10/06/2025
■ शिवप्रभात आप सब को 🙏 मानसून दस्तक दे चुका है ! बारिश का मौसम भीषण गर्मी से राहत जरूर दिलाता है। लेकिन यह कई संक्रामक बीमारियों का खतरा भी साथ लाता है। नमी और जगह-जगह पानी भरने से बैक्टीरिया और वायरस तेजी से पनपते हैं। इससे इन्फेक्शन फैलने का खतरा बढ़ जाता है। अगर समय पर इन बीमारियों को पहचाना नहीं जाए तो कई बार ये गंभीर रूप ले सकती हैं। हालांकि कुछ जरूरी सावधानियों और साफ-सफाई की आदतों से इस मौसम में खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है।
तो चलिए, आज जरूरत की खबर में मानसून के दौरान होने वाली कुछ कॉमन बीमारियों के बारे में बता दूँ :-
इस मौसम में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, लेप्टोस्पायरोसिस, टाइफाइड, हैजा, डायरिया, कंजंक्टिवाइटिस और वायरल बुखार जैसी बीमारियां आम हो जाती हैं।
शार्ट में कुछ बातें मतलब लक्षण याद रखना -
■ डेंगू - तेज बुखार, शरीर पर लाल चकते, सिरदर्द, प्लेटलेट्स की कमी
■ चिकनगुनिया - तेज बुखार, जोड़ो में दर्द, थकान, ठंड लगना
■ मलेरिया - तेज बुखार, पूरे शरीर में दर्द, ठंड लगना, सिरदर्द
■ कॉलरा (हैजा) - पतली दस्त, उल्टी होना, मांसपेशियों में ऐंठन, मुँह का सूखना
■ टायफाइड - बुखार चढ़ना उतरना, भूख न लगना, थकान
■ वायरल बुखार - खैर इसपर तो गाली समेत ज्ञान दी थी
■ लेप्टोस्पायरोसिस - बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांशपेशियों में दर्द, आँखे लाल होना और दस्त लगना
■ कंजंक्टिवाइटिस - आँखों मे रेडनेस, पानी गिरना, जलन होना, खुजली, दर्द और चुभन होना, पलकों में सूजन होना
👉 डेंगू - यह एक वायरल बुखार है, जो संक्रमित एडीस एजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। यह मच्छर स्थिर पानी में पनपता है। मानसून में यह ज्यादा फैलता है क्योंकि इस मौसम में जगह-जगह पानी जमा होते हैं।
इलाज - इसका कोई सीधा इलाज नहीं है। इसमें बुखार, दर्द और अन्य लक्षणों को कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं। साथ ही खूब पानी पीने और आराम करने की सलाह दी जाती है।
👉 चिकनगुनिया - ये वायरल बुखार एडीस अल्बोपिक्टस नामक मच्छरों के काटने से फैलता है, जो कूलर, पौधों के गमलों, बर्तनों और पानी की पाइपों में ठहरे हुए पानी में पैदा होते हैं।
इलाज - इसका भी कोई खास इलाज नहीं है। इसमें दर्द और बुखार कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं। साथ ही पर्याप्त आराम और खूब पानी पीने की सलाह दी जाती है।
👉 मलेरिया - मलेरिया मादा एनोफिलीज (Anopheles) मच्छर के काटने से होता है, जो पानी जमा होने वाली जगहों पर प्रजनन करता है। इसलिए मानसून के मौसम में मलेरिया ज्यादा होता है।
इलाज - इसका इलाज एंटीमलेरियल दवाओं से होता है। इसमें खूब पानी पीना और आराम करना जरूरी है।
👉 4. कॉलरा (हैजा) - यह एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो दूषित पानी या भोजन से फैलता है। मानसून में यह ज्यादा फैलता है क्योंकि इस समय पानी जल्दी दूषित हो जाता है।
इलाज - इसमें सबसे पहले मरीज को ORS (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) दिया जाता है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। जरूरत पड़ने पर ड्रिप और एंटीबायोटिक दी जाती है। इसलिए उबला हुआ या फिल्टर्ड पानी पिएं। बाहर का खुला खाना न खाएं। साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।
👉 टाइफाइड - यह बीमारी साल्मोनेला टाइफी नाम के बैक्टीरिया से होती है, जो दूषित पानी और खाना खाने से शरीर में पहुंचता है।
इलाज - इसमें एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। इसमें पूरा कोर्स करना बहुत जरूरी होता है, वरना ये दोबारा हो सकता है।
👉 डायरिया (दस्त) - इसमें गंदे पानी या दूषित भोजन से पेट में इन्फेक्शन हो जाता है। यह बच्चों में ज्यादा होता है।
इलाज - इसका मुख्य इलाज शरीर में पानी की कमी को पूरा करना है। इसके लिए ORS के साथ खूब पानी पिएं। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह लें।
👉 लेप्टोस्पायरोसिस - यह लेप्टोस्पिरा नाम के बैक्टीरिया से होता है, जो जानवरों के यूरिन, दूषित पानी या मिट्टी के संपर्क में आने से फैलता है। मानसून में बाढ़ के कारण इसका खतरा बढ़ जाता है।
इलाज - इसका इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। डॉक्टर की सलाह पर तुरंत इलाज शुरू कराएं। बाढ़ ग्रस्त इलाकों न रहें। अगर गीली मिट्टी में काम करना पड़े तो जूते और दस्ताने पहनें। खुले घावों को ढककर रखें।
👉 कंजंक्टिवाइटिस - यह आंखों में होने वाला वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। मानसून में नमी ज्यादा होने से यह तेजी से फैलता है।
इलाज - डॉक्टर इसके लिए आई ड्रॉप्स लिखते हैं। मेडिकल वाले भैया से दवाई लाने के बजाय नजदीकी नेत्र रोग विशेषज्ञ से मिलें ! आंखों को बार-बार न छुएं। अपने तौलिए और रूमाल किसी और के साथ शेयर न करें।
■ अब कुछ सुझाव बता रही हूँ गौर से समझ लेना -
इन सब बीमारियों की चपेट में छोटे बच्चे, बुजुर्ग, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग और गंदगी वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को मानसून की बीमारियों का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा प्रेग्नेंट व ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओें को भी इसमें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
- खाना खाने से पहले हाथों को साबुन से धोएं
- बीमार लोगों से पर्याप्त दूरी बना कर रखें
- सब्जी मंडी जाओ तो मास्क लगा कि जाना
- आंखों में सीधा हाथ न लगाएँ
- किचन, गमलों, कूलर की सफाई का विशेष ध्यान दें
- बीमार हो तो सार्वजनिक जगहों पर न जाएं
- होटल के खाने बाजारू, जोमैटो, पानीपूरी के ठेलों से बचें
- जहाँ तलक हो फिल्टर पानी ही पिएं
फिलहाल इतना ही जहन में बिठा के रखिये ।
अंतिम बात बोल रही हूँ जो किसी भी एलर्जी के मरीज है क्रोनिक वो एकदम सावधान रहना ।
24 घण्टे में अगर प्रीसिम्पटम्स मतलब शुरुआती लक्षण या लक्षण बने रहें तो तुरंत हरकत में आ जाना !
डॉ मोनिका जौहरी 🙏