Vatsayan Foundation

Vatsayan Foundation Motive of this page is to spread correct information abt kamasutra globally to make happy life of peoples those are not aware with the basics of kamasutra.

काम यानी सेक्स भारतीय मान्यता के अनुसार चार पुरुषार्थों में से एक है, काम को प्राचीन भारतीय मनीषियों ने देवता के रूप में स्वीकार किया है, दैत्य या शैतान नहीं।

काम का ज्ञान सदैव अनिवार्य रहा है, एवं रहेगा। अल्प अथवा विकृत यौन ज्ञान जीवन सुख से वंचित करने के साथ साथ जीवन विनाश का भी कारण बनता है।

यौन विज्ञान के विषय में प्राचीन भारत का दृष्टिकोण महर्षि वात्स्यायन कृत "कामसूत्र" से स्पष्ट होता है। शिष्ट एवं सरल भाषा में "कामसूत्र" का ज्ञान उपलब्ध कराना ही, वात्स्यायन फाउंडेशन का एकमात्र लक्ष्य है।

भारतीय विद्वानों ने "कामसूत्र" के रचयिता "वात्स्यायन मुनि" का जीवन काल ईसा की पहली शताब्दी से पांचवी शताब्दी तक माना है। वात्स्यायन ने स्पष्ट शब्दों में यह स्वीकार किया है, कि उक्त ग्रन्थ "कामसूत्र" की रचना "बाभ्रवीय" सिद्धांतों के अनुसार हुयी है।

स्त्री अगर पति से संतुष्ठि भरा संभोग प्राप्ति कर ले तो वो उसके लिए काफी होती है और हर विपरीत परिस्थिति से उभरने के लिए,य...
13/05/2025

स्त्री अगर पति से संतुष्ठि भरा संभोग प्राप्ति कर ले तो वो उसके लिए काफी होती है और हर विपरीत परिस्थिति से उभरने के लिए,

ये वो रिश्ता है जो पति पत्नी के रिश्ते को दुनिया के दूसरे रिश्तों से बिल्कुल अलग करता है

एक आदमी एक किसी के साथ रह सकते हैं सुख दुख बाट सकते हैं पर वो सिर्फ पति पत्नी ही हैं जो साथ मिलकर समागम करते हैं और ये उन्हे बाकी लोगो से अलग बनाती हैं

मेरी भी शादी हुई थीं तो दिन रात पति को आलिंगन करने का मन करता था और पति को भी जब मौका मिले तो वो इस मौके को छोड़ते नही थे

लेकिन समय के साथ चीज पर्वरतित होती है और कहते हैं ना जिस चीज की कमी जिंदगी में पूरी होने लगती हैं धीरे धीरे उससे मन हटने लगता है

मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ शादी महज 5 साल के बाद इन सब चीजों से मेरा मन हटने लगा, क्योंकि एक स्त्री का ये नेचर है पर दुर्भाग्यवश पति देव इसे समझ नही पाते और उन्हें लगता है की मैं बहाना बना रही हूं

और इसी के साथ हमारे बीच दूरी बनने लगी, पति का व्यवहार भी रुखा होने लगा, किसी चीज के लिए यदि मैं बोलूं तो उनका जवाब सीधा नही आता

लेकिन आदमी इतने खुद्दार होते हैं की वो अपनी ये जरूर खुल के आपके सामने नहीं रखेंगे काफी समय सोचने के बाद मैने एक डॉक्टर से बात की उन्हें बताया की मुझे इन सब चीज में कोई इंट्रेस्ट नही हैं जिसकी वजह से हमारे रिश्ते खराब हो रहे हैं

उन्होंने बोला अगर आप पति से प्रेम करती हैं तो अपने मन को किनारे रखिए और वो जो चाहते हैं करिए

उनके जवाब को सुन के मुझे ऐसा लगा जैसे मानो एक औरत का अपना कोई मन ही नही होता है, यदि वो नही चाहती हैं सेक्स करना तो किसी को उसके साथ जबरदस्ती करने का हक नही है

बरसात का समय था मौसम बदलने के कारण मेरी तबियत खराब होती है, और मेरे पति मुझे डॉक्टर के यहां लेके जाते हैं दवाई दिलवाते हैं

सिर दर्द और बुखार से पूरा बदन मानो टूट रहा था,

दावा लेके जब घर आई तो पति ने खाना बनाया और खिलाया रात की दवाई दी और सो गया

जब मैं सुबह उठी तो देखा की वो रसोई में नाश्ता बना रहे थे, मेरे लिए बनाया और ऑफिस चले गए ऐसे तो रोज रात में 8 बजे आते थे, पर आज तो 5 बजे ही आगया और थोड़ी देर में चाय पी साथ में

फिर रसोई में गए खाना बनाया

मेरी तबीयत पूरे हफ्ते खराब थी और मेरे पति पूरे हफ्ते यही करते हुए आए

जब वो ऑफिस चले जाते तो मैं सोचती की नाश्ता और खाना बनाने के बाद मेरे पास कोई काम नहीं होता, 40 डिग्री की गर्मी में मैं आराम से ac on कर के टीवी देखती हूं

और सीधा 8 बजे चाय और खान बनाती हूं

सर्दी के दिन में 1 बजे से 5 बजे तक रजाई में दुबक से सोती हूं

लेकिन मेरे पति गर्मी में 10 बजे बाइक से ऑफिस जाते हैं ऑफिस जाने के बाद दिन भर कभी ऑफिस कभी फील्ड में चक्कर लगाते हैं

चाहे तपती गर्मी हो या हाड़ तपाने वाली ठंड वो काम इस लिए करते हैं जिससे मुझे आराम मिले

बॉस की डांट, कलीग की लापरवाही इन सब चीज को झेलते हैं लेकिन एक बार भी शिकायत नही करते हैं ना ही ये जताते हैं की वो मेरे लिए काम कर रहे

और मैं एक ऐसी स्वार्थी औरत हूं जो ये सोच रही की मेरा मन होगा तभी हमारे बीच संबंध बनेगा

उस दिन के बाद जब मेरी तबियत सही हुई तो मैने ही संबंध बनाने की पहल की

उसके बाद जब कभी भी मेरे पति मुझसे इसकी डिमांड करते मेरा मन हो या ना हो, मैं इसे अपनी ड्यूटी मान कर उनका पूरा समर्थन करती

धीरे मेरे प्रति उनका मनमुटाव कम हुआ, वो जितनी केयर मेरी पहले करते थे उससे कहीं ज्यादा अब करने लगे थे,

महा ऋषि वात्सन्य ने भी बोला है एक स्त्री को सुबह सबके सामने स्त्री बन कर रहना चाहिए लाज शर्म के साथ

और शयनकछ में पति के सामने एक वै-श्या बन जाना चाहिए मुझे पहले ये बात सही नही लगती थी लेकिन अब समझ आया

स्त्री को चाहिए कि पुरुष उसकी केयर करे जरूरत पूरी करे तब जा कर वह संभोग के लिए तैयार होती है

पुरुष को चाहिए की उसकी स्त्री उसके साथ आलिंगन कर तब धीरे धीरे उन्हें भावनात्मक जुड़ाव होता है

प्रकृति ने दोनो को ऐसे ही बनाया है, इस लिए औरतों को चाहिए की पहले वो पति की शरीरक जरूरत को पूरी करें उसके बाद सब कुछ धीरे धीरे एलाइन होने लगेगा

पर आज के इस युग में स्त्री सिर्फ अपने बारे में सोचती हैं वो ये सोचती हैं की संभोग करना ना या करना उनकी खुद की निजी इक्क्षा पर निर्भर करता है और वो ये भूल जाती हैं की हमारे लिए ये मन की बात है

पर पति के लिए जरूरत की चीज है

और आज इसी वजह से लगभग हर कपल इस समस्या से जूझ रहा है

यदि आप और आपके पति के बीच भी ये समस्या है तो यकीन मानिए मन करे या ना करे आप उन्हें शारीरिक सुख दीजिए धीरे धीरे आप के बीच सबकुछ सही हो जाएगा

कमेंट कर के मुझे ये भी बताइए की कितने लोग हैं जो आप इस समस्या से परेशान हैं और उन्हें लगा की ये उन्हीं के बारे में लिखा गया है

वायरल पोस्ट

27/04/2025

"15 संकेत कि एक मर्द 'ख़त्म' हो चुका है – और अगर ये तुम्हारे अंदर हैं, तो वक़्त आ गया है जागने का।"

1. दिन भर बिस्तर पर पड़े रहना, बिना किसी मकसद के।
ये डिप्रेशन नहीं, आदत बन चुकी है।
No mission = No meaning

2. हर छोटी बात पर शिकायत करना।
मर्द complain नहीं करता, action लेता है।

3. औरतों से validation माँगना।
अगर तुम्हें खुद नहीं पता कि तुम कितने valuable हो, कोई और भी नहीं बताएगा।

4. दूसरों को अपनी नाकामी का ज़िम्मेदार ठहराना।
तुम्हारी ज़िंदगी की हालत तुम्हारी choices का नतीजा है।

5. पोर्न और ओवरमास्टर्बेशन में फंसे रहना।
Energy drain हो रही है, और तुम्हारा fire मर रहा है।

6. नशे में खुद को भुला देना।
अगर तुम्हें sober रहना पसंद नहीं, तो शायद तुम खुद से भाग रहे हो।

7. खुद की बॉडी की कोई केयर नहीं।
Fitness सिर्फ दिखावे के लिए नहीं – ये discipline और self-respect का साइन है।

8. अपने goals को टालते रहना।
“कल कर लेंगे” – यही आदत मर्दों को average बनाती है।

9. दूसरों की approval के बिना खुद पर यकीन नहीं।
अगर तुम्हारा self-worth बाहरी opinions पर टिका है, तो तुम्हें कोई direction नहीं।

10. हमेशा किसी को blame करना – सिस्टम, सरकार, एक्स, पैरेंट्स।
Winner mindset: Everything is my responsibility.

11. Fake alpha बनना, असली मेहनत छोड़ कर।
ऊपर से tough, अंदर से hollow – ये लंबा नहीं चलेगा।

12. हर rejection को personally लेना।
ना सुनकर टूटना नहीं, improve करना सीखो।

13. टाइम पास दोस्तियों में उलझे रहना।
Surroundings decide करते हैं तुम्हारा future – choose wisely।

14. No boundaries – सबको ‘हाँ’ कहना।
Strong मर्द ‘ना’ कहने से नहीं डरते।

---

15. सपनों की बात बहुत करते हो, लेकिन actions ZERO।
Dreamers बहुत हैं – Doers ही rare हैं।

तू अभी खत्म नहीं हुआ, लेकिन अगर ये 15 में से ज़्यादा traits तेरे अंदर हैं — तो तुझे खुद को rebuild करना है।

सेक्स मीठा होता है, लेकिन पैरों के बीच ज़हर छुपा हो सकता है!जो पुरुष अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रख सकता है, वही लंबे स...
16/04/2025

सेक्स मीठा होता है, लेकिन पैरों के बीच ज़हर छुपा हो सकता है!

जो पुरुष अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रख सकता है, वही लंबे समय तक इस धरती पर सुख-शांति से जी सकता है।

पुरुषों को ये समझना चाहिए कि उनकी कई परेशानियों और पतनों की जड़ कई बार कई गर्लफ्रेंड्स होती हैं।

हर लड़की की आत्मा अच्छी नहीं होती।
कुछ राक्षसी स्वभाव की होती हैं, कुछ में ज़हर छिपा होता है, और कुछ औरतें किसी की किस्मत को बर्बाद करने वाली होती हैं। इसलिए सावधान रहें।

---

1. हर बार अपने इरेक्शन (लिंगोत्थान) की बात मत मानो।
अधिकतर बार यह तुम्हें गलत दिशा में ले जाता है।
अगर आप अपने इरेक्शन पर नियंत्रण नहीं रख पाए, तो ज़िंदगी छोटी और गरीबी से भरी हो सकती है।

2. किसी लड़की के कर्व्स, बॉडी और फिगर को देखकर रिलेशनशिप मत बनाओ।
ये सब धोखा है, खासकर सोशल मीडिया पर। असली सुंदरता और मूल्य इससे कहीं ज्यादा होता है।

3. हर स्कर्ट के नीचे जो है, उसे हासिल करने की कोशिश मत करो।
कुछ स्कर्ट के नीचे सांप होते हैं, जो काटकर चैन छीन लेते हैं। संयम और अब्स्टिनेंस (संयमित जीवन) अक्सर सबसे अच्छा फल देता है।

4. कई गर्लफ्रेंड्स रखना मर्दानगी नहीं है।
ये सिर्फ आपको औरतबाज़, धोखेबाज़, और बच्चा बनाता है — असली मर्द नहीं।

5. सिर्फ बेड में अच्छे होने से मर्द नहीं बनते।
असली मर्द वह है जो अपनी जिम्मेदारियों से भागता नहीं, उन्हें पूरा करता है।

6. उस लड़की का सम्मान करो जो तुमसे सच्चा प्यार करती है।
किसी लड़की का प्यार और सपोर्ट मिलना आसान नहीं होता। यह उसकी भावनात्मक ताकत और ईमानदारी का सबूत है।

7. दुनिया उन्हीं पुरुषों को सम्मान देती है जो कामयाब होते हैं।
तुम्हारे पास अगर बहुत सारी गर्लफ्रेंड्स हैं, तो कोई तुम्हारी तारीफ नहीं करेगा।
ये सिर्फ समय, ऊर्जा, पैसा और वीर्य की बर्बादी है।

---

याद रखो:
ईमानदार, वफादार और ज़िम्मेदार पुरुष ही असली मर्द कहलाते हैं।
संयम ही सफलता की कुंजी है।

प्राचीन भारत का वह युग, जब प्रेम केवल एक भावना नहीं, बल्कि एक कला था। शरीर और आत्मा का ऐसा संगम जिसमें स्पर्श, एहसास और ...
20/03/2025

प्राचीन भारत का वह युग, जब प्रेम केवल एक भावना नहीं, बल्कि एक कला था। शरीर और आत्मा का ऐसा संगम जिसमें स्पर्श, एहसास और चाहत की गहराई प्रेम की सबसे ऊँची अवस्था तक ले जाती थी। यही प्रेम राजकुमारी वासंती और राजकुमार आर्यमान के जीवन में दस्तक देने वाला था—एक ऐसी रात में, जो प्रेम के सभी रंगों से भरने वाली थी
पूर्णिमा की रात थी, लेकिन चंद्रग्रहण ने उसे और भी मोहक बना दिया था। महल के बाग़ में बेला और रातरानी की खुशबू फैली हुई थी, ठंडी हवा पेड़ों के पत्तों को हौले-हौले छूकर बह रही थी। झील के किनारे खड़ी वासंती ने जल में अपनी परछाईं देखी।
उसके मन में एक अजीब-सी बेचैनी थी, एक अनकहा आकर्षण, जिसे उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था।
तभी, पीछे से धीमे कदमों की आहट हुई।
राजकुमार आर्यमान।
ऊँचा कद, चौड़ी छाती, और आँखों में एक अजीब-सा सम्मोहन। वह वासंती के ठीक पीछे खड़ा था, लेकिन उसने उसे छुआ नहीं।
बस, उसके कानों के पास झुककर हल्की फुसफुसाहट में कहा—
"क्या सोच रही हो, वासंती?"
उसकी साँसों की गरमी वासंती की गर्दन से टकराई। उसकी देह में एक अनजानी लहर दौड़ गई।
उसने धीमे से कहा, "प्रेम…"
आर्यमान मुस्कुराया। "प्रेम केवल सोचने की चीज़ नहीं, इसे महसूस किया जाता है।"
वासंती ने उसकी ओर मुड़कर देखा। उसकी साँसें तेज़ थीं, आँखों में हल्का-सा कंपकंपाहट थी, लेकिन उनमें एक अलग ही चमक थी।
"तो मुझे प्रेम महसूस कराओ, आर्यमान।"
आर्यमान ने उसके चेहरे को हल्के से छुआ, उसकी ऊँगलियों के स्पर्श से एक मीठी सिरहन दौड़ गई।
"चलो, प्रेम की उस यात्रा पर चलते हैं, जहाँ शरीर और आत्मा दोनों एक हो जाते हैं।
आर्यमान ने वासंती का हाथ थामा और उसे महल के उस हिस्से में ले गया, जहाँ एक गुप्त कक्ष था। वहाँ दीवारों पर कामसूत्र की चित्रकथाएँ बनी थीं—प्रेम, आकर्षण और आत्मिक मिलन की झलकियाँ।
"प्रेम केवल शरीर का संगम नहीं, यह आत्मा को भी जोड़ता है," आर्यमान ने कहा।
वासंती ने उसकी आँखों में झाँका, फिर धीरे से कहा, "अगर प्रेम आत्मा से जुड़ता है, तो आज इसे महसूस करने दो।"
आर्यमान ने धीरे से उसके केशों को पीछे किया, उसकी गर्दन पर हल्के से उँगलियाँ फिराईं। वासंती की साँसें गहरी हो गईं।
"तुम्हारी देह से निकलती ये सुगंध… ये तुम्हारे हृदय की तृष्णा को दर्शा रही है।"
वासंती की आँखें आधी बंद हो गईं।
आर्यमान ने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया, उसकी नज़रों को पढ़ा, और फिर… धीरे से उसके अधरों को अपने होंठों से छू लिया।
वासंती का पूरा शरीर जैसे एक हल्की लहर में बह गया।
उसके हाथ खुद-ब-खुद आर्यमान की पीठ पर चले गए।
आर्यमान ने उसकी कमर को कसकर पकड़ा, उसकी देह की गर्मी महसूस की।
"तुम्हारी त्वचा चाँदनी से भी ज्यादा कोमल है," उसने कानों में कहा।
वासंती ने हल्की-सी मुस्कान दी, "और तुम्हारा स्पर्श अग्नि से भी ज्यादा प्रज्वलित।"
आर्यमान ने उसे अपने बाहों में उठा लिया और धीरे से शय्या पर रखा।
उसकी ऊँगलियाँ वासंती की त्वचा पर प्रेम के हर शब्द को लिख रही थीं।
अब उनके बीच कोई दूरी नहीं थी।
आर्यमान ने वासंती की पीठ पर उँगलियों से प्रेम की लकीरें खींची, और वासंती ने अपनी साँसों से उसका नाम लिखा।
उनकी देह एक-दूसरे में इस तरह लिपटी कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कौन किसमें समाया है।
वासंती ने आर्यमान के चौड़े सीने पर अपने अधरों को रखा, उसकी धड़कनों को सुना, और फिर अपने स्पर्श से उसे मदहोश कर दिया।
आर्यमान ने उसे "सम्प्रयोग" और "विलासक्रीड़ा" की वो विधाएँ सिखाई, जिनमें प्रेम और आत्मीयता की चरम अवस्था थी।
रात बढ़ती रही, उनका प्रेम भी बढ़ता गया।
कभी वो उसके बालों में अपनी उँगलियाँ फिराता, कभी वो उसके चेहरे को अपने अधरों से सींचती।
शय्या पर पड़े फूल उनकी मिलन की गवाही दे रहे थे, और बाहर बहती मंद पवन उनकी सांसों के उतार-चढ़ाव को महसूस कर रही थी।
जब पहली किरणें खिड़की से अंदर आईं, वासंती ने आँखे खोलीं।
आर्यमान उसके पास लेटा हुआ था, उसकी आँखों में वही जादू था, जो रात को था।
उसने वासंती के माथे पर एक कोमल चुम्बन दिया और कहा,
"आज तुम केवल मेरी नहीं, मैं भी केवल तुम्हारा हूँ।"
वासंती ने उसकी छाती पर अपना सिर रखा और मुस्कुराई, "अब मैं प्रेम को केवल सोचूँगी नहीं, बल्कि जिऊँगी भी।"
आर्यमान ने हल्के से उसके बालों को सहलाया और फुसफुसाया,
"अब से हर रात, हमारे प्रेम की वासंती रात होगी।"

#ये_ही_प्रेम_है

"सही महिला केवल एक साथी नहीं होती - वह एक शक्ति होती है जो पुरुष की आत्मा को ऊँचा उठाती है। जब वह उसके साथ खड़ी होती है,...
06/03/2025

"सही महिला केवल एक साथी नहीं होती - वह एक शक्ति होती है जो पुरुष की आत्मा को ऊँचा उठाती है। जब वह उसके साथ खड़ी होती है, तो वह उसकी मर्दानगी को मजबूत करती है, उसके भीतर एक शक्ति को जागृत करती है जो उसे अजेय महसूस कराती है। उसका प्यार पूर्ण और अडिग होता है, उसके हर दोष और अपूर्णता को उसकी अद्वितीय कहानी का हिस्सा मानते हुए अपनाती है। वह उसके अपने आत्मा के उद्देश्य का प्रतिनिधित्व करती है, एक ऐसी महिला ऊर्जा से दमकती है जो उसकी उच्चतम आत्मा को दर्शाती है। ऐसा करते हुए, वह उसकी सबसे बड़ी प्रेरणा और सहायक बन जाती है, उसे साहसी, निडर और अपने मार्ग पर सच्चा बने रहने के लिए प्रेरित करती है।

सही पुरुष भी एक ऐसा आश्रय बनाता है जहाँ महिला सुरक्षित, देखी हुई और अपनी पूरी पहचान को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र महसूस करती है। वह उसका सहारा होता है - एक निरंतर उपस्थिति जो उसके उजाले और अंधकार को बिना किसी निर्णय के दर्शाती है। उसका प्यार पोषित और सशक्त करता है, उसे आत्मविश्वास के साथ अपनी सच्ची पहचान को अपनाने के लिए हल्के से प्रोत्साहित करता है। उसकी आँखों में, उसके सपने महत्वपूर्ण होते हैं, उसकी संघर्षों को स्वीकारा जाता है, और उसकी आंतरिक शक्ति का उत्सव मनाया जाता है।

साथ में, वे एक ऐसा वातावरण विकसित करते हैं जहाँ विकास पारस्परिक होता है, जहाँ हर चुनौती को एक टीम के रूप में सामना किया जाता है, और जहाँ उनका साझा यात्रा ताकत, प्रामाणिकता और उद्देश्य की होती है। इस रिश्ते में, प्रेम सामान्य से परे चला जाता है। यह एक गतिशील शक्ति है जो व्यक्तिगत विकास और पारस्परिक सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करती है। सही महिला और सही पुरुष एक पूरे के दो आधे होते हैं, जो एक-दूसरे में सर्वोत्तम गुणों को बाहर लाते हैं। उनका रिश्ता सतही आदर्शों या क्षणिक जुनून से परिभाषित नहीं होता, बल्कि एक गहरी और स्थायी प्रतिबद्धता से होता है, जिसमें एक-दूसरे को ऊँचा उठाने का प्रयास किया जाता है। वे समझते हैं कि सच्ची साझेदारी का मतलब एक-दूसरे को हमारे अस्तित्व की पूर्णता में कदम रखने के लिए प्रेरित करना है—सपने देखने, संघर्ष करने और अंततः एक साथ विजय प्राप्त करने से न डरना।

जब आप उस दुर्लभ संबंध को पाते हैं, तो आप यह महसूस करते हैं कि प्रेम किसी और में खुद को खोने के बारे में नहीं है, बल्कि उस असाधारण क्षमता को खोजने के बारे में है जो दोनों में निहित है।"

साभार 🙏

पुरुषों में यौन समस्याएं क्या हैं?पुरुषों में आम यौन समस्याओं में स्तंभन दोष ( नपुंसकता या ईडी ), शीघ्रपतन और कामेच्छा म...
06/03/2025

पुरुषों में यौन समस्याएं क्या हैं?
पुरुषों में आम यौन समस्याओं में स्तंभन दोष ( नपुंसकता या ईडी ), शीघ्रपतन और कामेच्छा में कमी शामिल हैं।

यौन स्वास्थ्य एक आदमी के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, चाहे उसकी उम्र, नागरिक स्थिति या यौन अभिविन्यास कुछ भी हो। यह एक जोड़े की नींव का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और जीवन की गुणवत्ता में योगदान देता है। पुरुषों में यौन समस्याएं बहुत आम हैं और यौन स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। यौन स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का इलाज किया जा सकता है। इसलिए, एक आदमी को इन मुद्दों पर एक चिकित्सक से चर्चा करने की आवश्यकता है।

यौन रोग की परिभाषा संतोषजनक यौन संबंध बनाने में असमर्थता है। यह परिभाषा प्रत्येक व्यक्ति की इस व्याख्या पर निर्भर करती है कि वह किस चीज को संतोषजनक मानता है। सामान्य तौर पर, यौन रोग जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह किसी अन्य चिकित्सा या मनोवैज्ञानिक समस्या का पहला लक्षण हो सकता है। किसी भी यौन शिकायत को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और उसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
मूल्यांकन करना चाहिए।

किस उम्र में पुरुषों को यौन रोग का अनुभव होता है?

बुज़ुर्गों में यौन क्रिया में सामान्य परिवर्तन होते हैं। वृद्ध पुरुषों में यौन रोग के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:

उत्तेजना और स्तंभन के बीच लंबा विलंब
इरेक्शन कम कठोर होता है
स्खलन कम प्रबल होता है
स्खलन मात्रा छोटी है
इरेक्शन के बीच का समय लंबा होता है
स्पर्श उत्तेजनाओं के प्रति कम संवेदनशीलता
कम टेस्टोस्टेरोन

सेक्स इतना बुरा नहीं है जितना सेक्स का चिंतन बुरा है!       *************************************जो व्यक्ति चिंता नहीं क...
05/03/2025

सेक्स इतना बुरा नहीं है जितना सेक्स का चिंतन बुरा है!
*************************************
जो व्यक्ति चिंता नहीं करता, अतीत की स्मृतियों में नहीं डूबा रहता भविष्य की कल्पनाओं में नहीं डूबा रहता जीता है अभी और यहीं वर्तमान मे इसका यह मतलब नहीं है कि आपको कल सुबह ट्रेन से जाना हो तो आज टिकिट नहीं खरीदेंगे। लेकिन कल की टिकिट खरीदनी आज का ही काम है। लेकिन आज ही कल की गाड़ी में सवार हो जाना खतरनाक है। और आज ही बैठकर कल की गाड़ी पर क्या-क्या मुसीबतें होंगी और कल की गाड़ी पर बैठकर क्या-क्या होने वाला है इस सबके चिंतन में खो जाना खतरनाक है।

सेक्स इतना बुरा नहीं है जितना सेक्स का चिंतन बुरा है। सेक्स तो सहज प्राकृतिक घटना भी हो सकती है लेकिन उसका चिंतन बड़ा अप्राकृतिक और पर्वर्जन है वह विकृति है। एक आदमी सोच रहा है, सोच रहा है, योजनाएं बना रहा है, चौबीस घंटे सोच रहा है। और कई बार तो ऐसा हो जाता है, मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि सैकड़ों-हजारों लोगों के अनुभवों के बाद यह पता चलता है कि आदमी मानसिक यौन में इतना रस लेने लगता है कि वास्तविक यौन में उसे रस ही नहीं आता, फिर वह फीका मालूम पड़ता है। चित्त में ही जो यौन चलता है वही ज्यादा रसपूर्ण और रंगीन मालूम पड़ने लगता है।

चित्त में यौन की इस तरह से व्यवस्था हो जाये तो हमारे भीतर कंफ्यूजन पैदा होता है। चित्त का काम नहीं है यौन। गुरजिएफ कहा करता था कि जो लोग यौन के केंद्र का काम चित्त के केंद्र से करने लगते हैं, उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। होगी ही, क्योंकि उन दोनों के काम अलग हैं। अगर कोई आदमी कान से भोजन करने की कोशिश करने लगे तो कान तो खराब होगा ही और भोजन भी नहीं पहुंचेगा। दोनों ही उपद्रव हो जाएंगे।

इसलिए आदमी आबसेस्ड दिखायी पड़ता है। वह नंगी तस्वीरें देख रहा है बैठकर, और मूलाधार को नंगी तस्वीरों से कोई भी संबंध नहीं है। उसके पास आंख भी नहीं है। आदमी नंगी तस्वीरें देख रहा है, यह मन से देख रहा है। और मन में तस्वीरों का विचार कर रहा है, योजनाएं बना रहा है, कल्पनाएं कर रहा है, रंगीन चित्र बना रहा है। यह सब के सब मिल कर उसके भीतर सेंटर का कंफ्यूजन पैदा कर रहे हैं। मूलाधार का काम चित्त करने लगेगा, पर मूलाधार तो चित्त का काम नहीं कर सकता है। बुद्धि भ्रष्ट होगी, चित्त भ्रमित होगा, विक्षिप्त होगा।

पागलखाने में जितने लोग बंद हैं उनमें से नब्बे प्रतिशत लोग चित्त से यौन का काम लेने के कारण पागल हैं। पागलखानों के बाहर भी जितने लोग पागल हैं, अगर उनके पागलपन का हम पता लगाने जायें तो हमें पता चलेगा कि उसमें भी नब्बे प्रतिशत यौन के ही कारण हैं। उनकी कविताएं पढ़ें तो यौन, उनकी तस्वीरें देखें तो यौन, उनकी पेंटिंग्स देखें तो यौन, उनका उपन्यास देखें तो यौन, उनकी फिल्म देखने जायें तो यौन, उनका सब कुछ यौन से घिर गया है। आब्सेशन है यह, यह पागलपन है।
अगर पशुओं को भी हमारे संबंध में पता होगा तो वे भी हम पर हंसते होंगे कि आदमी को क्या हो गया है? अगर हमारी कविताएं वे पढ़ें, भले ही कालिदास की हों, तो पशुओं को बड़ी हैरानी होगी कि इन कविताओं की जरूरत क्या है? इनका अर्थ क्या है? वे हमारे चित्र देखें, चाहे पिकासो के हों, तो उन्हें बड़ी हैरानी होगी कि इन चित्रों का मतलब क्या है? ये स्त्रियों के स्तनों को इतना चित्रित करने की कौन-सी आवश्यकता है? क्या प्रयोजन है?

आदमी जरूर कहीं न कही पागल हो गया है। पागल इसलिए हो गया है कि जो काम मूलाधार का है सेक्स सेंटर का है, उसे वह इंटलेक्ट से ले रहा है। इसलिए इंटलेक्ट से जो काम लिया जा सकता था, उसका तो समय ही नहीं बचता है।

इसलिए मैंने कहा, अतीत का मत सोचें, भविष्य का मत सोचें। सेक्स के संबंध में तो बिलकुल ही नहीं। अभी जीयें और जितना सेक्स पल में आ जाता हो उसे आने दें, घबरायें मत, लेकिन उस यौन के समय में भी जो मैंने ऊर्ध्वगमन की यात्रा की बात कही, अगर उसका थोड़ा स्मरण करें तो बहुत शीघ्र उस शक्ति का ऊपर प्रवाह शुरू हो जाता है। और जैसी धन्यता उस प्रवाह में अनुभव होती है वैसी जीवन में और कभी अनुभव नहीं होती।

पोर्न देखने के नुकसान | P**n Dekhne ke Nuksanपोर्न का चलन पश्चिमी देशों से आया है। इन देशों में पोर्न इंडस्ट्रीज अरबों ड...
01/03/2025

पोर्न देखने के नुकसान | P**n Dekhne ke Nuksan

पोर्न का चलन पश्चिमी देशों से आया है। इन देशों में पोर्न इंडस्ट्रीज अरबों डॉलर का व्यापार करती हैं। कुछ दशकों से भारत में भी पोर्नोग्राफी को खूब पसंद किया जा रहा है। भारत में पोर्न वीडियो देखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

अधिक पोर्न देखने (P**n dekhne ke nuksan) से हमारे स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन पर गहरा असर पड़ता है। बच्चों और युवाओं में पोर्न की लत कई अपराधों को जन्म देती है। महिला विरोधी यौन और हिंसक अपराधों में भी पोर्नोग्राफी का उपयोग बढ़ा है। यही कारण है कि पोर्न देखकर रेप जैसे संगीन अपराध के मामले सामने आए हैं। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए भारत सरकार (India me p**n par ban) ने इंडिया में करीब एक हजार पोर्न वेबसाइट पर प्रतिबंध लगा दिया है।

पोर्न देखने के नुकसान

दिमाग का सिकुड़ना : एक रिसर्च के अनुसार अधिक पोर्न वीडियो देखने से दिमाग सिकुड़ने लगता है। जो लोग रोजाना दिन में कई बार पोर्नोग्राफी देखते हैं उनकी सेक्सुअल फीलिंग्स कम होने लगती है। रिसर्च के अनुसार, रोज पोर्न देखना स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता है। इससे हमें शारीरिक नुकसान भी होता है। जिन लोगों के दिमाग का स्ट्रेटम छोटा होता है उन्हें पोर्न देखने से अधिक नुकसान होता है।

सेटिसफैक्शन: पोर्नोग्राफी में दिखने वाली मॉडल की सुंदरता और इंटीमेट पार्ट की सफाई काफी हद तक मेकअप, कॉस्मेटिक सर्जरी और फोटोशॉप एडिटिंग पर निर्भर करती है। यही वजह है कि पोर्न देखने वालों में एक अलग तरह की उत्तेजना पैदा होती है। इसके कारण वह अपनी रियल लाइफ में भी यही माहौल चाहते हैं जो उन्हें नहीं मिल पाता। इसके कारण उन्हें सेक्स के दौरान अपने पार्टनर से सेटिस्फेक्शन नहीं मिलता। उनके दिल और दिमाग में यही बात आती है कि उनका पार्टनर उतना सुंदर और आकर्षक नहीं है। इससे रिश्ते खराब होने लगते हैं।

ऑर्गेज्म में कमी: पोर्न देखकर सेक्स करने से सही ऑर्गज्म नहीं मिलता। अगर दोनों पार्टनर एक साथ बैठकर पोर्न देखते हैं और बाद में सेक्स करते हैं तो इसका फायदा मिलता है। लेकिन दोनों में से किसी एक के अकेले पोर्न देखने से ट्राएंगल बनता है। जिसके कारण सेक्स करने में दोनों पार्टनर को खास मजा नहीं आता है। कई महिलाओं का मानना है कि ऑर्गेज्म के लिए पोर्न वीडियो का सहारा लेने से ऑर्गेज्म पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है।

ऑक्सीटोसिन लव हार्मोन में कमी: ऑक्सीटोसिन एक लव हार्मोन है जो पुरुष और महिलाओं दोनों को एक दूसरे को आकर्षित करने में मदद करता है। पोर्न फिल्मों में जिस तरह से सेक्स करना दिखाया जाता है उससे ऑक्सीटोसिन हार्मेन रिलीज नहीं होता। इससे प्यार की फीलिंग नहीं आती।

फोरप्ले में परेशानी: किस करना सेक्स का एक अहम हिस्सा माना जाता है। इसमें कपल काफी आनंद लेते हैं। (p**n dekhen se foreplay par kya asar hota hai) बॉडी को या बॉडी के सेंसटिव पार्ट को किस करना दोनों पार्टनर के बीच बेहद करीब आकर प्यार करने वाला एहसास होता है। इसे फोरप्ले कहते हैं। ज्यादा पोर्न देखने वाले लोग फोरप्ले को एंजॉय नहीं कर पाते। वे सीधे सेक्स की तरफ आकर्षित होते हैं।

सेक्स की जल्दबाजी: पोर्न देखने वाले व्यक्ति सीधे सेक्स के लिए उत्तेजित रहते हैं। वह कम समय में सेक्स की कई पोजिशन को करने में ध्यान लगाते हैं। इसके कारण अपका पार्टनर आपसे अलग होने की कोशिश करता है और सेक्स में सेटिसफेक्शन नहीं मिलता।
दिमाग पर असर: न्यूरोसाइंटिस्ट की मानें तो बहुत ज्यादा पोर्न देखने से दिमाग के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे मनोविकार की स्थिति पैदा हो सकती है।

मास्टरबेशन की लत: ज्यादा पोर्न देखने से मास्टरबेशन की आदत लग जाती है। पोर्न देखने के बाद उत्तेजना पैदा होती है। इससे आप मास्टरबेट करने लगते हैं। लगातार मास्टरबेट करने से आपको इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

अकेलेपन की आदत: अधिक पोर्न देखने की लत आपको अकेला कर देती है। समाज और परिवार से दीर निकलकर आप हमेशा अकेलापन खोजते हैं। ऐसे लोग पोर्न देखने के मजे में इतने डूब जाते हैं कि उन्हें परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ रहना खास अच्छा नहीं लगता।

एंग्जाइटी की समस्या: पोर्न की लत आपके सेक्सुअल (P**n dekhne se dimag par kya asar padta hai) पॉवर को कम करती है। इससे एडिक्ट लोगों में सेक्सुअल परफॉरमेंस के दौरान एंग्जायटी महसूस होने लगती है। पुरुषों में सेक्स के दौरान परफॉरमेंस की चिंता जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
रिश्तों पर नकारात्मक असर: ज्यादा पोर्न देखने से दोनों पार्टनर के आपसी रिश्ते खराब होने लगते हैं। कई बार पुरुष अपनी फीमेल पार्टनर से बिल्कुल पॉर्न वीडियोज में दिखाए आने वाले एक्ट करने की डिमांड करते हैं, जो सबके लिए करना आसान नहीं होता है।

17/02/2025

क्या हम जानते हैं, मानव जाति के बीच में 70% अपराधों की वास्तविक वजह अतृप्त या असंतुलित यौन ईच्छा ही है?

Address

Khajuraho
471606

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Vatsayan Foundation posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to Vatsayan Foundation:

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram