10/09/2025
सर्पगंधा (Rauwolfia serpentina) आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसका द्रव्यगुण विज्ञान के अनुसार विस्तृत विवेचन किया गया है। द्रव्यगुण विज्ञान आयुर्वेद का वह शास्त्र है, जो औषधियों के गुण, कर्म, और उपयोग का अध्ययन करता है। नीचे सर्पगंधा के द्रव्यगुण विज्ञान के अनुसार हिंदी में जानकारी दी गई है:
# # # सर्पगंधा का द्रव्यगुण विवरण:
1. **नाम और परिचय**:
- **संस्कृत नाम**: सर्पगंधा, नक्षत्रक, चंद्रभागा
- **हिंदी नाम**: सर्पगंधा, छोटा चांद
- **वानस्पतिक नाम**: Rauwolfia serpentina
- **कुल**: Apocynaceae (कुट्रजा कुल)
2. **रस (Taste)**:
- सर्पगंधा का रस **तिक्त** (कड़वा) होता है।
3. **गुण (Properties)**:
- **लघु** (हल्का)
- **रूक्ष** (शुष्क)
- **तीक्ष्ण** (तीव्र)
4. **वीर्य (Potency)**:
- **उष्ण** (गर्म)
5. **विपाक (Post-digestive Effect)**:
- **कटु** (तीखा)
6. **दोष प्रभाव (Effect on Doshas)**:
- सर्पगंधा **वात-पित्तशामक** और **कफवर्धक** होती है। यह मुख्य रूप से वात और पित्त दोष को संतुलित करती है।
7. **कर्म (Actions)**:
- **निद्राजनक** (नींद लाने वाला): यह अनिद्रा (insomnia) के उपचार में उपयोगी है।
- **रक्तचाप नियामक** (Hypotensive): उच्च रक्तचाप (hypertension) को नियंत्रित करने में प्रभावी।
- **मनोविकार नाशक** (Antipsychotic): मानसिक रोगों जैसे चिंता, तनाव, और उन्माद में लाभकारी।
- **कृमिघ्न** (Anthelmintic): कृमि (कीड़े) को नष्ट करने में सहायक।
- **ज्वरहर** (Antipyretic): बुखार को कम करने में उपयोगी।
8. **प्रयोज्य अंग (Used Parts)**:
- **मूल (जड़)**: सर्पगंधा की जड़ इसका सबसे महत्वपूर्ण औषधीय भाग है।
- **पत्ती और छाल**: कुछ मामलों में इनका भी उपयोग होता है।
9. **प्रमुख रासायनिक घटक**:
- सर्पगंधा में **रेसेर्पिन** (Reserpine), **अजमालीन** (Ajmaline), **सर्पेंटाइन** (Serpentine) जैसे क्षार (alkaloids) पाए जाते हैं, जो इसके औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार हैं।
10. **आयुर्वेदीय उपयोग**:
- **उच्च रक्तचाप (Hypertension)**: सर्पगंधा की जड़ का चूर्ण या क्वाथ रक्तचाप को नियंत्रित करने में उपयोगी है।
- **अनिद्रा (Insomnia)**: यह नींद न आने की समस्या में प्रभावी है।
- **मानसिक विकार**: चिंता, तनाव, और उन्माद जैसे मानसिक रोगों में इसका उपयोग किया जाता है।
- **सर्पदंश**: पारंपरिक रूप से सर्पदंश के उपचार में भी इसका उपयोग होता है।
- **ज्वर और कृमि रोग**: बुखार और आंतों के कीड़ों के उपचार में सहायक।
11. **मात्रा (Dosage)**:
- **चूर्ण**: 1-3 ग्राम (आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से)
- **क्वाथ**: 10-20 मिली
- **टैबलेट/कैप्सूल**: रेसेर्पिन युक्त औषधि की खुराक चिकित्सक के निर्देशानुसार।
12. **सावधानियां**:
- सर्पगंधा का उपयोग हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में करना चाहिए, क्योंकि अधिक मात्रा में सेवन से निम्न रक्तचाप, चक्कर आना, या अवसाद जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
- गर्भवती महिलाओं और बच्चों को इसका उपयोग बिना चिकित्सीय परामर्श के नहीं करना चाहिए।
- यह औषधि दीर्घकालिक उपयोग के लिए सावधानीपूर्वक ली जानी चाहिए।
13. **आयुर्वेदीय ग्रंथों में उल्लेख**:
- सर्पगंधा का वर्णन **भावप्रकाश निघंटु**, **चरक संहिता**, और **सुश्रुत संहिता** जैसे आयुर्वेदीय ग्रंथों में मिलता है। यह औषधि अपने निद्राजनक और रक्तचाप नियामक गुणों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
यदि आपको सर्पगंधा के किसी विशिष्ट उपयोग या अन्य जानकारी की आवश्यकता है, तो कृपया बताएं!