Tarot Rajni

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Watch reels, videos, and posts to deepen your intuition and uncover the wisdom of the cards.

✨ A Special Gift for You Today! ✨Today, I am offering a FREE Tarot Reading for you! 🔮📝 How to Participate:1️⃣ Ask just o...
24/09/2025

✨ A Special Gift for You Today! ✨
Today, I am offering a FREE Tarot Reading for you! 🔮

📝 How to Participate:
1️⃣ Ask just one question.
2️⃣ I will see what message the Universe has for you.

💫 Don’t miss this chance to explore your curiosity and the mysteries of the Universe!

May Maa durga fulfill all your wishes  navratre💫💫💫💫💫💫💫
22/09/2025

May Maa durga fulfill all your wishes navratre

💫💫💫💫💫💫💫

Every card brings a new perspective — sometimes it answers our questions, sometimes it shows us a way to understand ours...
15/09/2025

Every card brings a new perspective — sometimes it answers our questions, sometimes it shows us a way to understand ourselves better.
Tarot is not just about predicting the future, it’s about receiving inner guidance.

👉 Today’s Card:

{{{7 OF PENTACLES }}}

Message: This card reminds you that trust.

Hard work is paying off, but rewards take time.

💫 Curious to know what message the cards hold for you today?
Drop a comment or message me — let’s find guidance through Tarot 🌟

10/09/2025

Worth sharing
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मैंने सुना है, एक बड़ी प्राचीन, तिब्बत में कहानी है। एक आदमी यात्रा से लौटा है--लंबी यात्रा से। अपने मित्र के घर ठहरा और उसने मित्र से कहा रात, यात्रा की चर्चा करते हुए, कि एक बहुत अनूठी चीज मेरे हाथ लग गई है।

और मैंने सोचा था कि जब मैं लौटूंगा तो अपने मित्र को दे दूंगा, लेकिन अब मैं डरता हूं, तुम्हें दूं या न दूं। डरता हूं इसलिए कि जो भी मैंने उसके परिणाम देखे वे बड़े खतरनाक हैं।

मुझे एक ऐसा ताबीज मिल गया है कि तुम उससे तीन आकांक्षायें मांग लो, वे पूरी हो जाती हैं। और मैंने तीन खुद भी मांग कर देख लीं। वे पूरी हो गई हैं और अब मैं पछताता हूं कि मैंने क्यों मांगीं?

मेरे और मित्रों ने भी मांग कर देख लिए हैं, सब छाती पीट रहे हैं, सिर ठोक रहे हैं। सोचा था तुम्हें दूंगा, लेकिन अब मैं डरता हूं, दूं या न दूं।

मित्र तो दीवाना हो गया। उसने कहा, 'तुम यह क्या कहते हो; न दूं? कहां है ताबीज? अब हम ज्यादा देर रुक नहीं सकते। क्योंकि कल का क्या भरोसा?' पत्नी तो बिलकुल पीछे पड़ गई उसके कि निकालो ताबीज। उसने कहा कि 'भई, मुझे सोच लेने दो। क्योंकि जो परिणाम, सब बुरे हुए।' उसके मित्र ने कहा, 'तुमने मांगा ढंग से न होगा। गलत मांग लिया होगा।'

हर आदमी यही सोचता है कि दूसरा गलत मांग रहा है, इसलिए मुश्किल में पड़ा। मैं बिलकुल ठीक मांग लूंगा।

लेकिन कोई भी नहीं जानता कि जब तक तुम ठीक नहीं हो, तुम ठीक मांगोगे कैसे? मांग तो तुमसे पैदा होगी। नहीं माना मित्र, नहीं मानी पत्नी। उन्होंने बहुत आग्रह किया तो ताबीज देकर मित्र उदास चला गया। सुबह तक ठहरना मुश्किल था।

दोनों ने सोचा, क्या मांगें? बहुत दिन से एक आकांक्षा थी कि घर में कम से कम एक लाख रुपया हो। तो पहला लखपति हो जाने की आकांक्षा थी। और लखपति तिब्बत में बहुत बड़ी बात है। तो उन्होंने कहा, वह पहली आकांक्षा तो पूरी कर ही लें, फिर सोचेंगे। तो पहली आकांक्षा मांगी कि लाख रुपया।

जैसे ही कोई आकांक्षा मांगोगे, ताबीज हाथ से गिरता था झटक कर। उसका मतलब था कि मांग स्वीकार हो गई। बस, पंद्रह मिनट बाद दरवाजे पर दस्तक पड़ी।

खबर आई कि लड़का जो राजा की सेना में था, वह मारा गया और राजा ने लाख रुपये का पुरस्कार दिया। पत्नी तो छाती पीट कर रोने लगी कि यह क्या हुआ?

उसने कहा कि दूसरी आकांक्षा इसी वक्त मांगो कि मेरा लड़का जिंदा किया जाए। बाप थोड़ा डरा। उसने कहा कि यह अभी जो पहली का फल हुआ...पर पत्नी एकदम पीछे पड़ी थी कि देर मत करो कहीं वे दफना न दें, कहीं लाश सड़-गल न जाए, जल्दी मांगो।

तो दूसरी आकांक्षा मांगी कि लड़का हमारा वापिस लौटा दिया जाए। ताबीज गिरा। पंद्रह मिनट बाद दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। लड़के के पैर की आहट थी। उसने जोर से कहा, 'पिताजी।' आवाज भी सुनाई पड़ी, पर दोनों बहुत डर गये। इतने जल्दी लड़का आ गया? बाप ने बाहर झांक कर देखा, वहां कोई दिखाई नहीं पड़ता। खिड़की में से देखा, वहां कोई दिखाई नहीं पड़ता, कोई चलता-फिरता मालूम होता है।

वह लड़का प्रेत होकर वापिस आ गया। क्योंकि शरीर तो दफना दिया जा चुका था। पत्नी और पति दोनों घबड़ा रहे हैं, कि अब क्या करें? दरवाजा खोलें कि नहीं? क्योंकि तुमने भला कितना ही लड़के को प्रेम किया हो, अगर वह प्रेत होकर आ जाए तो हिम्मत पस्त हो जायेगी।

बाप ने कहा, 'रुक अभी एक आकांक्षा और मांगने को बाकी है।' और उसने ताबीज से कहा, 'कृपा कर और इस लड़के से छुटकारा। नहीं तो अब यह सतायेगा जिंदगी भर।

यह प्रेत अगर यहां रह गया घर में...इससे छुटकारा करवा दे।' और पति आधी रात गया ताबीज देने अपने मित्र को वापिस। और कहा कि, 'इसे तुम कहीं फेंक ही दो। अब किसी को भूल कर मत देना।'

तुम्हारी पूरी जिंदगी की कथा इस ताबीज की कथा में छिपी है। जो तुम मांगते हो वह मिल जाता है। नहीं मिलता है तो तुम परेशान होते हो। मिल जाता है, फिर तुम परेशान होते हो। गरीब दुखी दिखता है, अमीर और भी दुखी दिखता है।

जिसकी शादी नहीं हुई वह परेशान है, जिसकी शादी हो गई है वह छाती पीट रहा है, सिर ठोंक रहा है। जिसको बच्चे नहीं हैं वह घूम रहा है साधु-संतों के सत्संग में, कि कहीं बच्चा मिल जाए। और जिनको बच्चे हैं, वे कहते हैं, कैसे इनसे छुटकारा होगा। यह क्या उपद्रव हो गया।

तुम्हारे पास कुछ है तो तुम रो रहे हो; तुम्हारे पास कुछ नहीं है तो तुम रो रहे हो। और मौलिक कारण यह है कि तुम गलत हो। इसलिए तुम जो भी चाहते हो, वह गलत ही चाहते हो।

इसलिए समझदार व्यक्ति परमात्मा से यह नहीं कहता कि मेरी प्रार्थना पूरी करना, वह उससे कहता है, 'जो तेरी मर्जी, वह तू पूरी करना।

क्योंकि हम तो यह भी नहीं जानते, क्या मांगें? हम तो गलत ही मांगेंगे, क्योंकि हम गलत हैं। हमारी तो मांग भी उपद्रव होगी।'

और तुम्हारे पूरे जीवन की कथा यही है कि जो तुमने मांगा, वह तुम्हें मिल गया। फिर तुम उससे परेशान हो रहे हो। न मिलता तो रोते; मिल गया तो रो रहे हो। और तुम कभी गौर करके नहीं देखते।

जय श्री राधे कृष्ण

06/09/2025

#सब का मालिक एक

शहर में एक अमीर सेठ रहता था। उसके पास बहुत पैसा था। वह बहुत फैक्ट्रियों का मालिक था ।
एक शाम अचानक उसे बहुत बैचेनी होने लगी । डॉक्टर को बुलाया गया सारे जाँच करवा लिये गये । पर कुछ भी नहीं निकला । लेकिन उसकी बैचेनी बढ़ती गयी । उसके समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है । रात हुई, नींद की गोलियां भी खा ली पर न नींद आने को तैयार और ना ही बैचेनी कम होने का नाम ले ।
वो रात को उठकर तीन बजे घर के बगीचे में घूमने लगा । घुमते -घुमते उसे लगा कि बाहर थोड़ा सा सुकून है तो वह बाहर सड़क पर पैदल निकल पड़ा ।
चलते- चलते हजारों विचार मन में चल रहे थे । अब वो घर से बहुत दूर निकल आया था । और थकान की वजह से वो एक चबूतरे पर बैठ गया ।उसे थोड़ी शान्ति मिली तो वह आराम से बैठ गया ।
इतने में एक कुत्ता वहाँ आया और उसकी चप्पल उठाकर ले गया । सेठ ने देखा तो वह दूसरी चप्पल उठाकर उस कुत्ते के पीछे भागा । कुत्ता पास ही बनी जुग्गी-झोपड़ीयों में घुस गया । सेठ भी उसके पीछे था ,सेठ को करीब आता देखकर कुत्ते ने चप्पल वहीं छोड़ दी और चला गया । सेठ ने राहत की सांस ली और अपनी चप्पल पहनने लगा । इतने में उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी ।
वह और करीब गया तो एक झोपड़ी में से आवाज आ रहीं थीं । उसने झोपड़ी के फटे हुए बोरे में झाँक कर देखा तो वहाँ एक औरत फटेहाल मैली सी चादर पर दीवार से सटकर रो रही हैं । और ये बोल रही है ---हे भगवान मेरी मदद कर ओर रोती जा रहीं है ।
सेठ के मन में आया कि यहाँ से चले जाओ, कहीं कोई गलत ना सोच लें । वो थोड़ा आगे बढ़ा तो उसके दिल में ख़्याल आया कि आखिर वो औरत क्यों रो रहीं हैं, उसको तकलीफ क्या है ? और उसने अपने दिल की सुनी और वहाँ जाकर दरवाजा खटखटाया ।
उस औरत ने दरवाजा खोला और सेठ को देखकर घबरा गयी । तो सेठ ने हाथ जोड़कर कहा तुम घबराओं मत ,मुझे तो बस इतना जानना है कि तुम रो क्यों रही हो ।
वह औरत के आखों में से आँसू टपकने लगें । और उसने पास ही गोदड़ी में लिपटी हुई उसकी 7-8 साल की बच्ची की ओर इशारा किया । और रोते -रोते कहने लगी कि मेरी बच्ची बहुत बीमार है उसके इलाज में बहुत खर्चा आएगा । और में तो घरों में जाकर झाड़-ूपोछा करके जैसे-तैसे हमारा पेट पालती हूँ । में कैसे इलाज कराउ इसका ?
सेठ ने कहा--- तो किसी से माँग लो । इसपर औरत बोली मैने सबसे माँग कर देख लिया खर्चा बहुत है कोई भी देने को तैयार नहीं । तो सेठ ने कहा तो ऐसे रात को रोने से मिल जायेगा क्या ?
तो औरत ने कहा कल एक संत यहाँ से गुजर रहे थे तो मैने उनको मेरी समस्या बताई तो उन्होंने कहा बेटा---तुम सुबह 4 बजे उठकर अपने ईश्वर से माँगो ।बोरी बिछाकर बैठ जाओ और रो -गिड़गिगिड़ाके उससे मदद माँगो वो सबकी सुनता है तो तुम्हारी भी सुनेगा ।
मेरे पास इसके अलावा कोई चारा नहीं था । इसलिए में उससे माँग रही थीं और वो बहुत जोर से रोने लगी ।
ये सब सुनकर सेठ का दिल पिघल गया और उसने तुरन्त फोन लगाकर एम्बुलेंस बुलवायी और उस लड़की को एडमिट करवा दिया । डॉक्टर ने डेढ़ लाख का खर्चा बताया तो सेठ ने उसकी जवाबदारी अपने ऊपर ले ली ,और उसका इलाज कराया । और उस औरत को अपने यहाँ नौकरी देकर अपने बंगले के सर्वेन्ट क्वाटर में जगह दी । और उस लड़की की पढ़ाई का जिम्मा भी ले लिया ।
वो सेठ कर्म प्रधान तो था पर नास्तिक था । अब उसके मन में सैकड़ो सवाल चल रहे थे ।
क्योंकि उसकी बैचेनी तो उस वक्त ही खत्म हो गयी थी जब उसने एम्बुलेंस को बुलवाया था । वह यह सोच रहा था कि आखिर कौन सी ताकत है जो मुझे वहाँ तक खींच ले गयीं ?क्या यहीं ईश्वर हैं ? और यदि ये ईश्वर है तो सारा संसार आपस में धर्म ,जात -पात के लिये क्यों लड़ रहा है । क्योंकि ना मैने उस औरत की जात पूछी और ना ही ईश्वर ने जात -पात देखी । बस ईश्वर ने तो उसका दर्द देखा और मुझे इतना घुमाकर उस तक पहुंचा दिया । अब सेठ समझ चुका था कि कर्म के साथ सेवा भी कितनी जरूरी है क्योंकि इतना सुकून उसे जीवन में कभी भी नहीं मिला था ।
तो दोस्तों मानव और प्राणी सेवा का धर्म ही असली इबादत या भक्ति हैं । यदि ईश्वर की कृपा या रहमत पाना चाहते हो तो इंसानियत अपना लो और समय-समय पर उन सबकी मदद करो जो लाचार या बेबस है । क्योंकि ईश्वर इन्हीं के आस -पास रहता हैं ।।

Zen 🧘‍♀️ mode on 💫💫
30/08/2025

Zen 🧘‍♀️ mode on 💫💫

जापान के एक गाँव में जेन मास्टर हाकुइन रहते थे। वे बहुत प्रसिद्ध थे और उनकी बड़ी ख्याति थी। पूरा गाँव उनका पूजा और आदर करता था। गाँव में उनके सम्मान में गीत गाए जाते थे। लेकिन एक दिन सब कुछ बदल गया। गाँव की एक युवती गर्भवती हुई और उसने एक बच्चे को जन्म दिया। जब उसके परिवार ने पूछा कि यह बच्चा किसका है, तो उसने कहा कि यह हाकुइन का बच्चा है।

प्रश्न यह है कि प्रशंसकों को शत्रु बनने में कितना समय लगता है? कितना? ज़रा भी समय नहीं लगता, क्योंकि प्रशंसा करने वाले मन में निंदा हमेशा छिपी रहती है। मन सिर्फ़ अवसर की प्रतीक्षा करता है। जिस दिन प्रशंसा समाप्त होती है, उसी दिन निंदा आरम्भ हो जाती है। जो लोग सम्मान देते हैं, वही एक पल में अपमान करने लगते हैं। जो लोग किसी के चरण छूते हैं, वही क्षणभर में उसका सिर काटने को तैयार हो सकते हैं। सम्मान और अपमान में कोई अन्तर नहीं है — ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

पूरा गाँव हाकुइन की कुटिया पर टूट पड़ा। इतने दिनों से जो सम्मान वे दिखा रहे थे, अब वही दबा हुआ क्रोध बाहर आ गया। उन्हें अपमान करने का मौका मिल गया, तो वे सब हाकुइन की कुटिया जला बैठे और बच्चा भी उनके पास फेंक दिया।

हाकुइन ने पूछा, "क्या बात है?"

लोग चिल्लाए, "तुम हमसे पूछते हो क्या बात है? यह बच्चा तुम्हारा है! क्या हमें बताना पड़ेगा कि क्या बात है? अपनी जलती हुई कुटिया देखो, अपने हृदय में देखो, इस बच्चे को देखो और इस लड़की को देखो। हमें बताने की कोई ज़रूरत नहीं कि यह बच्चा तुम्हारा ही है।"

हाकुइन बोले, "अच्छा? यह बच्चा मेरा है?"

बच्चा रोने लगा तो हाकुइन ने उसे चुप कराने के लिए गीत गाना शुरू कर दिया। लोग उन्हें उनकी जली हुई झोपड़ी के पास अकेला छोड़कर चले गए। फिर दोपहर में वे हमेशा की तरह भिक्षा माँगने निकले — लेकिन आज कौन उन्हें भोजन देता? हर द्वार उनके सामने बंद हो गया। आज भीड़ उनके पीछे हो ली, बच्चे उन्हें चिढ़ाने लगे, पत्थर फेंकने लगे। वे उस लड़की के घर पहुँचे जिसके बच्चे का नाम उन पर लगाया गया था। उन्होंने कहा, "शायद मुझे भोजन न मिले, लेकिन इस बच्चे के लिए थोड़ा दूध तो दे दो! गलती अगर मेरी है तो मेरी होगी, पर इस बेचारे बच्चे की क्या गलती है?"

बच्चा रो रहा था, भीड़ खड़ी थी — और यह दृश्य उस लड़की से सहा न गया। वह अपने पिता के चरणों में गिरकर बोली, "मुझे क्षमा कर दो, मैंने झूठ कहा था। यह बच्चा हाकुइन का नहीं है। मैंने असली पिता को बचाने के लिए हाकुइन का नाम लिया था। मेरा उनसे कोई संबंध तक नहीं है।"

पिता घबराकर बाहर दौड़े, हाकुइन के चरणों में गिर पड़े और बच्चे को वापस लेने की कोशिश करने लगे।

हाकुइन ने पूछा, "क्या बात है?"

लड़की के पिता बोले, "मुझे क्षमा कर दो, भूल हो गई। यह बच्चा तुम्हारा नहीं है।"

हाकुइन ने उत्तर दिया, "अच्छा? यह बच्चा सचमुच मेरा नहीं है?"

तब गाँववाले बोले, "तुम पागल हो! तुमने सुबह ही क्यों नहीं इनकार किया?"

हाकुइन बोले, "क्या फर्क पड़ता? बच्चा तो किसी न किसी का ही होगा। तुमने पहले ही एक झोपड़ी जला दी थी — तुम एक और जला देते। तुमने एक व्यक्ति की निंदा करके मज़ा लिया, तुम दूसरे की करके भी मज़ा ले लेते। इसमें क्या अंतर पड़ता? बच्चा किसी का होगा ही, मेरा भी हो सकता है। तो इसमें समस्या ही क्या है? क्या फर्क पड़ता?"

लोग बोले, "क्या तुम समझते नहीं कि सभी ने तुम्हारी निंदा की, तुम्हें अपमानित किया, तुम्हें बहुत नीचा दिखाया?"

हाकुइन ने उत्तर दिया, "अगर मैं तुम्हारी निंदा की परवाह करता तो तुम्हारे सम्मान की भी परवाह करता। मैं वही करता हूँ जो मुझे सही लगता है; तुम वही करते हो जो तुम्हें सही लगता है। कल तक तुम्हें सही लगा कि मेरा सम्मान करो तो तुमने किया। आज तुम्हें लगा कि सम्मान न करो तो तुमने नहीं किया। पर मुझे न तो तुम्हारे सम्मान से लेना-देना है और न ही तुम्हारे अपमान से।"

लोगों ने कहा, "महाशय, तुम्हें सोचना चाहिए था कि तुम्हारी अच्छी ख्याति नष्ट हो जाएगी।"

हाकुइन ने उत्तर दिया, "मैं न बुरा हूँ न अच्छा। मैं बस वही हूँ जो हूँ। मैंने अच्छा और बुरा बनने का विचार ही छोड़ दिया है। जितना मैं अच्छा बनने की कोशिश करता था, उतना ही बुरा बनता जाता था। जितना मैं बुराई से बचने की कोशिश करता था, उतनी ही अच्छाई खो जाती थी। मैंने यह विचार ही छोड़ दिया। मैं बिल्कुल उदासीन हो गया। और जिस दिन मैं उदासीन हुआ, उसी दिन मैंने पाया कि न अच्छाई रही न बुराई। बल्कि कुछ नया जन्मा — जो अच्छाई से भी ऊपर है और जिसमें बुराई की छाया तक नहीं है।"

*****DSB*****

25/08/2025

"Don't give up
water breaks rock not because of its strength but because of its consistency."

“आज का संदेश “आपके प्रयास व्यर्थ नहीं हैं। रुकें, विचार करें और अपने योजनाओं को संजोएँ। जो परिणाम आप चाहते हैं, वे आपके ...
24/08/2025

“आज का संदेश “
आपके प्रयास व्यर्थ नहीं हैं। रुकें, विचार करें और अपने योजनाओं को संजोएँ। जो परिणाम आप चाहते हैं, वे आपके रास्ते में हैं।” 🌟

💫 प्रक्रिया पर भरोसा करें।
💫 अपने विकास में धैर्य रखें।
💫 दीर्घकालिक लाभ धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं।

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