
28/07/2025
गरीब, संख कल्प जुग जीवना, तत्त न दरस्या रिच। आन उपासा करते है, ज्ञान ध्यान परपंच ।।
यदि कोई संख कल्प तक जीवित रहे। ज्ञान जरा-सा भी नहीं है।
तत्त्वज्ञान हीन है। सत्य भक्ति से वंचित है तो वह लंबा जीवन भी व्यर्थ है। (एक कल्प में एक हजार आठ चतुर्युग होते है
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