21/07/2025
🧠 "ICD-10 कोड क्या है? क्या आम मरीज़ों को इसकी जानकारी होनी चाहिए?"
🔍 Swasthya Gyan Kosh
📌 क्या आपने कभी किसी मेडिकल रिपोर्ट में देखा है: M54.5, E11 या J45.9?
ये कोई सीक्रेट कोड नहीं हैं — ये हैं ICD-10 कोड। पर सवाल ये है कि क्या एक आम मरीज़ को इन कोड्स के बारे में जानना ज़रूरी है?
👉 हां, और खासकर तब जब आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस हो।
✅ ICD-10 क्या है?
ICD-10 (International Classification of Diseases - 10th Edition) एक वैश्विक प्रणाली है जो हर बीमारी, लक्षण और मेडिकल कंडीशन को एक यूनिक कोड देती है। इसे WHO ने तैयार किया ताकि पूरी दुनिया में बीमारियों का रिकॉर्ड एकसमान तरीके से रखा जा सके।
उदाहरण के लिए:
साइटिका (Sciatica) = M54.3
टाइप 2 डायबिटीज़ = E11
अस्थमा = J45
🏥 भारत में ICD-10 का कहाँ उपयोग होता है?
सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं में (जैसे आयुष्मान भारत, CGHS, ESIC)
इंश्योरेंस क्लेम्स में
डिजिटल मेडिकल रिकॉर्ड्स (EMR/EHR) में
हॉस्पिटल और लैब रिपोर्ट्स में
💸 एक छुपा हुआ पहलू
मान लीजिए आपके पास ₹10 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस है।
आपको साइटिका (Sciatica) की समस्या है और डॉक्टर ने M54.3 कोड के अंतर्गत सर्जरी का सुझाव दिया।
सर्जरी का खर्च आया ₹2 लाख।
✅ अगर रिपोर्ट में सही ICD कोड यानी M54.3 डला है, तो इंश्योरेंस ₹2 लाख देगा और बाकी ₹8 लाख आपके फ्यूचर के लिए बचे रहेंगे।
❌ लेकिन अगर किसी कारण से रिपोर्ट में गलत कोड डाल दिया गया — मान लीजिए M51.1 (लंबार डिस्क डिजनरेशन) जो महंगे इलाज की कैटेगरी में आता है,
तो इंश्योरेंस कंपनी इस क्लेम को उसी हिसाब से "हाई रिस्क" क्लेम मान लेगी।
🔻 नतीजा?
₹2 लाख का क्लेम तो पास हो जाएगा,
लेकिन आपका ₹10 लाख का इंश्योरेंस अब ₹8 लाख नहीं रहकर, ₹5 लाख तक भी घट सकता है क्योंकि आपने "ज्यादा खर्चे वाली बीमारी" का लाभ ले लिया है — भले ही असलियत में इलाज छोटा था।
🤷♂ तो आम मरीज़ क्या करें?
अपनी डिस्चार्ज समरी या इंश्योरेंस क्लेम फॉर्म को ध्यान से देखें।
उसमें लिखा ICD कोड (जैसे M54.3, M51.1 आदि) को गूगल करें या डॉक्टर से पूछें।
सही बीमारी का सही कोड ही इंश्योरेंस में दर्ज होना चाहिए — नहीं तो आप भविष्य में नुकसान उठा सकते हैं।
🧠 एक छोटी सी जागरूकता = बड़ा लाभ
ICD कोड्स केवल डॉक्टर्स या हॉस्पिटल्स के लिए नहीं हैं — अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस रखते हैं, तो ये कोड सीधे आपके पैसों से जुड़ा होता है।
📢
✅ अगली बार अपनी रिपोर्ट या क्लेम फॉर्म में कोड को नज़रअंदाज़ न करें।
✅ सही जानकारी रखें, और जरूरत हो तो किसी हेल्थ प्रोफेशनल से पूछें।
✅ जानिए कि एक छोटा सा कोड कैसे आपके 5-10 लाख के इंश्योरेंस को प्रभावित कर सकता है।
✅ Swasthya Gyan Kosh में हम लाते हैं ऐसे ही ज्ञान जो रोज़ की ज़िंदगी में फर्क लाता है।
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