18/05/2025
"किसी को कुछ न बताने की कला सीखो — और सब कुछ ठीक रहेगा।"
— जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
हम उस दौर में जी रहे हैं जहाँ हर बात को बताना, हर पल को साझा करना एक आदत सी बन गई है। सोशल मीडिया पर हर विचार, हर भावना, हर योजना को तुरंत दुनिया के सामने रख देना आम बात हो गई है। लेकिन क्या हर चीज़ सबके जानने लायक होती है? शायद नहीं।
कभी-कभी सबसे बड़ी ताकत आपके मौन में छिपी होती है।
हर ख्वाब को बोलकर साबित नहीं करना होता,
हर इरादे को तालियों की ज़रूरत नहीं होती।
कुछ बातें सिर्फ आपकी होती हैं — और वहीं सबसे ज़्यादा मूल्यवान होती हैं।
मौन कोई कमज़ोरी नहीं, बल्कि आत्म-नियंत्रण की पराकाष्ठा है।
जब आप अपनी यात्रा, अपनी योजना और अपने सपनों को अपने भीतर संजो कर रखते हैं, तो वो बाहरी शोर से सुरक्षित रहते हैं।
वो पनपते हैं, मज़बूत होते हैं — और एक दिन जब आप उन्हें हकीकत में बदलते हैं, तो वही लोग चौंकते हैं जिन्हें आपने कुछ नहीं बताया।
अपनी शांति की रक्षा करें। अपनी ऊर्जा बचाकर रखें।
हर जगह सबको जवाब देने की ज़रूरत नहीं।
हर आलोचना के पीछे भागने की ज़रूरत नहीं।
अपने कर्म को बोलने दें — क्योंकि सबसे बुलंद आवाज़ वो होती है जो बिना बोले काम कर जाती है।
याद रखिए:
जो चीज़ें गहराई में पनपती हैं, वो सबसे मजबूत जड़ें बनाती हैं।
और जो सपने मौन में पलते हैं, वही एक दिन सबसे ज़्यादा चमकते हैं।
साभार।
आभार।
मौन में शक्ति है।