दिव्य दुर्गा तंत्र पीठ एवं ज्योतिष अनुसन्धान केंद्र

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दिव्य दुर्गा तंत्र पीठ एवं ज्योतिष अनुसन्धान केंद्र जन्मपत्रिका विश्लेषण , दसमहविद्या पूजन ,तंत्र पूजा एवं राशि के सभी नग हेतु संपर्क करें ।

दिव्यदुर्गा तंत्रपीठ उत्तराखंड का प्राचीनतम लोक उपयोगी तंत्र मन्त्र और दैविक शक्ति द्वारा गृह दोष अथवा पैत्रिक और नकारात्मक ऊर्जा द्वारा निर्मित अशुभ शक्त्यों केप्रकोप को पूरी तरह समाप्त करना है |
यदि आप पंडित , ज्योतिषी और तांत्रिकों के भ्रम जाल में फसकर अभी तक भी अपनी समस्याओं का निवारण नहीं खोज पाए हैं तो आप एक बार निश्चित रूप से इस अलौकिक विज्ञान को परखने हेतु हमसे संपर्क करें |

झूठ बोलना हमेशा पाप नहीं होता । एक बार झूठ बोल कर देखो इस तरह ।😍
30/07/2025

झूठ बोलना हमेशा पाप नहीं होता । एक बार झूठ बोल कर देखो इस तरह ।😍

जिन जिन मित्रों को इस पोस्ट पर मै टैग कर रहा हूँ , उनसे प्रार्थना है कि  वीडियो पूरा देखें और , वीडियो में मैंने आज गुरू...
10/07/2025

जिन जिन मित्रों को इस पोस्ट पर मै टैग कर रहा हूँ , उनसे प्रार्थना है कि वीडियो पूरा देखें और , वीडियो में मैंने आज गुरू पूर्णिमा के पावन पर्व पर बस आपकी एक प्रतिक्रिया , दक्षिणा स्वरुप माँगी है । बस आप अपना आशीर्वाद एक् कमेंट के रूप मे अवश्य दें । 🙏

जीवन की हर इच्छा को पूर्ण करने की शक्ति है स्वर्णाकर्षण भैरव शाबर साधना में । #गुरुपूर्णि....

08/07/2025

सुप्रभातम मित्रो.... जय महाकालकाळी

ज्योतिष , धर्म , numerology, palmistry, लक्षण शास्त्र ,
तंत्र , अध्यात्म , साधना , सिद्धि. मोटिवेशनल लेख और वीडियो तथा अन्यआध्यात्मिक हीलिंग सम्बन्धी ज्ञान वर्धन हेतु पेज को लाइक करें 👇
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एक ऐसा मंत्र जिसे सिद्ध करने पर साधक कोई भी साधना करेगा तो सिद्धि की संभावना लगभग निश्चित हो जाती है ।        **ra
05/07/2025

एक ऐसा मंत्र जिसे सिद्ध करने पर साधक कोई भी साधना करेगा तो सिद्धि की संभावना लगभग निश्चित हो जाती है ।
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भाग मालिनी तंत्र को हम कामाख्या तंत्र और ललिता तंत्र के नाम से भी जान सकते हैं और वहां यह देवी प्रतिष्ठित हैं। देवी ...

क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो समस्याओं का समाधान खोजने के लिए पूजा-पाठ करते हैं, लेकिन समस्या बनी रहती है? पूरा वीडि...
04/07/2025

क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो समस्याओं का समाधान खोजने के लिए पूजा-पाठ करते हैं, लेकिन समस्या बनी रहती है? पूरा वीडियो देखें और जानें कि कैसे तंत्र, ज्योतिष, अंक शास्त्र और तंत्र साधनाएं आपको समस्याओं का समाधान खोजने में मदद कर सकती हैं।

पूजा पाठ का बिल्कुल भी फल नहीं मिलेगा अगर इस तरह पूजा या जाप करते हैं आप । #...

क्या आप भी करते हैं यह भूल ? जानिए किन मंत्रों के जाप से पहले नहीं लगाना चाहिए .... प्रणव ॐ ।
02/07/2025

क्या आप भी करते हैं यह भूल ?
जानिए किन मंत्रों के जाप से पहले नहीं लगाना चाहिए .... प्रणव ॐ ।

सुप्रभातम । जय महाकाल काली मित्रों। माँ कामाख्या का यह सिद्ध स्तोत्र , विधि साहित केवल 11 दिन नित्य पाठ करने एवं उसके बा...
30/06/2025

सुप्रभातम । जय महाकाल काली मित्रों।
माँ कामाख्या का यह सिद्ध स्तोत्र , विधि साहित केवल 11 दिन नित्य पाठ करने एवं उसके बाद वशेष हवन करने पर , आपकी कैसी भी मनोकामना हो , वह् अवश्य पूर्ण हो जाएगी । ॐ श्री गुरु कृपा सर्वोपरि सदा 🙏🙏🙏

( सम्पूर्ण विधान के लिए आप सम्पर्क कर सकते हैँ )

मनोज k नौटियाल
महाकाल काली सेवक
divine durga spiritual astrology
and spritual healing and counseling
9041032215

**ra

कामाख्या स्तोत्र जय कामेशि चामुण्डे जय भूतापहारिणि । जय सर्वगते देवि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते ॥ विश्वमूर्ते शुभे श....

Ashutosh Rana जी को सुबह सुबह पढ़ना ,ऐसा लगता है , जैसे साक्षात् भोलेनाथ ने अहेतु कृपा कर दी हो 🙏🙏🙏मैं सुबह नहा धो कर शिव...
30/06/2025

Ashutosh Rana जी को सुबह सुबह पढ़ना ,ऐसा लगता है , जैसे साक्षात् भोलेनाथ ने अहेतु कृपा कर दी हो 🙏🙏🙏

मैं सुबह नहा धो कर शिवजी को वेलपत्र चढ़ा के घर लौटा ही था की भाईसाहब मुझे बिल्डिंग के बाहर ही मिल गए, भाईसाहब का मिलना बिल्ली का रास्ता काटने के जैसा अपशकुन माना जाता था.. अपशकुन को काटने के लिए शास्त्रों में बताई विधि के अनुसार मैंने मुस्कुरा कर उन्हें मकर संक्रान्ति की बधाई दी, और उनके कल्याण की कामना की
"भास्करस्य यथा तेजो मकरस्थस्य वर्धते।
तथैव भवतां तेजो वर्धतामिति कामये।।"
भाईसाहब कुछ ना बोले सिर्फ़ निर्विकार भाव से मुझे देखते रहे, मुझे लगा की मैंने कुछ कठिन भाषा का इस्तेमाल कर लिया सो उसे और सरल करके, और अधिक मुस्कुरा के, लगभग चापलूसी सी करते हुए उनसे कहा..क्योंकि ये न्यूटन के गुरुत्वाकर्शन के नियम के जैसा निर्विवाद सत्य था की भगवान का दर्शन फले ना फले लेकिन भाईसाहब का दर्शन अवश्य कुफ़ल देता था .. मैं बोला भाईसाहब स्नान, दान, दया, धर्म एवं कर्तव्यपरायणता के पावन पर्व मकर सक्रान्ति की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ। भाईसाहब तीस सेकंड तक मुझे घूरते रहे फिर बोले .. बोल लिया ? हो गई मंगलकामना ? या कुछ और कहना बाक़ी है ? मकर संक्रान्ति का मतलब समझते भी हो या सियार के जैसे सबको हुआऽऽ हुआऽऽ करते देखकर तुम भी करने लगे ? मैं अंदर से हिल गया था फिर भी साहस को बटोरते हुए कहा .. जी सूर्य देव आज धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं, व् दक्षिणायन से उत्तरायण हो रहे हैं,जगत एवम प्राणी मात्र के कल्याण के लिए, इस पवित्र संक्रमण काल को मकर संक्रांति कहा जाता है। भाईसाहब बोले मुझे शब्दार्थ नहीं भावार्थ बताओ ?? जब तक तुम शिवजी को पूजते रहोगे तुम भिखारी ही रहोगे,ये भिखारियों का नहीं राजाओं का, सरकार का असरकारी पर्व है। तुमसे कितनी बार कहा की विष्णु जी की पूजा करो तो ही लक्ष्मी तुम्हारे पास टिकी रहेंगी, तुम मिस मैच कर रहे हो, तुमको लगता है विष्णुप्रिया लक्ष्मी ख़ुशी ख़ुशी तुम्हारे इष्ट शिवजी के साथ टिकी रहेंगी। धनु राशि को तुम धनराशि मानो और मकर को तुम करराशि मानो, सो सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में जाना, दक्षिणायन से उत्तरायण जाने का मतलब है "उ"धनराशि जो तुमने अभी तक दक्षिणा में कमाई है, मुझे करराशि के रूप में प्रदान करो अन्यथा उत्तरायण-उत्तर दो। क्यों की उ धन को मैं कर के रूप में लेके जगत और प्राणी मात्र के कल्याण के लिए इस्तेमाल करूँगा, अन्यथा तुम्हारी सम्पत्ति तुम्हारे संक्रमण का कारण बनेगी और तुम्हारी कांति अर्थात क्रांति नष्ट हो जाएगी। अब आ जाओ तुम्हारी स्नान, दान, दया वाली बात पे जिसका सीधा सा मतलब है की अभी तक तुमने धन सम्पत्ति रूपी गंगा में ख़ूब स्नान कर लिया, अब "दान और दया" दिखाते हुए अपने धर्म और कर्तव्यपरायणता का परिचय दो अन्यथा तुम्हारे जीवन में क्रांति आ जाएगी याने बवाल खड़ा हो जाएगा। ये त्योहार नहीं "पर्व" है, त्योहार में शुभकामनाएँ दी जातीं हैं पर्व में चेतावनी। तुमको जनवरी में ही आगाह कर दिया है कि मार्च तुम्हारे सर पर खड़ा है, अब "उ" ( उस ) धन को जो तुमने अभी तक कमाया है मेरे कर अर्थात हाथ में रख दो, नहीं तो सूर्य के प्रखर होते ताप से तुमको कोई बचा नहीं सकता।
और तुम ये संस्कृत, हिंदी ठोकना बंद करो, ये कोइ चीन, जापान, फ़्रान्स, इटली नहीं है की तुमसे तुम्हारी भाषा में ही कम्यूनिकेशन हो ये भारत है, हम स्वार्थ नहीं परमार्थ की संस्कृति के पोषक हैं, यहाँ अपना नहीं दूसरे का दर्द, दौलत और दबदबा महत्वपूर्ण होता है। हम उधार ही उद्धार है के मंत्र पर चलने वाले उद्धारक हैं, हमारी इसी उद्धारक वृत्ति के कारण ही संसार हमें विश्व गुरु कहता है।तुम अपनी भाषा के प्रति आग्रही होके हमारी छवि को विश्व में कलंकित मत करो। उदारता ही धार है यही तो उधार है। इसलिए ये देश उधार पर चलता है , चाहे भाषा हो या पैसा, प्यार हो या व्यापार, संस्कृति हो या सम्पत्ति, सारे विश्व में जो भी श्रेष्ठ था नियम क़ानून से लेकर शिक्षा पद्धती तक हमने सबका गटर्रा बना लिया है। संसार के कल्याण के लिए यदि हमें स्वयं का, स्वयं की संस्कृति का, भाषा का शिक्षा का पतन भी करना पड़े तो वह कल्याणकारी है। और भाईसाहब ने मेरे सारे तिल और गुड़ के लड्डू जो मैं अपने परिवार के लिए लेके आया था मुझसे ले लिए और मुस्कुराते हुए अंग्रेज़ी में मुझसे कहा Thank you so much for sweets. Wishing you a very happy Makar Sankranti. And he left..~आशुतोष राणा 🙏😊🌹

अर्जुन ने पूछा:“हे केशव! किन भावों में तुम्हारा अनुभव हो सकता है?किस क्षण, किस ध्वनि, किस सौंदर्य में तुम्हारी झलक पाऊं?...
28/06/2025

अर्जुन ने पूछा:
“हे केशव! किन भावों में तुम्हारा अनुभव हो सकता है?
किस क्षण, किस ध्वनि, किस सौंदर्य में तुम्हारी झलक पाऊं?”

कृष्ण ने मुस्कुराकर उत्तर दिया—
“यदि तू मुझे नारीत्व के सौंदर्य में खोजना चाहे,
तो मुझे कीर्ति की चमक में,
श्री की गरिमा में,
वाणी की मधुरता में,
स्मृति की गहराई में,
मेधा की तीव्रता में,
धैर्य की स्थिरता में,
और क्षमा की कोमलता में पहचान।

मैं हूं संगीत में, जो आत्मा को झंकृत कर दे,
श्रुतियों में बृहत्साम की तरह,
छंदों में गायत्री की लय में,
और महीनों में मार्गशीर्ष की पावन शीतलता में।
ऋतुओं में… मैं वसंत हूं—
फूलों से भरी पृथ्वी की हँसी,
प्रकृति की खुली बाँहों में झूमता जीवन।”

वसंत एक बाहरी मौसम नहीं है,
वह एक भीतरी अनुभूति है।
वह एक ऐसा क्षण है जब आत्मा प्रस्फुटित होती है,
जब चेतना रंगों से भर जाती है,
जब जीवन स्वयं एक पर्व बन जाता है।

परमात्मा को कभी सूनी आँखों से मत खोजना,
उसकी झलक वहां है
जहां प्रेम नृत्य करता है,
जहां मौन मुस्कुराता है,
जहां फूलों की तरह आत्माएं खिलती हैं,
जहां आकाश भी झुककर देखता है कि
धरती पर आनंद उतर आया है।

वह वहां नहीं मिलेगा जहां जीवन मुरझाया हो,
जहां मन थका हो,
जहां हृदय पर बोझ हो।
वह वहां है जहां जीवन गाता है,
जहां आत्मा का संगीत सुनाई देता है।

जो वसंत में उसे नहीं देख सकते,
वे पतझड़ की सख्ती में कैसे देख पाएंगे?
पर जो वसंत में उसे पा लेते हैं,
वे पतझड़ को भी प्रेम से ओढ़ लेते हैं।
उनके लिए पतझड़ केवल विश्राम बन जाता है,
एक नया वसंत आने से पहले का मौन आलिंगन।

हिंदु संस्कृति की सबसे विलक्षण बात यह है
कि उसने प्रभु को रोते हुए पुकारा नहीं,
हँसते हुए बुलाया।
उसने प्रभु को पूजा नहीं—
उसे मनाया, जैसे कोई प्रिय आता है।
गाया, जैसे कोई भीतर से बह रहा हो।
फूल चढ़ाए, जैसे स्वयं हृदय ही खिल गया हो।

वह धर्म नहीं, एक उत्सव था।
ध्यान भी था और नृत्य भी।
प्रभु वहाँ मिले—जहाँ जीवन झूमता है।

कॉल पर कुण्डली  परामर्श शुल्क 1100 रुपये । शुल्क ऑनलाइन पे करके स्क्रीन शॉट भी व्हाट्सप करें ।
26/06/2025

कॉल पर कुण्डली परामर्श शुल्क 1100 रुपये ।
शुल्क ऑनलाइन पे करके स्क्रीन शॉट भी व्हाट्सप करें ।







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Kalka
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