Satyarthy Electrohomeo Clinic

Satyarthy Electrohomeo Clinic Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from Satyarthy Electrohomeo Clinic, Doctor, Vrindavan Yojana, Sec 5, Telibagh, Lucknow.

All type of dreadful incurable diseases like knee pain, lumber pain, cervical spondylosis, kidney diseases, skin diseases, gangrene,liver diseases, tumor/ cyst etc successfully treated with
Herbal plant based hundred percent harmless electro homeopathy

आदरणीया/आदरणीय 🙏होलीका जैसे महापर्व/महानुष्ठान में जब अमीर-गरीब, छोटे-बड़े, उच्च-नीच, ब्राह्मण-शुद्र आदि का भेद मिट जाता ...
24/03/2024

आदरणीया/आदरणीय 🙏

होलीका जैसे महापर्व/महानुष्ठान में जब अमीर-गरीब, छोटे-बड़े, उच्च-नीच, ब्राह्मण-शुद्र आदि का भेद मिट जाता है, तब ऐसी भावना होनी चाहिए कि होलिका की अग्नि में हमारी समस्त पीड़ाएं दुःख, चिन्ताएं, राग, द्वेष, दुर्भावनाएं, क्लेश, काम, क्रोध, जलन, बैर, इत्यादि का भाव जलकर भष्म हो जाएं तथा जीवन में प्रसन्नता, हर्षोउल्लास, उमंग, सन्तुष्टि, एवं आनन्द का रंग समाहित हो जाए ।

होलिकोत्सव के अग्निकुण्ड में कोई न कोई संकल्प अवश्य हो और यह संकल्प हो सकता है कि हम अपना जीवन सादगीपूर्ण व शांतिपूर्ण जीवन जिएं एवं सभी के लिए शांतिपूर्ण जीवन की कामना करें । हम परोक्ष या अपरोक्ष रूप से किसी का भी अपमान नहीं करेंगे और न ही दुर्भावनापूर्ण विचार पोषित होने देंगे तथा अपनों से बड़ों का हृदय से सम्मान व छोटों के प्रति प्रेम व स्नेह की भावना रखेंगे । यदि हम सामर्थवान हैं तो गरीब, लाचार, बीमार, असहाय व वृद्धजनों के प्रति सहायता, दया एवं सेवा की भावना रखेंगे ।
होलिकोत्सव की हार्दिक बधाई व अनन्त शुभकामनाएं ।

आपका अभिन्न,
डा जितेन्द्र विश्वकर्मा
सत्यार्थी इलेक्ट्रो होम्योपैथी क्लिनिक
पुराने और जटिल रोगों का हानिरहित सफल चिकित्सा केंद्र
संपर्क 9807900512

*दिमाग’ से जुड़े 35 ग़ज़ब रोचक तथ्य*1. अगर 5 से 10 मिनट तक दिमाग में ऑक्सीजन की कमी हो जाए तो यह हमेशा के लिए Damage हो स...
18/02/2024

*दिमाग’ से जुड़े 35 ग़ज़ब रोचक तथ्य*

1. अगर 5 से 10 मिनट तक दिमाग में ऑक्सीजन की कमी हो जाए तो यह हमेशा के लिए Damage हो सकता हैं!

2. दिमाग पूरे शरीर का केवल 2% होता हैं लेकिन यह पूरी बाॅडी का 20% खून और ऑक्सीजन अकेला इस्तेमाल कर लेता हैं!

3. हमारा दिमाग़ 40 साल की उम्र तक बढ़ता रहता हैं!

4. हमारे दिमाग के 60% हिस्से में चर्बी होती हैं इसलिए यह शरीर का सबसे अधिक चर्बी वाला अंग हैं!

5. सर्जरी से हमारा आधा दिमाग़ हटाया जा सकता हैं और इससे हमारी यादों पर भी कुछ असर नही पडेगा!

6. जो बच्चे पाँच साल का होने से पहले दो भाषाएँ सीखते है उनके दिमाग की संरचना थोड़ी सी बदल जाती हैं!

7. दिमाग की 10% प्रयोग करने वाली बात भी सच नही हैं बल्कि दिमाग के सभी हिस्सों का अलग-अलग काम होता हैं!

8. दिमाग़ के बारे में सबसे पहला उल्लेख 6000 साल पहले सुमेर से मिलता हैं.

9. 90 मिनट तक पसीने में तर रहने से आप हमेशा के लिये एक मनोरोगी बन सकते हो!

10. बचपन के कुछ साल हमें याद नही रहते क्योकिं उस समय तक “HIPPOCAMPUS” डेवलप नही होता, यह किसी चीज को याद रखने के लिए जरूरी हैं!

11. छोटे बच्चे इसलिए ज्यादा सोते हैं क्योंकि उनका दिमाग़ उनके शरीर द्वारा बनाया गया 50% ग्लूकोज इस्तेमाल करता हैं!

12. 2 साल की उम्र में किसी भी उम्र से ज्यादा Brain cells होती हैं!

13. अगर आपने पिछली रात शराब पीयी थी और अब आपको कुछ याद नही हैं तो इसका मतलब ये नही हैं कि आप ये सब भूल गए हो बल्कि ज्यादा शराब पीने के बाद आदमी को कुछ नया याद ही नही होता!

14. एक दिन में हमारे दिमाग़ में 70,000 विचार आते हैं और इनमें से 70% विचार Negative (उल्टे) होते हैं!

15. हमारे आधे जीन्स दिमाग़ की बनावट के बारे में बताते हैं और बाकी बचे आधे जीन्स पूरे शरीर के बारे में बताते हैं!

16. हमारे दिमाग की memory unlimited होती हैं यह कंप्यूटर की तरह कभी नही कहेगा कि memory full हो गई!

17. अगर शरीर के आकार को ध्यान में रखा जाए तो मनुष्य का दिमाग़ सभी प्रणीयों से बड़ा हैं। हाथी के दिमाग का आकार उसके शरीर के मुकाबले सिर्फ 0.15% होता हैं बल्कि मनुष्य का 2%!

18. एक जिन्दा दिमाग बहुत नर्म होता है और इसे चाकू से आसानी से काटा जा सकता हैं!

19. जब हमे कोई इगनोर या रिजेक्ट करता हैं तो हमारे दिमाग को बिल्कुल वैसा ही महसूस होता हैं जैसा चोट लगने पर!

20. Right brain/Left brain जैसा कुछ नही हैं ये सिर्फ एक मिथ हैं. पूरा दिमाग़ इकट्ठा काम करता हैं!

21. चाॅकलेट की खूशबू से दिमाग़ में ऐसी तरंगे उत्पन्न होती हैं जिनसे मनुष्य आराम (Relax) महसूस करता हैं!

22. जिस घर में ज्यादा लड़ाई होती हैं उस घर के बच्चों के दिमाग पर बिल्कुल वैसा ही असर पड़ता हैं जैसा युद्ध का सैनिकों पर!

23. टी.वी. देखने की प्रक्रिया में दिमाग़ बहुत कम इस्तेमाल होता है और इसलिए इससे बच्चों का दिमाग़ जल्दी विकसित नहीं होता. बच्चों का दिमाग़ कहानियां पढ़ने से और सुनने से ज्यादा विकसित होता है क्योंकि किताबों को पढ़ने से बच्चे ज्यादा कल्पना करते हैं!

24. हर बार जब हम कुछ नया सीखते है तो दिमाग में नई झुर्रियां विकसित होती हैं और यह झुरिया ही IQ का सही पैमाना हैं!

25. अगर आप खुद को मना ले कि हमने अच्छी नींद ली हैं तो हमारा मस्तिष्क भी इस बात को मान जाता हैं!

26. हमारे पलक झपकने का समय 1 सैकेंड के 16वें हिस्से से कम होता है पर दिमाग़ किसी भी वस्तु का चित्र सैकेंड के 16वें हिस्से तक बनाए रखता हैं!

27. हेलमेट पहनने के बाद भी दिमाग को चोट लगने की संभावना 80% होती हैं!

28. मनुष्य के दिमाग़ में दर्द की कोई भी नस नही होती इसलिए वह कोई दर्द नही महसूस नही करता!

29. एक ही बात को काफी देर तक tension लेकर सोचने से हमारा दिमाग कुछ समय के लिए सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता को खो देता हैं!

31. दिमाग तेज करने के लिए सिर में मेहंदी लगाए और दही खाए. क्योकिं दही में अमीनो ऐसिड होता हैं जिससे टेंशन दूर होती हैं और दिमाग़ की क्षमता बढ़ती हैं!

32. अगर आप अपने स्मार्टफ़ोन पर लम्बे समय तक काम करते हैं तब आपके दिमाग़ में ट्यूमर होने का खतरा बड़ जाता हैं!

33. अगर दिमाग़ से “Amygdala” नाम का हिस्सा निकाल दिया जाए तो इंसान का किसी भी चीज से हमेशा के लिए डर खत्म हो जाएगा!

34. Brain (दिमाग) और Mind (मन) दो अलग-अलग चीजे हैं वैज्ञानिक आज तक पता नही लगा पाए कि मन शरीर के किस हिस्से में हैं!

35. हमारे दिमाग़ में एक “मिडब्रेन डोपामाइन सिस्टम” (एमडीएस) होता है, जो घटने वाली घटनाओं के बारे में मस्तिष्क को संकेत भेजता हैं हो सकता की हम इसे ही अंतर्ज्ञान अथवा भविष्य के पूर्वानुमान कहते हैं. जिस व्यक्ति के दिमाग में यह सिस्टम जितना ज्यादा विकसित होता है वह उतनी ही सटीक भविष्यवाणी कर सकता हैं!

Q. दिमाग तेज करने का सबसे आसान उपाय ?

Ans. *दिमाग तेज करने का सबसे आसान उपाय हैं, जमकर पानी पाएँ। 1 गिलास पानी पीने से दिमाग 14% तेजी से काम करता हैं. जब तक प्यास शांत नही होती तब तक मनुष्य के दिमाग को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती हैं.!*
*दिमाग को पॉवर फूल बनाने के लिए दूसरा सबसे जबरदस्त तरीका मेडिटेशन है।*

मैटी डे की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएजय मैटी।  जय इलेक्ट्रो होम्योपैथी
11/01/2024

मैटी डे की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाए
जय मैटी। जय इलेक्ट्रो होम्योपैथी

चर्म रोगों से कैसे बचें????हमारे शरीर की त्वचा मुख्य रूप से मल,निष्कासक अंगों के अन्तर्गत आती हैं।त्वचा के माध्यम से प्र...
22/11/2023

चर्म रोगों से कैसे बचें????
हमारे शरीर की त्वचा मुख्य रूप से मल,निष्कासक अंगों के अन्तर्गत आती हैं।
त्वचा के माध्यम से प्रतिदिन पसीने के रूप में हमारे शरीर की अधिकांश गंदगी बाहर निकलती रहती है।
जब तक हमारी त्वचा स्वस्थ रहती है तब तक शरीर के अन्दर किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं रहती हैं।
लेकिन जब किसी कारण से यह अस्वस्थ हो जाती है तब इसके छिद्र बंद हो जाते हैं या शरीर में गंदगी का भार इतना अधिक बढ़ जाता है कि वह इस अंग द्वारा बाहर नहीं निकल पाती तो प्रकृति शरीर को मल-भार से मुक्त करने के लिए बहुत से रोग उत्पन्न कर देती है। जिससे यह गंदगी शरीर के बाहर निकलने लगती है।
चर्म रोग इस प्रकार हैं।
खाज,खुजली, दाद,फोड़े,फुन्सियां, उकवात,पामा,छाजन, कुष्ठ,चेचक और कण्ठमाला आदि। ये सभी चर्म रोग की श्रेणी में आते हैं।
चर्म रोग के लक्षण,,
इस रोग से पीड़ित रोगी की त्वचा पर सूजन हो जाती है तथा उसके फोड़े,फुंसियां निकलने लगता है।
रोगी व्यक्ति को खुजली तथा दाद हो जाता है और उसके शरीर पर छोटे,छोटे लाल या पीले दाने निकल आते हैं।
चर्म रोग होने के मुख्य कारण,,
चर्म रोग होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में दूषित द्रव्य का जमा हो जाना होता है।
चर्म रोग कभी भी स्थानीय नहीं होते हैं। बल्कि अन्य रोगों की तरह ही यह शरीर के अन्दर खराबी और गंदगी के कारण होते हैं।
चर्म रोग भूख से अधिक भोजन करने, संतुलित भोजन न करने, उचित तथा नियमित व्यायाम न करने, आराम न करने, अच्छी तरह से नींद न लेने के कारण होता है।
चाय-कॉफी तथा नशीली वस्तुओं का अधिक सेवन करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
दूषित भोजन का सेवन करने के कारण भी चर्म रोग हो जाते हैं।
कब्ज, सिर में दर्द, पेचिश आदि अन्य रोगों के कारण भी चर्म रोग हो सकते हैं।
अधिक गर्म तथा ठंडे मौसम के कारण भी चर्म रोग हो जाते हैं।
पाचन क्रिया तथा यकृत में खराबी आ जाने के कारण चर्म रोग हो जाते हैं।
जिस व्यक्ति के पेट में कीड़ें होते हैं उसे भी चर्म रोग हो जाते हैं।
शरीर की अच्छी तरह से सफाई न करने के कारण भी चर्म रोग हो जाते हैं।
गीले वस्त्र तथा अधिक गर्म वस्त्र पहनने के कारण भी चर्म रोग हो जाते हैं।
मानसिक तनाव चिंता के कारण भी चर्म रोग हो सकते हैं।
रोगी व्यक्ति के वस्त्रों को पहनने तथा उसके द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों का उपयोग करने से भी चर्म रोग हो जाते हैं।
चर्म रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार,,
इस रोग से पीड़ित रोगी को कम से कम 7 दिनों तक गाजर, ककड़ी, पालक, गाजर, पत्तागोभी, सफेद पेठा आदि फलों का रस पीना चाहिए और उपवास रखना चाहिए। फिर कुछ दिनों तक बिना पका हुआ भोजन जैसे,सलाद, अंकुरित खाद्य-पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

कीटाणु नहीं विजातीय द्रव्यरोग की उत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राकृतिक चिकित्सा में जो कारण बतलाया गया है, उसका प्रबल विरोध ...
21/11/2023

कीटाणु नहीं विजातीय द्रव्य

रोग की उत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राकृतिक चिकित्सा में जो कारण बतलाया गया है, उसका प्रबल विरोध एलोपैथीक चिकित्सा का कीटाणु सिद्धान्त करता है। इन लोगों की मान्यता है कि प्रायः सभी रोगों की उत्पत्ति के मूल कारण वे अत्यन्त छोटे और हमारे नेत्रों से अदृश्य कीटाणु होते हैं जो जल में, वायु में, समस्त खाद्य पदार्थों में पाये जाते हैं और सदैव मुख, नासिका, चर्म आदि के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करते रहते हैं। जब इन कीटाणुओं की संख्या अधिक हो जाती है तभी ये हमको दबा लेते हैं और जिस रोग से वे संबंधित होते हैं वही हमारे शरीर में उत्पन्न कर देते हैं। अगर इस सम्बन्ध में डाक्टरों के कथनों पर पूरा विश्वास किया जाय तो वास्तव में एक दिन भी इस संसार में मनुष्य का रहना दुर्लभ हो जाय। वे लोग इनको महाभयंकर सर्प से बढ़ कर घातक बतलाते हैं। एक डाक्टर ने लिखा है कि यदि इन कीटाणुओं को दवाओं द्वारा नष्ट न किया जाय तो अनुकूल जलवायु पाने पर वे तीन दिन में एक से बढ़कर तीस खरब तक हो सकते हैं।
पर जब इस मत पर तर्क की दृष्टि से विचार किया जाता है, तो इसकी निस्सारता बहुत शीघ्र प्रकट हो जाती है। यह कीटाणु−सिद्धान्त अब से सौ वर्ष पहले फ्राँस के पास्चर नामक डाक्टर ने प्रचारित किया है। उसके पहले इसकी न तो कहीं चर्चा थी और न किसी को इसका कुछ भी ज्ञान था। उस समय तक किसी ने कीटाणु−नाशक दवाओं का आविष्कार या प्रयोग न किया था। पर यह एक प्रकट बात है कि उस समय के व्यक्तियों का स्वास्थ्य आजकल की अपेक्षा अधिक मजबूत तथा स्थायी होता था और शारीरिक दृष्टि से वे अधिक शक्तिशाली होते थे। यदि कीटाणुओं की सेना ऐसी ही भयंकर होती तो अब तक मनुष्यों का नाम निशान बच सकना भी कठिन था।
वास्तविक बात यह है कि रोगों के कीटाणु होते अवश्य हैं, पर वे कहीं बाहर से आकर हमारे शरीर में प्रवेश नहीं करते और न उनके कारण रोगों की उत्पत्ति होती है। वरन् जब मल के विकार से हमारे शरीर में गन्दगी बढ़ती है और रोग पैदा होता है तो उसके साथ में कीटाणु भी पैदा हो जाते हैं। कनाडा के डाक्टर फ्रेजर ने बार−बार परीक्षा करके यह सिद्ध किया है कि रोग की उत्पत्ति होने के पश्चात् ही कीटाणु दिखाई पड़ते हैं। इस प्रकार रोग कारण हैं और कीटाणु उसके कार्य या फल हैं। कार्य का कारण से पहले हो सकना असम्भव है।
कीटाणुओं के सिद्धान्त को असत्य सिद्ध करने वाला दूसरा प्रमाण यह भी है कि अनेक व्यक्तियों के शरीर की परीक्षा करने पर उसमें अनेक रोगों के कीटाणु पाये जाते हैं, पर वे लोग उन रोगों के बीमार नहीं होते, वरन् साधारण रूप में उनको स्वस्थ ही माना जाता है। प्राकृतिक चिकित्सकों ने तो दावे के साथ यह कहा है कि जिस व्यक्ति का शरीर सर्वथा स्वस्थ होगा अर्थात् जिसके भीतर विजातीय द्रव्य जमा न होंगे उसका ये कीटाणु कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इसको प्रमाणित करने के लिये जर्मनी के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर पैर्टन कोफर ने तो सैकड़ों विद्यार्थियों के सम्मुख शीशी में भरे हैजे के कीटाणुओं को पी लिया था, पर उनको कुछ हानि नहीं हुई। वैसे डाक्टरों के मतानुसार उन कीटाणुओं की तादाद इतनी थी कि वे एक पूरी फौज को मार सकते थे। प्रोफेसर ने पहले ही कह दिया था कि मेरे शरीर में गन्दगी नहीं है इसलिये वहाँ ये कीटाणु पनप ही नहीं सकते।
डाक्टर लोग जो चेचक आदि का टीका लगाते हैं और उसके प्रभाव से लोगों को जो ज्वर हो जाता है या साधारण चेचक निकल आती है उसका कारण भी कीटाणु नहीं होते, वरन् डाक्टरी इंजेक्शन में जो मल का अंश होता है वही ये सब दुष्परिणाम उत्पन्न करता है। मल ही विषैले प्रभाव वाला पदार्थ है, वह शरीर में जिस किसी भी रीति से प्रवेश करेगा अपना कुप्रभाव अवश्य दिखलायेगा। इसीलिये जिन लोगों के शरीर में आहार−विहार सम्बन्धी गलतियों के कारण पहले से मल जमा होता है और उसके कारण जिनका रक्त दूषित पड़ गया होता है, उन पर ही रोगों के कीटाणु प्रभाव डालते हैं। अगर मल का परिमाण अधिक होगा तो कीटाणुओं का प्रभाव भी ज्यादा होगा और मल कम हुआ तो उनका साधारण असर ही पड़ेगा।

टोरण्टो (कनाडा) में कुछ समय पहले एक संस्था की स्थापना की गई थी जिसका उद्देश्य कीटाणुओं के सिद्धान्त की छानबीन करना था। उसमें अनेकों प्रसिद्ध वैज्ञानिक तथा डाक्टर भी सम्मिलित थे तथा जनसाधारण में से भी जिनको इस विषय से अनुराग था उसमें भाग लेते थे। उन लोगों ने जाँच करके यही परिणाम निकाला कि मानव शरीर में कीटाणुओं का प्रकट होना रोगोत्पत्ति के पश्चात ही होता है इसलिये कीटाणु रोगों के कारण नहीं हो सकते, वरन् रोगों का कारण भिन्न ही होता है। इस सिद्धान्त का प्रत्यक्ष प्रमाण देने के लिये कुछ लोगों ने अपने को स्वयं सेवक के रूप में उपस्थित किया। डाक्टरों ने उनको भोजन तथा जल के साथ मिलाकर डिपथीरिया, निमोनिया, टाइफ़ाइड ज्वर (मोतीझरा) और गर्दन तोड़ बुखार आदि के ताजे और स्वस्थ कीटाणु दिये, पर उनके शरीर में उनके कारण कोई भी विकार या रोग उत्पन्न न हो सका और वे कीटाणु साधारण रीति से मल के साथ बाहर निकल गये। इसी प्रकार अमरीका के डाक्टर ऐडरमण्ड ने चेचक के टीके की असत्यता सिद्ध करने के लिये अपने समस्त शरीर में चेचक का बहुत सा मवाद मल लिया। वहाँ के कानून के अनुसार उनको रोगी मानकर कारंटाइन (रोगियों का निरोध−गृह) में बन्द कर दिया, पर कई दिन बीत जाने पर भी जब उन पर उसका कोई प्रभाव न पड़ा तब उन्हें छोड़ दिया गया।
हम फिर यह बतला देना चाहते हैं कि हमारा उद्देश्य कीटाणुओं के अस्तित्व से इनकार करना नहीं है और न हम उनको निष्प्रयोजन बतलाते हैं। ये कीटाणु प्रकृति के एक बड़े साधन के रूप में हैं जिनके द्वारा वह निर्माण और विनाश दोनों कार्यों को सम्पन्न करती है। एक प्रकार के कीटाणुओं द्वारा प्रकृति जीवन की उत्पत्ति और वृद्धि करती है और दूसरे प्रकार के कीटाणु चारों तरफ पैदा होने वाली गन्दगी और मल की सफाई करते हैं। अगर ये कीटाणु न होते तो यह संसार मुर्दा और सड़ी गली चीजों से भर जाता और उसमें स्वस्थ जीवन के विकास के लिये स्थान ही न रहता। इसलिये प्रकृति कीटाणुओं द्वारा ही मुर्दा और रोगी प्राणियों, पौधों और वनस्पतियों को नष्ट कराके नई वस्तुओं का निर्माण किया करती है। इस दृष्टि से कीटाणुओं को दोष देना या उनको भयंकर बतलाना निरर्थक है। उसके कारण ही हमारे शरीर में तरह−तरह के विकार उत्पन्न होते हैं जो अन्त में रोगों के रूप में प्रकट होते हैं। कीटाणु वास्तव में उस गन्दगी को मिटाने को आते हैं और इस प्रकार वे हमारे शत्रु नहीं मित्र ही समझे जाने चाहिये। यह दूसरी बात है कि हम अपनी अज्ञानता से या स्वार्थपर चिकित्सकों के उपदेशों से भ्रम में पड़कर उस समय उल्टा सीधा काम करने लगें और अपने ही हाथ से रोग को गम्भीर या घातक बना दें। कीटाणुओं को इसके लिये दोषी नहीं बताया जा सकता।
वास्तव में हमारे रोगों का सर्वप्रधान कारण हमारा आहार है। हम जैसा आहार करेंगे वैसा ही हमारा शरीर बनेगा, और वैसा ही आस−पास के वातावरण का उस पर प्रभाव पड़ेगा। आजकल लोगों ने आहार सम्बन्धी नियमों और संयम का अधिकाँश में त्याग कर दिया है और वे जिह्वा के स्वाद के लिये और आहार−तत्व को न समझने के कारण प्रायः आवश्यकता से बहुत अधिक खाया करते हैं या ऐसे पदार्थ खाते हैं जो हमारी शारीरिक प्रकृति के अनुकूल नहीं होते और भीतर पहुँच कर विकारों को उत्पन्न करते हैं। जब ऐसे पदार्थ कब्ज पैदा करके भीतर ही पड़े रहते हैं तो उनमें सड़न पैदा होती है और विषाक्त रस तथा गैसों की उत्पत्ति होकर रक्त दूषित होने लगता है। यह दूषित रक्त ही समस्त रोगों की जड़ है, क्योंकि रक्त शरीर में नख से शिख तक प्रत्येक अंग में बराबर दौरा करता रहता है और उसमें जो विषाक्त द्रव्य मिल जाता है उसे वह समस्त शरीर में फैलाता जाता है। उस अवसर पर हमारा जो अंग सबसे अधिक निर्बल अवस्था में और असुरक्षित होता है, उसी पर रोग का आक्रमण हो जाता है। यही रोगों का सच्चा कारण है, कीटाणुओं को इसके लिये दोषी बनाना व्यर्थ है।

साभार
श्री राम शर्मा आचार्य
जीवेम शरदः शतम

शायद अब समझ मे आयेगा की इलेक्ट्रो होम्योपैथी मे मेटि जी ने लिम्फ और ब्लड का प्युरिफिकेशन् का सिद्धांत क्यों बनाया था



17/11/2023

संसार में दो प्रकार के पेड़ पौधे होते हैं

*प्रथम* : अपना फल स्वयं दे देते हैं,
*जैसे - आम, अमरुद, केला इत्यादि*

*द्वितीय* : अपना फल छिपाकर रखते हैं,
*जैसे - आलू, अदरक, प्याज इत्यादि*

जो अपना फल अपने आप दे देते हैं, उन वृक्षों को सभी खाद-पानी देकर सुरक्षित रखते हैं, किन्तु जो अपना फल छिपाकर रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते हैं

*ठीक इसी प्रकार*
जो व्यक्ति अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वयं ही समाज सेवा में समाज के उत्थान में लगा देते हैं, *उनका सभी ध्यान रखते हैं अर्थात् मान-सम्मान देते है* ।

*वहीं दूसरी ओर*
जो अपनी विद्या, धन, शक्ति स्वार्थवश छिपाकर रखते हैं, किसी की सहायता से मुख मोड़े रखते है, वे जड़ सहित खोद लिए जाते है अर्थात् समय रहते ही भुला दिये जाते है।

🌿✨ Exciting News! A new Book "Mattie Vision" Electrohomeopathy by Dr. R.K. Gupta! is coming soon📘🔬Dear Electrohomeopathy...
17/11/2023

🌿✨ Exciting News! A new Book "Mattie Vision" Electrohomeopathy by Dr. R.K. Gupta! is coming soon📘🔬

Dear Electrohomeopathy's Doctors,Student and friends,

Prepare yourselves for an extraordinary electrohomeopathy journey with "Mattie Vision", a masterpiece crafted by Dr. R.K. Gupta based on an incredible 35 years of experience in the Electrohomeopathy field! 📚💡

🌟 Dr. Gupta, a electrohomepathy expert, invites you to delve into the profound wisdom he has garnered over decades in Electrohomeopathy.

"Mattie Vision" not only shares insights but offers a roadmap to optimal health, backed by years of dedication, research, and real-world experiences.

🌿⚡️ This groundbreaking book unveils the secrets, principles, and transformative potential of Electrohomeopathy, providing a unique perspective on holistic wellness.

Dr. R.K. Gupta's expertise shines through every page, making "Mattie Vision Electrohomeopathy" a must-read for those seeking a deeper understanding of natural healing with electrohomeopathy.

🗓️ Stay tuned for more details on how you can be part of this enlightening experience and gain access to the wealth of knowledge accumulated through decades of dedicated practice.

🌐✨ Let's share the excitement! Spread the word about "Mattie Vision" Electrohomeopathy with your friends, family, and everyone interested in unlocking the power of electrohomeopathy.

Dr.R.K.Gupta
BEMS
MD(Electrohomeopathy)
Electrohomeopathy Research Center
Saidpur Ghazipur UP
Mobile 9450722435

काउंट सीजर मैटी का संक्षिप्त जीवन परिचय
06/11/2023

काउंट सीजर मैटी का संक्षिप्त जीवन परिचय

काउंट सीजर मैटी का संक्षिप्त जीवन परिचय | Count Ceaser Mattei Storyआज की वीडियो के माध्यम से काउंट सीजर मैटी का संक्षिप्त जीवन परि.....

https://youtu.be/nppDTbePPegSTD के बारे में जानने के लिए इस विडियो को देखें चैनल को सब्सक्राइब भी कर दें
06/11/2023

https://youtu.be/nppDTbePPeg
STD के बारे में जानने के लिए इस विडियो को देखें चैनल को सब्सक्राइब भी कर दें

नमस्कार दोस्तोंआज की वीडियो के माध्यम से STD kya hai | इलेक्ट्रो होम्योपैथी में एसटीडी का उपचार के बारे में चर्चा की गई है...

इलेक्ट्रो होम्योपैथी के जनक महान काउंट सीजर मैटी जी के जन्म दिन की सभी इलेक्ट्रो होम्योपैथी से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष र...
10/01/2023

इलेक्ट्रो होम्योपैथी के जनक महान काउंट सीजर मैटी जी के जन्म दिन की सभी इलेक्ट्रो होम्योपैथी से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी लोगो को मैटी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

https://youtube.com/shorts/7uMuCD36S38?feature=share
07/01/2023

https://youtube.com/shorts/7uMuCD36S38?feature=share

इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन के डायल्यूशन बनाने का इंडियन जुगाड #इलेक्ट्रोहोम्योपैथी #होम्योपैथी

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226029

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