09/06/2025
ॐ जय मां कामाख्या 🙏
माँ कामाख्या धाम की सृष्टि -
माँ कामाख्या, तंत्र साधना और शक्ति उपासना की परम पीठ हैं। असम के नीलांचल पर्वत पर स्थित यह मंदिर केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि शक्ति की मूल चेतना का प्रतीक है। इस शक्तिपीठ की उत्पत्ति की कथा हमें विशेष रूप से कालिका पुराण में मिलती है – एक प्राचीन उपपुराण जो कामरूप की तांत्रिक परंपराओं का प्रमाणिक ग्रंथ है।
शक्ति का रहस्य और माँ कामाख्या की उत्पत्ति -
कालिका पुराण के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभ में आदिशक्ति ने त्रिदेवों को प्रकट किया – ब्रह्मा, विष्णु और शिव। ब्रह्मा जब अहंकारवश सृष्टि का स्वामी बनने लगे, तब शक्ति ने उनका गर्व चूर्ण करने के लिए महाकाली रूप धारण किया। यह संकेत करता है कि शक्ति ही परम तत्व है, जिसके बिना कोई देवता कार्यशील नहीं हो सकता।
सती की कथा और शक्ति पीठ की स्थापना
शिव की पत्नी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह किया। यह देख भगवान शिव ने सती के शव को कंधे पर उठाया और विक्षिप्त होकर तांडव करने लगे। विष्णु ने सृष्टि की रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंड-खंड कर पृथ्वी पर गिरा दिया।
कालिका पुराण बताता है कि जहाँ-जहाँ सती के अंग गिरे, वहाँ शक्ति पीठों की स्थापना हुई। कामरूप (असम) के नीलांचल पर्वत पर सती का योनिभाग गिरा, और वही स्थान बना कामाख्या पीठ।
यह स्थल ‘काम’ यानी सृजनशक्ति और ‘अख्या’ यानी जानी जाने वाली शक्ति का प्रतीक है। अतः "कामाख्या" शब्द स्वयं में आदि सृजन की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
माँ कामाख्या: काम की देवी, तंत्र की अधिष्ठात्री
कालिका पुराण में वर्णित है कि भगवान शिव ने स्वयं इस पीठ की स्थापना की और इसे तंत्र साधना के लिए सर्वोच्च स्थान माना। यह पीठ काम, मुक्ति और सिद्धि तीनों का केंद्र है।
यह भी वर्णित है कि यहाँ शक्ति स्वयं योनि रूप में विराजमान हैं – निराकार, बिना मूर्ति के। यह भारतीय परंपरा में स्त्री शक्ति की मूल चेतना और सृजनत्मकता का अद्वितीय उदाहरण .
कामाख्या की पूजा और तांत्रिक महत्व -
कालिका पुराण के अनुसार, जो साधक यहाँ शक्ति की आराधना करता है, वह सभी लौकिक और पारलौकिक सिद्धियाँ प्राप्त कर सकता है। यह स्थान मुख्य रूप से गुप्त नवरात्रि, अंबुबाची पर्व, और अन्य तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ की पूजा में काम, कुंडलिनी, और शक्तिपात के रहस्य निहित हैं – जिन्हें केवल गुरुकृपा और साधना से ही जाना जा सकता है।
कालिका पुराण न केवल माँ कामाख्या की उत्पत्ति का विवरण देता है, बल्कि यह भी बताता है कि क्यों कामरूप को तंत्र का हृदय कहा गया है।
माँ कामाख्या की उपासना केवल भक्ति नहीं, बल्कि आत्मज्ञान, काम-उर्जाओं का नियंत्रण और मुक्ति की दिशा में एक प्राचीन पथ है।
आज भी, माँ कामाख्या की पूजा में जो शक्ति है, वह उसी आदि शक्ति की पुकार है – जो सृष्टि का आरंभ भी है और अंत में आत्मा की परम शांति भी।
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