22/11/2023
चर्म रोगों से कैसे बचें????
हमारे शरीर की त्वचा मुख्य रूप से मल,निष्कासक अंगों के अन्तर्गत आती हैं।
त्वचा के माध्यम से प्रतिदिन पसीने के रूप में हमारे शरीर की अधिकांश गंदगी बाहर निकलती रहती है।
जब तक हमारी त्वचा स्वस्थ रहती है तब तक शरीर के अन्दर किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं रहती हैं।
लेकिन जब किसी कारण से यह अस्वस्थ हो जाती है तब इसके छिद्र बंद हो जाते हैं या शरीर में गंदगी का भार इतना अधिक बढ़ जाता है कि वह इस अंग द्वारा बाहर नहीं निकल पाती तो प्रकृति शरीर को मल-भार से मुक्त करने के लिए बहुत से रोग उत्पन्न कर देती है। जिससे यह गंदगी शरीर के बाहर निकलने लगती है।
चर्म रोग इस प्रकार हैं।
खाज,खुजली, दाद,फोड़े,फुन्सियां, उकवात,पामा,छाजन, कुष्ठ,चेचक और कण्ठमाला आदि। ये सभी चर्म रोग की श्रेणी में आते हैं।
चर्म रोग के लक्षण,,
इस रोग से पीड़ित रोगी की त्वचा पर सूजन हो जाती है तथा उसके फोड़े,फुंसियां निकलने लगता है।
रोगी व्यक्ति को खुजली तथा दाद हो जाता है और उसके शरीर पर छोटे,छोटे लाल या पीले दाने निकल आते हैं।
चर्म रोग होने के मुख्य कारण,,
चर्म रोग होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में दूषित द्रव्य का जमा हो जाना होता है।
चर्म रोग कभी भी स्थानीय नहीं होते हैं। बल्कि अन्य रोगों की तरह ही यह शरीर के अन्दर खराबी और गंदगी के कारण होते हैं।
चर्म रोग भूख से अधिक भोजन करने, संतुलित भोजन न करने, उचित तथा नियमित व्यायाम न करने, आराम न करने, अच्छी तरह से नींद न लेने के कारण होता है।
चाय-कॉफी तथा नशीली वस्तुओं का अधिक सेवन करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
दूषित भोजन का सेवन करने के कारण भी चर्म रोग हो जाते हैं।
कब्ज, सिर में दर्द, पेचिश आदि अन्य रोगों के कारण भी चर्म रोग हो सकते हैं।
अधिक गर्म तथा ठंडे मौसम के कारण भी चर्म रोग हो जाते हैं।
पाचन क्रिया तथा यकृत में खराबी आ जाने के कारण चर्म रोग हो जाते हैं।
जिस व्यक्ति के पेट में कीड़ें होते हैं उसे भी चर्म रोग हो जाते हैं।
शरीर की अच्छी तरह से सफाई न करने के कारण भी चर्म रोग हो जाते हैं।
गीले वस्त्र तथा अधिक गर्म वस्त्र पहनने के कारण भी चर्म रोग हो जाते हैं।
मानसिक तनाव चिंता के कारण भी चर्म रोग हो सकते हैं।
रोगी व्यक्ति के वस्त्रों को पहनने तथा उसके द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों का उपयोग करने से भी चर्म रोग हो जाते हैं।
चर्म रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार,,
इस रोग से पीड़ित रोगी को कम से कम 7 दिनों तक गाजर, ककड़ी, पालक, गाजर, पत्तागोभी, सफेद पेठा आदि फलों का रस पीना चाहिए और उपवास रखना चाहिए। फिर कुछ दिनों तक बिना पका हुआ भोजन जैसे,सलाद, अंकुरित खाद्य-पदार्थों का सेवन करना चाहिए।