04/11/2023
मैं एक पशुचिकित्सक हूँ।
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समाज मे उतना सम्मान नही मिलता जितना किसी दोपाये के चिकित्सक को मिलता है।
फिर भी मैं पशुचिकित्सक हूँ .....मेरे रोगी बोल नही सकते सिर्फ हाव् भाव दिखाते है उसी आधार पर मैं उनका दुख दूर करने का प्रयास करता हूँ।
अपार खुशी उस समय मिलती है जब किसी पशुपालक का फ़ोन आता है और वो बहुत ही हर्षित शब्दो मे कहता है डॉक्टर साहब मेरी गाय/भैस ठीक हो गयी ,पागुड़ शुरू कर दी .......उस समय जो आत्मसंतुष्टि मिलती हैं शायद मैं उसका शब्दो मे वर्णन नही कर सकता।
जब गावो में जाता हूँ किसी किसान के दरवाजे पर वो किसान उस समय उसको लगता हैं कि इनको कहाँ उठाऊ और कहाँ बिठाऊँ...... जब उसकी पत्नी बेटा/बेटी बोलते हैं डॉक्टर साहब बाबु जी 3 दिन से खाना न खाए है क्योंकि गइया न खा रही हैं ..........मन कचोट जाता है।
ऐसे ऐसे परिवार देखे है मैंने की अगर पशु न खाए तो पूरा परिवार भूखे सोता है ..................क्योंकि वो भी उनके परिवार का एक सदस्य हो जाती है।
किसान/पशुपालक का इतना स्नेह होता है अपने मवेशी के प्रति की कभी आप बोल दे कि अब ये न बचेगी .......तो शायद आपके पाँव पकड़ ले कि डॉक्टर साहब कुछ भी करके बचा लीजिये इसी का दूध पीके मेरा बेटा/पोता का लालन पालन हुआ है ।बहुत ही हृदय विदारक दृश्य होता है ।लेकिन क्या करे हमारी भी सीमाएं है..............
जब इस देश मे सुनता हूँ कि गौहत्या तो मन विचलित हो जाता है कि जिस देश मे पशुओं को भी घर का सदस्य मानते है ..........उनके न खाने पर पूरा परिवार भूखा सो जाता हो .........शायद ही अपने मवेशी को कोई कसाई को बेचे ..............वो तो शायद धोके में आकर ......
मैंने ऐसे ऐसे किसान देखे हैं जो दरवाजे पर unproductive मवेशियो को भी रखते हैं .......कई बार पूछा तो बड़ा ही मार्मिक जवाब मिला ......डाक्टर साहब इसी का दूध पीकर मेरे बीमार बाबूजी चंगा हुए ,मेरा पोता बड़ा हुआ ........अब इसकी अवस्था हो गई तो क्या मैं इसको भगा दु ......कसाई के हाथों बेच दु ............न जब मर जाएगी तब अपने खेत मे इसे दफना दूँगा।
जिस देश मे इतनी प्रेम हो मवेशियो के प्रति भी .......घृणा आती हैं जब राजनीति से प्रेरित होकर कुछ लोग भावनाओ से खेलते है।
सादर धन्यवाद}..............
(LSI Girdharilal Bijarniya )