Aairah Foundation

Aairah Foundation Humanity

Via :  verma ❤️ We are in full support of our  , but we cannot leave these people   as well.No matter what happens, but ...
08/12/2020

Via : verma ❤️

We are in full support of our , but we cannot leave these people as well.

No matter what happens, but you can see these many people lined up outside before it opens everyday.

This is one big change we have seen in past 2 months, where people do visit in hope that they will get an unlimited meal at Rs.10 here everyday.

We are open, today, tomorrow and till the time people support us.

Contribute to serve more people at:
https://www.ketto.org/fundraiser/changewithonemeal

with Simply Blood

Kiran Verma wants to raise funds for Help me to serve our people with a Rs.10 meal!. Your donation has the power to help them move closer to their goal amount. Please contribute.

Wear proper mask 🙏
22/07/2020

Wear proper mask 🙏

 #उर्वशी की शादी गुरुग्राम के एक अमीर घर में हुई थी. उनके पति अमित यादव एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में अच्छी नौकरी करते थे. घर...
20/07/2020

#उर्वशी की शादी गुरुग्राम के एक अमीर घर में हुई थी. उनके पति अमित यादव एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में अच्छी नौकरी करते थे. घर में पैसों को कोई कमी नहीं थी. उर्वशी अपने परिवार के साथ गुरुग्राम में एक आलिशान जिंदगी जीती थीं. उन्हें कभी एहसास भी नहीं हुआ था कि इस आलिशान जिंदगी में ऐसा बदलाव आएगा कि उनके परिवार को पाई-पाई का मोहताज होना पड़ेगा.

31 मई 2016 के दिन गुरुग्राम में उर्वशी के पति अमित का एक एक्सीडेंट हो गया. यह एक्सीडेंट इतना खतरनाक था कि अमित को कई सर्जरी से गुज़रना पड़ा. डॉक्टरों ने अमित की सर्जरी तो कर दी थी, पर उनकी चोट काफी गहरी थी. अपनी इस चोट के कारण वो काम नहीं कर सकते थे. इस कारण उन्हें नौकरी भी छोड़नी पड़ी. अमित के नौकरी छोड़ने के बाद से ही परिवार में सब बदलना शुरू हो गया.

उनके परिवार में अमित की नौकरी के सिवा कोई और कमाई का जरिया नहीं था. बैंक में जमा सारा पैसा धीरे-धीरे ख़त्म हो रहा था. अमित की दवाइयां, बच्चों की स्कूल फीस और घर के राशन में ही इतना पैसा लग गया कि आगे के दिन गुज़ारने के लिए उनके पास कुछ नहीं बचा था. अचानक हुई पैसों की इस तंगी ने पूरे परिवार का जीवन बदलकर रख दिया था

बिन पैसे के एक-एक दिन काटना मुश्किल हो रहा था. अमित के ठीक होने में अभी बहुत वक़्त था. ऐसे में अपने परिवार और बच्चों की ज़िम्मेदारी उठाते हुए उर्वशी ने काम करने की इच्छा जाहिर की. उन्हें नौकरी करने का कोई अनुभव नहीं था. ऐसे में उन्हें कोई ऐसा काम ढूंढना था, जिससे वो आसानी से कर सकें.

उर्वशी अंग्रेजी जानती थीं. इसके चलते उन्हें एक नर्सरी स्कूल में टीचर की नौकरी मिल गई. पैसे कम थे पर उस समय एक-एक पाई भी उनके लिए जरूरी थी. कुछ समय तक उर्वशी ने टीचर की नौकरी की पर उससे कमाया पैसा पर्याप्त नहीं था. खर्चे बहुत ज्यादा थे, इसलिए उन्हें कुछ ऐसा करना था जिससे अधिक से अधिक पैसा कमाया जा सकें.

अंग्रेजी के बाद खाना बनाने की कला ही एक ऐसी चीज़ थी, जिसे उर्वशी अपना सकती थीं. हालांकि, उनके पास इतना भी पैसा नहीं था कि अपनी एक छोटी सी दुकान खोल सकें. इसके चलते उन्होंने आखिरी में फैसला किया कि दुकान ना सही पर वो एक छोटा सा ठेला जरूर लगा सकती हैं.

अपने इस आईडिया के बारे में जब उर्वशी ने परिवार में बताया तो सबने उनका विरोध किया. उनसे कहा गया कि वो पढ़ी-लिखी हैं और अच्छे घर से हैं, उनका यूं ठेला लगाना परिवार की प्रतिष्ठा के लिए ठीक नहीं है. हर कोई उनके खिलाफ था, पर उर्वशी जानती थीं कि परिवार की प्रतिष्ठा से उनके बच्चों का पेट नहीं भरेगा. इसलिए उन्होंने किसी की एक नहीं सुनी और छोले-कुलचे का ठेला खोलने का फैसला किया.

जो महिला कभी AC के बिना नहीं रही. जो महिला गाड़ियों में सफ़र किया करती थी. जो महिला बड़े रेस्तरां में खाया करती थी, आज वो गुरुग्राम के सेक्टर 14 की कड़ी धूप में खड़ी थी. चूल्हे की आग और तेल से निकलते धुएं के बीच उन्हें खाना बनाना था. छोले-कुलचे का ये ठेला चलाना उनके लिए आसान नहीं था.

कड़ी धूप में, बिना किसी की मदद के उन्हें ये काम करना था. उर्वशी जानती थीं कि परेशानियां कई आएंगी, पर अपने परिवार के लिए उन्हें हर परेशानी का सामना करना था. उर्वशी के परिवार का मानना था कि वह कुछ ही दिनों में ये सब बंद कर देंगी, लेकिन कुछ ही महीनों में उर्वशी का यह ठेला पूरे इलाके में प्रसिद्ध हो गया.

लोग ना सिर्फ़ उर्वशी के स्वादिष्ट छोले-कुलचे से, बल्कि उनके लहज़े से भी प्रभावित थे. उन्होंने पहले किसी इंग्लिश बोलने वाली महिला को यूं ठेला लगाते नहीं देखा था. उर्वशी इतनी प्रसिद्ध हो गई थी कि अब गुरुग्राम के दूसरे इलाकों से भी लोग उनके पास आने लगे थे. शुरुआती दिनों में ही उन्होंने दिन में 2500 से 3000 रूपए कमाने शुरू कर दिए थे.

उर्वशी की मेहनत रंग लाने लगी थी. कुछ वक़्त बाद उनके परिवार ने भी उनका पूर्ण सहयोग दिया. अकेले अपने दम पर उर्वशी ने घर का खर्च उठा लिया था. उनकी इस कहानी ने कई लोगों का ध्यान खींचा. सोशल मीडिया पर जैसे ही उर्वशी की कहानी आई तो उनके पास ग्राहकों की लंबी कतार लग गई. उनका यह ठेला अब एक सफल बिजनेस का रूप ले चुका था. वह प्रति माह इतना पैसा कमा रही थीं कि अपने पति के ठीक होने तक घर की सारी ज़िम्मेदारी उन्होंने अपने कंधों पर उठाए रखी. एक बार जैसे ही उनके पति ठीक हुए तो घर के आर्थिक हालात फिर स्थिर होने लगे. जैसे ही सब ठीक हुआ तो उर्वशी ने इस छोटे से ठेले को एक रेस्तरां का रूप दे दिया.

आज उनके रेस्तरां में कई और भी पकवान हैं पर उनके छोले-कुलचे आज भी लोगों के दिल और जुबां पर छाए हुए हैं. उर्वशी ने दुनिया को बताया कि अगर खुद में विश्वास हो तो आप हर परिस्तिथि से खुद को बाहर निकाल सकते हैं

18/07/2020

Dear Students!! Hope this will help you!!

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Via : M A Mirza

    😢
17/07/2020

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This is very historic. Last week, women's rights in Sudan received a long-fought victory when Sudan's governing body dec...
16/07/2020

This is very historic. Last week, women's rights in Sudan received a long-fought victory when Sudan's governing body decided the practice of female ge***al mutilation in the country was illegal. ⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀
⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀
The practice is widespread in Sudan. A 2014 United Nations-backed survey estimated 87% of Sudanese women and girls between age 15 and 49 were subjected to the procedure.⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀
⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀
In the justice ministry's statement, they declared female ge***al mutilation “degrades the dignity of women." And Prime Minister Abdalla Hamdok called their decision “an important step in reforming the justice system.”⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀⠀
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It's a very important step, and one that certainly should have come a long time ago. While rights groups in the country are cautious about the steep challenges with enforcing the new law, its an important step in protecting the rights of women of Sudan.

Via :FB

कट्टरता का पहला शिकार महिला ही होती हैं । बंटवारें में लड़कियाँ ऐसे उठा ली जाती थीं, जैसे चील किसी गोश्त के लोथड़े को छीन ...
16/07/2020

कट्टरता का पहला शिकार महिला ही होती हैं । बंटवारें में लड़कियाँ ऐसे उठा ली जाती थीं, जैसे चील किसी गोश्त के लोथड़े को छीन ले जाए । लड़कियों के हाथों पर बलात्कारी अपना नाम गुदवा देते थे । लड़कियां लूट के माल की तरह एक हाथ से दूसरे हाथ होते हुए घरों के चूल्हों में झोंक दी जाती थीं । यही सब तो हो रहा था,जिसे रोकने के लिए भी औरते बाहर आई । बंटवारे में मज़हब सनक बनकर इंसानियत से हैवानियत पर उतर आया था । हर इंसान हैरत में था कि इंसान की बोटियाँ नोचने वाले इंसान ही है ?
तराज़ू लेकर बैठिएगा तो किसी का भी पाप कम या ज़्यादा नही निकलेगा ।

जिस तरह सभी धर्म के लोग हैवान हो रहे थे,उसी तरह हर धर्म के लोग आगे बढ़कर इंसानियत की भी मिसाल दे रहे थे । हमें इन इंसानों को पढ़ना चाहिए जो ज़ुल्म की ताप सहकर उनसे मुकाबला करके इंसानियत को रोज़ जिला रहे थे ।

पढ़ना भी भला कौन चाहता है ।कहते हैं अगर आपने माटी की ख़िदमत की है, तो एक न एक रोज़ उसकी महक दुनिया महसूस करेगी ।मेरे पास लिखने को हज़ार पन्ने हैं, लाखो शब्द हैं मगर मैं उनकी शख्सियत पर क्या क्या लिखूँ ।

साहित्य अकादमी सम्मान से नवाज़ी,दो बार राज्य सभा सांसद, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और सबसे बढ़कर बंटवारे में शरणार्थी कैम्प में जीजान से ख़िदमत करने वाली #बेग़म_अनीस_क़िदवई ।

शायद वह इकलौती औरत जिसने कैम्प में लाशो को नहलाया,कफ़न दफ़्न किया,यहाँ तक कब्रें भी खोदी,तब जाकर बंटवारे से उपजा ज़ख्म हम पाट पाए थे ।हज़ारों लड़कियों को जो बेच दी गई,जो उठा ले जाइ गई,जिन्हें भीड़ ने काफिलों से लूटकर छीन लिया,अपने घरों में बांध लिया ।चुन चुन कर एक एक लड़की को वापिस उसके परिवार में पहुँचाने वाली बेग़म अनीस क़िदवई ।

आज उनकी पुण्यतिथि है ।खोजिए,इन्हें पढ़िए,इनके दिलों को हौसले को महसूस कीजिये ।यह जो सत्तर साल हम मिल बाँटकर साथ वक़्त गुज़ार लिए,उसकी बुनियाद हैं बेग़म अनीस क़िदवई ।

"आज़ादी की छाँव में" उनकी लिखी किताब पढ़िए और रोइये ।देखिये ज़मीन को मज़हब के नाम से फाड़ने पर कितने दिल टूटे थे ।इस सबसे इतर उस वक़्त के हालात देखिये,वह कौन लोग थे जो तब भी भीड़ बनकर डरा रहे थे ।सैकड़ो साल से साथ रह रहे अपने भाइयों को खींचकर गाँव से बाहर कर रहे थे और कितनी हो बेंटियों को गले में रस्सी डालकर,बिना कपड़ों के घर में जानवरों की तरह बाँधे रखे थे ।यह सारे दर्द,यह सारी नाइंसाफी,यह सारे ज़ख्म को बेग़म अनीस क़िदवई और मृदुला साराभाई ने साथ साथ भरकर हमारे देश की बुनियाद रखी है ।

शरणार्थियों की सेवा के साथ साथ सैकड़ों लड़कियों को खोजा । खोजी हुई लड़कियों को जब उनके ही सगो ने लेने से इनकार किया,तो उन्हें पाला । बेग़म अनीस और सुभद्रा,दो औरतें भयँकर दंगो से झुलस रहे गाँव मे अकेले निकल गईं,लड़कियों को खोजने,लोगों ने घेरकर उनकी गाड़ी तोड़ फोड़ दी,उन्हें गालियाँ दीं, उनपर झपटने को दौड़े मगर न यह डरी और न पीछे हटीं । गांव के सबसे खूँखार वहशी के खूंटे में बंधी लड़की को खींचकर निकाल लाईं और उसको आज़ाद ज़िन्दगी दी ।

आपको क्या लगता है कि बंटवारें से उपजा ज़ख्म यूहीं भर गया । इसके लिए अथक मेहनत की गई,दिन रात बिना फर्क किये काम किया गया । सवालों और बदले की आग पर ठंडा पानी डालकर सेवा की गई,लोगों को भड़काने की जगह बनाने पर ज़ोर दिया गया । रोने की जगह उठ खड़े होने की बातें की गईं । बेग़म अनीस क़िदवई को पढ़िए,रोइये की अपने सारे ग़म भुलाकर वह मुल्क की बुनावट में लग गईं । दंगो में अपने पति की लाश के टुकड़े देख बदले के लिए नही दौड़ी बल्कि दूसरे परेशान हाल सताए हुए लोगों के आँसू पोछने निकल पड़ी ।

आज,हाँ आज तो उन्हें याद ही करलें...हम तो रो रोकर पलट कर देखते हैं, की काश इनके रत्ती भर सेवा और समर्पण आ जाए,तो इस माटी की ख़िदमत में मर मिटूँ...

Kidwai

#हैशटैग

22/06/2020

An Humble Appeal !!
Whenever you find a Person Infected with Covid 19 in your neighbourhood and going for Quarantine or Hospital or isolation Please donot take Video or Photography and make that person feel shameful or guilty, Instead stand in your Balcony or Window or Terrace and Wish him/her good luck and a Speedy Recovery.
1. Respect the person.
2. Pray for the person.
3. Make him feel your a good friend/ Neighbour / Relative.
4. Wish him/her to get well Soon.
This Disease can be cured by each others help and not by humiliation.
Feel the Pain that the person and his Family may go through, Lets Pray for Each other in these Hard times.
Feeling Others Pain is also a Sign of Humanity 🙏

 #अस्मा_ईसा_फाउंडेशन  #दिल्ली की अनूठी पहल। कोविड या अन्य किसी मेडिकल इमरजेंसी में यदि किसी को  #ऑक्सीजन की जरूरत हो तो ...
21/06/2020

#अस्मा_ईसा_फाउंडेशन #दिल्ली की अनूठी पहल। कोविड या अन्य किसी मेडिकल इमरजेंसी में यदि किसी को #ऑक्सीजन की जरूरत हो तो उसकी निशुल्क व्यवस्था।

यह नंबर सहेज कर रखें और अपने दोस्तों के साथ साझा करें ताकि कोई गरीब या जरूरतमंद ऑक्सीजन के लिए इधर उधर ना भटके।

  ‼️
18/06/2020

‼️

14/06/2020

Reach out when you are overcome with emotions, just let the moment pass. Life is precious and times always change. Just hold on a bit more, there are good things on the anvil, please stay.

If you or someone you know needs help, call any of these helplines:
Aasra (Mumbai) 022-27546669,
Sneha (Chennai) 044-24640050,
Sumaitri (Delhi) 011-23389090,
Cooj (Goa) 0832- 2252525,
Jeevan (Jamshedpur) 065-76453841, Pratheeksha (Kochi) 048-42448830,
Maithri (Kochi) 0484-2540530,
Roshni (Hyderabad) 040-66202000,
Lifeline 033-64643267 (Kolkata)

💔😢 Via : Cartoonist Satish Acharya
03/06/2020

💔😢

Via : Cartoonist Satish Acharya

😢😢😢😢
03/06/2020

😢😢😢😢

💔💔💔💔💔💔
03/06/2020

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🇮🇳 😢 🙏
28/05/2020

🇮🇳 😢 🙏

🇮🇳 The nation, we the people of India will pay through our nose for each and every death/suffering/pain. NO ONE will be ...
28/05/2020

🇮🇳 The nation, we the people of India will pay through our nose for each and every death/suffering/pain.

NO ONE will be spared. NO ONE. Remember this.

Some will pay because they didn't care. Some will pay because they couldn't wake others up.



  🙏
27/05/2020

🙏

Address

Lucknow

Telephone

+918604617299

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