National Medicare Hospital and Research Centre Jalkoura

National Medicare Hospital and Research Centre Jalkoura Multidisciplinary Hospital with primary and secondary level of Treatment

पत्थरचट्टा (ब्रायोफिलम) जिसे चमत्कारी पौधा भी कहा जाता हैं, यह पौधा सदियों से आयुर्वेद में अपनी जगह बनाये हुए हैं, यह न ...
17/06/2025

पत्थरचट्टा (ब्रायोफिलम) जिसे चमत्कारी पौधा भी कहा जाता हैं, यह पौधा सदियों से आयुर्वेद में अपनी जगह बनाये हुए हैं, यह न केवल अपनी हरी-भरी पत्तियों से घर को सजाता हैं बल्कि सेहत से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान भी देता हैं।

■ पत्थरचट्टा का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में किया जाता हैं।

1. गुर्दे की पथरी को खत्म करता हैं :-
पत्थरचट्टा गुर्दे की पथरी को घोलने में मदद कर सकता हैं, खासकर कैल्शियम ऑक्सालेट से बनी पथरी को। इसमें सैपोनिन होते हैं, जो शरीर से पथरी को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

2. पाचन तंत्र को मजबूत करता हैं :-
पत्थरचट्टा के पौधे में विटामिन और खनिज होते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं। पत्थरचट्टा एसिडिटी और सीने में जलन जैसी पाचन समस्याओं में भी मदद करता हैं।

3. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता हैं :-
पत्थरचट्टा के पौधे में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाते हैं।

4. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद :-
पत्थरचट्टा के पौधे में विटामिन और खनिज होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करते है और बालों को भी मजबूत और स्वस्थ बनाते हैं।

5. मधुमेह को नियंत्रित करता हैं :-
पत्थरचट्टा के पौधे में मधुमेह रोधी गुण होते हैं जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह पौधा रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और मधुमेह के लक्षणों को कम करने में मदद करता हैं।

6. लीवर को स्वस्थ बनाता हैं :-
पत्थरचट्टा लीवर को साफ और उसके कार्य को बेहतर बनाने में मदद करता हैं।

7. घाव भरने में मदद करता हैं :-
पत्थरचट्टा के पत्तों का लेप घाव और चोटों पर लगाने से जल्दी ठीक होते हैं।

8. वजन प्रबंधन में सहायता करता हैं :-
पत्थरचट्टा के रस में कैलोरी कम होती हैं और यह वजन घटाने या उसे बनाये रखने में मदद करता हैं।

9. श्वसन सबंधित समस्याओं के लिए :-
पत्थरचट्टा खांसी और अस्थमा जैसी श्वसन संबधित समस्याओं में मदद कर सकता हैं।

10. मौखिक स्वास्थ्य में सुधार करता हैं :-
पत्थरचट्टा दांत दर्द और मसूड़ों की सूजन और उपचार में मदद कर सकता हैं।

■ पत्थरचट्टा का सेवन कैसे करें :-
आप पत्थरचट्टा के पत्तों को उबालकर काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। यदि आपको इसका स्वाद अच्छा नहीं लगता हैं तो आप काढ़े में थोड़ा सा शहद मिलाकर पी सकते हैं। इसका जूस या लेप बनाकर भी उपयोग कर सकते हैं हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण हैं कि पत्थरचट्टा के पौधे का उपयोग करने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

■ पौधा कैसे लगाए :-
पत्थरचट्टा का पौधा आप नर्सरी से खरीदकर लगा सकते हैं, इसे बीजों के अलावा पत्तों से भी उगा सकते हैं। पत्थरचट्टा को उगाने के लिए पॉटिंग मिक्स तैयार करने के लिए 60% मिट्टी, 20% वर्मीकम्पोस्ट और 20% रेत का इस्तेमाल करें।

■ पत्थरचट्टा की देखभाल कैसे करें :-
पत्थरचट्टा के पौधे को रोजाना कम से कम 4-5 घंटे धूप की जरूरत होती हैं। पौधे में पानी तभी डालें जब इसकी मिट्टी एक-तिहाई भाग तक सूखी दिखें। हर दो महीने में एक बार खाद अवश्य दें।

#पत्थरचट्टा

16/06/2025

अगरबत्ती हो सकता है , icu में भर्ती का कारण , जी हाँ , एक अगरबत्ती सिगरेट से 4 गुना ज्यादा PM 2.5 पार्टिकल रिलीज करता है जो फेफड़ा के alveoli में जा कर बैठ जाता और परमानेंट डैमेज कर देता है फेफड़ा को , अगरबत्ती जलाने से बेंजीन , निकलता है जो कैंसर करवा सकता ,formaldehyde निकलता है जो dna डैमेज करता है co कार्बन मोनोऑक्साइड निकलता है जो ऑक्सीजन लेवल कम कर देता है , अभी कुछ दिन पहले एक मरीज जो chronic ब्रोंकाइटिस के थे एडमिट हुए उनका ऑक्सीजन लेवल भी कम था ,पूछ ताछ करने पर बताए पुजारी हूँ लगातार अगरबत्ती के नजदीक रहता हूं , यही कारण था उनके फेफड़ा डैमेज का , इसलिए अगरबत्ती का प्रयोग कम से कम करें ,क्लोज रूम , ac चल रहे रूम में बिल्कुल न करें ,एक से ज्यादा अगरबत्ती न जलाएं ,WHO भी मानती है कि इंडोर air पॉल्युशन में अगरबत्ती का स्थान अग्रणी है .

आयुर्वेद में मकोय (Solanum nigrum) को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है। इसे काकमाची के नाम से भी जाना जाता है। यह एक छोटा...
01/06/2025

आयुर्वेद में मकोय (Solanum nigrum) को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है। इसे काकमाची के नाम से भी जाना जाता है। यह एक छोटा पौधा है जो अक्सर खरपतवार के रूप में उगता है, लेकिन इसके औषधीय गुण अनेक बीमारियों के इलाज में बहुत फायदेमंद होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, मकोय त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करने में सहायक है।
मकोय के प्रमुख आयुर्वेदिक गुण और उपयोग:
* लिवर के लिए फायदेमंद: मकोय को लिवर से जुड़ी समस्याओं के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। यह लिवर को डिटॉक्सीफाई करने, फैटी लिवर को कम करने और पीलिया जैसी बीमारियों में मदद करता है। इसके हेपेटोप्रोटेक्टिव (लिवर की रक्षा करने वाले) गुण इसे लिवर के स्वास्थ्य के लिए एक उत्कृष्ट औषधि बनाते हैं।
* पाचन में सुधार: मकोय पाचन संबंधी समस्याओं जैसे अपच, गैस, एसिडिटी और कब्ज में राहत देता है। यह पेट के अल्सर और सूजन को कम करने में भी सहायक है।
* त्वचा रोगों में उपयोगी: इसके एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों के कारण, मकोय त्वचा संक्रमण, एक्जिमा, दाद, खुजली और मुंहासों के इलाज में फायदेमंद है। इसके पत्तों का पेस्ट या जूस लगाने से त्वचा की जलन कम होती है।
* बुखार और संक्रमण में सहायक: मकोय बुखार, मलेरिया और टाइफाइड के लक्षणों को कम करने में मददगार है। इसके औषधीय गुण शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करते हैं, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
* सूजन और दर्द निवारक: मकोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजनरोधी) और एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) गुण होते हैं। यह जोड़ों के दर्द, गठिया और शरीर की सूजन को कम करने में प्रभावी है।
* मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभकारी: यह मूत्रवर्धक गुणों से भरपूर है, जिससे मूत्र पथ के संक्रमण ( ) और गुर्दे की समस्याओं में मदद मिलती है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक है।
* श्वसन संबंधी समस्याओं में: मकोय कफ को कम करने और श्वसन मार्ग को साफ करने में मदद करता है। यह खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस संबंधी दिक्कतों में लाभकारी है।
* अन्य उपयोग:
* यह भूख बढ़ाने में मदद करता है।
* मुंह के छालों में इसके पत्ते चबाने से राहत मिलती है।
* कान के दर्द में इसके पत्तों का रस गर्म करके डालने से आराम मिलता है।
* रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को नियंत्रित करने में भी यह सहायक हो सकता है।
* थकान और कमजोरी दूर करने में भी इसका उपयोग किया जाता है।
सावधानी: मकोय के फल और पत्तियों का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है। किसी भी गंभीर बीमारी के लिए इसके उपयोग से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

29/05/2025

🎤🔊कोरोना की धमक भारत में भी।केस केरल सहित महानगरों में चिन्हित किये जारहे हैं ।संख्या बढरही है । कुछ मौतें भी हुई है।यह नया वैरियेंट है लेकिन अधिक ख़तरनाक नहीं है ।सतर्कता ज़रूरी है। बचाव उत्तम उपाय है। बुजुर्ग, गर्भवती महिला, हार्ट, किडनी, दम्मा ं डायबिटीज़ के मरीज़ों को विशेष सावधानी रखनी है। मास्क, हायजीन, सही खानपान तथा भीड़ से प्रहेज रखने की ज़रूरत है । ♥️♥️❤️😔

बवासीर का देसी इलाज
23/05/2025

बवासीर का देसी इलाज

ड्रैगनफ्लाईज़(गिरसिकिया) मच्छरों के सबसे प्रभावी प्राकृतिक शिकारियों में से हैं, जो प्रतिदिन सौ से अधिक मच्छरों को खा सक...
22/05/2025

ड्रैगनफ्लाईज़(गिरसिकिया) मच्छरों के सबसे प्रभावी प्राकृतिक शिकारियों में से हैं, जो प्रतिदिन सौ से अधिक मच्छरों को खा सकती हैं। एक ड्रैगनफ्लाई को हटाने से आप केवल एक कीट को प्रभावित नहीं करते—आप मच्छरों के जीवित रहने के पक्ष में संतुलन बिगाड़ते हैं। यह केवल काव्यात्मक नहीं है—यह एक वास्तविक पारिस्थितिक कार्य को दर्शाता है: शिकारी-शिकार संतुलन। ड्रैगनफ्लाईज़ के बिना, जो उनकी संख्या को नियंत्रित रखती हैं, मच्छरों की आबादी बढ़ सकती है, जिससे अधिक काटने और बीमारी फैलने का खतरा बढ़ जाता है। यह एक अनुस्मारक है कि छोटे जीव भी पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

विश्व हाथ स्वच्छता दिवस :अपनाएं हाथ धोने की आदत,मिले बड़ी बीमारियों से राहत।
05/05/2025

विश्व हाथ स्वच्छता दिवस :
अपनाएं हाथ धोने की आदत,
मिले बड़ी बीमारियों से राहत।

30/04/2025
22/04/2025
22/04/2025

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