Jyotishi
आकाश की तरफ नजर डालते ही दिमाग में सवाल पैदा होता है कि ग्रह-नक्षत्र क्या होते हैं? इनमें से कुछ दिन में और कुछ रात में क्यों छुप जाते हैं? सारे ग्रह एक साथ डूब क्यों नहीं जाते? सूरज, प्रतिदिन पूर्व दिशा से ही क्यों उगता है?
इन्हीं सवालों की वजह से आदमी ने आकाश के ग्रह-तारों को देखना-परखना-समझना शुरू किया। धीरे-धीरे ग्रहों-नक्षत्रों की चाल आदमी की समझ में आने लगी। वह अपने आस-पास की घटनाओं को ग्रहों-नक्षत्रों की गतिविधियों से जोड़ने लगा और इस तरह एक शास्त्र ही बन गया, जिसे आज हम ज्योतिष कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र की प्रामाणिक परिभाषा वेदो में है।
'ज्योतिषां सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्र्म' इसका मतलब यह हुआ कि ग्रह (ग्रह, नक्षत्र, धूमकेतु आदि) और समय का ज्ञान कराने वाले विज्ञान को ज्योतिष अर्थात ज्योति प्रदान करने वाला विज्ञान कहते हैं। एक तरह से यह रास्ता बतलाने वाला शास्त्र है। जिस शास्त्र से संसार का ज्ञान, जीवन-मरण का रहस्य और जीवन के सुख-दुःख के संबंध में ज्योति दिखाई दे वही ज्योतिष शास्त्र है।