08/09/2025
                                            कुछ ग्रहण पर और जानकारी सूर्य ग्रहण तो दो प्रकार को होता है पूर्ण और खण्ड ग्रास पर चन्द्र  ग्रहण इन दो प्रकार के अतिरिक्त ऐक और प्रकार का होता है जिसको छाया ग्रहण कहते हैं इस छाया ग्रहण में चन्द्रमा की रोशनी धूमिल पड़ती है।
मैंने पहले की पोस्ट में लिखा था ग्रहण में यह आवश्यक होता है पृथ्वी,, चन्द्रमा और सूर्य ऐक लाइन में हो और यह पृथ्वी और चन्द्रमा के गतिमान होने से धीरे-धीरे ग्रसित करते हैं यानी किसी भी ग्रहण का आरम्भ पूर्ण ग्रहण से नहीं हो सकता हैं आरम्भ सदा खण्ड ग्रास से होता है पृथ्वी तथा चन्द्रमा दोनों गतिमान रहते हैं इस कारण कभी खण्ड ग्रास पूर्ण में न बदल कर पुनः ग्रहण के ग्रास का  मान घटने लगता है ग्रहण के समय अपने निवास पर ही भगवान का भजन करना उत्तम रहता है। धन्यवाद।