Dr. Anshika Gupta Medical Hub

Dr. Anshika Gupta Medical Hub Medical Education, Health, Homoeopathic Medicines, Health Tips, Disease and their Symptoms, Pathology

14/06/2025
🔵 Ranula / रैनुला 🔵 ➡️  रैनुला  एक थूक से भरा सिस्ट (fluid filled sac on the floor of the mouth) होता है जो आपकी जीभ के ...
28/05/2025

🔵 Ranula / रैनुला 🔵

➡️ रैनुला एक थूक से भरा सिस्ट (fluid filled sac on the floor of the mouth) होता है जो आपकी जीभ के नीचे बनता है। यह एक अवरुद्ध लार ग्रंथि ( blocked salivary gland) के कारण हो सकता है। ग्रंथि से लार आपके मुंह में जाने के बजाय, यह आस-पास के ऊतकों (tissue) में रिसता है, जिससे एक सिस्ट या "बुलबुला" बनता है। रैनुला गंभीर नहीं होते हैं, और वे आम तौर पर दर्दनाक नहीं होते हैं। कभी-कभी रैनुला अपने आप ठीक हो जाते हैं,

➡️ What is ranula (रानुला क्या है?)------

🔶 रैनुला एक सिस्ट है जो आपके मुंह के तल पर, आपकी जीभ के नीचे बन सकता है । यह लार (थूक) से भरा होता है, और यह अवरुद्ध या क्षतिग्रस्त लार ग्रंथि का परिणाम है ( blocked & damaged salivary gland).

🔶 एक स्वस्थ लार ग्रंथि सीधे आपके मुंह में लार खाली करती है । एक अवरुद्ध या क्षतिग्रस्त लार ग्रंथि (blocked or damaged salivary gland) लार को आस-पास के ऊतकों में बहने का कारण बन सकती है। नतीजतन (consequently), लार तब तक बनती रहती है जब तक कि एक सिस्ट (cyst) या "बुलबुला" विकसित न हो जाए।

➡️ There are two types of Ranula(रैनुला दो प्रकार के होते हैं)-------

🔸सरल और गहरा ( simple (or oral) and plunging (or cervical). ) सरल रैनूला (simple ranula) सूजन का कारण बनता है जो आपके मुंह के तल तक सीमित होता है। गहरा रैनूला( plunging ranula) तब होता है जब सूजन आपकी गर्दन तक बढ़ जाती है।

➡️ क्या रैनुला गंभीर(serious) है?------
🔸रैनुला खतरनाक या कैंसरकारी ( not dangerous or cancerous) नहीं होते हैं, और कुछ अपने आप ही चले भी जाते हैं। लेकिन, कुछ रैनुला इतने बड़े हो जाते हैं कि वे सांस लेने या निगलने में बाधा डालते हैं। इन मामलों में, उपचार आवश्यक है।
किसी भी उम्र और लिंग के लोगों को रैनुला हो सकता है।

🔶 Sign & symptoms (लक्षण और कारण)-----
🔹आपके मुंह के तल पर एक स्पष्ट (clear) या नीले रंग
की गांठ (blue colour cyst)। यह आपकी जीभ के नीचे रैनुला का सबसे आम लक्षण है।
🔹सूजन जो ऊपर-नीचे होती रहती है। रैनुला आमतौर पर 2 से 3 इंच का होता हैं। कभी-कभी वे खाली हो जाते हैं, लेकिन फिर से भर जाते हैं - और समय के साथ वे बड़े हो सकते हैं।
🔹निगलने में कठिनाई (difficulty in swallowing)
🔹 श्वास नली के दबाव के कारण
🔹सांस लेने में कठिनाई होना (breathing difficulties)
🔹रैनुला में आमतौर पर दर्द नहीं होता (painless)

🔶 रैनुला रोग किस कारण से होता है?------
📎 अवरुद्ध या क्षतिग्रस्त लार ग्रंथि।
📎 आपके मुँह पर चोट या आघात।
📎 कुछ मामलों में, कोई स्पष्ट कारण नहीं होता।
📎 चूंकि बैक्टीरिया, वायरस रैन्युला का कारण नहीं बनते, इसलिए वे संक्रामक नहीं हैं।

♦️होम्योपैथिक दवाएं जो की Ranula /रैनुला में कारगर हैं (Medicines)------

🔸 Calcarea carb
🔸 Ambra Grisea
🔸 Thuja
🔸 Merc sol
🔸 Natrum mur
🔸 Nitric acid
🔸 Mezereum
🔸 Chrom acid
🔸 Sachrum album

[ दी गई मेडिसन का इस्तेमाल करने से पहले होम्योपैथिक डाक्टर से जरूर मिलें। ]

👩🏻‍⚕️ Dr. Anshika Gupta

🔵 Anxiety Disorder/                                     Panic Attack🔵🔶 ‘एंग्जाइटी’ बीते कुछ सालों में आपने ये शब्द खूब स...
24/05/2025

🔵 Anxiety Disorder/
Panic Attack🔵

🔶 ‘एंग्जाइटी’ बीते कुछ सालों में आपने ये शब्द खूब सुना होगा। हो सकता है आपके आसपास कई ऐसे लोग हों, जो कहते हों कि उन्हें एंग्जाइटी डिसऑर्डर है या उन्हें एंग्जाइटी अटैक आते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये एंग्जाइटी डिसऑर्डर है क्या? कई बार लोग इस डिसऑर्डर से पीड़ित भी होते हैं, हालांकि जानकारी के आभाव में समय रहते इसके बारे में समझ नहीं पाते हैं, जिससे धीरे-धीरे ये समस्या डिप्रेशन जैसी गंभीर स्थिति का कारण बन जाती है।

➡️ What is Anxiety disorder?? (क्या है एंग्जाइटी डिसऑर्डर?)

🔹किसी भी छोटी बात को लेकर एकदम घबरा जाना, सामान्य सी बात पर भी बेचैन हो जाना, हर समय किसी चीज का डर बना रहना, उस काम के बारे में सोच-सोचकर तनाव महसूस करना, दिल की धड़कन का अचानक बढ़ जाना एंजाइटी डिसऑर्डर है। यह एक तरह की मानसिक बीमारी है, जो अधिकतर तब होती है, जब आपके मन में किसी बात को लेकर बहुत अधिक डर बैठ जाता है या किसी तरह का दबाव होने पर आप बहुत अधिक बेचैन महसूस करते हैं।

➡️ Signs & Symptoms of Anxiety attack or panic attack (एंजाइटी अटैक या पैनिक अटैक के लक्षण)

🔸अचानक दिल की धड़कन तेज हो जाना (Rapid heartbeat)
🔸बिना वजह बहुत अधिक पसीना आना (Sweating a lot)
🔸सांस फूलना (Breathlessness)
🔸छाती में तेज दर्द होना ( Chest pain)
🔸अजीब सी घबराहट महसूस होना
(Feeling strange anxiety)
🔸हाथ-पैर कांपना
(Trembling of hands & legs)
🔸गले में कुछ फंसा हुआ महसूस करना (Globus sensation)
🔸नकारात्मक विचार आना
(Negative thoughts)
🔸जी मिचलाना (Nausea)
🔸चक्कर आना (Dizziness)
🔸हाथ-पैर सुन्न पड़ना (Numbness)

➡️ कैसे पाये छुटकारा?
🔹 हेल्दी लाइफस्टाइल
🔹 नियमित योग
📎 योग किसी भी समस्या से छुटकारा पाने का सबसे आसान और प्राकृतिक उपाय है। नियमित योग ना केवल शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर करने में मदद करता है, बल्कि इसकी मदद से मानसिक परेशानियों से भी निजात पाई जा सकती है। खासतौर पर एंजाइटी डिसऑर्डर में योग किसी दवा से कम नहीं है। नियमित योग का अभ्यास दिमाग से नकारात्मक ख्यालों को दूर कर मानसिक शांति देने में मदद करता है।

♦️होम्योपैथिक दवाएं जो की Anxiety Disorder / Panic Attack में कारगर हैं (Medicines)------

🔸Aconite.
🔸Ignatia amara.
🔸 Gelsemium
🔸Natrum muriaticum.
🔸 Kali phosphoricum.
🔸 Phosphorus.

[ दी गई मेडिसन का इस्तेमाल करने से पहले होम्योपैथिक डाक्टर से जरूर मिलें। ]

👩🏻‍⚕️ Dr. Anshika Gupta

🔵Foodborne illness or         gastroenteritis🔵🔸Also called : Food Poisoning / (फूड पॉइजनिंग)  🔸🔷  एक खाद्य जनित बीमारी ह...
08/05/2025

🔵Foodborne illness or gastroenteritis🔵
🔸Also called : Food Poisoning / (फूड पॉइजनिंग) 🔸

🔷 एक खाद्य जनित बीमारी है जो दूषित भोजन या पेय पदार्थों के सेवन से होती है. यह आपके पाचन तंत्र (digestive system) को संक्रमित या परेशान कर सकती है.
गर्मी के मौसम में तापमान और उमस काफी बढ़ जाती है। इस समय सही तरीके से खाना स्टोर न करने पर बैक्टीरिया (bacteria) तेजी से बढ़ने लगते हैं। ये बैक्टीरिया खाने की क्वालिटी के साथ स्वाद, रंग और गंध (smell) भी बिगाड़ देते हैं। इसे खाने से फूड पॉइजनिंग (food poisoning) हो सकती है। यह समस्या काफी गंभीर होती है।

🔷 फूड पॉइजनिंग के सामान्य लक्षण ( Symptoms of food poisoning) ------
यदि कोई व्यक्ति फ़ूड पॉइजनिंग से पीड़ित है तो उसके अंदर कुछ सामान्य लक्षण दिखाई दे सकते है जैसे की -

♦️पेट में दर्द (Stomach pain)
♦️पेट में मरोड़ (Abdominal cramps)
♦️दस्त होना (Diarrhoea)
♦️भूख न लगना (Loss of appetite)
♦️मल में खून आना (Blood in stools)
♦️ठंड लगना और बुखार आना (Feeling cold and fever)
♦️लगातार सिरदर्द होना (Persistent headache)
♦️मतली और उल्टी होना (Nausea and vomiting)
♦️कमजोरी (Weakness, which can be severe)
♦️उच्च तापमान (102°F या 38.9°C से अधिक)
♦️अत्यधिक मुँह सुखावट (excessive dry mouth)
♦️भूख और प्यास की कमी (anorexia)
♦️पेशाब कम आना या बिल्कुल न आना ( oliguria or anuria)

------ यदि किसी व्यक्ति को ये लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो उसे तुरंत चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए, क्योंकि फूड पॉइजनिंग एक गंभीर स्थिति हो सकती है जिसका उचित इलाज करना जरूरी होता है। विशेष रूप से बच्चों, बूढ़े व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं, और इम्यून कंप्रोमाइज़ किए गए व्यक्तियों को फूड पॉइजनिंग के लक्षणों पर खास ध्यान देना चाहिए।

🔷 फूड पाइजनिंग के कारण (Causes of Food Poisoning) ------

🔸Food safety (खाद्य सुरक्षा में आभाव) :
👉 खाद्य सुरक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू है जो अपने खाने को सुरक्षित रखने के लिए (guidance & criteria) स्थापित करती है। लेकिन कई बार (restaurant & food factories) में उचित खाद्य सुरक्षा की अनदेखी होती है, जिससे फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है।

🔸Spoiled food storage & Maintenance (खराब खाद्य संचयन और रख-रखाव) :
👉 Spoiled food & Maintenance (खाद्य संचयन)में लापरवाही फूड पॉइजनिंग का एक अहम कारण है। अगर खाद्य पदार्थों को संचयन (storage) के दौरान सही तरीके से नहीं रखा जाता है, तो वे बड़ी आसानी से बाजारों तक पहुंचकर खराब हो सकते हैं और सेहत को खतरे में डाल सकते हैं।

🔸Mixing poisonous substances in food (खाद्य पदार्थों में जहरीले पदार्थों का मिलना) :
👉 ध्यान न देने पर खाद्य पदार्थों में जहरीले पदार्थों का मिलना भी फूड पॉइजनिंग का एक कारण हो सकता है। इसलिए उन्हें ध्यान से धोएं, साफ-सफाई बनाए रखें और खाने से पहले अच्छी तरह से धोने के बाद ही सेवन करें।

🔸Impure water (अशुद्ध पानी) : 🌊 💦
👉 खाद्य पकाने में या साफ-सफाई के लिए पानी की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण होती है। भोजन पकाने के लिए साफ़ पानी का प्रोयग करे।

🔸 Bacteria (बैक्टीरिया): 🦠 🧫
👉 कुछ बैक्टीरिया, जैसे कि स्टाफिलोकोकस (staphylococcus), लिस्टेरिया (listeria), और सैल्मोनेला (salmonella), भोजन या पेय पदार्थों में प्रतिक्रिया के कारण फूड पॉइजनिंग को उत्पन्न कर सकते हैं। ये बैक्टीरिया खाद्य पदार्थों में आसानी से विकसित हो जाते हैं, खासकर जब खाद्य पदार्थ गरमाया गया या कुछ समय तक रखा गया होता है |

🔸Weekness of digestive system(पाचन तंत्र का कमजोर होना) :
👉 कमजोर पाचनतंत्र वाले व्यक्तियों को फ़ूड पॉइजनिंग की समस्या अतयधिक होती है जो कि सासामान्यतया अपने आप ठीक हो जाती है।

🔷 फूड पॉइजनिंग से बचाव (Prevention of Food Poisoning) ------

📌 साफ पानी पिए
📌 कच्ची सब्जियों और फलो को नमक वाले पानी में धो कर इस्तेमाल करे
📌 अलग अलग कटिंग बोर्ड का उपयोग करें, सब्जी, फल, और मांस को अलग-अलग कटिंग बोर्ड पर काटें, ताकि क्रॉस कंटैमिनेशन न हो।
📌 पके हुए खाने को देर तक फ्रिज में न रखे
📌 खाने को हमेशा ढक कर रखे
📌 किसी संक्रमित और गन्दी वस्तु को छुने के बाद अपने हाथो को साबुन से अवश्य धोए।
📌 बाहर का खाना खाने से बचे।
📌 सी फ़ूड को कम से कम मात्रा में खाए या खाने से बचे।
📌 सफाई का ध्यान रखे।

🔷 फूड पाइजनिंग का इलाज (Treatment of Food Poisoning) -------

📎 Take a proper rest (शरीर को आराम देना) :
▫️फूड पाइजनिंग के समय शरीर को अधिक आराम की आवश्यकता होती है। इससे शरीर को विश्राम मिलता है और ताक़त बढ़ती है।

📎 Hydration (हाइड्रेशन) :
▫️फूड पाइजनिंग के कारण दस्त (डायरिया) हो सकता है, जिससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इसलिए, पर्याप्त पानी पीना बहुत महत्वपूर्ण है। शरबत, नींबू पानी, नारियल पानी या आम पन्ना फायदेमंद होता है।

📎 Food (खाना) :
▫️फूड पाइजनिंग के समय खाने का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। सूप, खिचड़ी, दही, पके हुए सब्जियां आदि शाकाहारी और स्वादिष्ट विकल्प हो सकते हैं।

📎 Avoid harmfull substances (नुक्सानदायक पदार्थों से बचें) :
▫️फूड पाइजनिंग के समय नुक्सानदायक खाद्य पदार्थों जैसे कि, तीखे, मसालेदार, अधिक मीठा , तला हुआ खाना, मांस, अंडे, सीफूड और डेयरी उत्पादों का सेवन कम करना चाहिए।

📎 Consultation (परामर्श ) :
▫️यदि लक्षण गंभीर हो रहे हैं या अधिक समय तक बने रहते हैं, तो चिकित्सक से सलाह लेना बहुत आवश्यक होता है ।

♦️होम्योपैथिक दवाएं जो Foodborne illness (फूड पॉइजनिंग) में कारगर हैं (Medicines)------

▶️ Arsenic album
▶️ Nux vomica
▶️ Carbo veg
▶️ China
▶️ Ipecac
▶️ Veratrum album
▶️ Colocynth
▶️ Lycopodium

[ दी गई मेडिसन का इस्तेमाल करने से पहले होम्योपैथिक डाक्टर से जरूर मिलें। ]

👩🏻‍⚕️ Dr. Anshika Gupta

🔵 MENOPAUSE /                     मासिक धर्म का बंद होना 🔵♦️ मीनोपॉज का मतलब हैं महिलाओं के मासिक धर्म (menstrual cycle)...
12/04/2025

🔵 MENOPAUSE /
मासिक धर्म का बंद होना 🔵

♦️ मीनोपॉज का मतलब हैं महिलाओं के मासिक धर्म (menstrual cycle) का बंद होना। आमतौर पर मीनोपॉज 45 से 50 वर्ष के महिलाओं में होता हैं, लेकिन मीनोपॉज की उम्र एक महिला से दूसरे महिला में अलग हो सकती है।

♦️मीनोपॉज को तीन मुख्य चरणों में वर्गीकृत ( manopause divided into three steps) किया जाता है, जिनके नाम हैं---- पेरिमेनोपॉज़( Perimenopause), मीनोपॉज ( Menopause) पोस्टमेनोपॉज़ ( Postmenopause) । जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि पेरिमेनोपॉज, मीनोपॉज से बहुत पहले होता है और पॉस्टमेनोपॉज़ को मीनोपॉज की बाद की स्थिति। महिला वास्तविक मीनोपॉज से 5-10 साल पहले पेरिमेनोपॉज के लक्षणों का अनुभव कर सकती है।

♦️ मेनोपॉज के लक्षण क्या हैं?
(Symptoms of menopause)
हर व्यक्ति अलग होता है अतः प्री-मेनोपॉज के दौरान महिलाएं अलग-अलग लक्षणों (symptoms) का अनुभव कर सकती हैं। ये परेशानियां उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य (physical & mental health) को प्रभावित कर सकती हैं। अक्सर महिलाएं इन असुविधाओं से एक वर्ष से अधिक समय तक पीड़ित रह सकती हैं। वैसे तो मेनोपॉज (menopause)के कई लक्षण हैं : -

👉 अनियमित मासिक चक्र (irregular menstrual cycle)
👉 सोने में परेशानी (discomfort in sleep))और अक्सर रात को पसीना आना(sweating at night')
👉 सूखी और सुस्त त्वचा(dry skin),
👉 बालों का झडना (hairfall),
👉 नाजुक नाखून (softening nails),
👉 बजन बढना (weight gain,)
👉 सूखी आंखें और मुंह (dry eyes & face)
👉 जननांगों में सूखापन, जलन, यौन अक्षमता, और 👉 मूत्र संबंधी समस्याओं (urinating problem)
जैसे कुछ सामान्य लक्षण हैं
जो मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में आम होता है,

♦️ मेनोपॉज क्यों होता है?
जब मेनोपॉज अपने आप होती है, तो यह उम्र बढ़ने का एक सामान्य हिस्सा है।
पुबर्टी (puberty)के बाद से महिलाओं में मासिक चक्र लगातार काम करता है। लेकिन जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपका प्रजनन चक्र धीमा होने लगता है और रुकने की तैयारी करने लगता है। और जैसे-जैसे मेनोपॉज(menopause) निकट आती है, आपके अंडाशय(ovary) एस्ट्रोजेन नामक हार्मोन का उत्पादन कम करने लगता हैं। जब यह कमी होती है, तो आपका मासिक धर्म चक्र (पीरियड) बदलना शुरू हो जाता है। यह अनियमित(irregular) हो सकता है और फिर रुक सकता है।

♦️इस की वजह से आपको शारीरिक परिवर्तन(physical change) भी हो सकते हैं क्योंकि आपका शरीर हार्मोन के विभिन्न स्तरों के अनुकूल होता है। मेनोपॉज के प्रत्येक चरण (पेरीमेनोपॉज़, मेनोपॉज और पोस्टमेनोपॉज़) के दौरान आप जो लक्षण अनुभव करते हैं, वे सभी आपके शरीर के इन परिवर्तनों का हिस्सा हैं।

♦️ क्या मेनोपॉज 40 की उम्र से पहले हो सकता है?
---- प्रीमेच्योर मेनोपॉज (premature menopause) तब होता है जब 40 साल की उम्र से पहले पीरियड्स बंद हो जाते हैं। कई मामलों में मेनोपॉज के जल्दी होने का कोई कारण नहीं पाया जाता है। कभी-कभी परिवार में समय से पहले मेनोपॉज का इतिहास हो सकता है। (Family history of premature menopause)

----- धूम्रपान(smoking) को समय से पहले मेनोपॉज से जोड़ा गया है। समय से पहले मेनोपॉज दोनों अंडाशयों (both ovary)को सर्जिकल हटाने के परिणाम के रूप में भी हो सकती है। यह कुछ कैंसर उपचारों के परिणामस्वरूप भी हो सकता है जहां अंडाशय(ovary) प्रभावित होते हैं। यह हार्मोन के स्तर में अचानक गिरावट का कारण बनता है और मेनोपॉज (menopause) के लक्षण अक्सर अन्य प्रकार के मेनोपॉज की तुलना में अधिक गंभीर(dangerous) हो सकते हैं।

♦️मीनोपॉज क्या है और यह आमतौर पर कब होती है?
मीनोपॉज एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया(natural process) है जो एक महिला के प्रजनन वर्षों के अंत का संकेतक है। यह आमतौर पर 45 और 55 की उम्र के बीच होता है, मीनोपॉज की औसत आयु 51 के आसपास होती है। मीनोपॉज के दौरान, एक महिला के अंडाशय अंडे उत्पन करना बंद कर देते हैं, नतीजन मासिक धर्म बंद हो जाता है।

♦️ क्या मीनोपॉज हड्डियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है?
----- हां, मीनोपॉज से हड्डियों के घनत्व में कमी आ सकती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस(osteoporosis) का खतरा बढ़ सकता है। मजबूत हड्डियों को बनाए रखने के लिए, महिलाओं को कैल्शियम (calcium)और विटामिन डी(vitamin -D) का पर्याप्त सेवन सुनिश्चित करना चाहिए, वजन उठाने वाले व्यायाम करना चाहिए।

📎 मेनोपॉज (Menopause) महिलाओं के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ है जिसमें शारीरिक परिवर्तन और मनोदशा में बदलाव शामिल हैं।(Changement of physical & mental health)
📌 Estrogen therapy (ET)
📌 Hormone replacement therapy (HRT)

♦️होम्योपैथिक दवाएं जो Menopause (मासिक धर्म का बंद होना ) में कारगर हैं(Medicines)------

▶️ Belladonna.
▶️ Calcarea carbonica.
▶️ Glonoinum.
▶️ Ignatia. ...
▶️ Lilium tigrinum.
▶️ Natrum muriaticum.
▶️ Pulsatilla.

[ दी गई मेडिसन का इस्तेमाल करने से पहले होम्योपैथिक डाक्टर से जरूर मिलें। ]

👩🏻‍⚕️ Dr. Anshika Gupta 🩺

🔵 TONSILLOPHARYNGITIS /          (टॉन्सिलाइटिस)🔵➡️ टॉन्सिलाइटिस क्या है?------टॉन्सिलिटिस तब होता है जब आपके टॉन्सिल संक...
03/09/2024

🔵 TONSILLOPHARYNGITIS / (टॉन्सिलाइटिस)🔵

➡️ टॉन्सिलाइटिस क्या है?------

टॉन्सिलिटिस तब होता है जब आपके टॉन्सिल संक्रमित हो जाते हैं। टॉन्सिल आपके गले के पीछे नरम ऊतक की दो छोटी गांठें होती हैं, टॉन्सिलिटिस के कारण आमतौर पर टॉन्सिल लाल और सूजे हुए दिखाई देते हैं। कुछ मामलों में, आपके गले पर सफ़ेद परत या टॉन्सिल पर सफ़ेद धब्बे हो सकते हैं।

टॉन्सिल आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली(Defence System) का हिस्सा हैं , और वे आपको बीमार करने वाले कीटाणुओं को फँसाने में मदद करते हैं। जब टॉन्सिल संक्रमित हो जाते हैं, तो वे सूज जाते हैं और दर्द करते हैं, और निगलने में दर्द हो सकता है। टॉन्सिलिटिस के लिए चिकित्सा शब्द ( Medical term)"टॉन्सिलोफेरीन्जाइटिस" ("tonsillopharyngitis”) ,है, लेकिन ज़्यादातर लोग इसे गले में खराश कहते हैं क्योंकि यह ऐसा ही महसूस होता हैं,
टॉन्सिलाइटिस बच्चों (children)और किशोरों ( adult)में सबसे आम है, लेकिन यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है।

➡️ लक्षण और कारण( Symptoms and causes)----

टॉन्सिलिटिस के लक्षण आमतौर पर अचानक आते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं:👇

👉 गले में खराश या खुजली।
👉 निगलने में दर्द या कठिनाई ।
👉 लाल, सूजे हुए टॉन्सिल और गला।
👉 टॉन्सिल पर सफेद धब्बे।
👉 टॉन्सिल पर सफेद, पीले या भूरे रंग की परत।
100.4 डिग्री फारेनहाइट (38 डिग्री सेल्सियस) से अधिक बुखार ।
👉 सूजी हुई लिम्फ नोड्स ( कान के नीचे गर्दन के किनारे स्थित ग्रंथियां )।
👉 पेट दर्द या उल्टी (छोटे बच्चों में अधिक आम)।

➡️ टॉन्सिलिटिस के कारण(Causes)------

टॉन्सिलाइटिस का सबसे आम कारण वायरल संक्रमण है। लेकिन बैक्टीरियल संक्रमण भी इसका कारण बन सकता है।

वायरल टॉन्सिलिटिस : सामान्य सर्दी और फ्लू जैसे वायरस टॉन्सिलिटिस के 75% मामलों का कारण बनते हैं। आम तौर पर, वायरल टॉन्सिलिटिस वाले लोगों में बैक्टीरियल टॉन्सिलिटिस वाले लोगों की तुलना में हल्के लक्षण होते हैं।
बैक्टीरियल टॉन्सिलिटिस (Strap throat) : ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस (Group-A streptococcus)जैसे बैक्टीरिया टॉन्सिलिटिस के अन्य मामलों का कारण बनते हैं। बैक्टीरियल टॉन्सिलिटिस का एक सामान्य नाम स्ट्रेप थ्रोट ( strap throat)है । टॉन्सिल के बिना भी लोग स्ट्रेप थ्रोट से पीड़ित हो सकते हैं। (इस मामले में, यह उनके टॉन्सिल के बजाय उनके गले को प्रभावित करता है।) आम तौर पर, बैक्टीरियल टॉन्सिलिटिस वायरल टॉन्सिलिटिस की तुलना में अधिक गंभीर लक्षण पैदा करता है।

➡️ टॉन्सिलाइटिस कैसे फैलता है?------

टॉन्सिलाइटिस का कारण बनने वाले वायरस और बैक्टीरिया (Viral & Bacterial) संक्रामक होते हैं। ये वायरस निम्नलिखित माध्यमों से फैलते हैं:

🔸बर्तन, भोजन या पेय साझा करना।
🔸किसी बीमार व्यक्ति के निकट संपर्क में आना।
🔸किसी दूषित सतह को छूना और फिर अपने नाक या मुंह को छूना ।
🔸बीमार व्यक्ति के छींकने या खांसने पर हवा में फैले 🔸कणों को सांस के माध्यम से अंदर लेना।

➡️ टॉन्सिलाइटिस की जटिलताएं(Complications)-----

टॉन्सिलाइटिस के कारण कभी-कभी निम्नलिखित जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं:
🔸पोस्टस्ट्रेप्टोकोकल रिएक्टिव गठिया (जोड़ों में दर्द और सूजन जो स्ट्रेप्टोकोकल संक्रमण के 10 दिनों के भीतर होती है)।
🔸वातज्वर (Rheumatic fever)
🔸लोहित ज्बर (Encephalitis)
🔸गुर्दे की सूजन (Nephritis)

➡️ सावधानियाँ (Precautions)-----

🔹अपने हाथों को बार-बार धोएं, विशेषकर अपनी नाक या मुंह को छूने से पहले।
🔹किसी बीमार व्यक्ति के साथ भोजन, पेय या बर्तन साझा करने से बचें।
🔹हर तीन महीने में और हर बार जब आप बीमार हों तो अपना टूथब्रश बदलें।
🔹वायरल टॉन्सिलिटिस के अधिकांश मामले तरल पदार्थ और भरपूर आराम से कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं।

➡️ टॉन्सिलाइटिस कितने समय तक रहता है(Time & duration)-------

ज़्यादातर मामलों में, टॉन्सिलिटिस के लक्षण तीन से चार दिनों में ठीक हो जाते हैं। लेकिन अगर लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो आपको अन्य गंभीर समस्याओं से बचने के लिए अपने चिकित्सक से संपर्क करें.

🔵 होम्योपैथिक दवाएं जो TONSILLOPHARYNGITIS / (टॉन्सिलाइटिस) में कारगर हैं(Medicines)------
🔘 Belladonna
🔘 Merc Sol
🔘 Hepar Sulph
🔘 Calcarea Carb
🔘 Baryta carb
🔘 Phytolacca
🔘 Apis
🔘 Aconite
🔘 Silicea

[ दी गई मेडिसन का इस्तेमाल करने से पहले होम्योपैथिक डाक्टर से जरूर मिलें। ]

👩🏻‍⚕️ Dr. Anshika Gupta

💠Joints pain & swelling (जोड़ों का दर्द और सूजन)💠🔵 जोड़ों का दर्द और सूजन क्या है?जोड़ों में सूजन तब होती है जब जोड़ों क...
20/04/2024

💠Joints pain & swelling (जोड़ों का दर्द और सूजन)💠

🔵 जोड़ों का दर्द और सूजन क्या है?
जोड़ों में सूजन तब होती है जब जोड़ों के आसपास के ऊतकों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है। यह बहुत असुविधाजनक हो सकता है और प्रभावित जोड़ों को हिलाना मुश्किल बना सकता है। कुछ मामलों में, सूजन के कारण प्रभावित जोड़ों का आकार बढ़ सकता है या वे अजीब आकार के दिखाई दे सकते हैं।

जोड़ों का दर्द और सूजन एक समय में एक से अधिक जोड़ों को प्रभावित कर सकता है। दर्द और सूजन से प्रभावित होने वाले सबसे आम जोड़ कोहनी, कलाई, कंधे, रीढ़ का आधार, हाथ की पोर, कूल्हे, घुटने या टखने हैं।

🔵 तीव्र और जीर्ण जोड़ों का दर्द और सूजन
जोड़ों का दर्द और सूजन 2 प्रकार के होते हैं।

तीव्र जोड़ों का दर्द और सूजन तेजी से आती है और थोड़े समय तक रहती है, उदाहरण के लिए, यदि आपको कोई चोट लगी हो।
जोड़ों का पुराना दर्द और सूजन धीरे-धीरे आती है और दीर्घकालिक समस्याओं का कारण बनती है। इसके किसी अंतर्निहित स्थिति, जैसे गठिया के प्रकार, के कारण होने की अधिक संभावना है ।
🔷 जोड़ों के दर्द और सूजन से कौन से लक्षण संबंधित हैं?
जोड़ों के दर्द और सूजन के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं और यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन से जोड़ प्रभावित हैं। दर्द और सूजन अक्सर कठोरता, दर्द और गर्मी या गर्मी की भावना के साथ होती है।

🔸कुछ मामलों में, इससे घूमने-फिरने, दैनिक गतिविधियाँ (जैसे कपड़े धोना और कपड़े पहनना) करने में और कुछ लोगों को काम करने में समस्याएँ हो सकती हैं।

🔸जोड़ों का दर्द और सूजन दिन के अलग-अलग समय में बेहतर या बदतर हो सकती है। उदाहरण के लिए, आप पा सकते हैं कि आपके जोड़ों का दर्द और सूजन सुबह सबसे पहले बदतर होती है। जोड़ों में दर्द और सूजन के कारण भी थकान और थकान हो सकती है।

🔷 जोड़ों में दर्द और सूजन का क्या कारण है?
तीव्र जोड़ों का दर्द आमतौर पर जल्दी होता है और आमतौर पर लंबे समय तक नहीं रहता है। तीव्र जोड़ों के दर्द के कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:

➡️ चोट, जैसे मोच और खिंचाव
➡️ जोड़ का अति प्रयोग
➡️ एक संक्रमण
➡️ अन्य बीमारियाँ, जैसे फ़्लू या COVID-19
➡️ गठिया के सबसे आम प्रकार ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड आर्थराइटिस हैं ।

🔷 डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
यदि आपके जोड़ों में दर्द या सूजन है, तो अपने चिकित्सक को देखना एक अच्छा विचार है, खासकर यदि यह बिना किसी स्पष्ट कारण के शुरू होता है, कुछ दिनों से अधिक समय तक रहता है, या यदि जोड़ भी लाल और गर्म है।

➡️ आपको एक्स-रे , रक्त परीक्षण या अन्य स्कैन की आवश्यकता हो सकती है।

🔷 जोड़ों के दर्द और सूजन का इलाज कैसे किया जाता है?
🔸तीव्र जोड़ों का दर्द, जैसे खिंचाव और मोच,

🔸संयुक्त क्षेत्र को और अधिक क्षति या नुकसान से बचाएं ।
🔸जोड़ को आराम दें - उन गतिविधियों से बचें जो दर्द का कारण बनती हैं।
🔸हर 2 से 3 घंटे में जोड़ पर 20 मिनट के लिए बर्फ लगाएं - सुनिश्चित करें कि बर्फ लपेटी हुई है, ताकि यह आपकी त्वचा को न छुए।
🔸जोड़ को ऐसी पट्टी से दबाएं जो सख्त हो, लेकिन तंग न हो।
🔸सूजन को कम करने के लिए जोड़ को हृदय के स्तर से ऊपर उठाएं ।

➡️ स्टेरॉयड, पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन जैसी दवाएं कभी-कभी मदद कर सकती हैं लेकिन ये दवाएं हमारे शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैंl

🔷 क्या जोड़ों के दर्द और सूजन को रोका जा सकता है?
क्योंकि कई अलग-अलग प्रकार की स्थितियां हैं जो जोड़ों के दर्द और सूजन का कारण बनती हैं, रोकथाम कई अलग-अलग कारकों पर निर्भर करती है।
🔸जीवनशैली में बदलाव
🔸 स्वस्थ वजन बनाए रखें
🔸 धूम्रपान छोड़ने
🔸व्यायाम
आपको फिट, स्वतंत्र और गतिशील बनाए रखने में मदद के लिए नियमित व्यायाम महत्वपूर्ण है। सक्रिय रहने से आपकी मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों को मजबूत रखने में मदद करती हैंl

🔵 होम्योपैथिक दवाएं जो जोड़ों के दर्द और सूजन में कारगर हैं(Medicines)----
🔘 Rhus tox
🔘 Sanguinaria
🔘 Bryonia
🔘 Ruta
🔘 Apis
🔘 Belladonna
🔘 Leopard's Bane
🔘 Calcaria phos
🔘 Merc Sol
[ दी गई मेडिसन का इस्तेमाल करने से पहले होम्योपैथिक डाक्टर से जरूर मिलें। ]

👩🏻‍⚕️ Dr. Anshika Gupta

Address

Farrukhabad
Kamalganj
209724

Opening Hours

Monday 9am - 5pm
Tuesday 9am - 5pm
Wednesday 9am - 5pm
Thursday 9am - 5pm
Friday 9am - 5pm
Saturday 9am - 5pm
Sunday 12pm - 4pm

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Dr. Anshika Gupta Medical Hub posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram