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सर्पगंधा (Rauwolfia serpentina) आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसका द्रव्यगुण विज्ञान के अनुसार विस्तृत विवे...
10/09/2025

सर्पगंधा (Rauwolfia serpentina) आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसका द्रव्यगुण विज्ञान के अनुसार विस्तृत विवेचन किया गया है। द्रव्यगुण विज्ञान आयुर्वेद का वह शास्त्र है, जो औषधियों के गुण, कर्म, और उपयोग का अध्ययन करता है। नीचे सर्पगंधा के द्रव्यगुण विज्ञान के अनुसार हिंदी में जानकारी दी गई है:

# # # सर्पगंधा का द्रव्यगुण विवरण:

1. **नाम और परिचय**:
- **संस्कृत नाम**: सर्पगंधा, नक्षत्रक, चंद्रभागा
- **हिंदी नाम**: सर्पगंधा, छोटा चांद
- **वानस्पतिक नाम**: Rauwolfia serpentina
- **कुल**: Apocynaceae (कुट्रजा कुल)

2. **रस (Taste)**:
- सर्पगंधा का रस **तिक्त** (कड़वा) होता है।

3. **गुण (Properties)**:
- **लघु** (हल्का)
- **रूक्ष** (शुष्क)
- **तीक्ष्ण** (तीव्र)

4. **वीर्य (Potency)**:
- **उष्ण** (गर्म)

5. **विपाक (Post-digestive Effect)**:
- **कटु** (तीखा)

6. **दोष प्रभाव (Effect on Doshas)**:
- सर्पगंधा **वात-पित्तशामक** और **कफवर्धक** होती है। यह मुख्य रूप से वात और पित्त दोष को संतुलित करती है।

7. **कर्म (Actions)**:
- **निद्राजनक** (नींद लाने वाला): यह अनिद्रा (insomnia) के उपचार में उपयोगी है।
- **रक्तचाप नियामक** (Hypotensive): उच्च रक्तचाप (hypertension) को नियंत्रित करने में प्रभावी।
- **मनोविकार नाशक** (Antipsychotic): मानसिक रोगों जैसे चिंता, तनाव, और उन्माद में लाभकारी।
- **कृमिघ्न** (Anthelmintic): कृमि (कीड़े) को नष्ट करने में सहायक।
- **ज्वरहर** (Antipyretic): बुखार को कम करने में उपयोगी।

8. **प्रयोज्य अंग (Used Parts)**:
- **मूल (जड़)**: सर्पगंधा की जड़ इसका सबसे महत्वपूर्ण औषधीय भाग है।
- **पत्ती और छाल**: कुछ मामलों में इनका भी उपयोग होता है।

9. **प्रमुख रासायनिक घटक**:
- सर्पगंधा में **रेसेर्पिन** (Reserpine), **अजमालीन** (Ajmaline), **सर्पेंटाइन** (Serpentine) जैसे क्षार (alkaloids) पाए जाते हैं, जो इसके औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार हैं।

10. **आयुर्वेदीय उपयोग**:
- **उच्च रक्तचाप (Hypertension)**: सर्पगंधा की जड़ का चूर्ण या क्वाथ रक्तचाप को नियंत्रित करने में उपयोगी है।
- **अनिद्रा (Insomnia)**: यह नींद न आने की समस्या में प्रभावी है।
- **मानसिक विकार**: चिंता, तनाव, और उन्माद जैसे मानसिक रोगों में इसका उपयोग किया जाता है।
- **सर्पदंश**: पारंपरिक रूप से सर्पदंश के उपचार में भी इसका उपयोग होता है।
- **ज्वर और कृमि रोग**: बुखार और आंतों के कीड़ों के उपचार में सहायक।

11. **मात्रा (Dosage)**:
- **चूर्ण**: 1-3 ग्राम (आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से)
- **क्वाथ**: 10-20 मिली
- **टैबलेट/कैप्सूल**: रेसेर्पिन युक्त औषधि की खुराक चिकित्सक के निर्देशानुसार।

12. **सावधानियां**:
- सर्पगंधा का उपयोग हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में करना चाहिए, क्योंकि अधिक मात्रा में सेवन से निम्न रक्तचाप, चक्कर आना, या अवसाद जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
- गर्भवती महिलाओं और बच्चों को इसका उपयोग बिना चिकित्सीय परामर्श के नहीं करना चाहिए।
- यह औषधि दीर्घकालिक उपयोग के लिए सावधानीपूर्वक ली जानी चाहिए।

13. **आयुर्वेदीय ग्रंथों में उल्लेख**:
- सर्पगंधा का वर्णन **भावप्रकाश निघंटु**, **चरक संहिता**, और **सुश्रुत संहिता** जैसे आयुर्वेदीय ग्रंथों में मिलता है। यह औषधि अपने निद्राजनक और रक्तचाप नियामक गुणों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

यदि आपको सर्पगंधा के किसी विशिष्ट उपयोग या अन्य जानकारी की आवश्यकता है, तो कृपया बताएं!

**माजूफल (Quercus infectoria): आयुर्वेद का अनमोल खजाना 🌿**माजूफल, जिसे ओक गॉल या मायाफल भी कहा जाता है, प्रकृति का एक अन...
26/05/2025

**माजूफल (Quercus infectoria): आयुर्वेद का अनमोल खजाना 🌿**

माजूफल, जिसे ओक गॉल या मायाफल भी कहा जाता है, प्रकृति का एक अनमोल उपहार है। यह ओक के पेड़ों पर कीटों के प्रभाव से बनने वाली गॉल्स से प्राप्त होता है और आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों का उपयोग सदियों से किया जा रहा है। माजूफल अपने **कसैले (astringent)**, **एंटी-बैक्टीरियल**, **एंटी-फंगल**, **एंटी-ऑक्सीडेंट**, और **एंटी-इंफ्लेमेटरी** गुणों के लिए प्रसिद्ध है। आइए, जानते हैं इसके फायदे, उपयोग और सावधानियां।

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# # # 🟢 माजूफल के प्रमुख फायदे

# # # # 1. **पाचन तंत्र को दे राहत**
माजूफल का कसैला गुण दस्त, पेचिश, और आंतों की समस्याओं को नियंत्रित करने में कारगर है। यह पेट को मजबूती देता है और पुराने दस्त में इसका काढ़ा विशेष रूप से उपयोगी है।
**उपाय**: 1-2 ग्राम माजूफल पाउडर को दालचीनी या शहद के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट लें। यह मल की चिपचिपाहट और बार-बार शौच की समस्या को कम करता है।

# # # # 2. **मुंह और दांतों का रक्षक**
माजूफल का चूर्ण या काढ़ा मुंह के छाले, मसूड़ों की सूजन, दांतों से खून बहना, और पायरिया में लाभकारी है। यह मुंह की दुर्गंध को भी दूर करता है।
**उपाय**: माजूफल पाउडर को फिटकरी या सुपारी के साथ मिलाकर मंजन बनाएं। इसे दांतों पर लगाने से दर्द, छाले, और रक्तस्राव में राहत मिलती है।

# # # # 3. **त्वचा को बनाए स्वस्थ और चमकदार**
माजूफल का लेप त्वचा के घाव, मुंहासे, खुजली, दाद, और झाइयों को ठीक करता है। इसके एंटी-माइक्रोबियल गुण त्वचा को स्वच्छ और चमकदार बनाते हैं।
**उपाय**: माजूफल को सिरके या हल्दी के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाएं। यह झाइयों और दाग-धब्बों को हल्का करता है।

# # # # 4. **महिलाओं के लिए विशेष लाभ**
- **योनि स्वास्थ्य**: माजूफल का काढ़ा योनि में संक्रमण, खुजली, और ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) को ठीक करता है। यह प्रसव के बाद योनि की मांसपेशियों को कसने में भी मदद करता है। मलेशिया में इसे "मंजाकनी" के नाम से जाना जाता है।
**उपाय**: माजूफल को पानी में उबालकर ठंडा करें और योनि धावन के लिए उपयोग करें।
- **मासिक धर्म**: माजूफल अत्यधिक रक्तस्राव और मासिक धर्म के दर्द को नियंत्रित करता है।

# # # # 5. **ल्यूकोरिया में रामबाण**
**नुस्खा**:
- माजूफल: 40 ग्राम
- लोधरा छाल: 40 ग्राम
- चुनिया गोंद: 40 ग्राम
- मोचरस: 40 ग्राम
- नागकेसर: 40 ग्राम
- सूखा सिंघाड़ा: 40 ग्राम
- धागे वाली मिश्री: 80 ग्राम
सभी को पीसकर पाउडर बनाएं। 1 चम्मच सुबह और 1 चम्मच शाम को भोजन के बाद गुनगुने पानी के साथ लें। यह ल्यूकोरिया को जड़ से खत्म करने में मदद करता है।

# # # # 6. **ओवेरियन सिस्ट में लाभकारी**
महिलाओं में ओवेरियन सिस्ट या बच्चेदानी की गांठों के लिए माजूफल बेहद प्रभावी है।
**नुस्खा**:
- माजूफल: 100 ग्राम
- जैतून का सूखा फल: 50 ग्राम
- गुलाबी फिटकरी: 20 ग्राम
इनका पाउडर बनाएं। 2-3 ग्राम सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नींबू निचोड़कर लें। यह सिस्ट को गलाने में मदद करता है।

# # # # 7. **गले की समस्याओं में राहत**
माजूफल के काढ़े से गरारे करने से गले की खराश, टॉन्सिलाइटिस, और सूजन में आराम मिलता है। यह खांसी को भी कम करता है।
**उपाय**: 10-20 मिली माजूफल का काढ़ा बनाकर गरारे करें।

# # # # 8. **बवासीर में उपयोगी**
माजूफल का काढ़ा या लेप बवासीर की जलन, सूजन, और दर्द को कम करता है।
**उपाय**: माजूफल को पानी में उबालकर मलद्वार को धोएं या अफीम के साथ इसका लेप लगाएं।

# # # # 9. **मधुमेह नियंत्रण**
माजूफल रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक है।
**उपाय**: माजूफल के बीजों को भूनकर चूर्ण बनाएं और 1-2 ग्राम शहद के साथ लें।

# # # # 10. **घावों को जल्दी भरें**
माजूफल की भस्म या चूर्ण घावों को तेजी से भरता है और रक्तस्राव को रोकता है। इसके पत्तों का अर्क भी घावों के लिए प्रभावी है।

# # # # 11. **कैंसर से बचाव**
माजूफल के एंटी-ऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स को कम करते हैं, जो सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं।
**सावधानी**: कैंसर के लिए इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह से करें।

# # # # 12. **जीर्ण ज्वर और कमजोरी**
माजूफल क्रॉनिक बुखार और मलेरिया में लाभकारी है।
**उपाय**: माजूफल को चिरायता के काढ़े के साथ लें।

# # # # 13. **बालों और यूटीआई में फायदेमंद**
- **बालों के लिए**: माजूफल का लेप डैंड्रफ और बालों के झड़ने को कम करता है।
- **यूटीआई**: माजूफल और फिटकरी का मिश्रण मूत्र मार्ग के संक्रमण में राहत देता है।

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# # # 🟢 माजूफल के उपयोग के तरीके
1. **चूर्ण**: 1-2 ग्राम माजूफल पाउडर को शहद या पानी के साथ दिन में 1-2 बार लें।
2. **काढ़ा**: 10-20 मिली माजूफल का काढ़ा बनाकर पिएं या गरारे करें।
3. **लेप**: माजूफल को हल्दी या सिरके के साथ मिलाकर त्वचा पर लगाएं।
4. **मंजन**: माजूफल चूर्ण को फिटकरी के साथ मिलाकर दांतों की सफाई करें।
5. **योनि धावन**: माजूफल का काढ़ा ठंडा करके योनि की सफाई के लिए उपयोग करें।

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# # # 🔴 सावधानियां
- **गर्भावस्था में उपयोग न करें**: माजूफल गर्भपात का खतरा बढ़ा सकता है।
- **अधिक मात्रा से बचें**: अधिक सेवन से कब्ज या पेट में जलन हो सकती है।
- **एलर्जी की जांच**: त्वचा पर लालिमा या जलन होने पर उपयोग बंद करें।
- **चिकित्सक की सलाह**: गंभीर बीमारियों में डॉक्टर से परामर्श लें।

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# # # 🟢 अतिरिक्त जानकारी
- **प्रसव के बाद रिकवरी**: माजूफल प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर को मजबूती देता है और ढीलापन कम करता है।
- **प्राकृतिक सौंदर्य**: माजूफल का लेप त्वचा को कसावट देता है और उम्र बढ़ने के लक्षणों को कम करता है।
- **आयुर्वेदिक मिश्रण**: माजूफल को त्रिफला या अश्वगंधा के साथ मिलाकर सामान्य कमजोरी और थकान में उपयोग करें।

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# # # निष्कर्ष
माजूफल आयुर्वेद का एक बहुमुखी औषधीय खजाना है, जो पाचन, त्वचा, दांत, गले, और महिला स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में प्रभावी है। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गुण इसे खास बनाते हैं। सही मात्रा और चिकित्सक की सलाह के साथ इसका उपयोग स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए वरदान साबित हो सकता है। 🌱

** #आयुर्वेद #माजूफल #प्राकृतिक_उपचार #स्वास्थ्य_और_सौंदर्य**

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धन्यवाद! 🌿

बालम खीरा 🌷 अक्सर रोड के किनारे देखा होगा जो तमाशा दिखाने वाले (नट) टेंट लगाकर रहते है वो लोग वही  टेंट के बैठकर बाहर बा...
22/05/2025

बालम खीरा 🌷
अक्सर रोड के किनारे देखा होगा जो तमाशा दिखाने वाले (नट) टेंट लगाकर रहते है वो लोग वही टेंट के बैठकर बाहर बालम खीरा बेचते है।

आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों से कई गंभीर से गंभीर बीमारियों को ठीक किया जा सकता है,
दरअसल हम बात कर रहे हैं बालम खीरे की,यह खीरा पेड़ पर उगताहहै, इसका पौधा बड़ा होकर पेड़ बन जाता है. पूरी तरह से विकसित हो जाने पर इस पेड़ की ऊंचाई 15-20 मीटर तक हो जाती है।इन पेड़ों में ही फल की तरह खीरा उगते है।

बालम खीरे का फल, छाल, तना हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. इसमें बहुत सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं. जैसे आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, क्रोमियम, एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है।

बालम खीरा का जो फल होता है, उसको सुखाकर आप उसका चूर्ण तैयार कर सकते हैं. उसके बाद प्रतिदिन आप इसके चूर्ण का उपयोग कर सकते हैं. इसमें ऐसे आयुर्वेदिक गुण पाए जाते हैं जो शरीर के विभिन्न हिस्से में जहां भी पथरी होगी, उस पथरी को धीरे- धीरे काटते हुए निकालने में मदद करेगा. साथ ही
अगर आपकी किडनी में भी पथरी है,तो उसके लिए आप इसके काढ़े का उपयोग कर सकते हैं, बालम खीरे के अंदर जो बीज होते है वह कब्ज को रोकने में मदद करते है,खीरे में पर्याप्त मात्रा में पानी होता है जो आपके पेट को स्वस्थ बनाकर रखता है, गर्मियों में खीरा खाने के कई फायदे हैं. खीरा को विटामिन, मिनरल्स और इलेक्ट्रोलाइट्स की खान होता है।

बालम खीरे का सीधा उपयोग नहीं किया जाता है,

आप इसको सुखाकर चूर्ण या फिर ड्रिंक के रूप में उपयोग कर सकते हैं, अगर शरीर के किसी हिस्से में सूजन हो या फिर मलेरिया जैसी कोई शिकायत है, तो भी इसका उपयोग कर सकते हैं,बालम खीरे के रस को सुबह खाली पेट पीने से पीलिया जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।
इसमें क्लोरोक्वीन नामक तत्व पाए जाते हैं जो पीलिया के उपचार में काफी उपयोगी साबित होते हैं।

बालम खीरा का कच्चा फल जहरीला होता है और इसका सेवन नुकसानदायक हो सकता है।

बालम खीरा खाने से जुड़े कुछ नुकसान:
खीरे में कूक्रिबिटिन नाम का विषैला पदार्थ होता है,
ज़्यादा खीरा खाने से यह टॉक्सिक पदार्थ शरीर में जा सकता है और लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है.
खीरे की तासिर ठंडी होती है, इसलिए अगर आपको सर्दी, कफ़, या सांस की समस्या है, तो रात में खीरा खाने से बचना चाहिए।
ज़्यादा खीरा खाने से पेट में ऐंठन और गैस की समस्या हो सकती है,
ज़्यादा खीरा खाने से ब्लड में पोटैशियम का स्तर बढ़ सकता है, जिससे किडनी फ़ेलियर हो सकता है,
गर्भवती महिलाओं को ज़्यादा खीरा नहीं खाना चाहिए,खीरे में पानी की मात्रा ज़्यादा होती है, जिससे बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है।
बालम खीरा खाने से पहले हमेशा किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट या डॉक्टर से सलाह जरूर लें। 🙏

Anamika Shukla

Celebrating my 6th year on Facebook. Thank you for your continuing support. I could never have made it without you. 🙏🤗🎉
20/05/2025

Celebrating my 6th year on Facebook. Thank you for your continuing support. I could never have made it without you. 🙏🤗🎉

12/02/2025

लिपिड प्रोफाइल
बेहतरीन तरीके से समझाया गया

एक प्रसिद्ध डॉक्टर ने एक सुंदर कहानी साझा की, जिसमें उन्होंने लिपिड प्रोफाइल को एक अनोखे तरीके से समझाया।

कल्पना करें कि हमारा शरीर एक छोटा शहर है।
इस शहर के मुख्य अपराधी हैं कोलेस्ट्रॉल। इनके कुछ साथी भी हैं, और इनका सबसे बड़ा सहयोगी है ट्राइग्लिसराइड। इनका काम सड़कों पर घूमना, अराजकता फैलाना और रास्तों को जाम करना है।

हृदय इस शहर का केंद्र है।
सभी सड़कें हृदय की ओर जाती हैं। जब अपराधियों की संख्या बढ़ती है, तो वे हृदय के कार्य को बाधित करने की कोशिश करते हैं।

लेकिन हमारे शरीर-शहर में एक पुलिस बल भी है।
एचडीएल एक अच्छा पुलिसवाला है, जो अपराधियों को पकड़कर जेल (यकृत) में डालता है। फिर यकृत उन्हें शरीर से बाहर फेंक देता है।

हालांकि, एक भ्रष्ट पुलिसवाला भी है – एलडीएल।
एलडीएल इन अपराधियों को जेल से बाहर निकालकर वापस सड़कों पर छोड़ देता है।

जब एचडीएल (अच्छी पुलिस) की संख्या कम हो जाती है, तो पूरा शहर अराजकता में डूब जाता है। कौन ऐसे शहर में रहना चाहेगा?

क्या आप अपराधियों को कम करना और अच्छे पुलिसवालों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं?

तो चलना शुरू करें!
हर कदम के साथ अच्छे पुलिसवाले एचडीएल की संख्या बढ़ेगी, और अपराधी कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड और एलडीएल कम होंगे।

आपका शहर (शरीर) फिर से स्वस्थ और ऊर्जावान हो जाएगा। आपका हृदय (शहर का केंद्र) अपराधियों के जाम से सुरक्षित रहेगा। जब आपका हृदय स्वस्थ होगा, तो आप भी स्वस्थ रहेंगे।

तो जब भी मौका मिले, चलना शुरू करें!
स्वस्थ रहें और
अच्छी सेहत बनाए रखें!

अच्छे एचडीएल को बढ़ाने और खराब एलडीएल को कम करने के लिए यह एक शानदार लेख है, खासकर पैदल चलने से।

हर कदम एचडीएल को बढ़ाएगा। इसलिए, चलते रहें – चलते रहें – चलते रहें!

हैप्पी सीनियर सिटिजन्स वीक!

कम करें:
1. नमक
2. चीनी
3. सफेद मैदा
4. डेयरी उत्पाद
5. प्रोसेस्ड फूड

खाने में शामिल करें:
1. सब्जियां
2. दालें
3. फलियां
4. मेवे
5. ठंडे दबाए गए तेल (जैसे जैतून, नारियल)
6. फल

तीन चीजें जिन्हें भूलने की कोशिश करें:
1. अपनी उम्र
2. अपना अतीत
3. अपनी शिकायतें

चार चीजें जिनका आनंद लें:
1. अपना परिवार
2. अपने दोस्त
3. सकारात्मक सोच
4. साफ-सुथरा और सुसज्जित घर

तीन आदतें अपनाएं:
1. हमेशा मुस्कुराएं और हंसें
2. नियमित रूप से अपनी गति से व्यायाम करें
3. अपना वजन नियंत्रित करें

छह जरूरी जीवनशैली आदतें:
1. प्यास लगने से पहले पानी पिएं
2. थकान महसूस करने से पहले आराम करें
3. बीमार पड़ने से पहले अपना मेडिकल चेकअप करवाएं
4. चमत्कार की प्रतीक्षा न करें, बल्कि भगवान पर भरोसा रखें
5. खुद पर विश्वास कभी न खोएं
6. हमेशा सकारात्मक रहें और बेहतर भविष्य की उम्मीद करें

अगर आपके दोस्त हैं जो इस उम्र में खुश रहना चाहते हैं, तो यह संदेश उनके साथ साझा करें!
🙏🙏🙏💐💐💐💐
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Please share. ....दारुहल्दी के फायदे (Benefits of Daruharidra)दारुहल्दी, जिसे भारतीय बर्बेरी (Indian Barberry) भी कहा जा...
10/11/2024

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दारुहल्दी के फायदे (Benefits of Daruharidra)

दारुहल्दी, जिसे भारतीय बर्बेरी (Indian Barberry) भी कहा जाता है, एक आयुर्वेदिक औषधि है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। यहां कुछ प्रमुख फायदे हैं:

मधुमेह नियंत्रण: दारुहल्दी में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

पाचन सुधार: यह पाचन में सुधार करती है और अपच, गैस और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत देती है।

यकृत स्वास्थ्य: दारुहल्दी यकृत को स्वस्थ रखने में मदद करती है और लीवर की समस्याओं से बचाती है।

त्वचा स्वास्थ्य: यह त्वचा के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है, मुंहासों, दाग-धब्बों और अन्य त्वचा समस्याओं से लड़ने में मदद करती है।

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है: दारुहल्दी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है, जिससे संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है।

दर्द निवारक: यह दर्द निवारक गुणों से भरपूर है और जोड़ों के दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और सिरदर्द में राहत देती है।

सूजन कम करने में मदद करता है: दारुहल्दी में सूजनरोधी गुण होते हैं जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

उपयोग के तरीके:

काढ़ा: दारुहल्दी की जड़ों को उबालकर काढ़ा बनाया जा सकता है और दिन में दो बार सेवन किया जा सकता है।
चूर्ण: दारुहल्दी को पीसकर चूर्ण बनाया जा सकता है और पानी या दूध के साथ सेवन किया जा सकता है।
लेप: त्वचा की समस्याओं के लिए दारुहल्दी का लेप लगाया जा सकता है।

सावधानियां:

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को दारुहल्दी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट खराब हो सकता है।
दारुहल्दी का सेवन करने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लेना उचित होता है।

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06/11/2024

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कड़वा सुरजन के फायदेकड़वा सुरजन (Colchicum Luteum), जिसे हिंदी में भी सुरजन या जंगली सुरजन के नाम से जाना जाता है, एक औष...
18/09/2024

कड़वा सुरजन के फायदे
कड़वा सुरजन (Colchicum Luteum), जिसे हिंदी में भी सुरजन या जंगली सुरजन के नाम से जाना जाता है, एक औषधीय पौधा है जिसका उपयोग आयुर्वेद में सदियों से किया जाता रहा है। इसके कंद में कई पोषक तत्व और औषधीय गुण पाए जाते हैं।
कड़वा सुरजन के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं:
* गठिया और जोड़ों के दर्द में राहत: कड़वा सुरजन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं।
* पेट की समस्याओं का समाधान: यह पौधा पाचन में सुधार करता है और पेट की समस्याओं जैसे कब्ज, अपच, और गैस को दूर करने में सहायता करता है।
* पित्ताशय की पथरी में लाभ: कड़वा सुरजन पित्ताशय की पथरी को तोड़ने और निकालने में सहायक हो सकता है।
* यूरिक एसिड कम करता है: यह पौधा रक्त में यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद करता है, जिससे गाउट के जोखिम को कम किया जा सकता है।
* त्वचा रोगों के लिए लाभ: कड़वा सुरजन का उपयोग त्वचा रोगों जैसे दाद, खाज, और खुजली को दूर करने के लिए भी किया जाता है।
ध्यान दें: कड़वा सुरजन का सेवन चिकित्सकीय सलाह के बाद ही करें, क्योंकि अधिक मात्रा में सेवन करने से दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

रोजमेरी (Rosmarinus officinalis) भूमध्यसागरीय क्षेत्रीय प्रदेशों में पाया जाने वाला एक सदाबहार झाड़ीदार पौधा है। इस सुगं...
18/06/2024

रोजमेरी (Rosmarinus officinalis) भूमध्यसागरीय क्षेत्रीय प्रदेशों में पाया जाने वाला एक सदाबहार झाड़ीदार पौधा है। इस सुगंधित जड़ी बूटी को पारंपरिक रूप से कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है।

रोजमेरी के कुछ औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं:

पाचन में सहायक: रोजमेरी में पाचन एंजाइमों को उत्तेजित करने और पाचन प्रक्रिया को सुचारू बनाने के गुण होते हैं। यह पेट दर्द, गैस, और खराब पाचन से जुड़ी अन्य समस्याओं से राहत दिलाने में मदद कर सकती है।

** याददाश्त बढ़ाने में मददगार:** रोजमेरी को याददाश्त बढ़ाने और दिमाग को तेज करने के लिए जाना जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट दिमाग की कोशिकाओं को क्षति से बचाने में मदद करते हैं।

सिर दर्द से राहत: रोजमेरी के तेल की मालिश सिर दर्द और माइग्रेन के दर्द को कम करने में मददगार हो सकती है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सिर की सूजन को कम करते हैं और दर्द से राहत दिलाते हैं।

बालों के लिए फायदेमंद: रोजमेरी का तेल बालों के विकास को बढ़ावा देने और बालों के झड़ने को रोकने में मदद करता है। इसके अलावा, यह रूसी को दूर करने में भी मददगार हो सकता है।

जोड़ों का दर्द कम करता है: रोजमेरी के तेल की मालिश जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकती है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण दर्द से राहत दिलाते हैं।

यह ध्यान देना जरूरी है कि रोजमेरी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को रोजमेरी का सेवन नहीं करना चाहिए।

तुकमलंगा के बीज, जिन्हें सब्जा के नाम से भी जाना जाता है, स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. इन छोटे से बीजों में ...
16/06/2024

तुकमलंगा के बीज, जिन्हें सब्जा के नाम से भी जाना जाता है, स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. इन छोटे से बीजों में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो सेहत को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं. आइए जानें तुकमलंगा के कुछ मुख्य फायदों के बारे में:

वजन नियंत्रण: तुकमलंगा में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पेट को देर तक भरा रखने में मदद करता है और वजन कम करने में सहायक हो सकता है.

पाचन क्रिया को दुरुस्त रखना: इसके बीजों में मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में मदद करता है, जिससे कब्ज की समस्या दूर रहती है.

रक्त शर्करा नियंत्रण: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि तुकमलंगा रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है.

हृदय स्वास्थ्य: तुकमलंगा में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाए जाते हैं, जो हृदय के लिए लाभदायक माने जाते हैं. साथ ही, यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मदद कर सकता है.

शरीर को ठंडक पहुंचाना: तुकमलंगा की तासीर ठंडी होती है, जो गर्मियों में शरीर को ठंडक पहुंचाने में मदद करती है.

अन्य फायदे: तुकमलंगा के कुछ अन्य संभावित फायदे भी बताए जाते हैं, जैसे कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना, बालों को मजबूत बनाना और त्वचा का निखार लाना.

यह ध्यान रखना जरूरी है कि तुकमलंगा का सेवन किसी भी दवा का विकल्प नहीं है. किसी भी बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

सर्पगंधा: आयुर्वेद की एक बहुआयामी जड़ी बूटी!!!सर्पगंधा, जिसे अंग्रेजी में राउवोल्फिया सर्पेंटीना (Rauvolfia Serpentina) ...
15/06/2024

सर्पगंधा: आयुर्वेद की एक बहुआयामी जड़ी बूटी!!!
सर्पगंधा, जिसे अंग्रेजी में राउवोल्फिया सर्पेंटीना (Rauvolfia Serpentina) के नाम से जाना जाता है, आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है। भारत समेत कई देशों में सदियों से इसका इस्तेमाल पारंपरिक उपचारों में किया जाता रहा है। आइए, सर्पगंधा के विभिन्न पहलुओं पर एक विस्तृत नज़र डालें:

पौधे का स्वरूप:

सर्पगंधा एक छोटा, सदाबहार, झाड़ी [ shrub] वाला पौधा होता है।
इसकी जड़ें टेढ़ी-मेढ़ी और लंबी होती हैं, जिनका रंग भूरा-पीला होता है।
पत्तियां चमकीली हरी, गुच्छों में लगी हुई और अंडाकार होती हैं।
फूल सफेद या गुलाबी रंग के होते हैं।

उपयोगिता:

सर्पगंधा का मुख्य औषधीय गुण रक्तचाप को कम करना है। इसकी जड़ों से प्राप्त अर्क हाई ब्लड प्रेशर के उपचार में सहायक होता है।
यह तनाव और चिंता को कम करने में भी लाभदायक मानी जाती है।
आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल अनियमित मासिक धर्म को नियमित करने और गठिया के दर्द को कम करने के लिए भी किया जाता है।
सर्पगंधा के अन्य संभावित लाभों में नींद में सुधार, मधुमेह नियंत्रण और दर्द निवारण शामिल हैं। हालांकि, इन उपयोगों के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

सेवन की विधि:

सर्पगंधा का सेवन आमतौर पर पाउडर, कैप्सूल या तरल अर्क के रूप में किया जाता है।
इसकी मात्रा और सेवन का तरीका आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा रोगी की स्थिति के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सर्पगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए।

सावधानी और दुष्प्रभाव:

सर्पगंधा का सेवन कुछ लोगों में दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है, जिनमें उल्टी, मितली, दस्त, चक्कर आना और कमजोरी शामिल हैं।
यह कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया भी कर सकती है। इसलिए, यदि आप कोई अन्य दवा ले रहे हैं, तो सर्पगंधा का सेवन करने से पहले डॉक्टर से अवश्य सलाह लें।

उपभोग से पहले सलाह जरूरी

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सर्पगंधा एक शक्तिशाली जड़ी बूटी है और इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है। वही आपको सही मात्रा और सेवन की अवधि बता सकते हैं।

अन्य उपयोग:

सर्पगन्धा की जड़ों का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से सांप के काटने के उपचार में भी किया जाता था, हालांकि आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इसे प्रभावी नहीं माना जाता है।
सर्पगंधा के पौधे का उपयोग कुछ देशों में कीटनाशक के रूप में भी किया जाता है।

निष्कर्ष

सर्पगंधा एक बहुउपयोगी औषधीय पौधा है जिसका उपयोग सदियों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता रहा है। उच्च रक्तचाप, तनाव और चिंता जैसी समस्याओं को कम करने में यह कारगर मानी जाती है। लेकिन, इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।

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 #कुल्थी_की_दालक्या आपको पता है विश्व की सबसे पुरानी दाल कौन सी है? मूँग - नो, उर्द - नो. मसूर - नो.सही उत्तर है कुल्थी ...
14/06/2024

#कुल्थी_की_दाल
क्या आपको पता है विश्व की सबसे पुरानी दाल कौन सी है? मूँग - नो, उर्द - नो. मसूर - नो.सही उत्तर है कुल्थी की दाल.इसका इतिहास गंगा बेसिन सभ्यता और वैदिक सभ्यता से भी पुराना है. सरस्वती रिवर सभ्यता के समय, हड़प्पा क़ालीन सभ्यता में लगभग दस हज़ार वर्षों से भारत वर्ष में कुल्थी की दाल खाई जाती रही है. कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में खुदाई में इस दाल के अवशेष मिले. तो हड़प्पा में भी कुलथ का प्रयोग होता था. वेदों में कुल्थी के औषधीय गुणों का वर्णन है. तमिल में तो संगम साहित्य में कुल्थी के गुणों का कई पुस्तकों मिस्टर वर्णन है. पय्यामपल्ली तमिलनाडु के वेल्लोर जिले का एक गाँव है। जानवरों को पालतू बनाने और पौधों की खेती का सबसे पहला साक्ष्य इसी स्थान पर मिला है, जिसकी खुदाई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की गई थी। इस गांव में मिट्टी के बर्तन बनाने और कुलथी की खेती के साक्ष्य मिले हैं।धरती पर मौजूद अन्य किसी भी दाल के श्रोत से यह बहुत ज्यादा पौष्टिक है. आयुर्वेद की दृष्टि से यह सुपर फ़ूड है. डायबिटीज़, बैड कोलेस्ट्रॉल, किडनी प्रॉब्लम के लिए यह राम बाण है. इस दाल में ऐसे न्यूट्रिएंट पाये जाते हैं, जिनके कारण भूख कम लगती है, पेट जल्दी भर जाता है. इसी लिये वेट लॉस के लिए भी इसका सेवन परफ़ेक्ट है. इन्हीं सब गुणों की वजह से आदि काल में मनुष्य इसे स्वयं भी खाता था और अपने घोड़ों को भी खिलाते थे. चूँकि घोड़ों को खिलाते थे तो इंगलिश नाम पड़ा Horsegram. और एक बार ये नाम पड़ गया तो हम तो एक्सपर्ट हैं डिस्क्रिमिनेशन के. यह तो घोड़े वाली दाल है और हमने खाना बंद कर दिया. इसका उत्पादन रिसर्च सब बंद. आज भी भारत में इसका जितना उत्पादन होता है उसका नब्बे प्रतिशत दो तीन प्रदेशों में होता है.तो यदि भारतीय सुपर फ़ूड दाल खानी है तो कुलथी को अपने भोजन में अवश्य शामिल करें.
सौ.गुरू मनीष जी।

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