22/07/2023
Janu Basti Therapy: Knee Renewal Theraphy
गठिया, गाउट, घुटने की चोट, दुर्घटना, अधिक उम्र के कारण घुटनों में दर्द, सूजन और हड्डियों के घिसने की स्थिति आ जाती है। जीवनशैली की गलत आदतें, ऑफिस में लगातार लंबे समय तक बैठकर काम करना, जरूरत से ज्यादा वजन उठाना या बिल्कुल काम न करने से घुटनों में दर्द की दिक्कत बढ़ती है। आयुर्वेद में प्रयोग होने वाली जानुबस्ति थैरेपी फायदेमंद है जो जोड़ के अंदर तक असर कर दर्द में राहत देती है। इसमें महा नारायण, विषगर्भ, बला आदि औषधियुक्त तेलों का इस्तेमाल होता है। जानते हैं जानुबस्ति की विधि व लाभ के बारे में-
लाभ: इससे घुटने का दर्द, सूजन व जकड़न दूर होने से हल्कापन आता है। औषधियुक्त तेल के सेंक से घुटने की मांसपेशियों, हड्डी व नसों को पोषण मिलता है। जोड़ लचीला होने से रक्तसंचार बढ़ता है।
ऐसे होता इलाज -
रोगी को पीठ के बल लिटा दिया जाता है। इसके बाद घुटने पर उड़द की दाल के आटे से बनी पीठी (गुथा हुआ आटा) से एक रिंग बना देते हैं। चिकित्सक की देखरेख में इस रिंग के अंदर सहने योग्य औषधियुक्त गुनगुना तेल डालते हैं। रिंग के अंदर से तेल धीरे-धीरे बाहर निकलता रहता है और ऊपर से गुनगुने तेल को डालते रहते हैं।
कितनी सिटिंग : एक सिटिंग के दौरान इस प्रक्रिया में लगभग 35-40 मिनट का समय लगता है। जरूरत के अनुसार विशेषज्ञ 5-7 या इससे ज्यादा सिटिंग के लिए मरीज को बुला सकते हैं।
ध्यान रखें: थैरेपी के तुरंत बाद स्नान न करें। साथ ही इसके बाद कुछ देर एसी में न बैठें।
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