25/05/2021
कोरोना पॉजिटिव बच्चे को होम आइसोलेशन में ऐसे रखें ध्यान
— बेहद जरूरी हैं ये सावधानी
— प्रारंभिक लक्षणों को न करें नजरअंदाज
— बच्चे के साथ मां भी है कमरे में तो बरते सावधानी
कोरोना की दूसरी लहर में नवजात भी पाॅजिटिव हो रहे हैं। अगर नवजात कोरोना पाॅजिटिव आ गया है और डाॅक्टर की सलाह के बाद वह होम आइसोलेशन में है तो कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
लक्षणों को पहचानने में देर न करें :—
कफ जमना, खांसी, बुखार या कमजोरी होने पर सतर्क हो जाएं। बच्चों में इस तरह के लक्षण दिखने पर अभिभावक सामान्यतः इसे नाॅर्मल फ्लू या वायरस इंफेक्शन समझने की भूल कर बैठते हैं। पेट खराब होने या दस्त की शिकायत भी हो सकती है। सांस लेने में दिक्कत, बच्चे के हाथ-पैर में सूजन आ जाए, चेहरा नीला पड़ना, चिड़चिड़ापन दिखना या पहले की अपेक्षा ज्यादा सोना आदि लक्षण होने पर भी डाॅक्टर से तुरंत बात करें।
< बच्चे को ऐसे करें आइसोलेट >
अगर नवजात या बच्चे के अलावा भी घर पर कोई और कोविड पाॅजिटिव है तो वह एक साथ एक कमरे में क्वारंटीन हो सकते हैं। अगर सिर्फ बच्चा पाॅजिटिव है, उसे अकेले रहने में डर लगता है तब आप कोविड नियमों का पालन करते हुए उससे कुछ दूरी बनाकर एक ही कमरे में रह सकते हैं। वेंटिलेशन का ध्यान रखें। कमरा हवादार होना चाहिए। बच्चे को भी बार-बार हाथ धोने की आदत डलवाएं। गुनगुने पानी से गरारा करने के लिए प्रेरित करें। बच्चे के खिलौनेे अच्छे से धोएं या सैनिटाइज करें। फर्श और कमरे का हर वह हिस्सा, जिसे बच्चा छूता है, उसे साफ और सैनिटाइज करते रहें।
बच्चा बहुत छोटा है और अकेले नहीं सो पाता तो बच्चे के साथ सोने वाला व्यक्ति सोते वक्त भी मास्क लगाए।
**** दूध पीने वाले बच्चों के लिए मां को सलाह *****
नवजात मास्क नहीं पहन सकता, मां ही मास्क पहने,अपने हाथों को अच्छे से धोए, सीने को धोने के बाद ही बच्चे को दूध पिलाए। बच्चे को जिस भी बिस्तर पर लिटा रहे, वह साफ सुथरी धुली चादर हो। बच्चा धूल के संपर्क में बिल्कुल न आए। एक ही व्यक्ति बच्चे का ख्याल रखे, वह मां हो तो बेहतर है, नहीं तो कोई स्वस्थ व्यक्ति ही बच्चे का सारा काम करे। अगर मां पाॅजिटिव है तो नवजात को अलग रखना ही बेहतर है।
=सांस लेने की दर को नापें =
दो माह से कम उम्र के बच्चे को संक्रमण होने पर सांस लेने की दर प्रति मिनट 60 से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसी तरह दो माह से एक साल तक के बच्चों में ये दर प्रति मिनट 50 से अधिक नहीं होनी चाहिए। वहीं एक से पांच साल तक के उम्र के बच्चों में ये दर प्रति मिनट 40 से अधिक नहीं होनी चाहिए। पांच साल से ऊपर का बच्चा है तो ये दर प्रति मिनट 30 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। पल्स आक्सीमीटर का प्रयोग भी कर सकते हैं। अगर बच्चे की हाथ की अंगुलियां बहुत पतली हैं तो हाथ या पैर के अंगूठे का प्रयोग भी कर सकते हैं।
बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखे।
बच्चों को पैनिक से बचाएं। स्ट्रेस हार्मोन इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हैं। एक कमरे में कैद होकर रहना, दोस्तों से मिल नहीं पाना आदि के चलते बच्चा तनावग्रस्त हो सकता है। उसकी नींद भी प्रभावित हो सकती है। कमरे का माहौल बच्चे के अनुकूल रखें। बच्चे के पसंद की किताबें, खिलौनें आदि उसके पास ही रखें। आइसोलेशन में बच्चे को अकेलेपन का अहसास बिल्कुल न होने दें। बच्चे को वायरस से डराएं नहीं, उसका हौसला बढ़ाएं।
गुनगुना पानी दें। रात में सोने से पहले हल्दी वाला दूध दें। फल, सब्जियां और दालें प्रचुर मात्रा में दें। विशेष तौर पर खट्टे फल खाने के लिए ज्यादा दें। इलेक्ट्राल, ओरआरएस, नारियल पानी आदि के जरिए बच्चे की बाॅडी को हाइड्रेटेड रखें।