12/03/2024
वक्त दिन ब दिन बढ़ता चला गया।याद है वो दिन ज़रूरत पर कमाने के लिए पैदल घर से टूटी चप्पल पहन कर फटेहाल निकले थे। जब कमा कर वापस आने का वक्त आया सूट बूट और कार से चश्मा लगाकर आये। घर नहीं मिला ज़नाब वक्त ने शहर का हिस्सा बना दिया कालौनी बना कर खेत को माल कर दिया। दोनों भतीजे सेठ हो गए अपने अपने फ्लैट में रहने लगे उनके बच्चे कान्वेंट स्कूल में पढ़ने लगे।मैम जैसी बहूरानी हाय कह कर अन्दर चली गई।आऊट हाऊस में दो चारपाई पर माता पिता उनके पथराई आंखों से अपने लाल को निहार रहे थे।।