Tanav clinic ayu. Neuro spine care centre 9519036026

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dr Amit gupta Ayurveda expert in neuro spine care

श्रीमद भागवत कथा व्यास, श्री लक्ष्मीनारायण शास्त्री जी ( वृन्दावन ) जी  शिष्य पूज्य श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी का हमार...
14/12/2024

श्रीमद भागवत कथा व्यास, श्री लक्ष्मीनारायण शास्त्री जी ( वृन्दावन ) जी शिष्य पूज्य श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री जी का हमारे घर आगमन हुआ आयुर्वेद चिकित्सा के लिये साथ मे सब को आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ और आप श्री को हमारे द्वारा अंगवस्त्र भेट भी दिया गया।
आयुर्वेद चिकित्सा के कारण आप सब भक्त प्रेमियों से आशीर्वाद मिल पता है। बहुत आभार




इनकी कथा का link आपसब से share कर रहे है

https://youtube.com/?si=2Ks_3yOXk3WtCe0p

हींगवष्टक चूर्ण (Hingwastak Churna)👉🏻 एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से पाचन तंत्र को मजबूत करने और गैस्ट्रोइंटेस्टा...
29/11/2024

हींगवष्टक चूर्ण (Hingwastak Churna)
👉🏻 एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से पाचन तंत्र को मजबूत करने और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोग की जाती है।
इसमें मौजूद सामग्री मिलकर पाचन को बढ़ावा देती हैं और पेट से संबंधित कई समस्याओं को हल करती हैं।
👉🏻यह चूर्ण मुख्य रूप से पाचन सुधार, गैस, एसिडिटी, अपच और भूख बढ़ाने के लिए उपयोगी है।

🌹हींगवष्टक चूर्ण के मुख्य घटक:
👉🏻हींग (Asafoetida): गैस और सूजन को कम करती है।
जीरा (Cumin): पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
👉🏻सौंफ (Fennel): पेट की ऐंठन और अपच को कम करता है।
👉🏻अजवायन (Carom Seeds): गैस, अपच और एसिडिटी में सहायक।
👉🏻काला नमक: पाचन सुधारता है और पेट फूलने को रोकता है।
👉🏻काली मिर्च (Black Pepper): पाचन शक्ति बढ़ाने में सहायक।
👉🏻सोंठ (Dry Ginger): गैस और अपच के लिए प्रभावी।
👉🏻पिपली (Long Pepper): पाचन अग्नि को प्रज्वलित करती है।

🌹हींगवष्टक चूर्ण के उपयोग:
👉🏻गैस और अपच:
यह पेट में गैस बनने, अपच और पेट फूलने जैसी समस्याओं को दूर करता है।
👉🏻भूख बढ़ाना:
यह पाचन तंत्र को उत्तेजित कर भूख को बढ़ाता है।
👉🏻पेट दर्द और ऐंठन:
यह चूर्ण पेट दर्द और मांसपेशियों की ऐंठन को कम करने में मदद करता है।
👉🏻एसिडिटी में राहत:
पेट की जलन और एसिडिटी को शांत करता है।
👉🏻मलावरोध (कब्ज):
इसे खाने से मल त्याग सुगम होता है और कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।
🔥पाचन शक्ति में सुधार:
यह पाचन अग्नि को प्रज्वलित करता है और भोजन के बेहतर अवशोषण में मदद करता है।
👉🏻इरीटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS):
यह चूर्ण IBS जैसी समस्याओं में सहायक हो सकता है।

💐हींगवष्टक चूर्ण लेने का तरीका:
भोजन से पहले या भोजन के बाद, आधा से एक चम्मच चूर्ण (1-3 ग्राम), गुनगुने पानी के साथ लें।
दिन में 2-3 बार लेने से बेहतर परिणाम मिलता है।
🥼डॉक्टर की सलाह के अनुसार खुराक तय करें।

💐हींगवष्टक चूर्ण के फायदे:
प्राकृतिक और हानिरहित:
यह पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसके कोई बड़े साइड इफेक्ट नहीं होते।
पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है:
यह चूर्ण पाचन को संतुलित कर पेट के सभी विकारों को ठीक करता है।
🏥तुरंत आराम:
गैस, पेट दर्द, और सूजन जैसी समस्याओं में तुरंत आराम देता है।
👍🏻मेटाबॉलिज्म में सुधार:
यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है।
👉🏻डिटॉक्सिफिकेशन:
यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
सावधानियां:
गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे इसे डॉक्टर की सलाह के बिना न लें।
अधिक मात्रा में सेवन से पेट में जलन या अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
यदि किसी सामग्री से एलर्जी हो, तो इसका सेवन न करें।

🔥निष्कर्ष:
हींगवष्टक चूर्ण आयुर्वेदिक चिकित्सा में पाचन सुधारने का एक प्रभावी उपाय है। यह गैस, अपच, एसिडिटी और पेट से संबंधित अन्य समस्याओं के लिए एक सरल और सुरक्षित समाधान है। नियमित उपयोग से पाचन तंत्र को मजबूत बनाया जा सकता है।

डॉ अमित गुप्ता (BAMS )
तनव आयुर्वेद नाड़ी शोधन पंचकर्मा सेंटर कानपुर
095190 36026

🌹🌹🌹🌹🌹धन्वन्तरि-त्रयोदशी की पूर्व-संध्या पर मंगलमय शुभ कामनाएँकार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि ...
28/10/2024

🌹🌹🌹🌹🌹
धन्वन्तरि-त्रयोदशी की पूर्व-संध्या पर मंगलमय शुभ कामनाएँ
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। हमारा स्वास्थ्य हमारा सबसे बडा धन है, जिसकी हम रक्षा करें। इस पर्व का लौकिक धन-संपत्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है।
धनतेरस के संदर्भ में एक लोक कथा प्रचलित है कि एक बार यमराज से एक यमदूत ने पूछा कि अकाल-मृत्यु से बचने का कोई उपाय है क्या? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यम देवता ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगण के दक्षिण में यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं।
धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे, तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है, लेकिन मैं इस बात को नहीं मानता। सबसे बड़ा धन अच्छा स्वास्थ्य है। धनतेरस के दिन दीप जला कर भगवान से अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें। बेकार में प्रचलित रीति-रिवाजों के अनुसार सोना-चांदी आदि खरीदने के लिए न दौड़ें, और अपने बड़े परिश्रम से कमाए धन को नष्ट न करें। अपने स्वास्थ्य की रक्षा करें। धन्यवाद ! पुनश्च धन तेरस की शुभ कामनाएँ और नमन !!
DrAmit Gupta Tanav clinic ayu. Neuro spine care centre 9519036026

आयुर्वेदिक चिकित्सा में रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) और जोड़ों से संबंधित समस्याओं का उपचार प्राचीन काल से किया जा रहा है। आयु...
22/10/2024

आयुर्वेदिक चिकित्सा में रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) और जोड़ों से संबंधित समस्याओं का उपचार प्राचीन काल से किया जा रहा है।
आयुर्वेद की विभिन्न थैरेपीज़ जैसे वैक्क्युम कपिंग मसाज, रक्तमोक्षण, आलाबू थैरेपी, विद्ध कर्म, और अग्निकर्म इन समस्याओं के इलाज में विशेष रूप से उपयोगी मानी जाती हैं।
इन उपचारों का मुख्य उद्देश्य शरीर में जमा हुए विषाक्त पदार्थों को निकालकर, रक्त प्रवाह को सही करना और शरीर की आत्मचिकित्सा क्षमता को बढ़ाना है।

👉🏻1. वैक्क्युम कपिंग मसाज (Vacuum Cupping Massage):
इस तकनीक में विशेष रूप से बनाए गए कप्स का उपयोग किया जाता है जो त्वचा के ऊपर लगाकर वैक्क्युम द्वारा खींचाव उत्पन्न करते हैं। यह प्रक्रिया मांसपेशियों और नसों के दर्द, जकड़न और सूजन को कम करने में सहायक होती है।

लाभ:

मांसपेशियों में जकड़न को दूर करता है।
रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है।
शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।
नसों और ऊतकों में तनाव को कम करता है।

👉🏻2. रक्तमोक्षण (Raktmokshan):
रक्तमोक्षण आयुर्वेद में खून को शुद्ध करने की एक पुरानी प्रक्रिया है। इसमें संक्रमित या अशुद्ध खून को शरीर से निकालकर दर्द और सूजन में राहत दी जाती है। यह खासकर जोड़ों की सूजन, गठिया और स्लिप डिस्क के मामलों में उपयोगी होता है।

लाभ:

अशुद्ध रक्त को निकालकर शरीर को शुद्ध करता है।
सूजन और दर्द में तेजी से राहत देता है।
त्वचा और रक्त संबंधी समस्याओं में प्रभावी।
3. आलाबू थैरेपी (Alabu Therapy):
आलाबू hot cuppingmassage जिसका उपयोग कपिंग के रूप में किया जाता है। यह थैरेपी रक्त शुद्धि और दर्द निवारण के लिए जानी जाती है।

लाभ:

दर्द और सूजन में राहत।
रक्त को शुद्ध करता है।
प्रभावित अंगों में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है।

👉🏻4. विद्ध कर्म (Viddh Karma):
विद्ध कर्म एक आयुर्वेदिक प्रक्रिया है जिसमें बारीक सुइयों का उपयोग करके शरीर के विशेष बिंदुओं पर हल्का प्रहार किया जाता है। यह प्रक्रिया दर्द निवारण और नसों के दबाव को कम करने में सहायक होती है।

लाभ:

नसों के दबाव को कम करता है।
मांसपेशियों की जकड़न को दूर करता है।
रक्त परिसंचरण को सुधारता है।

👉🏻5. अग्निकर्म (Agnikarma):
अग्निकर्म एक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है जिसमें गर्म धातु की सहायता से शरीर के प्रभावित हिस्से पर हल्का गर्मी का संचार किया जाता है। यह प्रक्रिया खासकर पुराने दर्द और गठिया के मामलों में बहुत कारगर होती है।

लाभ:

दर्द में त्वरित राहत।
मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द में विशेष रूप से प्रभावी।
नसों और ऊतकों की सूजन को कम करता है।
रीढ़ और जोड़ों की समस्याओं के आयुर्वेदिक उपचार के लाभ:
प्राकृतिक और बिना साइड इफेक्ट्स: आयुर्वेदिक उपचार पूरी तरह से प्राकृतिक होते हैं और इनके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते।

💐दीर्घकालिक समाधान: आयुर्वेदिक उपचार शरीर के मूल कारणों को ठीक करते हैं, जिससे समस्याएं वापस नहीं आतीं।

समग्र स्वास्थ्य में सुधार: ये उपचार न केवल समस्या को ठीक करते हैं बल्कि शरीर की संपूर्ण शक्ति और स्वास्थ्य को भी बढ़ाते हैं।

💐स्वास्थ्य पुनर्स्थापना: पंचकर्म और अन्य थैरेपी से शरीर की स्व-उपचार क्षमता को बढ़ावा मिलता है।
निष्कर्ष: रीढ़ और जोड़ों से संबंधित समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक उपचार जैसे वैक्क्युम कपिंग मसाज, रक्तमोक्षण, आलाबू थैरेपी, विद्ध कर्म और अग्निकर्म अत्यंत प्रभावी होते हैं। ये प्राकृतिक, सुरक्षित और दीर्घकालिक लाभ प्रदान करते हैं, जिससे बिना किसी सर्जरी या दुष्प्रभाव के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
डॉ अमित गुप्ता (BAMS)
आयुर्वेद मर्म चिकित्सक, न्यूरो पंचकर्म
तनव आयुर्वेद न्यूरो चिकित्सा कानपुर
095190 36026 DrAmit Gupta

मह्त्वपूर्ण जानकारी:- कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है सोना :- सोना एक गर्म धातु है  ...
02/10/2024

मह्त्वपूर्ण जानकारी:-

कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है

सोना :-
सोना एक गर्म धातु है सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है

चाँदी :-
चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है ! शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है

कांसा :-
काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है ! लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है ! कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं

तांबा :-
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है

पीतल :-
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती ! पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं

लोहा :-
लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढती है, लोह्तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है ! लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है ! लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है

स्टील :-
स्टील के बर्तन नुक्सान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी नहीं पहुँचता

एलुमिनियम :-
एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है ! इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान होता है ! यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए ! इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है ! उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है ! एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं

मिट्टी :-
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे ! इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं ! आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए ! भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है ! दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैमिट्टी के बर्तन !
साभार 🙏🏻

स्लिप डिस्क, स्पॉन्डिलाइटिस, सायटिका और इनके आयुर्वेदिक समाधान पर एक स्क्रिप्टपरिचय👉🏻आज के इस कार्यक्रम में हम बात करेंग...
04/08/2024

स्लिप डिस्क, स्पॉन्डिलाइटिस, सायटिका और इनके आयुर्वेदिक समाधान पर एक स्क्रिप्ट
परिचय
👉🏻आज के इस कार्यक्रम में हम बात करेंगे स्लिप डिस्क, स्पॉन्डिलाइटिस और सायटिका जैसी गंभीर समस्याओं के बारे में और इनके आयुर्वेदिक समाधान पर चर्चा करेंगे। हमारे साथ हैं तनव आयुर्वेदा के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. ए. के. गुप्ता, कानपुर से।

स्लिप डिस्क-
स्लिप डिस्क तब होती है जब हमारी रीढ़ की हड्डियों के बीच की डिस्क अपने स्थान से हट जाती है, जिससे दर्द और असुविधा होती है।

लक्षण:

पीठ में तेज दर्द
झनझनाहट या सुन्नपन
चलने-फिरने में कठिनाई

👉🏻आयुर्वेदिक समाधान:
डॉ. ए. के. गुप्ता के अनुसार, आयुर्वेद में कई उपचार हैं जो स्लिप डिस्क की समस्या को दूर करने में सहायक होते हैं:

👉🏻कटी बस्ती: इस थेरेपी में पीठ के निचले हिस्से में विशेष तेल का उपयोग किया जाता है, जो दर्द और सूजन को कम करता है।

👉🏻पंचकर्म: इसमें बस्ती, अभ्यंग और स्वेदन जैसी थेरेपी शामिल होती हैं, जो शरीर को पुनर्स्थापित करने में मदद करती हैं।

स्पॉन्डिलाइटिस-
स्पॉन्डिलाइटिस एक स्थिति है जिसमें रीढ़ की हड्डियों में सूजन हो जाती है, जिससे कठोरता और दर्द होता है।

लक्षण:

गर्दन या पीठ में दर्द और कठोरता
मोड़ने या झुकने में कठिनाई

आयुर्वेदिक समाधान:
डॉ. गुप्ता के अनुसार, स्पॉन्डिलाइटिस के लिए निम्नलिखित आयुर्वेदिक उपचार प्रभावी हो सकते हैं:

👉🏻गुग्गुलु: यह एक प्रसिद्ध हर्बल रेसिपी है जो सूजन को कम करने में सहायक होती है।

👉🏻योग और प्राणायाम: नियमित योग और प्राणायाम अभ्यास से रीढ़ की हड्डियों को मजबूत किया जा सकता है और लचीला बनाया जा सकता है।

सायटिका---
सायटिका तब होती है जब सायटिक नर्व पर दबाव पड़ता है, जिससे निचले हिस्से में दर्द होता है जो पैरों तक जाता है।

लक्षण:

निचले हिस्से में दर्द जो पैरों तक जाता है
झनझनाहट और सुन्नपन
खड़े रहने या बैठने में कठिनाई

👉🏻आयुर्वेदिक समाधान:
सायटिका के लिए डॉ. गुप्ता निम्नलिखित आयुर्वेदिक उपाय सुझाते हैं:

👍🏻नाडी स्वेदन: इस थेरेपी में विशेष जड़ी-बूटियों के भाप से प्रभावित क्षेत्र का उपचार किया जाता है।
वात नाशक औषधियां: जैसे दशमूल, अश्वगंधा और गिलोय, जो वात दोष को संतुलित करती हैं और दर्द को कम करती हैं।

निष्कर्ष
आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो प्राकृतिक तरीकों से इन समस्याओं का समाधान प्रदान करती है। डॉ. ए. के. गुप्ता के तनव आयुर्वेदा केंद्र में इन बीमारियों का उपचार विशिष्ट विधियों और औषधियों के माध्यम से किया जाता है।

यदि आप स्लिप डिस्क, स्पॉन्डिलाइटिस या सायटिका की समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो आयुर्वेदिक उपचार एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हो सकता है।

धन्यवाद!

👉🏻 पुनर्नवा एक देशी पौधा है जिसमें कई औषधीय गुण हैं। पुनर्नवा का नाम इसकी वृद्धि और प्रसार की प्रकृति से लिया गया है। पौ...
19/07/2024

👉🏻 पुनर्नवा एक देशी पौधा है जिसमें कई औषधीय गुण हैं। पुनर्नवा का नाम इसकी वृद्धि और प्रसार की प्रकृति से लिया गया है।
पौधे का हवाई हिस्सा गर्मियों में सूख जाता है और बरसात के मौसम में फिर से उग आता है

; "पुनर्नवा" शब्द का अर्थ है पुनर्न = एक बार फिर, नव = नया, कुल मिलाकर इसका अर्थ है "फिर से नया होना"। 1

पुनर्नवा के अन्य नाम-
पुनर्नवा को अंग्रेजी में होगवीड कहा जाता है, तथा इसका वानस्पतिक नाम बोअरहाविया डिफ्यूसा है ।

👉🏻पुनर्नवा के चिकित्सीय उपयोग:

पुनर्नवा का उपयोग आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही किया जाता रहा है। पौधे के सभी भागों का उपयोग इसके चिकित्सीय लाभों के कारण विभिन्न योगों की तैयारी में किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं:

1-पुनर्नवा पौधे की पत्तियों में जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो इसे ग्राम-पॉजिटिव और ग्राम-नेगेटिव दोनों प्रकार के बैक्टीरिया के कारण होने वाले जीवाणु संक्रमण को कम करने के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बनाते हैं।

2-पुनर्नवा की पत्तियों का क्लोरोफॉर्म अर्क रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकता है और प्लाज्मा इंसुलिन के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।

3-पुनर्नवा की जड़ के अर्क के जलीय रूप में अच्छी यकृत सुरक्षात्मक गतिविधि होती है ।

4-पुनर्नवा की पत्तियों से प्राप्त अर्क में एंटीप्रोलिफेरेटिव और एंटीएस्ट्रोजेनिक गतिविधि होती है जो स्तन कैंसर कोशिकाओं पर कार्य करके उन्हें नियंत्रित कर सकती है।

5-पुनर्नवा की पत्ती और तने का अर्क एडिमा पर लगाया जा सकता है क्योंकि यह जलन और सूजन को शांत कर सकता है।

6-पुनर्नवा ऐंठन के लिए एक उत्कृष्ट औषधि है ।

7-पुनर्नवा की जड़ का अर्क श्वेत रक्त कोशिकाओं को उत्तेजित कर सकता है और तनाव के प्रति सहनशीलता बढ़ा सकता है।

8-इस पौधे में एंटी-फाइब्रिनोलिटिक गतिविधि होती है जो वाहिकाओं में फाइब्रिन और प्लेटलेट्स के जमाव को कम करने में मदद करती है ।

यह कॉर्नियल (स्ट्रोमल) एडिमा, सूजन और ग्रंथियों की टेढ़ी-मेढ़ी अवस्था को कम करने में मदद करता है।

👉🏻इस जड़ी बूटी का उपयोग गुर्दे के विकारों में मूत्रवर्धक के रूप में किया जा सकता है और यह प्लीहा वृद्धि के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करता है ।

👉🏻पुनर्नवा का अर्क खांसी को शांत करने में भी मदद करता है क्योंकि यह एक कफनिस्सारक के रूप में कार्य कर सकता है ।

👉🏻पुनर्नवा की जड़ में कृमिनाशक गुण होते हैं जो आंतों के कीड़ों और अस्थमा को दूर करते हैं ।

Dr DrAmit Gupta (BAMS ) founder - Tanav clinic ayu. Neuro spine care centre 9519036026

🌹स्वर्ण प्राशन = यह एक आयुर्वेद इम्यून बूस्टर है जो बच्चों को सदैव शक्तिशाली बनाता है, एवं बीमारियों से बच्चों बचाता है,...
14/07/2024

🌹स्वर्ण प्राशन = यह एक आयुर्वेद इम्यून बूस्टर है जो बच्चों को सदैव शक्तिशाली बनाता है, एवं बीमारियों से बच्चों बचाता है,यह वैदिक संस्कारों में से सर्वश्रेष्ठ संस्कार है।
👉🏻 बच्चो के लिए स्वर्ण प्राशन क्यों= उन्हें देना जरूरी है जिन बच्चों को बार बार संक्रमण होता है,
👉🏻1.यह बच्चो की बुद्धि की क्षमता को बेहतर बनाता है।

👉🏻2. बार बार सर्दी जुकाम होता है।

👉🏻3. गल शुण्डिका ( Tonsillitis ) की शिकायत रहती है।
👉🏻4. बार बार खांसी का प्रकोप होता है,

👉🏻5. पाचन तंत्र सही नहीं रहता ।

👉🏻6. मांस पेशियां अनेच्छिक होने के कारण बिस्तर में यूरीन कर देता हो।

👉🏻7. समय पर वजन नहीं बढ़ रहा हो।

👉🏻8. यह बच्चो की एकाग्रता बढ़ाकर मेधा बढ़ता है।

👉🏻9. एक बार कही हुई बात को धारण ( श्रूतधर ) कर लेता है।

🌹इसकी व्याख्या=जो बच्चा स्वर्ण प्राशन करता है मेधा( बुद्धि )अग्नि ( जठराग्नि ) प्रदीप्त होती है,बलवान और आयु वान होता है,मंगल होता है वह पुण्यवान होता है,वृश्यवान वान होता है,अर्थात उम्र भर वाजीकर औषधियों की जरूरत नहीं होती , वर्ण्य होता है अर्थात सुन्दर होता है।

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𝗧𝗮𝗻𝗮𝘃 𝗔𝘆𝘂𝗿𝘃𝗲𝗱𝗮 𝗡𝘂𝗿𝗼 𝗦𝗽𝗶𝗻𝗲 𝗖𝗮𝗿𝗲 |𝗞𝗮𝗻𝗽𝘂𝗿 |𝗙𝗲𝗲𝗹 𝘁𝗵𝗲 𝗺𝗮𝗴𝗶𝗰 𝗼𝗳 𝗮𝘆𝘂𝗿𝘃𝗲𝗱𝗮🌹👉

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