Dr D K Singh MD Physician at Ayushman Healthcare

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Dr D K Singh MD Physician at Ayushman Healthcare

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जिन

It's wrong but it's fact ... Understanding is important to save your married life
26/04/2020

It's wrong but it's fact ... Understanding is important to save your married life

पति पत्नी का रि’श्ता बहुत प’वित्र माना गया है.विभिन्न ध’र्मो में पति और पत्नी के रिश्ते में विश्वास और पवि’त्रता क...

कैसे सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन (S*xual frustration) से निपटें पार्ट 1========================================सेक्सुअल फ्रस्ट्...
15/04/2020

कैसे सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन (S*xual frustration) से निपटें पार्ट 1
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सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन (S*xual frustration) या यौन कुंठा, ये एक ऐसी चीज है, जिसका सामना कई लोगों को करना पड़ता है और इसका असर पर्सनल लाइफ और रिश्तों के ऊपर भी पड़ सकता है। हालांकि, आप आपकी फ्रस्ट्रेशन को आर्ट या एक्सरसाइज जैसे किसी स्वस्थ विकल्प में बदल सकते हैं।

विधि 1:
फ्रस्ट्रेशन से अपने आप निपटना (Dealing with Frustration on Your Own)

1 . मास्टर्बेट करें: ( हस्तमैथुन )
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मास्टर्बेशन को अक्सर एक वर्जित विषय माना जाता है, जो गलत जानकारी और अपराध बोध से घिरा होता है।[१] हालांकि, आपको क्या करके खुशी मिलती है, मास्टर्बेशन इसे ही जानने का एक हैल्दी, सेफ, प्रॉडक्टिव तरीका है। मास्टर्बेशन के जरिए अपने शरीर को एक्सप्लोर करना, आपको आपके लिए क्या सबसे सही महसूस होता है, उसे चुनना, इन सब बातों को समझने में और अपने पार्टनर के साथ में भी उसके बारे में बात करने में भी मदद कर सकता है।[२][३]
इस बात को समझें, कि मास्टर्बेशन एकदम नेचुरल और हैल्दी है। किन्से इंस्टीट्यूट (Kinsey Institute) की एक स्टडी सलाह देती है, कि 90% पुरुष और 64% महिलाएँ मास्टर्बेट करती हैं, लेकिन ये नंबर ये नंबर शायद अभी भी कम हो सकते हैं, क्योंकि ऐसे कई लोग हैं, जो अभी भी उनके मास्टर्बेट करने की बात को स्वीकार करने से शर्माते हैं।[४]
फ़ीमेल ओर्गेज़्म से जुड़ी भी कई धारणाएँ मौजूद हैं। ओर्गेज़्म को पाने का एक “सही” तरीका होना भी उन्हीं में से एक है। ये सच नहीं है। महिला का शरीर स्टिमुलेशन या उत्तेजना को कई अलग तरीके से प्रतिक्रिया देता है; कुछ महिलाएँ खासतौर पर क्लिटोरल (cl****al) स्टिमुलेशन को प्रतिक्रिया देती हैं, जबकि दूसरी महिलाएँ किसी और एरिया के प्रतिक्रिया को चुनती हैं। अगर आपको किसी ऐसी चीज से खुशी मिलती है, जो शायद दूसरों के लिए सही नहीं है (या इसके विपरीत), तो इसे लेकर खुद को दोषी मत महसूस करें।[५]
कई लोग मास्टर्बेट करते वक़्त सेक्स टॉय का इस्तेमाल करना चुनते हैं। ये हैल्दी भी है और नॉर्मल भी।[६] अगर आप भी ऐसा ही करते हैं, तो उसके सारे इन्सट्रक्शन्स को पढ़ने और अपने टॉय को साफ और सेफ रखने के लिए एक डिसिन्फ़ेक्टिंग क्लीनर का इस्तेमाल करने की पुष्टि करें।[७]
मास्टर्बेशन एंडोर्फ़िन्स (endorphins) रिलीज करता है, जो शरीर का नेचुरल मूड-बूस्टर होता है। आप अपनी स्ट्रेस और चिंता की भावना से राहत पा सकते हैं, जो दोनों ही सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन के पीछे की मुख्य वजह होती हैं।[८] ओर्गेज़्म से भी डोपामाइन (dopamine) और ऑक्सीटोसिन (oxytocin) रिलीज होता है, जो आपको रिलैक्स होने में और बेहतर नींद लेने में मदद करता है।[९]
कई तरह की टेक्निक्स के साथ अपने खुद के ऊपर एक्सपेरिमेंट करें। एक ऐसी जगह पाएँ, जो कम्फ़र्टेबल है और फिर सीखें कि आपका शरीर टच, प्रैशर, पेनट्रेशन और फिजिकल एग्जर्शन (शारीरिक मेहनत) से कैसा महसूस करता है।
अगर आपको धार्मिक, दार्शनिक या अपनी खुद की ही किसी वजह से मास्टर्बेशन को लेकर अनकम्फ़र्टेबल महसूस होता है, और अगर आप इसी मेथड का इस्तेमाल करने का फैसला करते हैं, तो किसी थेरेपिस्ट से बात करना आपको किसी भी अपराध या शर्म की भावना से निपटने में मदद करेगा।

2. खुद को किसी दूसरे की उम्मीदों के मुताबिक चलाने की भावना से दूर रहें:
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कभी-कभी, खासकर कि महिलाओं में, उन्हें ऐसा महसूस होना, कि वो उस तरह से नहीं “परफ़ोर्म” कर रही हैं, जैसा उन्हें करना चाहिए, सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन होने के पीछे की वजह होती है। याद रखें, किसी को कितना सेक्स करना चाहिए, इसकी कोई "नॉर्मल" मात्रा मौजूद नहीं है या न ही सेक्सुअल खुशी महसूस करने का कोई "नॉर्मल" तरीका है। आप जो महसूस कर रहे हैं, उसके लिए किसी दूसरे के स्टैंडर्ड को नजरअंदाज करना, आपकी खुद की खुशी और आप और आपके पार्टनर (अगर आपका है/या पाना चाहते हैं) को जो महसूस हो रहा है, उस पर फोकस करने में मदद कर सकता है।[१०]
उदाहरण के लिए, कुछ महिलाएं ऐसा सोच सकती हैं, कि उन्हें असल में कभी ओर्गेज़्म मिला ही नहीं, ऐसा इसलिए क्योंकि मूवीज में या पोर्नोग्राफ़ी में दिखाए गए सेक्स के मुक़ाबले, उनका ओर्गेज़्म तो बहुत ही कम होता है।[११] खुद को किसी बाहरी आइडियल स्टैंडर्ड से कंपेयर करने की बजाय, आप को जो कुछ भी महसूस हो रहा है, बस उसी पर फोकस करना याद रखें।
दूसरे लोग क्या कर रहे हैं, उसके बारे में सोचना छोड़ दें। कुछ कपल्स इस बात को लेकर परेशान रह सकते हैं, कि वो “नॉर्मल” टाइम तक सेक्स नहीं कर रहे हैं, जो उनमें, फिर चाहे वो जो भी कर रहे हैं, उसे एंजॉय ही क्यों न कर रहे हों, लेकिन फिर भी फ्रस्ट्रेशन पैदा कर सकता है। कुछ लोगों को ऐसा लग सकता है, कि उनकी उम्मीदें या जरूरतें “नॉर्मल” नहीं है, चूंकि वो उन्हें करने को लेकर डरे होते हैं, इसलिए ये उन्हें असंतुष्ट महसूस करना शुरू कर देती है।
वैसे तो आपको खुद को या अपने पार्टनर को उसकी इच्छाओं या जरूरतों के हिसाब से जज नहीं करना चाहिए, आपके बीच में होने वाली सारी एक्टिविटीज़ सहमति से होनी चाहिए। ऐसी एक्टिविटीज़, जो किसी को नुकसान पहुँचाती हैं या किसी दूसरे इंसान के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं, वो स्वीकार योग्य नहीं हैं। अगर आप आपकी इच्छाओं और जरूरतों को लेकर चिंतित हैं, तो किसी मेंटल हैल्थ प्रोफेशनल से इसके बारे में बात करें।
यहाँ तक कि ऐसी कई सेक्सुअल डिजायर, जो “अपरंपरागत” लगती हैं, जैसे कि B**M, उन्हें भी रिस्पेक्टफुल, हैल्दी तरीके से परफ़ोर्म किया जा सकता है। इन प्रैक्टिस को नैतिक तरीके से करने के लिए इन्सट्रक्शन या गाइडेंस की तलाश करने से आपको मदद मिल सकती है।

3. खुद को स्वीकार करना सीखें:
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सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन की शुरुआत हमारे शरीर के साथ में असंतुष्टि के साथ में हो सकती है। अगर आप खुद के दिखने के तरीके से खुश नहीं होंगे, तो ऐसे में आपके लिए सेक्सुअल खुशी को स्वीकार करना भी मुश्किल होगा।[१२] खुद को अयोग्य या अप्रिय समझना भी आपको रिश्तों से दूर करने के लिए प्रेरित कर सकता है। आप चाहे जैसे भी हैं, बस खुद से प्यार करना और खुद को स्वीकार करना सीखना, सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन से छुटकारा पाने का एक अहम हिस्सा होता है।
कुछ सर्वे के मुताबिक, ज़्यादातर महिलाएं ऐसी हैं, जो अपने शरीर को लेकर नाखुश हैं।[१३] विशेष रूप से महिलाओं पर, लगातार उनके शरीर को "क्या" जैसा दिखना चाहिए की इमेजेस की बौछार कर दी जाती है। इस तरह के अवास्तविक रूढ़ियों को अस्वीकार करें और आपका शरीर चाहे कैसा भी क्यों न दिखे, उससे प्यार करने के लिए चीजों को खोजने पर ध्यान लगाएँ।
खुद के आसपास ऐसे पॉज़िटिव लोगों को रखें, जो आप से प्यार करते हैं और जिन्हें आपकी परवाह है। ऐसे फ्रेंड्स और करीबी लोग, जो आपके लिए परवाह दिखाते हैं और आपको आपकी ही शर्तों पर स्वीकार करते हैं, इन लोगों का होना, असल में आपके कॉन्फ़िडेंस को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है।
अपनी सेक्सुएलिटी को स्वीकारें। अपनी सेक्सुएलिटी को लेकर गिल्टी महसूस करना या दोराह होना, फिर भले ये आपकी सेक्सुअल डिजायर, ओरिएंटेशन या कुछ भी क्यों न हो, बहुत गंभीर फ्रस्ट्रेशन पैदा कर सकता है। इस बात को स्वीकारें, कि आपको जो अच्छा लगता है, आप उसे ही एंजॉय करते हैं। आप चाहे जिसकी भी तरफ अट्रेक्टेड हैं, आप उसे ही पसंद करते हैं। किसी को भी आपको जज न करने दें या न ही ये बताने दें कि आपको कुछ अलग करना चाहिए।
खुद को डेट्स पर लेकर जाएँ, खुद को एक ऐसे इंसान की तरह देखना होता है, जिसके साथ में वक़्त बिताया जा सकता है और जिसके लिए कुछ अच्छी चीजें की जा सकती हैं, ये भी खुद को स्वीकार करने का ही एक हिस्सा है। खुद को एक रोमांटिक डेट पर लेकर जाएँ, खुद अकेले जाकर कोई रोमांटिक मूवी देख आएँ। बीच पर एक लॉन्ग वॉक पर जाएँ। कॉफी शॉप में एक अच्छी सी बुक लेकर जाएँ और अपने लिए कॉफी खरीदें। खुद को याद दिलाएँ कि आप भी अहमियत रखते हैं और आकर्षक हैं।[१४]

4. ओर्गेज़्म से ध्यान हटा लें:
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कभी-कभी, लोग ओर्गेज़्म का अनुभव करने के लिए इतने तयशुदा हो सकते हैं कि वो उसे हासिल नहीं करने पर, सेक्स को एक “फेलर” के रूप में देखने लगते हैं।[१५] ये अकेले भी ठीक वैसे ही हासिल किया जा सकता है, जैसे एक पार्टनर के साथ। ओर्गेज़्म पर विशेष ध्यान, सेक्स को एक सुखद अनुभव की बजाय बस घर के काम की एक चेकलिस्ट में बदल सकता है। ओर्गेज़्म को पाने के ऊपर पूरी तरह से ध्यान लगाने से दूर रहना और पूरे अनुभव को गले लगाने पर ध्यान केंद्रित करना सीखना सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन को दूर करने में मदद कर सकता है, खासकर अगर आपको क्लाइमेक्स पर पहुँचने में अक्सर मुश्किल जाती हो।[१६]
स्टिमुलेशन के बाद में ओर्गेज़्म हासिल करने की असमर्थता को “एनोर्गेमसिया (anorgasmia)” कहा जाता है, और ये कई लोगों को, खासकर महिलाओं को प्रभावित करता है।[१७] कभी-कभी किसी फिजिकल कंडीशन की वजह से ये कंडीशन पैदा होती है और कभी-कभी ये साइकोलॉजिकल होती है। इसके पीछे की संभावित वजहों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें और पूछें कि इसके लिए कोई मेंटल हैल्थ ट्रीटमेंट सही होगा।[१८]

5. प्रोफेशनल हैल्प की तलाश करें:
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कभी-कभी, सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन या मुश्किल किसी ऐसी चीज की वजह से जन्म लेती है, जिसके बारे में आपको अंदाजा भी नहीं होता। डिप्रेशन, एंजाइटी और स्ट्रेस ये सभी सेक्सुअल डिफिकल्टी के पीछे की वजह हैं। इसी तरह से, पिछले अब्यूस की यादें और बुरा बचपन भी बराबर जिम्मेदार होते हैं। एक थेरेपिस्ट, खासकर सेक्स थेरेपी में ट्रेनिंग लिया हुआ, आपकी खुद की सेक्सुएलिटी को एक्सप्लोर करने में फ्रस्ट्रेशन और चिंता पैदा करने वाली वजह के बारे में पता लगाने में आपकी मदद कर सकता है।[१९]
हालांकि सेक्स थेरेपिस्ट आमतौर पर कपल्स के साथ मिलकर काम करते हैं, लेकिन कई सेक्स थेरेपिस्ट अकेले इंसान के भी साथ में काम करते हैं। सेक्स थेरेपी किसी साइकोलॉजिस्ट, सोशल वर्कर्स, फिजीशियन्स, मैरिज एंड फैमिली थेरेपिस्ट या खास ट्रेनिंग प्राप्त काउंसलर के द्वारा परफ़ोर्म की जा सकती है।[२०] आप आपके डॉक्टर से सलाह लेकर या फिर ऑनलाइन कुछ रिसर्च करके अपने लिए एक लाइसेन्स प्राप्त थेरेपिस्ट की तलाश कर सकते हैं।[२१] or the Society for S*x Therapy and Research[२२]
शायद आप एक काउंसलर या थेरेपिस्ट से अपनी ज़िंदगी के कुछ हिस्सों के बारे में बात करना मददगार पाएँ -- आप खुद भी, आपकी सेक्स लाइफ को प्रभावित करने वाली वजहों को जानकार हैरान होंगे।
सेक्स थेरेपिस्ट उनके क्लाइंट्स के साथ में सेक्सुअल इंटरेक्शन नहीं करते हैं।[२३] असल में, वो लोग उनके क्लाइंट्स के सामने सेक्सुअल या रोमांटिक बातों को नहीं रखने के लिए नैतिक रूप से बाध्य होते हैं, वो लोग ऐसा नहीं कर सकते हैं। अगर आपके साथ में ऐसा होता है, तो इसके बारे में रिपोर्ट करें।
किसी प्रोफेशनल के साथ में अपनी सेक्स लाइफ के बारे में डिस्कस करना थोड़ा अजीब भी लग सकता है, लेकिन इसमें आपको ऐसा महसूस होना चाहिए, कि आपका थेरेपिस्ट बिना किसी जजमेंट के आपको (और अगर आप आपके पार्टनर के साथ में गए हैं, तो उसको) सुन रहा है। अगर आपको ऐसा लगे, कि आपका थेरेपिस्ट आपको सुन नहीं रहा है या फिर जजमेंटल हो रहा है, तो फिर किसी और थेरेपिस्ट की तलाश करना ठीक रहेगा।[२४]
कोग्निटिव-बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive-Behavioral Therapy या CBT) सेक्सुअल डिफिकल्टी के लिए एक और दूसरा कॉमन ट्रीटमेंट है। ये आपको अपने और सेक्स के बारे में सोचने के अनकहे तरीकों को पहचानने और चुनौती देने में मदद कर सकता है, जो आपके अंदर फ्रस्ट्रेशन पैदा करने के जिम्मेदार हैं।[२५]
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4की विधि 2:
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अपने पार्टनर के साथ मिलकर काम करना (Working With a Partner)

1. अपनी जरूरतों के बारे में डिस्कस करें:
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उम्मीद है, अगर आप रिश्ते में हैं, तो शायद आप किसी दौर पर अलग-अलग जरूरतों का अनुभव कर रहे होंगे। ऐसे बहुत कम ही लोग होते हैं, जिनकी सेक्सुअल डिजायर्स या जरूरतें एक-जैसी होती हैं, इसका मतलब कि आपको और आपके पार्टनर को एक-दूसरे के साथ में खुलकर, ईमानदारी से एक-दूसरे की जरूरतों के बारे में बातें करना होगी।[२६][२७]
अपनी जरूरतों के बारे में डिस्कस करना, शुरू-शुरू में जरा अजीब लग सकता है, लेकिन ये असल में आपके पार्टनर के साथ में बॉन्ड बनाने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।[२८]
बात करने के लिए एक ऐसे वक़्त की तलाश करें, जब आपको बीच में कोई रोक न पाए या आप डिसट्रेक्ट न हो पाएँ। आप दोनों को ही ऐसा महसूस करना होगा, जैसे आप आपके रिश्ते की जरूरतों के ऊपर एकदम फोकस हैं और ये उस वक़्त होना मुमकिन नहीं है, जब आपके टीवी पर आपका फेवरिट प्रोग्राम चल रहा हो या आप काम से थके हों।[२९]
ईमानदार, स्पष्ट बातें सामने रखें। अस्पष्टता अक्सर इस बात का एक संकेत होती है कि आप आपके शरीर और आपकी जरूरतों के बारे में बात करने में कम्फ़र्टेबल नहीं हैं। लेकिन इस तरह की अस्पष्टता आपके असली मतलब को भी दबा सकती है, इसलिए आपका पार्टनर आपकी बातों को ठीक से समझ नहीं पाता है। अपने शरीर और अपनी इच्छाओं के बारे में बात करते वक़्त सही शब्दों का इस्तेमाल करने से बिलकुल न हिचकिचाएँ। “वेजाइना,” “पेनिस” या “ओरल सेक्स” कोई बेकार शब्द नहीं हैं।[३०]
अपनी जरूरतों के बारे में बातें करना सिर्फ लंबे वक़्त तक रिश्ते में रहने वाले लोगों के लिए नहीं है। सिंगल और केज्युयल रिलेशनशिप में मौजूद लोग भी खुलकर, ईमानदारी के साथ में की जाने वाली बातों के फायदे ले सकते हैं।[३१]
सेक्सुअल एक्टिविटीज़ के दौरान फीडबैक दें। पार्टनर को जज न करें या न ही उस पर कोई दबाव डालें। इसकी जगह पर ऐसा कुछ कहें, “मुझे अच्छा लगा” या “वहाँ पर अच्छा लगता है।” “नहीं कर सकते;” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने से बचें, इसकी जगह पर कहें, “जब तुम ऐसा करते हो, तब अच्छा लगता है” या “जब तुम ये करते हो, तब मैं ये करना पसंद करता/करती हूँ।” इस तरह की बातचीत आपके पार्टनर को, आपकी जरूरतों को बेहतर तरीके से समझ पाने में और उन्हें पूरा करने में मदद करती है।

2. दोष डालने या जज करने से दूर ही रहें:
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जब आपके रिश्ते में सेक्सुअल परेशानियाँ होती हैं, तब उसमें अपने पार्टनर की सारी गलती निकालना आसान हो जाता है। हालांकि, दोष डालना या जज करने वाली भाषा -- जैसे कि “तुम मेरी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे/रही हो” -- आपके पार्टनर को डिफ़ेंसिव बना देता है और आपके बीच में हो सकने वाली अच्छी बातचीत पर रोक लगा देता है।[३२] बजाय इसके, हैल्दी, प्रॉडक्टिव बातचीत करने के लिए इन दी हुई टेकनिक्स का इस्तेमाल करके देखें:
“मैं”-स्टेटमेंट्स का इस्तेमाल करें। ये इस तरह से बात करने में मदद करते हैं, जैसे आप आपकी खुद की जरूरतों के बारे में बात करना चाहते हैं, अपने पार्टनर के ऊपर कोई दोष नहीं डाल रहे हैं। उदाहरण के लिए, “आजकल मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि जब हम सेक्स करते हैं, तो वो असल में या तो पहले से तय जैसा या डिस्कनेक्टेड सा होता है। मैं उस तरह से जुड़ा हुआ नहीं महसूस कर रहा/रही हूँ, जैसा मैं चाहता/चाहती हूँ।”[३३]
अपने पार्टनर को भी उसकी फीलिंग्स शेयर करने का कहें। इस डिस्कसन के एक-तरफा नहीं बनने की पुष्टि करें। पार्टनर के साथ सेक्स एक म्युच्युअल एक्सपीरियंस होता है, इसलिए अपने पार्टनर की पसंद, इच्छाओं और अनुभवों के बारे में सवाल करें। उदाहरण के लिए: “ऐसा क्या है, जो तुम्हारे लिए हमारी सेक्स लाइफ को सार्थक बनाता है?” या "तुम मेरे किस तरह से छूने को एंजॉय करते हो?" मददगार सवाल कभी भी दोष डालते हुए नहीं नजर आते हैं या न ही इनसे आपके बीच की बातचीत के दरवाजा बंद होता है।[३४]
सेक्स में कभी भी अपने पार्टनर का मन बदलने की या उस पर इल्जाम डालने की कोशिस न करें। शायद आप आपकी सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन को इस तरह से महसूस कर सकते हैं, जैसे आपके पार्टनर को आपकी जरूरतों की कोई फिक्र ही नहीं, लेकिन सच्चाई को समझना शायद उतना भी आसान नहीं है। इस तरह की दोष डालने वाली भाषा का इस्तेमाल करना, जैसे कि “अगर तुम सच में मुझ से प्यार करते हो, तो तुम ऐसा ____ करोगे” ये आपके रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकती है। इसे अवॉइड करें। इसकी बजाय, उन “मैं” -वाले स्टेटमेंट्स का इस्तेमाल करें और आपको कैसा महसूस होता है, उसी पर अपना सारा ध्यान लगाएँ: “जब ____ ऐसा नहीं होता, तब मैं एक आकर्षक या प्रिय इंसान की तरह नहीं महसूस करता/करती।”[३५]

3. रोमांस के लिए वक़्त निकालें:
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मूवीज में दिखाए जाने वाला सेक्स बहुत ग्लैमरस होता है। दो लोगों के बीच बस नजरें मिलती हैं और उसके बाद जमीन पर कपड़े बिछे दिखा देते हैं। असल ज़िंदगी में, ऐसा नहीं होता है। कुछ तैयारियां की जाना जरूरी होती है, उन लोगों के लिए भी, जो अभी सिर्फ डेट ही कर रहे हैं। दोनों पार्टी को वक़्त निकालना होता है, बीच में फोन कॉल्स होते हैं, शावर लेना होता है, स्किन को तैयार रखना होता है और फिर मजे होते हैं। इसे रिश्ते में अलग क्यों करें? सेक्स को सबसे कम प्राथमिकता देना आसान है, जहां ये तब तक अंदर ही अंदर घुटना शुरू रखती है, जब तक कि ये नाराजगी या फ्रस्ट्रेशन में तब्दील न हो जाए। सेक्स और रोमांस के लिए वक़्त निकालने के बारे में जाहिर रहना, उस टेंशन को कम करने में मदद कर सकता है और आप दोनों को ही वो देने की पुष्टि कर सकता है, जो आप चाहते हैं।[३६]
अपना रूटीन बदल लें: अगर आप आपके पार्टनर के साथ में सेक्स करने के लिए रात होने का इंतज़ार करते हैं, तो फिर एक दिन उसे बदलकर और दिन में या फिर अपने लंच के टाइम में सेक्स करके देखें। अगर आप अक्सर शाम को थककर घर आया करते हैं, तो ये करना खासतौर से तभी और भी मददगार हो सकता है। याद रखें: आपका और आपके पार्टनर को एक-दूसरे के साथ में एंजॉय करने का कोई सही वक़्त नहीं होता है। आपके लिए जो भी काम करे, आपको वही करना चाहिए।[३७]
सेक्स शेड्यूल करें। ऐसा लग सकता है कि सेक्स शेड्यूल करना, रोमांस को खत्म कर देगा, लेकिन असल में 80% मैरिड कपल्स सेक्सुअल इंटरेक्शन के लिए टाइम शेड्यूल करते हैं।[३८] शेड्यूल करना, न केवल एक-दूसरे के लिए वक़्त निकालने की याद दिलाता है, बल्कि ये आप-दोनों को आगे ध्यान में रखने लायक कुछ और भी दे सकता है।[३९]

4. जो आपके अंदर फ्रस्ट्रेशन पैदा करने के जिम्मेदार हैं।[२५]
4की विधि 2:

1. अपनी जरूरतों के बारे में डिस्कस करें:
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उम्मीद है, अगर आप रिश्ते में हैं, तो शायद आप किसी दौर पर अलग-अलग जरूरतों का अनुभव कर रहे होंगे। ऐसे बहुत कम ही लोग होते हैं, जिनकी सेक्सुअल डिजायर्स या जरूरतें एक-जैसी होती हैं, इसका मतलब कि आपको और आपके पार्टनर को एक-दूसरे के साथ में खुलकर, ईमानदारी से एक-दूसरे की जरूरतों के बारे में बातें करना होगी।[२६][२७]
अपनी जरूरतों के बारे में डिस्कस करना, शुरू-शुरू में जरा अजीब लग सकता है, लेकिन ये असल में आपके पार्टनर के साथ में बॉन्ड बनाने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।[२८]
बात करने के लिए एक ऐसे वक़्त की तलाश करें, जब आपको बीच में कोई रोक न पाए या आप डिसट्रेक्ट न हो पाएँ। आप दोनों को ही ऐसा महसूस करना होगा, जैसे आप आपके रिश्ते की जरूरतों के ऊपर एकदम फोकस हैं और ये उस वक़्त होना मुमकिन नहीं है, जब आपके टीवी पर आपका फेवरिट प्रोग्राम चल रहा हो या आप काम से थके हों।[२९]
ईमानदार, स्पष्ट बातें सामने रखें। अस्पष्टता अक्सर इस बात का एक संकेत होती है कि आप आपके शरीर और आपकी जरूरतों के बारे में बात करने में कम्फ़र्टेबल नहीं हैं। लेकिन इस तरह की अस्पष्टता आपके असली मतलब को भी दबा सकती है, इसलिए आपका पार्टनर आपकी बातों को ठीक से समझ नहीं पाता है। अपने शरीर और अपनी इच्छाओं के बारे में बात करते वक़्त सही शब्दों का इस्तेमाल करने से बिलकुल न हिचकिचाएँ। “वेजाइना,” “पेनिस” या “ओरल सेक्स” कोई बेकार शब्द नहीं हैं।[३०]
अपनी जरूरतों के बारे में बातें करना सिर्फ लंबे वक़्त तक रिश्ते में रहने वाले लोगों के लिए नहीं है। सिंगल और केज्युयल रिलेशनशिप में मौजूद लोग भी खुलकर, ईमानदारी के साथ में की जाने वाली बातों के फायदे ले सकते हैं।[३१]
सेक्सुअल एक्टिविटीज़ के दौरान फीडबैक दें। पार्टनर को जज न करें या न ही उस पर कोई दबाव डालें। इसकी जगह पर ऐसा कुछ कहें, “मुझे अच्छा लगा” या “वहाँ पर अच्छा लगता है।” “नहीं कर सकते;” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने से बचें, इसकी जगह पर कहें, “जब तुम ऐसा करते हो, तब अच्छा लगता है” या “जब तुम ये करते हो, तब मैं ये करना पसंद करता/करती हूँ।” इस तरह की बातचीत आपके पार्टनर को, आपकी जरूरतों को बेहतर तरीके से समझ पाने में और उन्हें पूरा करने में मदद करती है।

2. दोष डालने या जज करने से दूर ही रहें:
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जब आपके रिश्ते में सेक्सुअल परेशानियाँ होती हैं, तब उसमें अपने पार्टनर की सारी गलती निकालना आसान हो जाता है। हालांकि, दोष डालना या जज करने वाली भाषा -- जैसे कि “तुम मेरी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे/रही हो” -- आपके पार्टनर को डिफ़ेंसिव बना देता है और आपके बीच में हो सकने वाली अच्छी बातचीत पर रोक लगा देता है।[३२] बजाय इसके, हैल्दी, प्रॉडक्टिव बातचीत करने के लिए इन दी हुई टेकनिक्स का इस्तेमाल करके देखें:
“मैं”-स्टेटमेंट्स का इस्तेमाल करें। ये इस तरह से बात करने में मदद करते हैं, जैसे आप आपकी खुद की जरूरतों के बारे में बात करना चाहते हैं, अपने पार्टनर के ऊपर कोई दोष नहीं डाल रहे हैं। उदाहरण के लिए, “आजकल मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि जब हम सेक्स करते हैं, तो वो असल में या तो पहले से तय जैसा या डिस्कनेक्टेड सा होता है। मैं उस तरह से जुड़ा हुआ नहीं महसूस कर रहा/रही हूँ, जैसा मैं चाहता/चाहती हूँ।”[३३]
अपने पार्टनर को भी उसकी फीलिंग्स शेयर करने का कहें। इस डिस्कसन के एक-तरफा नहीं बनने की पुष्टि करें। पार्टनर के साथ सेक्स एक म्युच्युअल एक्सपीरियंस होता है, इसलिए अपने पार्टनर की पसंद, इच्छाओं और अनुभवों के बारे में सवाल करें। उदाहरण के लिए: “ऐसा क्या है, जो तुम्हारे लिए हमारी सेक्स लाइफ को सार्थक बनाता है?” या "तुम मेरे किस तरह से छूने को एंजॉय करते हो?" मददगार सवाल कभी भी दोष डालते हुए नहीं नजर आते हैं या न ही इनसे आपके बीच की बातचीत के दरवाजा बंद होता है।[३४]
सेक्स में कभी भी अपने पार्टनर का मन बदलने की या उस पर इल्जाम डालने की कोशिस न करें। शायद आप आपकी सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन को इस तरह से महसूस कर सकते हैं, जैसे आपके पार्टनर को आपकी जरूरतों की कोई फिक्र ही नहीं, लेकिन सच्चाई को समझना शायद उतना भी आसान नहीं है। इस तरह की दोष डालने वाली भाषा का इस्तेमाल करना, जैसे कि “अगर तुम सच में मुझ से प्यार करते हो, तो तुम ऐसा ____ करोगे” ये आपके रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकती है। इसे अवॉइड करें। इसकी बजाय, उन “मैं” -वाले स्टेटमेंट्स का इस्तेमाल करें और आपको कैसा महसूस होता है, उसी पर अपना सारा ध्यान लगाएँ: “जब ____ ऐसा नहीं होता, तब मैं एक आकर्षक या प्रिय इंसान की तरह नहीं महसूस करता/करती।”[३५]

3. रोमांस के लिए वक़्त निकालें:
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मूवीज में दिखाए जाने वाला सेक्स बहुत ग्लैमरस होता है। दो लोगों के बीच बस नजरें मिलती हैं और उसके बाद जमीन पर कपड़े बिछे दिखा देते हैं। असल ज़िंदगी में, ऐसा नहीं होता है। कुछ तैयारियां की जाना जरूरी होती है, उन लोगों के लिए भी, जो अभी सिर्फ डेट ही कर रहे हैं। दोनों पार्टी को वक़्त निकालना होता है, बीच में फोन कॉल्स होते हैं, शावर लेना होता है, स्किन को तैयार रखना होता है और फिर मजे होते हैं। इसे रिश्ते में अलग क्यों करें? सेक्स को सबसे कम प्राथमिकता देना आसान है, जहां ये तब तक अंदर ही अंदर घुटना शुरू रखती है, जब तक कि ये नाराजगी या फ्रस्ट्रेशन में तब्दील न हो जाए। सेक्स और रोमांस के लिए वक़्त निकालने के बारे में जाहिर रहना, उस टेंशन को कम करने में मदद कर सकता है और आप दोनों को ही वो देने की पुष्टि कर सकता है, जो आप चाहते हैं।[३६]
अपना रूटीन बदल लें: अगर आप आपके पार्टनर के साथ में सेक्स करने के लिए रात होने का इंतज़ार करते हैं, तो फिर एक दिन उसे बदलकर और दिन में या फिर अपने लंच के टाइम में सेक्स करके देखें। अगर आप अक्सर शाम को थककर घर आया करते हैं, तो ये करना खासतौर से तभी और भी मददगार हो सकता है। याद रखें: आपका और आपके पार्टनर को एक-दूसरे के साथ में एंजॉय करने का कोई सही वक़्त नहीं होता है। आपके लिए जो भी काम करे, आपको वही करना चाहिए।[३७]
सेक्स शेड्यूल करें। ऐसा लग सकता है कि सेक्स शेड्यूल करना, रोमांस को खत्म कर देगा, लेकिन असल में 80% मैरिड कपल्स सेक्सुअल इंटरेक्शन के लिए टाइम शेड्यूल करते हैं।[३८] शेड्यूल करना, न केवल एक-दूसरे के लिए वक़्त निकालने की याद दिलाता है, बल्कि ये आप-दोनों को आगे ध्यान में रखने लायक कुछ और भी दे सकता है।[३९]

4. एक्सपेरिमेंट करें:
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अगर आप काफी वक़्त से किसी इंसान के साथ रिश्ते में हैं, तो आप दोनों के बीच की सेक्स लाइफ का अब पहले जितना इंटेन्स या एक्साइटिंग न रह जाना एकदम नेचुरल है। कंफ़र्ट और फैमिलेरिटी ये दोनों ही इंटीमेसी और कमिटमेंट के बिल्डिंग ब्लॉक होते हैं, लेकिन ये आपके सेक्सुअल इंटरेक्शन को पहले से तयशुदा या बस हमेशा की तरह होने वाला बना सकते हैं और इसकी वजह से बहुत ज्यादा फ्रस्ट्रेशन हो सकता है।[४०] अपने रिश्ते में कामुकता को फिर से वापस लाने के तरीकों के बारे में, अपने पार्टनर से बात करें। और याद रखें: सेक्स के लिए केवल इंटरकोर्स से कहीं ज्यादा कुछ मौजूद है। क्रिएटिव रहें और एक-साथ मिलकर ऐसी चीजों की तलाश करें, जो आपको एक्साइट और पूरा करती हो।
एक-दूसरे के साथ मिलकर ऐसी दूसरी सेक्सुअल एक्टिविटीज़ करना, जिसे आप लोग अक्सर नहीं करते हैं, जैसे कि म्युच्युअल मास्टर्बेशन करना, ये आपकी सेक्स लाइफ को फिर से जान देने में मदद कर सकता है।
आप चाहें तो सेक्स टॉय या इम्प्लिमेंट्स को भी शामिल कर सकते हैं। ये खासकर तब और भी मददगार होते हैं, जब आपके पार्टनर के लिए ओर्गेज़्म तक पहुँच पाना मुश्किल हो।
अगर दोनों ही पार्टनर एंजॉय करते हैं, तो उत्तेजित करने वाली कहानियाँ और तस्वीरें जैसी चीजें भी कपल्स के लिए एक्साइटिंग हो सकती हैं।[४१][४२] ये आप दोनों की ही कल्पनाओं को जानने में मदद कर सकता है और एक-दूसरे के बीच में अनुभव शेयर करने की भावना भी जगाएगा।[४३] हालांकि, अगर आप में से कोई भी इन चीजों को लेकर अनकम्फ़र्टेबल महसूस करता है या इनमें एंजॉय नहीं करता है, तो फिर ऐसा करने के लिए अपने पार्टनर को मजबूर न करें।
ऐसी एक्टिविटीज़ के बारे में सोचें, जिन्हें आप एक-साथ कर सकते हैं, जो उत्तेजित करने वाली तो हों, लेकिन उसमें इंटरकोर्स शामिल न हो। ये आपको आपकी पहले से बनी हुई “आदत” को खत्म करने में मदद करेगा और आपके मजेदार अनुभव के “स्टोर” को बढ़ा देगा। उदाहरण के लिए, आप “संवेदनशील ध्यान” को अपनी ज़िंदगी में शामिल कर सकते हैं। ये काउंसलिंग टेक्निक, जिसमें आप ओर्गेज़्म को पाने की लक्ष्य के बिना, उत्तेजित छुअन को देने और पाने के ऊपर फोकस करती है। असल में ये सब, किसी क्लाइमेक्स पर पहुँचना नहीं, बल्कि बीच की यात्रा के बारे में है।[४४]
महिलाएं अक्सर सेक्स के साथ में संतुष्ट महसूस करती हैं, फिर चाहे उसका रिजल्ट ओर्गेज़्म हो या न हो और वो शायद सेक्स की खुशी को अपने पार्टनर के साथ में, अपने इमोशनल कनैक्शन को शेयर करने के तरीके की तरह व्यक्त करती हैं।[४५][४६] ओर्गेज़्म के ऊपर ध्यान लगाकर, आप जो भी कर रहे हैं उस पर अपना सारा ध्यान लगाने से एक्टिविटी को एंजॉय करने से मत रोकने दें।

5. उत्तेजित होने का फैसला लें:
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कई लोग, खासकर कि महिलाओं को सेक्स करने से पहले फिजिकल अराउज़ होने की जरूरत होती है।[४७] अगर आप सेक्सुअल डिजायर का अनुभव करने से पहले सेक्स करने का इंतज़ार करते हैं, तो शायद आपको लंबा इंतज़ार करना पड़ महसूस करना पड़ सकता है और इससे सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन हो सकती है। अराउज़ होने का ख्याल लेकर चलकर और सेक्स के लिए तैयार होने के साथ आपको इस फ्रस्ट्रेशन से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है।[४८]
जैसा कि पहले भी बताया गया है, सेक्सुअल एनकाउंटर्स शेड्यूल करना, इस स्टेप में आपकी मदद कर सकता है। अगर आपको मालूम है कि फ्राइडे नाइट आपकी “डेट नाइट” है, तो आप शायद “मूड में आने” को और उत्तेजित होने के फैसले को लेना ज्यादा आसान पाएंगे।[४९]
फ़ीमेल सेक्सुअल रिस्पोंस साइकल (आमतौर पर) पुरुषों के मुक़ाबले ज्यादा जटिल होता है। वैसे तो ज़्यादातर पुरुषों की सेक्सुअल एक्टविटी आमतौर से एक-समान (डिजायर, अराउजल, ओर्गेज़्म) होती है, महिलाएं सेक्सुअल रिस्पोंस को एक ज्यादा साइक्लिकल फ़ैशन में महसूस करती हैं। वो इन फेज को अलग-अलग क्रम में महसूस करती हैं या उन्हें शायद इनमें से एक या और ज्यादा फेज कभी महसूस ही नहीं होते हैं।[५०] इसलिए, महिलाओं के लिए उनकी डिजायर को पूरा करने से पहले, फिजिकल अराउज़ होना खासतौर से जरूरी होता है।[५१]
सेक्सुअल रिस्पोंस साइकल का यही अंतर कहता है कि महिला के सेक्स के लिए तैयार नहीं होने पर, आपको उसके साथ सेक्स करने की कोशिश नहीं करना चाहिए। अगर कोई सेक्स के लिए “नहीं” कहता है, तो उसका मतलब नहीं ही होता है। उसे मजबूर न करें।

6. समझौता करें:
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कभी-कभी, आप और आपके पार्टनर की अलग-अलग सोच या जरूरतें हो सकती हैं। शायद आप में से किसी एक की ऐसी कोई फेंटसी या कल्पना होगी, जिसमें दूसरे वाले को कोई इंटरेस्ट न हो। शायद आप में से किसी एक को दूसरे के मुक़ाबले ज्यादा सेक्सुअल इंट्रेक्शन की जरूरत हो। समझौता करना भी एक हैल्दी, हैप्पी सेक्सुअल रिलेशनशिप का ही एक हिस्सा होता है, ताकि हर किसी की जरूरतें पूरी होती रहें और हर एक कम्फ़र्टेबल और रिस्पेक्टेड महसूस करता रहे।[५२]
उदाहरण के लिए, अगर आपके पार्टनर की ऐसी कोई एरोटिक फेंटसी है, जो आपकी नहीं, तो आप उसे मास्टर्बेट करते वक़्त रोके रख सकते हैं, बेडरूम में ऐसी कुछ बातों का इस्तेमाल करें जो उसे उस फेंटसी की याद दिला सकें या फिर अपने पार्टनर की उस फेंटसी के बारे में कोई एरोटिक स्टोरी पढ़ें। हालांकि, ऐसा कुछ भी मत करें, जो आप में से किसी को भी अनकम्फ़र्टेबल महसूस कराता हो।
ये एक बहुत पुरानी धारणा है, कि महिलाओं को पुरुषों के जितना सेक्स की जरूरत नहीं होती, लेकिन ये सच नहीं है। असल में, काफी सारी महिलाओं को, उनके मेल पार्टनर के मुक़ाबले ज्यादा सेक्स चाहिए होता है।[५३] कई सारी स्टडीज़ ऐसा दिखाती हैं कि एडल्ट पुरुष और महिलाएँ सेक्स के बारे में एक ही बराबर मात्रा में सोचा करते हैं।[५४] ऐसा मत सोच लें कि आपको आपके पार्टनर के मन की हर एक इच्छा के बारे में पता है: पूछ लें।

7. दूसरी जगहों पर इंटीमेसी के ऊपर काम करें:
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सेक्स पार्टनर्स के द्वारा एक-दूसरे के लिए उनके प्यार को जाहिर करने और इंटीमेसी बनाने का एक मुख्य तरीका होता है।[५५] अगर आप में से किसी को भी ऐसा लगता है कि आपको आपकी चाहत के हिसाब से भरपूर इंटीमेसी नहीं मिल रही है, तो रिश्ता मुश्किल में पड़ सकता है। एक-साथ मिलकर

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02/04/2020

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डाॅ० डी० के ० सिंह @ एम० डी० फिजिशियन
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24/03/2020

आइए जानते हैं कि ब्रेन हेमरेज क्या है

ब्रेन हेमरेज में खून की नली ब्रेन के अंदर या बाहर फट जाती है। अगर अचानक या बहुत तेज सिरदर्द हो या उलटी आ जाए, बेहोशी छाने लगे तो हेमरेज की आशंका ज्यादा होती है। ब्रेन हेमरेज से भी पैरालिसिस होता है। इसमें खून का थक्का जम जाता है और इसे हटाने के लिए सर्जरी भी करनी पड़ सकती है। दूसरी तरफ, अगर रक्त वाहिकाओं में किसी रुकावट की वजह से दिमाग को खून की सप्लाई में कोई रुकावट आ जाए या सप्लाई बंद हो जाए तो दिमाग की कोशिकाओं में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने लगती है और कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती है। इसे स्ट्रोक कहते है।

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण:

जब भी शरीर के किसी एक भाग में कमजोरी लगने लगे या बोलने में जुबान लड़खड़ाए या बोली बंद हो जाए, देखने में दिक्कत हो या फिर चलने-फिरने में परेशानी हो तो यह ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण हो सकते है। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि इन सभी परेशानियों के उभरने के ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे के भीतर इलाज मिल जाना चाहिए। इससे मरीज के ठीक होने के आसार काफी बढ़ जाते है।

किसको ज़्यादा खतरा:

महिलाओं की तुलना में पुरुषों को इसका खतरा ज्यादा है। अगर किसी को शुगर या बीपी की फैमिली हिस्ट्री है तो 40-45 साल की उम्र में जांच के जरिए पता लगाना चाहिए कि उसे शुगर या बीपी का खतरा है या नहीं। दरअसल, उम्र बढ़ने और शुगर व बीपी होने पर ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर 55-60 साल की उम्र में खतरा बढ़ना शुरू हो जाता है लेकिन यह युवाओं में भी हो सकता है।

स्ट्रोक के प्रकार:

लगभग 85 प्रतिशत स्ट्रोक इस्कीमिक स्ट्रोक होते है। शेष 15 प्रतिशत स्ट्रोक ब्रेन हेमरेज के कारण होते है। ब्रेन हेमरेज का एक प्रमुख कारण हाई ब्लड प्रेशर है। इस्कीमिक स्ट्रोक तब होता है, जब मस्तिष्क की धमनियां संकरी या अवरुद्ध हो जाती है। इससे रक्त प्रवाह में काफी कमी हो जाती है। इसे इस्कीमिया कहा जाता है। इस्कीमिक स्ट्रोक के अंतर्गत थ्रॉम्बोटिक स्ट्रोक को शामिल किया जाता है। जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में से किसी एक में रक्त का थक्का (थ्रॉम्बस) बनता है तो थ्राम्बोटिक स्ट्रोक पड़ता है। यह थक्का धमनियों में वसा के जमाव (प्लॉक) के कारण होता है जिसके कारण रक्त प्रवाह में बाधा आ जाती है। इस स्थिति को एथेरोस्क्लीरोसिस कहा जाता है।

एम्बोलिक स्ट्रोक:

मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली किसी एक धमनी में मस्तिष्क से दूर किसी अन्य अंग, आमतौर पर आपके हृदय में रक्त के थक्के (थ्रॉम्बस) बनते है, जो रक्त प्रवाह के साथ बहकर मस्तिष्क की रक्त धमनी को संकरा बना देते है। इस तरह के रक्त के थक्के को एम्बोलस कहा जाता है।

ट्रांजिएंट इस्कीमिक अटैक (टीआईए):

इस्कीमिक अटैक (टीआईए) को मिनी स्ट्रोक के रूप में भी जाना जाता है। इसमें कम समय के लिए उसी तरह के लक्षण प्रकट होते हैं, जिस तरह के लक्षण स्ट्रोक के समय होते है। मस्तिष्क के किसी हिस्से में थोड़े समय के लिए रक्त आपूर्ति में कमी होने पर टीआईए की स्थिति उत्पन्न होती है, जो पांच मिनट से भी कम समय तक रहती है। अगर किसी व्यक्ति को टीआईए हुआ है तो इसका मतलब यह है कि मस्तिष्क या हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली कोई धमनी आंशिक तौर पर अवरुद्ध हुई है या संकरी हुई है।

ब्रेन स्ट्रोक के इलाज:

कम नमक खाएं: जिनको ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण है उन्हें कम से कम नमक खाना चाहिए। ज़्यादा नमक खाने से हाइपर टेंशन होता है जो ब्रेन स्ट्रोक का कारण है।

तनाव कम लें:

तनाव कम लेना चाहिए क्योंकि खून का थक्का जो बनता है वह मोबीलाइज़ नहीं होना चाहिए नहीं तो ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है।

फैट बढ़ाने वाला खाना कम खाएं:

खाना जिससे फैट बढ़ता है उसमे कोलेस्ट्रॉल ज़्यादा होता है जो ब्रेन स्ट्रोक का एक कारण है। इसलिए कम फैट वाला खाना खाना चाहिए।

अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क करें

डॉ डी के सिंह
आयुष्मान हेल्थकेयर
काशीपुर उत्तराखण्ड
8052734327

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