तमिलों की सिद्ध चिकित्सा

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तमिलों की सिद्ध चिकित्सा अस्थमा,सोरायसिस,चर्म रोग,फैटी लिवर सिरोसिस,बांझपन,सायटिका,अर्थराइटिस,पथरी थायराइड,पौरष शक्ति�

 #धन्वंतरि  #अमृत  #जल #दीपावली तक  #निशुल्क* - केवल पैकिंग पोस्टेज चार्ज हेतु सहयोग राशि 160रु देय पर)अगर आप लंबे समय स...
16/08/2025

#धन्वंतरि #अमृत #जल
#दीपावली तक #निशुल्क* - केवल पैकिंग पोस्टेज चार्ज हेतु सहयोग राशि 160रु देय पर)
अगर आप लंबे समय से अस्वस्थ है और इलाज करा कर थक गए है तो आप एक बार इसका भी प्रयोग कर देखें। डायबिटीज, पेट, किडनी, चेस्ट अस्थमा, जोड़ो का दर्द, थायराइड, त्वचा के विकारों सहित सभी असाध्य विकारों को दूर कर शरीर को निर्मल और स्वच्छ बनाता है और साथ ही साथ शरीर के प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
प्राचीन क्रोमोथैरेपी चिकित्सा पद्धति पर आधारित
धन्वंतरि अमृत जल {Sun Rays Charged Water} - वात पित्त व कफ के तीनों द्रव्यों के असुंतलन को दूर करती है। Rajiv kumar
धन्वंतरि अमृत जल के सेवन करने से मनुष्य विकार रहित हो जाता है।
इस धन्वंतरि अमृत जल में अलग अलग रश्मियों के जल को एक विशेष अनुपात में मिलाकर तैयार किया गया है जिस कारण यह सभी विकारों में सेवन योग्य है। Rajiv kumar
हो सकता है कि कल हमारे इस प्रयोग का नकल कर या कॉपी कर अन्य व्यक्ति भी इसी तरह का पोस्ट कर भ्रमित करने का प्रयास करेंगे।
धन्वंतरि अमृत जल, कानपुर के प्राकृतिक चिकित्सक राजीव कुमार सिंह के द्वारा वर्षों सूर्य रश्मियों पर अनुसंधान कर बनाया गया है।
जिस भी व्यक्ति को आवश्यकता हो वो मेरे व्हाट्सएप पर अपना पूरा पता भेजकर कर मंगा सकता है।
सहयोग राशि 45 दिन - 30ml - 560₹
सहयोग राशि 25 दिन - 15ml - 360₹
( #दीपावली तक #निशुल्क* - केवल पैकिंग पोस्टेज चार्ज हेतु सहयोग राशि 160रु देय पर)
व्हाट्सएप - 9936006511
Rajiv kumar Singh
(प्राकृतिक चिकित्सक)
कॉल - 8299097154
(कानपुर, यूपी)

11/08/2025

#धन्वंतरि #अमृत #जल
सूर्य का प्रकाश हमारी ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। सूर्य का प्रकाश जब जल पर पड़ता है तो उसके आणविक संरचना को बढ़ा देता है और उस मृत जल को अमृत जल में बदल देता है। सूर्य से मुख्य सात रश्मियां और दो अन्य निकलती है। इन सभी रश्मियों में मनुष्यों के समस्त विकार दूर करने की अदभुत क्षमता होती है उन्हीं नौ रश्मियों के संयोजन से यह अमृत जल बनाया गया।
इस धन्वंतरि अमृत जल के प्रयोग करने से विकार ग्रस्त मनुष्य धीरे धीरे स्वस्थ होने लगता है। विकार ग्रस्त मनुष्य जो लंबे समय से औषधियों का सेवन कर रहा है वो भी इस अमृत जल का सेवन कर विकार रहित हो जाता है।
इस धन्वंतरि अमृत जल में अलग अलग रश्मियों के जल को एक विशेष अनुपात में मिलाकर तैयार किया गया है जिस कारण यह सभी विकारों में सेवन योग्य है।
हो सकता है कि कल हमारे इस प्रयोग का नकल कर या कॉपी कर अन्य व्यक्ति भी इसी तरह का पोस्ट कर भ्रमित करने का प्रयास करेंगे।
धन्वंतरि अमृत जल, कानपुर के प्राकृतिक चिकित्सक राजीव कुमार सिंह के द्वारा वर्षों सूर्य रश्मियों पर अनुसंधान कर बनाया गया है।
जिस भी व्यक्ति को आवश्यकता हो वो मेरे व्हाट्सएप पर संपर्क कर मंगा सकता है।
सहयोग राशि 30ml 360₹
व्हाट्सएप - 9936006511
कॉल - 8299097154
Rajiv kumar Singh
(प्राकृतिक चिकित्सक)

अस्थमा,सोरायसिस,चर्म रोग,फैटी लिवर सिरोसिस,बांझपन,सायटिका,अर्थराइटिस,पथरी थायराइड,पौरष शक्ति�

बादी व खूनी बवासीर की औषधि उपलब्ध है।मस्से भी सुख कर खत्म हो जाते है।खून आना भी बंद हो जाता है।।
04/07/2024

बादी व खूनी बवासीर की औषधि उपलब्ध है।
मस्से भी सुख कर खत्म हो जाते है।
खून आना भी बंद हो जाता है।।

शराब छुड़ाने की औषधि उपलब्ध है।।
04/07/2024

शराब छुड़ाने की औषधि उपलब्ध है।।

01/07/2024

।।दमा दम के साथ जाता है।।
यह एक मिथ्या धारणा है।
ASTHMA ★ दमा ★तमक श्वास
#अस्थमा (दमा) में सांस की नली में सूजन आ जाती है या ये नली पतली हो जाती है। जिससे फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और सांस लेने पर दम फूलने लगता है, खांसी होने लगती है और सीने में जकड़न के अलावा सांस लेने पर घर्र-घर्र की आवाज आती है।
व्यायाम, सीढ़ियां चढ़ते उतरते या काम करते वक्त सांस फूलना या खांसी आना, ज्यादा ठंड या गर्मी होने पर सांस लेने में दिक्कत होना जैसे लक्षण होते हैं।
है।
दम फूलने की समस्या को आम बोलचाल की भाषा मे दमा कहा जाता है।
चावल, शक्कर, और दही जैसे कफ या बलगम बनाने वाले पदार्थ तथा तले हुए एवं गरिष्ठ खाद्य पदार्थ का सेवन नही करना चाहिए।
अस्थमा के रोगियों को प्रदूषण, धुएं, बरसात व सर्दी के मौसम में अधिक दिक्कत होती है। अतः ऐसी किसी भी जगह जाने से बचें, यहां सांस लेने में दिक्कत हो या संक्रमण बढ़ने की आशंका हो।
अस्थमा एक कष्टकारी रोग है कहा जाता है कि दमा एक बार हो जाने के बाद पूरे जीवनकाल कष्ट देता है। किन्तु ऐसा नही है,
तमिल यानी दक्षिणी आयूर्वेद पद्धति पर आधारित योग अभ्रक भस्म, मृगश्रंग भस्म, टंकण भस्म, प्रवाल पिष्टी, सितोपलादि चूर्ण, तालीसपत्र, वासा चूर्ण, पोहकरमूल चूर्ण, हरिद्रा चूर्ण इत्यादि के संयोग से बनी दवा से अस्थमा को सदैव के लिए नियंत्रण किया जा सकता है। परिणाम तो 10 दिन में ही दिखने लगते है।
किंतु औषधि का सेवन कम से कम 90 दिन अवश्य करें।

#दवा मूल्य - 3250 ₹ व कोरियर चार्ज 100₹
दवा हेतु व्हाट्सएप पर सम्पर्क कर सकते है।

#व्हाट्सऐप - 9936006511
#कॉल - 8299097154

01/07/2024

पाईल्स/बवासीर/मस्सा/अर्श (ख़ूनी/बादी/दर्दयुक्त)
हेतु नुक्शा स्वयं बनाये, इस रोग की औषधि घर मे ही आसानी से बन जाती है।
पुरानी से पुरानी बवासीर को बीना किसी सर्जरी के द्वारा भी जड़ से खत्म किया जा सकता है।
कारण : ●अनियमित भोजन, अधिक मिर्च मसाले या बाहर के भोजन का सेवन करने से पेट में कब्ज होकर मल शुष्क एवं कठोर हो जाता है। इससे मल त्याग करते समय जोर लगना पड़ता है। मलत्याग के समय रक्तस्त्राव तथा मस्से फूलने की समस्या होती है। इसे पाईल्स या हीमोराइड्स भी कहते हैं। बवासीर का प्रमुख कारण पेट की खराबी व पाचन तंत्र का कमजोर होना है।
● बादी बवासीर में मलद्वार पर मस्से निकल आते हैं और उनमें सूजन या जलन होने पर रोगी को अधिक पीड़ा होती है। रोगी को कहीं बैठने उठने पर मस्से में तेज दर्द होता है।
इसकी चिकित्सा समय से न करने पर मस्से पककर फूट जाते हैं और उनमें से खून, पीव आदि निकलने लगता है, मल के साथ खून बूंद-बूंद कर आये तो उसे खूनी बवासीर कहते है।
● मलद्वार पर अथवा मलद्वार में सूजन अंगूर के दाने के समान हो और उससे मल के साथ खून न आए सिर्फ खुजली आये तो उसे वादी बवासीर कहते हैं।
■ बवासीर से बचाव हेतु रेशेदार भोजन, सलाद व फलों का नित्य सेवन करें। तेज मिर्च मसलो का प्रयोग न करे, पानी कम से कम 5 लीटर सेवन करे।।
चाय , कॉफी का प्रयोग बन्द कर दें। इससे पेट ठीक रहेगा और कब्ज नही होगी। मलत्याग के समय ज्यादा जोर ना लगायें।
यदि कब्ज हो तो रात में दूध के साथ मुनक्का व इसबगोल की भूसी का सेवन करें।
■ इसके लिए एक मलहम जो लाजवंती , भृंगराज, सेलखड़ी, मुर्दासङ्ग, सफेद कत्था, चिकनी सुपारी कसीस भस्म, निर्गुन्डी , भीमसेनी कपूर, टंकण भस्म सभी 5gm व सत्यानाशी के बीज 20gm का कपड़छान पाउडर वैक्स मोम में मिलाकर फिशर फिस्टुला भगन्दर या गुदा के अंदर के घाव में लगाया जाता है जो कुछ दिनो में ही भगन्दर, खूनी बवासीर के घाव को सही कर खून या पस आना बंद कर देता है।
■ शुद्ध रसोंत, नीम मगज, बेलफल, चित्रकमूल, हरड़, कालीमिर्च, सौंठ, कुटज, सुरन, बेलपत्र, रीठाभस्म जड़ी, बायबिडंग, अजवाइन, गजपिप्पली, सेंधानमक, फिटकरी भस्म सम भाग लेकर कपड़छान कर ले। इस तैयार औषधि को 1gm से 500mg सुबह दोपहर शाम को जल से सेवन करे।
इससे कुछ ही दिनों सभी तरह के बवासीर खूनी या बादी, मस्से, इत्यादि सही हो जाते हैं।
अगर कोई भाई से इसे न बना सके या कोई बात न समझ में आये तो परामर्श कर सकते है।
Dr. Rajiv Kumar Singh
व्हाट्सएप - 9936006511
कॉल :----- 8299097154

01/07/2024

#डायबिटीज मधुमेह शुगर से छुटकारा हेतु नुख्सा स्वयं बनाये, यह औषधि घर मे ही आसानी से बन जाती है।
पहिले बताये हुए नुख्शे में ही कुछ औषधियां और बढ़ा दी गई है।
यह दवा शरीर को बल देती है। अच्छी नींद लाती है। शरीर में स्फूर्ति लाती है। यूरिन कंट्रोल करती है। भूख व पाचन को नियंत्रित करती है।
डायबिटीज (शुगर, मधुमेह) नामक बीमारी शरीर में इंसुलिन नामक हार्मोन की कमी के कारण होती है। शरीर को सबसे अधिक ऊर्जा शुगर से मिलती है किन्तु शुगर को ऊर्जा में परिवर्तित करने वाले इंसुलिन की शरीर में कमी हो जाने से शुगर या स्टार्च खून में जमा होने लगता है और यह डायबिटीज का कारण बन जाता है।
◆टाइप 1 में अग्नाशय इंसुलिन बनाना बंद कर देता है।
◆टाइप 2 में अग्नाशय सही मात्रा में इंसुलिन बनाना बंद कर देता है या फिर हमारा शरीर इंसुलिन को सही ढंग से इस्तेमाल करना कम कर देता है।
◆इस कारण शरीर मे वजन की कमी आने लगती है व
अधिक भूख प्‍यास व मूत्र लगने लगता है।
शरीर मे कमजोरी व थकान, पिडंलियो में दर्द रहता है।
शरीर बार-बार बीमार होने लगता है व शरीर मे उत्पन्न घाव देर से भरते है। हाथ व पैरो में झनझनाहट रहती है व नपूंसकता उत्पन्न हो जाती है। किडनी फेल होना, हार्ट अटेक आना, आंखों की रोशनी जाना, पैरालिसिस होना इत्यादि भी डायबिटीज के एक कारण है।
◆अतः टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिये टेबलेट या इन्सुलिन लेने की आवश्यकता पड़ जाती है।
◆आज एक ऐसा नुक्शा बताने जा रहा हूँ जिसे आप स्वयं बनाकर भी इस रोग से मुक्ति पा सकते है।
◆जामुन गुठली का सत्व , करेले के पत्ते का सत्व, चिरायता सत्व , दालचीनी का सत्व, गिलोय सत्व, शिलाजीत सत्व , सिद्ध गुग्गुल, भुइँ आँवला, त्रिकुट, सतरँगी, मेड़ासिंगी, गुड़मार, बेल पत्र, बिनौले की मींगी, व भांग के पत्ते बहते पानी मे रात भर धुले हुए सभी 20 gm, इनको खरल में डाल कर महीन कर ले
ये है डायबिटीज हेतु चूर्ण।
◆सेवन विधि:- अब सुबह शाम खाली पेट उपरोक्त चूर्ण 1- 1gm गुनगुने जल से सेवन करे।
इसके सेवन के 10 दिन बाद ही शुगर लेवल कम होने पर इन्सुलिन या टेबलेट की मात्रा कम करनी होगी।
Dr. Rajiv Kumar Singh
व्हाट्सऐप - 9936006511
कॉल - 8299097154

09/03/2024

:- Fatty Liver फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस -:
आज एक ऐसा नुस्खा बताने जा रहा हूँ जिसे आप स्वयं बनाकर भी उपरोक्त रोग से मुक्ति पा सकते है।
गरिष्ठ ऑयली व अनियमित भोजन, शराब व मांसाहार का अत्‍यधिक सेवन या अत्याधिक अंग्रेजी दवा का लेना भी इस बीमारी को तेजी से बढ़ा रहा है।
लिवर खराब होने के लक्षणों में उल्टी होना, कम भूख लगना, पेट में दर्द या (फैटी लिवर) पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में भरा हुआ महसूस होना, मुंह से बदबू आना, थकावट, कब्ज होना, लगातार वजन घटना, शरीर में खुजली होना, अत्यधिक थकान होना, त्वचा का रूखा होना और आंखों के आसपास काले घेरे हो जाना, पेट में गैस बनना व बदहजमी, पीलिया, पेशाब का रंग बदल जाना, नाखूनों व आंखों के सफेद भाग का पीला हो जाना, पेट में तरल पदार्थ बनना आदि शामिल हैं।
कुछ लोगों को लि‍वर में सूजन आ जाती है, जिससे पेट का आकार बढ़ जाता है। जिसे लोग मोटापा समझने लगते है।
नुस्खा १)- पुनर्नवा 50gm, भूईं आंवला 50gm, यस्टिमधु 50gm, मकोय 50gm, दारुहल्दी 50gm, निशोध 50gm, चित्रक 10gm, आंवला 25gm, हरितकी 25gm, शरपुखा 10gm, कुटकी 25gm, प्रवाल पिष्टी 2gm, मोती पिष्टी 2gm, लौह भस्म सहस्त्र पुटी 1gm सभी बराबर मात्रा में मिलाकर एक जान कर ले फिर इसमें ताजी भूईं आंवला के रस मिलाकर दो दिन घुटाई करें। अब दो ग्राम चूर्ण दिन में एक से दो बार सेवन करे।
नुस्खा- 2) कासनी पत्र व पुष्प, मकोय, अजवायन, सौंफ सभी को बराबर मात्रा में मिलाकर दरदरा चूर्ण कर लें। सभी को इस चूर्ण का आठ गुना पानी मिलाकर रात भर रखे व सुबह अर्क निकाल ले। दिन में 2 बार एक कप पानी में मिलाकर सेवन करें।
यह Liver व हेपेटाइटिस के लिए एक खास दवा है। जो मरीज लिवर की खराबी से बिस्तर पर पड़ गया हो, कोई औषधि कार्य न कर रही हो, उस मरीज को इस औषधि को स्वयं बनाकर दे और परिणाम देखें।
साथ में रोहितकरिष्ट या कुमार्यासव या मकोय कासनी अर्क भी लगा सकते है।
यह नुस्खा आप स्वयं बनाये व लाभ उठाएं
जो व्यक्ति इसे नही बना सकते वे 3250रु प्रति माह का खर्च भेजकर औषधि मंगा सकते है।
Dr. Rajiv Kumar Singh
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 #थायरायडस्वम बनाए और लाभ उठाएघेंघा रोग या गोइटर जिसे गलगंड या गंडमाला भी कहा जाता है। थायरॉइड गर्दन के निचले हिस्से में...
26/02/2024

#थायरायड
स्वम बनाए और लाभ उठाए
घेंघा रोग या गोइटर जिसे गलगंड या गंडमाला भी कहा जाता है। थायरॉइड गर्दन के निचले हिस्से में तितली के आकार की छोटी सी ग्रंथि है।
थाइराइड के मरीजों के तीन प्रकार के टेस्ट टी-3, टी-4 और टीएसएच के रिपोर्ट के आधार पर ही बीमारी के बारे में पता लगाया जाता है।
∆ जब बहुत अधिक थायराइड हार्मोन बनाता है तो उसे हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है। इसमें शरीर बहुत जल्दी ऊर्जा का उपयोग करता है। जिस कारण वजन कम होने लगता है।
∆ जब थायरॉइड बहुत कम थायराइड हार्मोन बनाता है तो उसे हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है। जिस कारण वजन बढ़ने लगता है।
परहेज तो आपके डॉक्टर ने बताया ही होगा। उसी का पालन करें।
स्वम बनाए और लाभ उठाए
नुख्शा :- a)- बहेड़ा 100gm, त्रिकुटा 50gm, कचनार छाल 50gm, जलकुंभी पत्र 50gm, श्वेत अपराजिता की जड़ 20gm, सभी को जौकुट कर अर्क यंत्र से अर्क निकाल लें। इसे सुबह शाम सेवन करें।
b)- कचनार गुगूल 20gm, जलकुंभी भस्म 20gm, मुलेठी 10gm, धनिया सत्व 20gm, गिलोय सत्व 5gm, गोदंती भस्म 5gm, लौह भस्म 5gm, वायविडंग चूर्ण 10gm सभी को मिलाकर खरल में एक जान कर ले। इसे एक समय जल में मिलाकर सेवन करें।
20 दिन बाद थायराइड चेक कराएं अगर थायराइड रिपोर्ट में सुधार है तो अंग्रेजी दवा का डोज कम कर दें।
जब रिपोर्ट में थायराइड लेवल सही आ जाए तो सभी दवाएं डाॅ के सलाह से बंद कर दें।
अगर औषधि बनाने में कोई दिक्कत आए तो संपर्क कर सकते है। औषधि मूल्य 3250 रु एक माह हेतु
Dr Rajiv kumar Singh
WhatsApp 9936006511
Call 8299097154

26/02/2024

#वाजीकरण नुख्सा आप स्वयं बनाये व लाभ उठाएं
आजकल ऐसे बहुत से रोगी आ रहे है, जो अभी नये वैवाहिक जीवन में बंधे है, सभी की एक ही समस्या की जब भी संबंध बनाता हूं तो जल्द ही स्खलित हो जाता हूं।
दूसरे वो जिनकी वैवाहिक जीवन के कई वर्ष व्यतीत हो चुके है, उनका गुप्तांग पहिले से छोटा व पतला हो गया है और 5 से 10 सेकंड में ही स्खलित हो जा रहे हैं।
जिस व्यक्ति का वीर्य गाढ़ा होगा वही स्त्री सुख दे सकता हैं जिसका वीर्य पतला हैं वो व्यक्ति प्रेम प्रसंग का असली आनंद नहीं ले सकता ।
आज आपको आयुर्वेद का एक अनमोल नुख्शा बता रहा हूं जिसके 60 से 90 दिनों के सेवन से पुनः काफी समय तक कोई भी औषधि का सेवन की जरूरत नही पड़ती। इस नुख्शे के सेवन से पहले हफ्ते में ही फायदा दिखने लगता है। गुप्तांग पुनः पूर्ण रूप को प्राप्त कर लेता है व सेक्स के दौरान गुप्तांग पूरे जोश में रहता है और संभोग की टाइमिंग बढ़ जाती है। जो लोग मधुमेह से पीड़ित हैं उनके लिए यह बहुत फायदेमंद है। इसे बनाने में परिश्रम व समय लगता है, लेकिन जब यह तैयार हो जाता है तो बताए गए लाभों से कई गुना अधिक परिणाम देता है,
यह आयुर्वेद चिकित्सा का एक हानिरहित उत्कृष्ट व चमत्कारिक योग है।
इसमें सामग्री इस प्रकार है: ―
शुद्ध शिलाजीत - 5ग्राम, बंग भस्म-10ग्राम, मोती पिष्टी-2ग्राम, रजत भस्म 250mg, स्वर्ण भस्म -50mg, हीरा भस्म 50mg, प्रवाल पिष्टी -2ग्राम, पूर्णचन्द्रोदय रस -6ग्राम, लौह भस्म 1000पुटी- 2ग्राम, अभ्रक भस्म 1000 पुटी-1ग्राम, गोंद कतीरा 50 ग्राम, सालम पंजा -50ग्राम, शुद्ध जंगली केवांच - 25ग्राम, श्यामा तुलसी बीज 25 ग्राम, दोनो मूसली 25ग्राम।। भस्म छोड़ सबको मिलाकर एक दिन घुटाई कर इसमें पुनः देशी पान के पत्ते व सतावर का स्वरस डालकर घुटाई करें अंत में शेष सभी भस्म मिलाकर पुनः घुटाई करें।
इसे रात को दूध के साथ सेवन करना होता हैं ।
इसके साथ हम एक अर्क देते हैं जो आपको हमारे पिछले पोस्ट में दिख जायेगा, उसे भी बना लें। इसके सेवन से व्यक्ति कितना भी संभोग कर ले वो थकता नही हैं, जो व्यक्ति इस दवा का सेवन करके जिस स्त्री से प्रेम - प्रसंग करता हैं वो स्त्री पूरी जिंदगी में उसकी बनी रहती है । यह दवा संभोग शक्ति खोई हुई ताकत जोश जवानी दुबारा लौटा देती हैं । यह सेक्स की सभी समस्याओं में बहुत अच्छा काम करता है। शरीर में ताकत के साथ यौनांग को लंबा, मोटा व देर तक तनाव युक्त बना कर रखता है। चेहरे की चमक बढ़ जाती है। पहिले माह में ही सेक्स के दौरान मनचाहा समय मिलने लगता है। लेकिन एक बात का अवश्य ध्यान रखे की किसी भी चीज की अति खराब होती है। अतः औषधि सेवन के समय व बाद अति न करे। औषधि सेवन करते समय पौष्टिक आहार यानी दूध, घी, सलाद, हरी पत्ती वाली सब्जियां, फल, सूखे मेवे, पौष्टिक भोजन आदि का सेवन करना चाहिए। मिर्च मसालेदार, खट्टा आचार, गरिष्ठ भोजन, मदिरा इत्यादि बंद रहेगा। प्रातःकाल उठकर थोड़ा बहुत शारीरिक व्यायाम अवश्य करें। पेट साफ रखें।
अगर इन दोनों औषधियों का 60 से 90 दिन तक परहेज के साथ इस्तेमाल कर लिया जाए तो सेक्स की सभी बीमारीयों से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं। इसमे पड़ने वाली हर चीज गुणकारी है , जो नामर्द को भी मर्द बना देती है। अतः यह कहना चाहूंगा कि संभोग के शौकीन व्यक्ति को भी अंग्रेजी दवा को छोड़कर इसका सेवन अवश्य करना चाहिए । यह दवा थोड़ी महंगी हैं, लेकिन आपने इसका असर देख लिया तो लगाए हुए पैसे भूल जाओगे। इस दवा को 60 साल के बुजुर्ग व्यक्ति भी सेवन कर सकता है , परिणाम पहिले हप्ते में ही आपके सामने होगा। हमे कुछ कहने की जरूरत ही नही होगी। शर्त बस इतना है कि इसमें शामिल सभी घटक वास्तविक और शुद्ध हों व प्रथम माह स्त्री प्रसंग से दूरी बना कर रखे और बताए गए विधि के अनुसार ही बनाएं।
यह नुख्सा आप स्वयं बनाये व लाभ उठाएं
जो इस औषधि को नही बना सकते वो बनी हुई औषधि हमसे मंगा सकते है। मूल्य सिर्फ 4450/-रुपये प्रति माह है।
👉Call 8299097154
Whatsup 9936006511

15/01/2024

#पौरुष #समस्या
आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में अधिकतर लोग पौरुष समस्या से ग्रस्त है। खराब जीवन शैली, अत्यधिक हस्तमैथून ,बचपन की गलतियां, जिसका परिणाम यौनांग में तनाव की कमी व छोटा पड़ जाना, जल्दी ह्रास, सोचते ही निकल जाना, चिपचिपा तरल निकलना इत्यादि।
बाजार में इन समस्याओं हेतु मिलने वाली अधिकतर औषधियां इतनी महंगी मिलती है कि आमजन खरीद नही पाते। कुछ औषधियों में स्ट्रायड मिली होती है जो तुरंत हमे लाभ जरूर दिखाती है, किन्तु आने वाले समय मे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाती है और स्थिति पहिले से ज्यादा खराब हो जाती है।
A) भांगपत्र (शोधित) 20gm, बबूल फली कच्ची 200gm, अश्वगंधा 100gm, ब्राह्मी 50gm, मकोय 50gm, सेमल व अर्जुन की छाल 200gm, कुटकी 20gm व भुई आँवला 50gm सभी को कूट- पीस कर मटके में भर 10 लीटर जल ऊपर से डाल दें। एक हप्ते बाद बाद में भभका यंत्र द्वारा इसका अर्क निकाल कर सुरक्षित रख लें।
B) मूसली-25ग्राम, सालम मिश्री -30 ग्राम, शुद्ध कौंच बीज-30ग्राम, बीजबंद-30ग्राम, उंटंगन बीज -25ग्राम, रूमी मस्तगी -10ग्राम, अकरकरा -35ग्राम, काली कौंच की जड़ - 20gm. सभी को दरदरा कूट कर स्टील के बर्तन में डालकर इसमे 5 लीटर पानी डाल दें। दूसरे दिन सुबह इसे धीमी आंच पर रख दें और बीच बीच मे चलाते रहे। जब यह आधा बचे तब इसे छानकर इसकी लुगदी फेंक दें व शेष बचे काढ़े को बोतल में भर लें।
C) शुद्ध शिलाजीत - 5ग्राम, बंग भस्म-10ग्राम, मोती पिष्टी-2ग्राम, स्वर्ण भस्म -50mg, प्रवाल पिष्टी -2ग्राम, पूर्णचन्द्रोदय रस -6ग्राम, लौह भस्म 1000पुटी- 2ग्राम, अभ्रक भस्म 1000 पुटी-1ग्राम, गोंद कतीरा 50 ग्राम व सालम पंजा -50ग्राम सबको मिलाकर एक दिन घुटाई कर तीस गोलियां बना ले।
#प्रयोग विधि :- अर्क व काढ़े को दिन में चार बार जल में मिलाकर सेवन करें। गोली को शाम गुनगुने दूध से सेवन करें।
#लाभ :- इसके सभी घटक सौम्य है व इसके सेवन से कुछ ही समय में पौरुष सम्बंधित अधिकतर समस्याएं सही होने लगती है। शरीर को बल मिलता है। इस नुख्से के सेवन से पहिले माह में ही पौरूष इंद्री को पुनः पुराने स्वरूप में लाकर इंद्री को कठोर और बृहद आकार प्रदान करते हुए टाइमिंग में जबरदस्त सुधार करता है। यह औषधि स्थाई लाभ देती है। अगर पाचन संबंधित समस्या है तो लिवर की कोई अच्छी सिरप बाजार से लेकर सेवन कर लें।
#नोट* :- भभका यंत्र मिटटी या मेडिकल ग्रेड स्टील का ही इस्तेमाल करें। अपने खानपान दिनचर्या को सही करें। गरिष्ठ ऑयली भोजन, आम का अचार, मादक पदार्थो का सेवन वर्जित है।
यह नुख्सा आप स्वयं बनाये व लाभ उठाएं
इसके निर्माण में लगभग 4000रु का खर्च और 10 दिन का समय लग जाता है।
यह औषधि इस ठंड के सीजन में अब आखिरी बार बनने जा रही है, जिन्हे भी चाहिए वो पहिले से ऑर्डर कर दें। इसके बाद यह औषधि सितंबर माह में बनेगी।
*Dr Rajiv kumar Singh*
व्हाट्सऐप- 9936006511
कॉल - 8299097154

 #महिला  #बांझपन आजकल निसंतता के मामले तेजी से बढते जा रहे है। प्रेगनेंसी की ख़ुशी उस महिला से अधिक कोई नहीं जान सकता जो...
15/01/2024

#महिला #बांझपन
आजकल निसंतता के मामले तेजी से बढते जा रहे है। प्रेगनेंसी की ख़ुशी उस महिला से अधिक कोई नहीं जान सकता जो इसका बेसब्री से इंतज़ार कर रही हो। बिगडी़ हुई लाईफ स्टाईल, जंक फूड का सेवन, समय पर प्रेगनेंसी प्लान न होना या कभी कभी कुछ अन्य कारणों की वजह से गर्भ धारण में परेशानियां आ जाती हैं।
किसी महिला के गर्भधारण करने में असक्षमता को, महिला बांझपन यानी फीमेल इनफर्टिलिटी कहा जाता है।
आजकल इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) या अन्य कई उपचार विधियों से फीमेल इनफर्टिलिटी का उपचार किया जा रहा है।
जो #महिलायें #बांझपन से परेशान है वो नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क कर औषधि मंगा सकती है।
एक माह हेतु #औषधि 1450 रु
यह औषधि केवल फीमेल इनफर्टिलिटी पर ही कार्य करती है।
अगर पुरुष में दिक्कत है तो उनके लिए अलग से औषधि लेनी पड़ेगी।
Dr Rajiv Kumar Singh
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