07/01/2025
व्यक्तिगत कारणों से श्रीमती रुचि त्रिपाठी ने जीवन समाप्त करने की मंशा से एसिड पी लिया था. उनकी खानी की नली पूरी तरह से जल गयी थी. खाना-पीना तो दूर, रुचि अपना थूक तक नहीं निगल पाती थीं. हर अस्पताल-हर डॉक्टर से उन्हें केवल निराशा ही हाथ लग रही थी. इंटरनेट पर रुचि को अपोलोमेडिक्स अस्पताल, लखनऊ में डॉ. आशीष कुमार मिश्रा के बारे में पता चला. इलाज के लिए सर्जरी आवश्यक थी, परंतु इस परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत ख़राब थी।
अपोलोमेडिक्स अस्पताल ने उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता दिलवाकर उनका इलाज शुरू कराया. डॉ. आशीष ने एक बेहद जटिल और लम्बी, किंतु सफल सर्जरी के पश्चात उनकी खाने की नली को पुनः निर्मित किया. 2 वर्षों के बाद जब रुचि ने पहला निवाला निगल, तो उनके पूरे परिवार की आँखों में ख़ुशी के आंसू थे ।आइए सुनते है मरीज़ से उनका अनुभव।