चम्बलेश्वर महादेव मंदिर, कोटड़ी-गोरधनपुरा

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चम्बलेश्वर महादेव मंदिर, कोटड़ी-गोरधनपुरा Shree Chambleshwar Mahadev Mandir is a Hindu temple located in Kotri-Gordhanpura, Besides Seven Wonders Park, Kota, Rajasthan.

कोट के चमत्कारिक बाला जी मंदिर मंगलेश्वर धाम जयपुर गोल्डन के पास पेड़ विद्युत सप्लाई लाइन पर गिरने से विद्युत आपूर्ति पू...
14/05/2025

कोट के चमत्कारिक बाला जी मंदिर मंगलेश्वर धाम जयपुर गोल्डन के पास पेड़ विद्युत सप्लाई लाइन पर गिरने से विद्युत आपूर्ति पूरी तरह से ठप्प हो गई है।

श्री गणेशाय नमः    चंबलेश्वर महादेव,बजरंगबली और सियाराम बाबा के आशीर्वाद से दिनांक 28 अप्रैल 2025 रविवार को चंबलेश्वर मह...
30/04/2025

श्री गणेशाय नमः चंबलेश्वर महादेव,बजरंगबली और सियाराम बाबा के आशीर्वाद से दिनांक 28 अप्रैल 2025 रविवार को चंबलेश्वर महादेव मंदिर समिति के सभी सदस्यों के द्वारा सर्व सम्मति से कार्यकारणी का गठन किया गया जिसमें समिति के सदस्यों को जिम्मेदारियां दी गई जिनका निर्वहन वो मंदिर के संचालन, निर्माण एवं अन्य कार्यक्रमों मैं अपनी पूर्ण कर्तव्य निष्ठा व ईमानदारी से करेंगे, (संरक्षक _विनोद मेहरा ,पंडित हनुमान शर्मा,हेमंत माहवर,जमना लाल वैष्णव,राजू राठौर,शंभू सिंह हाड़ा ) अध्यक्ष _सुरेश शर्मा, उपाध्यक्ष _संजय मेहरा, महामंत्री _हेमंत नागर, कोषाध्यक्ष _गणेश विजयवर्गीय, राजेंद्र पारेता, महासचिव _दिनेश मेहरा,सचिव_दिनेश गौतम, सहमंत्री _महेंद्र मेहरा,नरेंद्र नायक, संगठन मंत्री _अरविंद स्नेही ,प्रचार मंत्री_ ब्रजेश गौतम , सांस्कृतिक मंत्री _महावीर मेहरा,मुकेश गंभीर अन्य सदस्य _सत्यनारायण चित्तौड़ा,विकास खंडेलवाल, विष्णु वैष्णव,गोविंद सैन ,गोलू एवं समस्त भक्तगण सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

30/04/2025
****************हिंदू धर्म*****************हिंदू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन और व्यापक धर्म है, जिसकी उत्पत्ति भारतीय उपम...
29/04/2025

****************हिंदू धर्म*****************

हिंदू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन और व्यापक धर्म है, जिसकी उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप में हुई थी। इसे "सनातन धर्म" भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है – शाश्वत या अनंत धर्म। यह धर्म केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक संपूर्ण पद्धति है। हिंदू धर्म न तो किसी एक व्यक्ति द्वारा स्थापित किया गया है, न ही इसकी कोई एक पवित्र पुस्तक है, बल्कि यह हजारों वर्षों से विकसित होते हुए आज इस स्वरूप में है।

हिंदू धर्म के चार मुख्य वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद – इसके सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं। इनके अतिरिक्त उपनिषद, पुराण, महाभारत, रामायण और भगवद गीता जैसे ग्रंथ भी अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। भगवद गीता को हिंदू धर्म का सार कहा जाता है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म और मोक्ष के विषय में उपदेश दिया है।

हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, जिनमें ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता), विष्णु (पालक) और शिव (संहारक) प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त देवी लक्ष्मी (धन की देवी), सरस्वती (विद्या की देवी), दुर्गा (शक्ति की देवी) और गणेश (सिद्धि के देवता) भी पूजनीय हैं। यह बहुदेववाद हिंदू धर्म की विशालता और विविधता को दर्शाता है।

हिंदू धर्म चार पुरुषार्थों को मानता है – धर्म (कर्तव्य), अर्थ (धन), काम (इच्छाएँ), और मोक्ष (मुक्ति)। यह धर्म यह सिखाता है कि जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक सुख नहीं, बल्कि आत्मा की उन्नति और मोक्ष प्राप्त करना है। इसके अनुसार कर्म का सिद्धांत अत्यंत महत्वपूर्ण है – जैसा कर्म करोगे, वैसा ही फल मिलेगा, चाहे वह इस जन्म में मिले या अगले जन्म में।

हिंदू धर्म में जन्म और पुनर्जन्म की अवधारणा को मान्यता दी गई है। यह माना जाता है कि आत्मा अमर होती है और शरीर बदलता रहता है। जब आत्मा मोक्ष प्राप्त करती है, तब वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है।

हिंदू धर्म में विविध प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं जैसे दीपावली, होली, रक्षाबंधन, नवरात्रि, जन्माष्टमी, रामनवमी आदि। ये त्योहार सामाजिक एकता, प्रेम और धार्मिक आस्था को बढ़ावा देते हैं।

आज हिंदू धर्म न केवल भारत में, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, इंडोनेशिया, मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, त्रिनिदाद और अन्य कई देशों में भी फैला हुआ है। यह धर्म सहिष्णुता, अहिंसा और सभी जीवों के प्रति करुणा की भावना का समर्थन करता है।

निष्कर्षतः, हिंदू धर्म एक अत्यंत गूढ़, गहन और उदार धार्मिक प्रणाली है जो मानवता को अध्यात्म, नैतिकता और सदाचार की राह दिखाती हैl

भगवान परशुराम जी, भगवान विष्णु के छठे अवतार, धर्म, न्याय और सत् के रक्षक माने जाते हैं। उनका जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को ...
29/04/2025

भगवान परशुराम जी, भगवान विष्णु के छठे अवतार, धर्म, न्याय और सत् के रक्षक माने जाते हैं। उनका जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था, जो ‘अक्षय तृतीया’ के पावन दिन के रूप में भी जाना जाता है। भगवान परशुराम जी का पौराणिक वर्णन हमारे सनातन धर्म में वीरता, तपस्या और धर्मरक्षा के प्रतीक के रूप में गूंजता है।

महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र परशुराम का जन्म एक ऐसे समय में हुआ जब पृथ्वी पर अधर्म और अत्याचार का बोलबाला था। उन्होंने धरती को अत्याचार से मुक्त करने का संकल्प लिया था। भगवान परशुराम जी के हाथ में परशु (कुल्हाड़ी) सदैव धर्म और न्याय के लिए उठा रहा, जो उन्हें स्वयं भगवान शिव से प्राप्त हुआ था। उनका जीवन एक सच्चे तपस्वी, धर्मयोद्धा और त्यागी का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

भगवान परशुराम जी ने समाज को धर्म, नीति और सेवा का पाठ पढ़ाया। वे आजीवन ब्रह्मचारी रहे और समर्पण भाव से विश्व कल्याण हेतु कार्य करते रहे। उनके कार्यों ने समाज में संतुलन स्थापित किया, जहाँ शक्ति के साथ मर्यादा और करुणा भी अनिवार्य मानी गई।

भगवान परशुराम जन्मोत्सव न केवल एक अवतार के जन्म का उत्सव है, बल्कि यह धर्म की स्थापना, अन्याय के विरोध और तपस्वी जीवन की प्रेरणा का संदेश भी देता है। आज के समय में जब नैतिकता और सदाचार को पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है, भगवान परशुराम जी का आदर्श हमारे लिए एक प्रकाशस्तंभ बनता है।

उनकी स्मृति में हम सत्य, साहस और करुणा के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। भगवान परशुराम जन्मोत्सव हमें याद दिलाता है कि धर्म और सत्य की रक्षा के लिए तप, परिश्रम और निडरता आवश्यक हैं। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी भगवान परशुराम जी को।

29/04/2025

*🙏🌹जय श्री महाकाल 🌹🙏*
*श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का आज का भस्म आरती श्रृंगार दर्शन*
*🔱वैशाख, शुक्ल पक्ष, तिथि *
*द्वितीया , संवत् २०८२, दिन -* *मंगलवार, २९ अप्रैल २०२५🔱*
*🌹ॐ नमः शिवाय*🌹🙏

भगवान शिव ने क्यों किया था चंद्रमा को अपने शीश पर धारण? जानिए इसकी रोचक कथा:-शिवपुराण के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भग...
28/04/2025

भगवान शिव ने क्यों किया था चंद्रमा को अपने शीश पर धारण?
जानिए इसकी रोचक कथा:-
शिवपुराण के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था। इस विष को अपने कंठ में धारण करने के कारण भगवान शिव नीलकंठ कहलाए थे। पुराण में लिखित कथा के मुताबिक, विष पान के बाद महादेव का शरीर तपने लगा था और उनका मस्तिष्क जरूरत से ज्यादा गर्म हो गया था। महादेव का ये दृश्य देख सभी देवी देवता घोर चिंतित होने लगे। तब सभी देवताओं ने उनसे प्रार्थना की कि वह अपने शीश पर चंद्र को धारण करें, ताकि उनके शरीर में शीतलता बनी रहे। श्वेत चंद्रमा को बहुत शीतल माना जाता है जो पूरी सृष्टि को शीतलता प्रदान करते हैं. देवताओं के आग्रह पर शिवजी ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया।

Address

Kotri-Gordhanpura, Besides Seven Wonders Park
Kota
324002

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