01/06/2023
लिवर बहुत नाज़ुक है देखभाल करते रहिए : डा महला
अमृत आयुर्वेद विशिष्ट वैद्य परीक्षण समिति के तत्वावधान में निशुल्क आयुर्वेद जाँच चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया ।आयुर्वेद विशिष्ट वैद्य परीक्षण समिति के निपुण व अनुभवी वैद्यचार्य बलवन्त महला (सेवानिवृत्त जिला आयुर्वेद अधिकारी ) ने निशुल्क आयुर्वेद जाँच चिकित्सा शिविर में रोगियों की जाँच कर उन्हें ग्रीष्म ऋतु में होने वाले रोगों के बारे में सचेत करते हुए कहा कि मानव शरीर के स्वस्थ कामकाज के लिये यकृत ( लिवर ) महत्वपूर्ण हिस्सा होते है । यह भण्डारण सफ़ाई ओर संश्लेषण जैसे तीन प्रमुख महतवपूर्ण कार्यों में शामिल है । एक स्वस्थ यकृत ( लिवर ) पाचन में सुधार करने में सहयोग करता है । यकृत (लिवर ) ही शरीर से विषाक्त पदार्थों ओर अन्य अशुद्धियों को बाहर निकालता है । यकृत ( लिवर ) शरीर का सबसे महत्वपूर्ण व नाज़ुक अंग है ।वर्तमान में भागदौड़ भरी जीवन शैली में पाश्चात्य खान पान का चलन कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया है जो कई बार हमारे यकृत ( लिवर ) को भी प्रभावित करता है ।किसी भी तरह का संक्रमण होने पर यकृत ( लिवर ) तेज़ी से अस्वस्थ हो जाता है । जिससे यकृत ( लिवर ) से सम्बंधित कई रोग उत्पन्न हो जाते है । जैसे शरीर में थकावट,लगातार वजन घटना या बढ़ना ,जी मिचलाना, चक्कर आना ,पेट के दाहिने ओर दर्द रहना आदि है ।ओर यदि आप लापरवही करते है तो कई बार यही रोग जटिल समस्या का रूप भी धारण कर लेते है । अतः हमारे खान-पान में थोड़ा सावधानी रखने से इन रोगों से बचा जा सकता है जैसे अल्कोहल व धूम्रपान से दूर रहे,फ़ास्ट फ़ूड के सेवन से दूरी रखे ,स्वच्छ ज़ल पिएँ , ज़्यादा मसालेदार भोजन ना करें ।आयुर्वेद ओषधियों में भूमि आँवला का स्वरस, घृत कुमारी स्वरस, कुटकी का चूर्ण, आरोग्यवर्धिनि वटी सेवन करने से यकृत विकार को दूर करने में सहायता मिलती है । इस अवसर पर शशि, राजबाला, अनु , निधि , रेखा सीमा , तरुण, जगदीश, गोपाल, राजन, रवि, विक्रम ,रामपाल,दिनेश , रवीन्द्र, अस्वनी आदि उपस्थित रहे ।