
10/07/2025
गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर पूज्य गुरुदेव के चरणारविंदों में सादर प्रणति के साथ आप सभी को अनंत शुभकामनाएँ।गुरू ब्रम्हा की भाँति अपने शिष्यों को सद्सृजन की शक्ति देते है,विष्णु की भाँति शिष्यों की सृजनशीलता की रक्षा करते है,महादेव की भाँति शिष्यों के चित्त में उत्पन्न होने वाले विकारों का शमन करते हैं।इसलिये गुरू को ब्रम्हा विष्णु महेश की उपमा दी गई हैं।गुरूदत्त शिक्षा से हमे संसार समझ आता है वही सद्गुरु प्रदत्त दीक्षा से स्वयं को समझने की कला आती है।दोनों ही अत्यंत आवश्यक है।शिक्षा से हम साक्षर होते हैं और दीक्षा से दक्षता की प्राप्ति।शिक्षा शासन के मार्ग पर ले जाती है और दीक्षा अनुशासन से परिचय कराती है।शिष्य जब अपने अंहकार का विसर्जन कर गुरू शरणागत हो जाता है।तब गुरू उसके चित्तावस्थित समस्त अज्ञान तिमिर का निवारण कर श्रेष्ठतम सृजन की कला प्रदान करते हैं।शिष्य बनने का भाव पैदा होते ही गुरू की व्यवस्था परमात्मा स्वतः ही कर देते हैं।आज का दिन जीवन में प्रकाश देने वाले सभी गुरूजनों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर है।ऐसे सभी गुरूजनों को ह्रदय के अंतस से कोटिशः नमन।आप सभी पर गुरूकृपा बनी रहे।शुभमस्तु।