाना, दक्षिणायन से उत्तरायण जाने का मतलब है "उ"धनराशि जो तुमने अभी तक दक्षिणा में कमाई है, मुझे करराशि के रूप में प्रदान करो अन्यथा उत्तरायण-उत्तर दो। क्यों की उ धन को मैं कर के रूप में लेके जगत और प्राणी मात्र के कल्याण के लिए इस्तेमाल करूँगा, अन्यथा तुम्हारी सम्पत्ति तुम्हारे संक्रमण का कारण बनेगी और तुम्हारी कांति अर्थात क्रांति नष्ट हो जाएगी। अब आ जाओ तुम्हारी स्नान, दान, दया वाली बात पे जिसका सीधा सा मतलब है की अभी तक तुमने धन सम्पत्ति रूपी गंगा में ख़ूब स्नान कर लिया, अब "दान और दया" दिखाते हुए अपने धर्म और कर्तव्यपरायणता का परिचय दो अन्यथा तुम्हारे जीवन में क्रांति आ जाएगी याने बवाल खड़ा हो जाएगा। ये त्योहार नहीं "पर्व" है, त्योहार में शुभकामनाएँ दी जातीं हैं पर्व में चेतावनी। तुमको जनवरी में ही आगाह कर दिया है कि मार्च तुम्हारे सर पर खड़ा है, अब "उ" ( उस ) धन को जो तुमने अभी तक कमाया है मेरे कर अर्थात हाथ में रख दो, नहीं तो सूर्य के प्रखर होते ताप से तुमको कोई बचा नहीं सकता।
और तुम ये संस्कृत, हिंदी ठोकना बंद करो, ये कोइ चीन, जापान, फ़्रान्स, इटली नहीं है की तुमसे तुम्हारी भाषा में ही कम्यूनिकेशन हो ये भारत है, हम स्वार्थ नहीं परमार्थ की संस्कृति के पोषक हैं, यहाँ अपना नहीं दूसरे का दर्द, दौलत और दबदबा महत्वपूर्ण होता है। हम उधार ही उद्धार है के मंत्र पर चलने वाले उद्धारक हैं, हमारी इसी उद्धारक वृत्ति के कारण ही संसार हमें विश्व गुरु कहता है।तुम अपनी भाषा के प्रति आग्रही होके हमारी छवि को विश्व में कलंकित मत करो। उदारता ही धार है यही तो उधार है। इसलिए ये देश उधार पर चलता है , चाहे भाषा हो या पैसा, प्यार हो या व्यापार, संस्कृति हो या सम्पत्ति, सारे विश्व में जो भी श्रेष्ठ था नियम क़ानून से लेकर शिक्षा पद्धती तक हमने सबका गटर्रा बना लिया है। संसार के कल्याण के लिए यदि हमें स्वयं का, स्वयं की संस्कृति का, भाषा का शिक्षा का पतन भी करना पड़े तो वह कल्याणकारी है। और भाईसाहब ने मेरे सारे तिल और गुड़ के लड्डू जो मैं अपने परिवार के लिए लेके आया था मुझसे ले लिए और मुस्कुराते हुए अंग्रेज़ी में मुझसे कहा Thank you so much for sweets. Wishing you a very happy Makar Sankranti. And he left..~आशुतोष राणा 🙏😊🌹