24/10/2024
प्रार्बध अर्थात भाग्य,क्या हमारा भाग्य से निर्धारित है सब कुछ भाग्य से होता है तो श्री कृष्ण ने भगवद गीता मे कर्म पर इतना बल क्यू दिया , वास्तव मे कर्म ओर भाग्य एक दूसरे के पूरक है हमारे वर्तमान के कर्म ही भविष्य का भाग्य है l परंतु हमारा ये वर्तमान केवल हमारे इसी जन्म तक सीमित नही , आत्मा अमर है ओर हमने अनंत काल से पूर्व मे अलग अलग रूपो मे इस पृथ्वी पर अनेक जन्म लिये होंगे ओर हर जन्म मे अनेक कर्म किये होंगे जो ईश्वर के पास संचित है ओर इन्ही संचित कर्मो के आधार पर ईश्वर ने हमारा प्रराब्ध अर्थात इस जन्म का भाग्य निशिचत किया l हमारा जन्म किस परीवेश मे होगा हमे सब असानी से मिलेगा य़ा हमे कुछ भी पाने के लिये संघर्ष करना होगा , हमारा स्वास्थ केसा होगा आयु कितनी होगी ये सब हमारे संचित कर्मो से निर्धारित होता है l परंतु ईश्वर ने हमे इस जीवन मे कर्म अपनी मर्जी से करने की स्वतान्तरता दी है जो कर्म हम अपने संस्कारो केअनुसार अपने दिमाग से करते है उन्हे क्रियामान कर्म कहते है , हमे ईन कर्मो को अच्छा करने की आवश्यकता है ज़िससे हमारा भविश्य उत्तम हो ओर इसमे ज्योतिष ओर अध्यताम हमारी बहुत सहायता कर सकता है