20/11/2022
योग सिखलाया नहीं जाता, योग का अनुभव किया जाता है। अगर हम योग सीखते हैं, यंत्रवत् ही इसका अभ्यास करते हैं, तो इससे कोई खास फायदा नहीं होता। लेकिन यदि योग के विचारों से जुड़कर योगाभ्यास किया जाए और यौगिक मूल्यों को अपने जीवन में अपनाया जाए, तब योग का असर शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तर पर पड़ता है तथा इसके प्रभाव को अपने विचार, व्यवहार और कर्मों में देखा जा सकता है। न मोक्ष योग की उपलब्धि है, न ही समाधि, बल्कि जीवन में अपनी प्रतिभाओं का सही प्रकार से उपयोग करना योग की वास्तविक उपलब्धि है।
~ स्वास्थ्य की परिभाषा ~
योग यह मानता है कि हर मनुष्य के जीवन में दो प्रधान शक्तियाँ होती है, जिनके कारण इन्द्रियाँ और मन अपना कार्य करते हैं। योग की भाषा में इन्हें सूर्यशक्ति अथवा प्राणशक्ति और चन्द्रशक्ति अथवा चित्तशक्ति कहा गया है। प्राणशक्ति का सम्बन्ध मनुष्य के शरीर के साथ, इन्द्रियों के व्यवहार के साथ होता है, और चित्तशक्ति का मन के साथ। जिस प्रकार से बाह्य इन्द्रियों को प्राणशक्ति ऊर्जा प्रदान करती है, उसी प्रकार बाह्य इन्द्रियों के आन्तरिक अनुभवों को चित्तशक्ति ऊर्जा प्रदान करती है। यही दो शक्तियाँ मनुष्य के जीवन को हमेशा संचालित करती है। प्राणशक्ति में अगर कोई विकार आ जाए, तो फिर रोग की उत्पत्ति होती है। यह एक छोटा सा सूत्र है, जिसे हमेशा याद रखना। प्राण और चित्त, इन दोनों शक्तियों के महत्व एवं उपयोगिता को अगर हम समझ पाएँ, तो हमें योग की पूरी प्रक्रिया समझ में आ जाएगी।
आज विज्ञान कहता है कि बीमारियाँ अनुवांशिक होती हैं और विज्ञान यह प्रयास कर रहा कि जीन्स के ही स्तर पर जाकर भविष्य में होने वाले रोगों की संभावनाओं को समाप्त कर दिया जाए। लेकिन जो इस जीवन की प्राकृतिक घटना है, क्या उसे पूर्ण रूप से रोका जा सकता है? नहीं। पानी को कितने दिनों तक बाँध कर रख सकोगे? जहाँ बाँध कमज़ोर होगा, वहाँ से पानी बहेगा ही। स्वास्थ्य का मतलब नीरोगी जीवन नहीं होता। स्वास्थ्य का मतलब होता है अपने प्रति सजग बनकर, अपने शरीर के स्वभाव के अनुसार एक सकारात्मक और व्यवस्थित जीवन व्यतीत करना। "स्व" का मतलब स्वयं में और "स्थ" का मतलब स्थित होना। जो स्वंय में स्थित है, वह व्यक्ति स्वस्थ है।
🌻परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती 🌻
साभार :-- " योगविद्या "