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02/06/2025

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30/05/2025

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26/05/2025

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13/04/2025

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बेलपात्रा फल, जिसे बेल या लकड़ी के सेब (वैज्ञानिक रूप से एगल मारमेलोस) के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप और ...
09/04/2025

बेलपात्रा फल, जिसे बेल या लकड़ी के सेब (वैज्ञानिक रूप से एगल मारमेलोस) के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया का मूल निवासी फल है, जो अपने औषधीय गुणों के लिए मूल्यवान है और पाक और धार्मिक दोनों संदर्भों में उपयोग किया जाता है।

यहाँ एक और अधिक विस्तृत नज़र है:

उपस्थिति और विशेषताएं:

कठोर खोल: फल में एक मोटी, कठोर और वुडी खोल होता है जो पके होने पर हरा या ग्रे होता है और पकने पर पीला होता है।

पल्प: खोल के अंदर एक रेशेदार, सुगंधित और पीला लुगदी है, जिसे अक्सर खट्टे और इमली के नोटों के साथ मुरब्बा की तरह चखने के रूप में वर्णित किया जाता है।

बीज: लुगदी में एक पतला म्यूसिलेज में संलग्न कई बालों वाले बीज होते हैं।

आकार: यह एक बड़े अंगूर या पोमेलो के आकार तक बढ़ सकता है।

उपयोग और लाभ:

पाक:

लुगदी को ताजा खाया जा सकता है या रस, जाम, या मुरब्बा (एक मीठा संरक्षण) बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

सूखे बेल फल का उपयोग "बेलपना" नामक ठंडा पेय बनाने के लिए किया जाता है।

माना जाता है कि बेल के रस में ठंडा और पाचन गुण होते हैं, जो इसे गर्म गर्मी के दिनों के लिए आदर्श बनाते हैं।

औषधीय:

बेल फल पाचन में सहायता करने, दस्त का इलाज करने और अल्सर को शांत करने की क्षमता के लिए जाना जाता है।

यह भी माना जाता है कि इसमें एंटी-डिसेन्टरिक और हेमोस्टैटिक गुण होते हैं।

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि बेल मधुमेह और हृदय स्वास्थ्य में मदद कर सकता है।

धार्मिक:

बेल के पेड़ (बेलपात्रा) की पत्तियां हिंदू धर्म में पवित्र हैं और देवताओं, विशेष रूप से भगवान शिव को अर्पित की जाती हैं।

पेड़ अक्सर मंदिरों के आसपास लगाया जाता है।

अन्य नाम:

संस्कृत: बिल्वा पत्र

तमिल: बिल्वा पझम

तेलुगु: बिल्वा या मारेडू फालम

बंगाली: बंगाल क्विंस

मकोय BLACK NIGHT OR NIGHT SHADE काकमाची और भटकोइंया पिलपोटण  भी कहते हैं। यह एक छोटा-सा पौधा है जो भारतवर्ष के छाया-युक्...
22/03/2025

मकोय

BLACK NIGHT OR NIGHT SHADE
काकमाची और भटकोइंया पिलपोटण भी कहते हैं। यह एक छोटा-सा पौधा है जो भारतवर्ष के छाया-युक्त स्थानों में हमेशा पाया जाता हैं। मकोय में पूरे वर्ष फूल और फल देखे जा सकते हैं। मकोय में शाखायुक्त एक-डेड़ फुट तक उँची, तथा शाखाओं पर उभरी हुई रेखाएं होती हैं। इसके पत्तें हरें, अंडाकर या आयताकार, दन्तुर या खण्डित, 2-3 इंच लम्बे, एक-डेड़ इंच तक चौड़े होते हैं। फूल छोटे, सफेद वर्ण (रंग) बहिकक्षीय फूल दंडों पर 3 से 8 के गुच्छों मे नीचे झुके होते हैं। मकोय का फल छोटे, चिकना गोलाकार अपरिक्व अवस्था में हरे रंग के और पकने पर नीले या बैंगनी रंग के, कभी-कभी पीले या लाल होते हैं। बीज छोटे, चिकने, पीले रंग के, बैंगन के बीजों की तरह होते है परन्तु बैंगन के बीजों से बहुत छोटे होते हैं। पकने पर फल मीठे लगते हैं।
मकोय पञ्चाङ्ग (जड़, तना, पत्‍ता, फूल और फल) के काढ़े का सेवन गठिया का दर्द, सूजन, खांसी, घाव, पेट फूलने, अपच, मूत्र रोग में फायदा पहुंचाता है। कान दर्द, हिचकी, जुकाम, आंखों के रोग, उलटी, और शारीरिक कमजोरी में भी लाभ होता है। इसके पत्‍ते एवं एवं फल का सेवन से पेट का अल्‍सर ठीक होता है। इसके बीज भ्रम, बार बार प्‍यास लगने, सूचन और त्‍वचा रोग में फायदेमंद है।
मकोय की प्रकृति डाययुरेटिक होती है। अगर आपको कभी-कभी ऐसा महसूस होता है कि किसी कारणवश आपको रात में नींद नहीं आती है या फिर काफी डर लगने लगता है तो मकोय का सेवन करना नियमित रूप से शुरू कर दें। इससे आपको चिंता आदि कम करने में भी राहत मिलती है। इसमें चिकित्सीय गुण होते हैं जो ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने में मदद करते है।।
मकोय में फाइटो केमिकल्स होते हैं और साथ में ही एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं जिस से यूटीआई बार बार नहीं होता है। मकोय का सेवन करने से वेजिनल सेक्रेशन और यूरिन आउटपुट में इजाफा होता है। इससे शरीर के अंदर मौजूद सारे बैक्टीरिया बाहर आने में मदद होती है जिस कारण सारे बैक्टीरिया और टॉक्सिंस फ्लश आउट हो जाते हैं और अगली बार यूटीआई होने का रिस्क भी कम हो जाता है।
मकोय (makoy) के पत्‍ते, पान का पत्‍ते तथा हल्दी से पेस्‍ट बना लें। इसका लेप करने से पुराने घाव, चोट लगने से होने वाले घाव, रोम छिद्र की सूजन, मवाद वाले घाव, दाद, खाज (हर्पीज आदि ), एन्थैक्स आदि में लाभ होता है।

मकोय के पके फल को मधु के साथ सेवन करें। इससे टीबी की बीमारी में फायदा होता है।
मकोय फलों को पीसकर सुखा लें। इसे गर्म करके लेप के रूप में लगाएं। इससे शरीर के सभी अंगों में होने वाले सूजन में लाभ होता है।
-मकोय के सेवन से हमारी किडनी हेल्दी रहती हैं। अगर किसी को बार-बार पेशाब आने की समस्या हो, किडनी एरिया में सूजन की समस्या हो तो मकोय का रस या मकोय से बहुत अधिक लाभ होता है। यह फाइबर से भरपूर फल होता है। इसलिए पेट को साफ रखने में मददगार होता है
मकोयफल खाने के साथ साथ
10-15 मिलीग्राम मकोय के अर्क को रोज पिलाने से किडनी में सूजन, किडनी के दर्द तथा किडनी रोगों आदि बीमारी में लाभ मिलता है।
आजकल कैंसर की समस्या एक चिंता का विषय बन चुकी है। मकोय के फल में कैंसर रोधी गुण होते हैं। मकोय कैंसर सेल्स के डेवलपमेंट को रोकता है। यह ट्यूमर के निर्माण को रोकने के लिए भी लाभकारी बताया जाता है। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में मकोय का सेवन प्रभावी हो सकता है। इसमें हाइपोग्लाइसेमिक इंडेक्स होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करके डायबिटीज को मैनेज करने के लिए जाने जाते हैं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण कई घातक स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। मकोय से ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है और कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी नियंत्रित रहता है, जिससे हार्ट स्ट्रोक और हार्ट डिजीज का खतरा कम हो जाता है।

पीरियड क्रैंप्स में महिलाओं को दर्द और ऐंठन का सामना करना पड़ता है, जो बहुत असहनीय होता है। ऐसे में वह पेन किलर्स का सहारा लेती हैं। दर्द निवारक दवाइयों पर निर्भर होने की जगह आप इस शक्तिशाली जड़ी बूटी का इस्तेमाल कर सकती हैं। खासकर मकोयबैरी (मकोयफल)में ब्लैक नाइट शेड होते हैं, जिनमें एंटीपीयरेटिक एजेंट मिलते हैं, जिनको पेन किलर में उपयोग किया जाता है। यह जल्दी दर्द में राहत दे सकते हैं।

लीवर तथा तिल्ली के रोगों के लिए मकोय स्वरस भूमि आंवला स्वरस यथा पुनर्नवा स्वरस का सेवन अति उत्तम अकाट्य उपचार है।

17/02/2025

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