16/08/2025
कर्म का पारितोषिक ही अर्थ है परंतु उसका प्रामाणिक होना ही , विषय के मूल प्रतिरूपों को दार्शनिक बनाता है ।- सप्तर्षि महर्षि सुषैन
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