Dr Vipin Kumar Medi Clinic

Dr Vipin Kumar Medi Clinic Ayurveda Treatment

22/04/2025

किशमिश के पानी के फायदे (Kishmish ke Pani ke Fayde):

किशमिश का पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। नीचे इसके कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:

1. लिवर डिटॉक्स करता है – किशमिश का पानी शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और लिवर को साफ करता है।

2. पाचन तंत्र को मजबूत करता है – यह पानी पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और कब्ज से राहत दिलाता है।

3. ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है – इसमें पोटैशियम और फाइबर होता है, जो दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है।

4. एनीमिया (खून की कमी) में लाभदायक – इसमें आयरन होता है, जो हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है।

5. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद – किशमिश का पानी त्वचा को ग्लोइंग बनाता है और बालों की सेहत को सुधारता है।

6. इम्यून सिस्टम मजबूत करता है – इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

किशमिश का पानी बनाने और पीने का उत्तम तरीका:

सामग्री:

25 से 30 किशमिश

1 कप (लगभग 200–250 ml) पानी

विधि:

1. रात को सोने से पहले एक कप पानी में किशमिश भिगो दें।

2. सुबह खाली पेट इस पानी को छानकर पी लें।

3. चाहें तो भीगी हुई किशमिश भी खा सकते हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें:

इसे रोज़ाना सुबह खाली पेट लेना उत्तम होता है।

2 से 3 हफ्ते तक नियमित रूप से लेने पर अच्छे परिणाम दिखने लगते हैं।

डायबिटीज़ के रोगी सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि किशमिश में प्राकृतिक शुगर होती है।

12/08/2024

लंबा जीना चाहते हैं या गंभीर रोगों से बचना चाहते हैं तो केवल व्यायाम या अच्छे खान-पान पर ध्यान देने से काम नहीं चलेगा। ब्रिटिश जनरल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में छपे एक अध्ययन के अनुसार जिम करने मात्र से अति वसायुक्त भोजन से होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती। इसी तरह अच्छी डाइट मात्र से खराब जीवन शैली के नुकसान से नहीं बचा जा सकता। शोधकर्ताओं के अनुसार अक्सर विज्ञापनों में केवल व्यायाम के जरिए स्वस्थ रहने की बात की जाती है, जो सही नहीं है शोध में ब्रिटेन के करीब 35000 लोगों की सेवा से जुड़े आंकड़ों का एक दशक तक अध्ययन किया गया । वैज्ञानिकों के अनुसार , ऐसे लोग जो व्यायाम के साथ अच्छी डाइट ले रहे थे, उनमें रोगो व मृत्यु को जोखिम कम देखा गया। यह भी पाया गया की कड़े परिश्रम वाले व्यायाम करने से हृदय तंत्र से जुड़े रोगों का खतरा कम होता है। लेकिन, सिर्फ व्यायाम पक्ष पर जोर देकर ह्रदय तंत्र को स्वस्थ नहीं कर रखा जा सकता। संपूर्ण सेहत के लिए आहार व्यायाम दोनों का संतुलन जरूरी है।

01/08/2024

रोज कई घंटे मोबाइल और टीवी देखने वाले बच्चे कब्ज की चपेट में आ रहे हैं रिल्स- गेम्स देखने में बहुत तल्लीन होने पर यह 24 से 48 घंटे तक शौच रोक लेते हैं। ज्यादा समय बाद शौच जाने पर सख्त हो चुका मल त्याग करते हुए अत्यधिक जोर लगाने पेट दर्द गैस आदि समस्या हो रही है। हाल ही के वर्षों में यह समस्या 2 साल के बच्चों से लेकर 15 वर्ष तक के किशोर में काफी बड़ी है । यह खुलासा लखनऊ पीजीआई के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलोजी विभाग की ओपीडी में आए मरीजों के सर्वे में हुआ है। डॉक्टर के मुताबिक हर महीने यहां यूपी के साथ बिहार आदि राज्यों से कब्ज से पीड़ित औसतन 150 बच्चे रेफर होकर यहां आ रहे हैं । पीजीआई के पीडियाट्रिक्स गैस्ट्रोइंट्रोलोजी विभाग के डॉक्टर के मुताबिक बच्चों में खेलकूद और शारीरिक गतिविधियां घट गई है बच्चे मोबाइल टीवी लैपटॉप के साथ ज्यादा समय बिता रहे हैं । इस दौरान यह शौच रोकते हैं जिससे आगे कब्ज के शिकायत हो जाती है। यही नहीं ऐसे बच्चे नूडल्स, पिज़्ज़ा ,बर्गर , चिप्स ,कोल्ड ड्रिंक आदि जंक फूड भी खूब कहते हैं। पचा नहीं पाने से यह पेट में जाकर आंतों को जमा कर देता है। और बच्चे कब्ज का शिकार बन जाते हैं ।
संयमित जीवन शैली जरूरी है और कुछ माह के इलाज के बाद खान-पीन और संयमित जीवन शैली अपना कर कब्ज से छुटकारा पाया जा सकता है।

01/08/2024

जो बच्चे सुबह-सुबह नाश्ता नहीं कर पाए वह दिन भर कुछ वजह से रहते हैं एक नए अध्ययन में 'वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी है शोधकर्ताओं ने कहा है कि नियमित रूप से नाश्ता नहीं करने पर उनके नाखुश होने की संभावना अधेक होती है जो बच्चे सुबह नाश्ता नहीं करते उनमें खुशी और संतुष्टि की भावना उच्चतम रही वही जिन्होंने कभी नाश्ते पर ध्यान नहीं दिया उनमें खुशी का स्तर कम रहा यह शोध में पाया गया विशेषज्ञ इस स्थिति के लिए कई कारण को जिम्मेदार मानते हैं उनके मुताबेक नाश्ते में विटामिन और पोषक तत्व का अभाव होना या उनके मनपसंद खान की वस्तुओं पर ध्यान नहीं देना कारण हो सकता है नाश्ता करने के मामले में भारतीय स्कूली बच्ची भी कमजोर है पिछले दिनों केलॉग्स इंडिया की ओर से भारतीयों के नास्तिक की आदतों पर रिपोर्ट जारी की गई इसमें कहा गया की तीन में से एक स्कूल छात्र प्रतिदिन अपना नाश्ता छोड़ देता है वही 12 साल से कम उम्र वाले 24 फ़ीसदी बच्चे ऐसे हैं जो बिना नाश्ता के रहते हैं यानी उन्हें नाश्ता की जगह सीधे लंच करना पसंद है।

01/08/2024

जो बच्चे सुबह-सुबह नाश्ता नहीं कर पाए वह दिन भर कुछ वजह से रहते हैं एक नए अध्ययन में 'वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी है शोधकर्ताओं ने कहा है कि नियमित रूप से नाश्ता नहीं करने पर उनके नाखुश होने की संभावना अधेक होती है जो बच्चे सुबह नाश्ता नहीं करते उनमें खुशी और संतुष्टि की भावना उच्चतम रही वही जिन्होंने कभी नाश्ते पर ध्यान नहीं दिया उनमें खुशी का स्तर कम रहा यह शोध में पाया गया विशेषज्ञ इस स्थिति के लिए कई कारण को जिम्मेदार मानते हैं उनके मुताबेक नाश्ते में विटामिन और पोषक तत्व का अभाव होना या उनके मनपसंद खान की वस्तुओं पर ध्यान नहीं देना कारण हो सकता है।

नाश्ता करने के मामले में भारतीय स्कूली बच्ची भी कमजोर है पिछले दिनों केलॉग्स इंडिया की ओर से भारतीयों के नास्तिक की आदतों पर रिपोर्ट जारी की गई इसमें कहा गया की तीन में से एक स्कूल छात्र प्रतिदिन अपना नाश्ता छोड़ देता है वही 12 साल से कम उम्र वाले 24 फ़ीसदी बच्चे ऐसे हैं जो बिना नाश्ता के रहते हैं यानी उन्हें नाश्ता की जगह सीधे लंच करना पसंद है।

12/07/2024

पिछले कुछ समय में मल्टीविटामिन की लोकप्रियता बड़ी है। दुनिया भर में करोड़ों लोग शरीर के पोषण संबंधी जरूरत को पूरा करने के लिए इनका नियमित सेवन करने लगे हैं।
इतना ही नहीं, बहुत बड़ी संख्या दूसरों के कहने या कोर्स पूरा होने के बाद भी इन दवाओ का सेवन करती रहती है ।
पर, अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ के एक ताजा शोध ने मल्टीविटामिन के प्रभाव पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। चार लाख लोगों पर किए गए इस अध्ययन में यह जानने की कोशिश की गई की क्या मल्टीविटामिन के नियमित सेवन से औसत उम्र में इजाफा होता है ? अध्ययन में पाया गया कि ऐसा कुछ नहीं होता यह अध्ययन उन पुराने शोध के नतीजे की तस्दीक करता है, जिसमें कहा गया है कि मल्टीविटामिन सेहत को विशेष लाभ नहीं पहुंचते अधिकांश सेहतमंद लोग सभी जरूरी पोषक तत्व अपने आहार से प्राप्त कर सकते हैं

01/01/2022

आयुर्वेद क्या है?

आयुर्वेद प्राकृतिक एवं समग्र स्वास्थ्य की पुरातन भारतीय पद्धति है| संस्कृत मूल का यह शब्द दो धातुओं के संयोग से बना है - आयुः + वेद ( "आयु " अर्थात लम्बी उम्र (जीवन ) और “वेद” अर्थात विज्ञान)। अतः आयुर्वेद का शाब्दिक अर्थ जीवन का विज्ञान है।

जहाँ एलोपैथिक दवा बीमारी होने की मूल कारण पर ना जाकर इसको दूर करने पर केंद्रित होती है वहीं आयुर्वेद हमें बीमारी होने की मूलभूत कारणों के साथ-साथ इसके इसके समग्र निदान के विषय में भी बताता है।

मूल सिद्धांत

प्रारंभ से भारत में आयुर्वेद की शिक्षा मौखिक रूप से गुरु-शिष्य परंपरा के अंतर्गत ऋषियों द्वारा दी जाती रही है। पर लगभग 5000 साल पहले इस ज्ञान को ग्रंथों का रूप दिया गया। चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदय आयुर्वेद के पुरातन ग्रंथ हैं। इन ग्रंथो में सृष्टि में व्याप्त पंच महाभूतों - पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि एवं आकाश तत्वों के मनुष्यों के ऊपर होने वाले प्रभावों तथा स्वस्थ एवं सुखी जीवन के लिए के लिए उनको संतुलित रखने के महत्ता को प्रतिपादित किया गया है। आयुर्वेद के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति पर इन पांच तत्वों में से कुछ तत्वों का अन्य तत्वों की तुलना में अधिक प्रभाव होता है। आयुर्वेद इन संयोगों को तीन दोषों के रूप में वर्गीकृत करता है।

वात दोष - जिसमें वायु और आकाश तत्त्वों की प्रधानता हो।
पित्त दोष - जिसमें अग्नि तत्त्व की प्रधानता हो।
कफ दोष - जिसमें पृथ्वी और जल तत्त्वों की प्रधानता हो।

इन दोषों का प्रभाव न केवल व्यक्ति की शारीरिक संरचना पर होता है बल्कि उसकी शारीरिक प्रवृत्तियों (जैसे भोजन का चुनाव और पाचन) और उसके मन और भावनाओं पर भी होता है| उदाहरण के लिए कफ प्रकृति के मनुष्यों का अधिक वजन वाला होना, उनकी पाचन का अन्य प्रकृति के मनुष्यों की तुलना में धीमा होना, उनकी तेज याददाश्त और भावनात्मक रूप से उनमें स्थिरता का होना पृथ्वी तत्त्व की प्रधानता के कारण होता है। अधिकांश व्यक्तियों की प्रकृति में किन्हीं दो दोषों का संयोग होता है। जैसे पित्त-कफ प्रकृति वाले मनुष्य में पित्त और कफ दोनों दोषों का प्रभाव देखा जाता है पर पित्त दोष की प्रधानता देखी जाती है। अपनी शारीरिक संरचना और प्रकृति के ज्ञान की समझ से हम इन तत्वों को संतुलित और स्वयं को स्वस्थ रखने की दिशा में आवश्यक कदम उठा सकते हैं।

आयुर्वेद का इतिहास

आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है जो कम से कम 5,000 वर्षों से भारत में प्रचलित है। यह शब्द संस्कृत के शब्द अयुर (जीवन) और वेद (ज्ञान) से आया है। आयुर्वेद, या आयुर्वेदिक चिकित्सा को कई सदियों पहले ही वेदों और पुराणों में प्रलेखित किया गया था। यह बात और हैं के आयुर्वेद वर्षों से विकसित हुआ है और अब योग सहित अन्य पारंपरिक प्रथाओं के साथ एकीकृत है।

आयुर्वेद की खोज भारत में ही हुई थी और भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से आयुर्वेद का अभ्यास किया जाता है। 90 प्रतिशत से अधिक भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा के किसी न किसी रूप का उपयोग करते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के सेंटर फॉर स्पिरिचुअलिटी एंड हीलिंग के अनुसार इस परंपरा को पश्चिमी दुनिया में पिछले कुछ सालों में बहुत लोकप्रियता प्राप्त हुई है, हालांकि अभी भी आयुर्वेद उपचार को वैकल्पिक चिकित्सा उपचार माना नहीं जाता है।

आयुर्वेद का महत्व

आयुर्वेद का तात्पर्य है जीवन के भौतिक, मौलिक, मानसिक और आत्मिक ज्ञान। यह विज्ञान और स्वस्थ जीवन जीने की कला का सटीक संयोजन है। आयुर्वेदिक उपचार अपने व्यापक प्राकृतिक उपचार के तरीकों के लिए लोकप्रिय है जो बीमारियों पर काम करते हैं और मानव शरीर और मस्तिष्क के कल्याण में सुधार करते हैं। आयुर्वेद का मतलब केवल जप, योग, पैक लगाना और तेलों से मालिश करना नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य समस्याओं के मूल कारणों को खत्म करना है।

आयुर्वेद/आयुर्वेदा इस सिद्धांत पर आधारित है कि अपने जीवन के दौरान स्वास्थ्य को प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए, आपको भावनाओं को संतुलित करना चाहिए, आहार में सुधार करना चाहिए, योग का अभ्यास करना चाहिए और “प्राणायाम” (साँस लेने के व्यायाम), और जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए।

आयुर्वेद के स्वास्थ्य लाभ

1. स्वस्थ वजन, त्वचा और बाल का रखरखाव

एक स्वस्थ आहार और आयुर्वेदिक इलाजों के माध्यम से जीवनशैली में संशोधन करके शरीर से अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद मिलती है। आयुर्वेद खान-पान में सुधार लाकर एक स्वस्थ वजन को मेन्टेन करने में मदद करता है। ऑर्गेनिक और प्राकृतिक तरीकों से आप स्वस्थ त्वचा पा सकते है। सिर्फ यही नही, संतुलित भोजन, टोनिंग व्यायाम और आयुर्वेदिक पूरक / सप्लीमेंट के मदद से न केवल आपका शरीर स्वस्थ रहेगा बल्कि मन भी प्रसन्न रहेग।

2. आयुर्वेदिक इलाज आपको तनाव से बचने में मदद करता हैं।

योग, मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज, मसाज और हर्बल उपचारों का नियमित अभ्यास शरीर को शांत, डिटॉक्सिफाई और कायाकल्प करने में मदद करता है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज शरीर पर सक्रमण को बनाए रखते हैं और कोशिकाओं में अधिक मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। अवसाद और चिंता को दूर रखने के लिए आयुर्वेद में शिरोधारा, अभ्यंगम, शिरोभ्यंगम, और पद्यभंगम जैसे व्यायामों की सलाह दिया जाता है।

3. जलन और सूजन में मदद करें।

उचित आहार की कमी, अस्वास्थ्यकर भोजन दिनचर्या, अपर्याप्त नींद, अनियमित नींद पैटर्न और खराब पाचन से सूजन हो सकती है। न्यूरोलॉजिकल रोगों, कैंसर, मधुमेह, हृदय संबंधी समस्याओं, फुफ्फुसीय रोगों, गठिया, और कई अन्य रोगों का मूल कारण सूजन से शुरू होता है। जैसे-जैसे आप अपने दोष के अनुसार खाना शुरू करते हैं, पाचन तंत्र मजबूत होने लगता है। सही समय पर कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन रक्त और पाचन तंत्र में विषाक्त पदार्थों को कम करता है। जिससे जीवन शक्ति और उच्च ऊर्जा प्राप्त होता है और साथ ही साथ मूड स्विंग्स और सुस्ती को कम करने में मदद करता है।

4. शरीर का शुद्धिकरण

आयुर्वेद में पंचकर्म में एनीमा, तेल मालिश, रक्त देना, शुद्धिकरण और अन्य मौखिक प्रशासन के माध्यम से शारीरिक विषाक्त पदार्थों को समाप्त करने का अभ्यास है। आयुर्वेदिक हर्बल दवाओं में बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाने वाले उपयुक्त घरेलू उपचार जीरा, इलायची, सौंफ और अदरक हैं जो शरीर में अपच को ठीक करते है।

5. कैंसर, निम्न रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल सहित बाकि क्रिटिकल बीमारियों से बचाव।

आयुर्वेदिक उपचार कैंसर की रोकथाम के लिए भी बहुत जाने जाते हैं। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि आयुर्वेदिक आहार और विश्राम तकनीक पट्टिका बिल्डअप को कम करने में मदद करते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा जड़ी बूटियों विटामिन, खनिज और प्रोटीन की एक भीड़ प्रदान करती है। ये एक उचित खुराक में एक साथ मिश्रित होते हैं और प्रतिरक्षा संबंधी विकारों को रोकने और मुकाबला करने के लिए एक इष्टतम समय पर प्रशासित होते हैं।

चिकित्सा की इस प्राचीन कला, आयुर्वेद ने पुरातन चिकित्सा शास्त्र के अन्य रूपों जैसे तिब्बती चिकित्सा और पारंपरिक चीनी चिकित्सा को आगे बढ़ने में मदद की है। यह चिकित्सा के सबसे पुराने और प्रचलित रूपों में से एक है। इसका उपयोग यूनानियों द्वारा भी किया जाता था। माना जाता है कि हम जो भोजन करते हैं, वह हमारे सामग्रीक भलाई पर प्रभाव डालता है, और हमें अभ्यस्त या दुर्बल बना सकता है। हम जो खाते हैं वह निर्धारित करता है के हम ऊर्जावान होंगे या सुस्त होंग।

आयुर्वेद का अस्तित्व बहुत पहले से था। आधुनिक चिकित्सा की शुरूआत ने और भारत में लगातार विदेशी आक्रमण के वजह से इस कला को महत्व नहीं मिला। वर्तमान में, आधुनिक चिकित्सक इस प्राचीन कला के महत्व को समझ रहे हैं और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ आयुर्वेद का संबंध बनाके आयुर्वेद पर अधिक शोध लाने की भी कोशिश के जा रही है। चिकित्सा विज्ञान में इस नई प्रगति के साथ लोगों के विचारधारा और जीवन शैली में भी बहुत तेजी से बदलाव आ रहें है।

Dr vipin Kumar
(MD)

21/12/2021

आजकल सर्दियां बहुत हो रही है तो क्यों ना अपने दिन की शुरुआत एक ऐसे पेय से की जाए जो सर्दी के साथ-साथ हमें सर्दी से होने वाले रोगों से भी बचाए और सबसे मजे की बात तो यह है कि घर में रखी चीजों से ही आप एक स्पेशल पेय पदार्थ बना सकते हैं जो आपकी इम्यूनिटी के साथ-साथ सर्दी जुकाम खांसी से भी बचाएगा तो आइए बनाते हैं -

1. लौंग, काली मिर्च, अदरक और गुड़ का काढ़ा
अगर आपको खांसी, सर्दी-जुकाम या गले में खराश है, तो लौंग, काली मिर्च, अदरक और गुड़ का काढ़ा लाभदायक हो सकता है. इसके लिए आपको लौंग और काली मिर्च को बारीक पीसकर अदरक और गुड़ के साथ पानी में डालकर उबालना होगा. आप चाहें तो इसमें कुछ तुलसी की पत्तियां भी डाल सकते हैं. जब उबलकर यह पानी आधा हो जाए तो समझ जाएं कि काढ़ा तैयार हो गया है. फिर काढ़े को छान लें और पी लें. इस काढ़े के सेवन से आपका इम्यून सिस्टम भी मजबूत होगा.

2. अजवाइन का काढ़ा
अजवाइन एक ऐसा मसाला है, जिसमें अनेकों गुण मौजूद होते हैं. इसका सेवन खांसी, सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं में बेहद लाभकारी होता है. अजवाइन का काढ़ा बनाने के लिए एक पैन में 1 गिलास पानी, अजवाइन, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते डाल लें. फिर पानी को 5 मिनट तक उबलने दें. जब यह पानी आधा हो जाए तो गैस बंद कर उतार लें. पीने के पहले आप चाहें तो इसमें थोड़ा सा शहद भी मिला सकते हैं. यह काढ़ा सर्दी-जुकाम और खांसी में के अलावा कई अन्य बीमारियों को भी दूर रखने में लाभदायक होता है. इसके सेवन से इम्यूनिटी लेवल भी बढ़ता है. साथ ही रोगों से लड़ने में आपके शरीर की मदद करता है.

3.दालचीनी का उपयोग लगभग हर घर में होता है. इसमें कई तरह के गुण मौजूद होते हैं, जिसके कारण औषधि के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है. दालचीनी का काढ़ा बनाने के लिए आपको आधा चम्मच दालचीनी पाउडर को एक गिलास पानी में उबालना होगा. जब पानी अच्छी तरह से उबल जाए तो गैस बंद कर दें. हल्का गुनगुना रहने पर इसमें शहद मिलाकर पी लें. इससे सर्दी- जुकाम से बहुत जल्द राहत मिलती है. इसके अलावा दालचीनी के सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. ये कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी काफी मददगार होता है. साथ ही प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है.

👍हो जाइए शुरू दिन को ताजगी से भरने के लिए👨‍🔬

21/12/2021

आजकल सर्दियां बहुत हो रही है तो क्यों ना अपने दिन की शुरुआत एक ऐसे पेय से की जाए जो सर्दी के साथ-साथ हमें सर्दी से होने वाले रोगों से भी बचाए और सबसे मजे की बात तो यह है कि घर में रखी चीजों से ही आप एक स्पेशल पेय पदार्थ बना सकते हैं जो आपकी इम्यूनिटी के साथ-साथ सर्दी जुकाम खांसी से भी बचाएगा तो आइए बनाते हैं -

1. लौंग, काली मिर्च, अदरक और गुड़ का काढ़ा
अगर आपको खांसी, सर्दी-जुकाम या गले में खराश है, तो लौंग, काली मिर्च, अदरक और गुड़ का काढ़ा लाभदायक हो सकता है. इसके लिए आपको लौंग और काली मिर्च को बारीक पीसकर अदरक और गुड़ के साथ पानी में डालकर उबालना होगा. आप चाहें तो इसमें कुछ तुलसी की पत्तियां भी डाल सकते हैं. जब उबलकर यह पानी आधा हो जाए तो समझ जाएं कि काढ़ा तैयार हो गया है. फिर काढ़े को छान लें और पी लें. इस काढ़े के सेवन से आपका इम्यून सिस्टम भी मजबूत होगा.

2. अजवाइन का काढ़ा
अजवाइन एक ऐसा मसाला है, जिसमें अनेकों गुण मौजूद होते हैं. इसका सेवन खांसी, सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं में बेहद लाभकारी होता है. अजवाइन का काढ़ा बनाने के लिए एक पैन में 1 गिलास पानी, अजवाइन, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते डाल लें. फिर पानी को 5 मिनट तक उबलने दें. जब यह पानी आधा हो जाए तो गैस बंद कर उतार लें. पीने के पहले आप चाहें तो इसमें थोड़ा सा शहद भी मिला सकते हैं. यह काढ़ा सर्दी-जुकाम और खांसी में के अलावा कई अन्य बीमारियों को भी दूर रखने में लाभदायक होता है. इसके सेवन से इम्यूनिटी लेवल भी बढ़ता है. साथ ही रोगों से लड़ने में आपके शरीर की मदद करता है.

3.दालचीनी का उपयोग लगभग हर घर में होता है. इसमें कई तरह के गुण मौजूद होते हैं, जिसके कारण औषधि के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है. दालचीनी का काढ़ा बनाने के लिए आपको आधा चम्मच दालचीनी पाउडर को एक गिलास पानी में उबालना होगा. जब पानी अच्छी तरह से उबल जाए तो गैस बंद कर दें. हल्का गुनगुना रहने पर इसमें शहद मिलाकर पी लें. इससे सर्दी- जुकाम से बहुत जल्द राहत मिलती है. इसके अलावा दालचीनी के सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. ये कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी काफी मददगार होता है. साथ ही प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है.

👍तो हो जाइए शुरू अपने दिन की शुरुआत करो ताजगी के साथ👨‍🔬

14/12/2021

🌿अपने चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनाये रखना...! क्या पता कोई उदास चेहरा आपको देखकर
मुस्कुराये....🌿

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