Jai Maa Kali astrologer

Jai Maa Kali  astrologer MAA KI KIRPA
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24/10/2025

आजकल एक नया उपाय शुरू हो चुका है सोशल मीडिया पर यूट्यूब इंस्ट्राग्राम फेसबुक पर बैठे एस्ट्रो का एक पैकेट जेब में डाला बिस्किट का और लगे कुत्ता खोजने इस लेख को जहां तक हो सके वहां तक शेयर करना कुत्ते को बिस्कुट का पैकेट लेकर पर्सनल कुत्ते को खिलाते है वो पुण्य नहीं पाप है क्योंकि उसका पेट तो भरेगा नहीं वो तो बस मीठे के लालच में खा रहा है मीठे बिस्किट उसको खिलाना बंद कर दीजिए पता है क्योंकि मीठे से कुत्ते को खुजली होती है कष्ट पीड़ा होती है रोड पर अपने शरीर को मलता है इतना वो परेशान हो जाता है की वो चैन से सो भी नहीं पाता और बिस्किट डालने वाला घर पर आकर आराम से सोता है कष्ट उसको दिया डालने वाले ने तो क्या बिस्किट डालने वाला उसका इलाज़ भी करवाएगा कभी नहीं करवाएगा क्योंकि उसे तो बस अपना उपाय करना है यूट्यूब इंस्ट्राग्राम फेसबुक से देखकर की मेरे कष्ट दूर हो जाएं बस लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कुत्ते को मीठा डालकर उसके शरीर पर कष्ट देकर अपना कष्ट दूर हो जाएं कदापि नहीं हो सकता यह कर्मफल भूमि है जैसा कर्म करना है वैसा ही फल मिलेगा क्योंकि उसको कष्ट देने का परिणाम भी डालने वाले को ही भुगतना पड़ेगा बेजुबान क्या जाने उसको जो डाल देंगे वो तो खा ही लेगा तो हमारा आपसे निवेदन है दूध में दो रोटी डाल तो यह है पुण्य यह पुण्य नहीं है की रोड पर उसको दो पैकेट बिस्किट डाल दिए उसको खुजली होगी शरीर के बाल उसके झड़ जायेंगे आपको ही सजा मिलेगी कोशिश करे इन बेकार के और खुद के पाप बढ़ाने वाले उपाय करने से बचे पुण्य अर्जित करें पाप नहीं दूध में रोटी डाले उसका भी पेट भरेगा और हमारा उपाय भी हो जायेगा करे विचार
एस्ट्रो रोहित चोपड़ा 075088 66666

22/10/2025

*आयुर्वेद के अनुसार किस महीने में क्या खाए और क्या नहीं खाए जिससे रहे निरोगी काया*

मौसम के अनुकूल अगर आप भोजन करते है। या फिर खाना-पीना खाते है तो अक्सर आप बड़े-बुजुर्गों के मुख ये शब्द जरूर सुने होंगे। चौते गुड़, वैशाखे तेल, जेठ के पंथ, अषाढ़े बेल। सावन साग, भादो मही, कुवांर करेला, कार्तिक दही। अगहन जीरा, पूसै धना, माघै मिश्री, फाल्गुन चना। जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर नहिं धरै। अर्थात इस दोहा के माध्यम से बताया गया है कि जो आदमी इन चीजों पर अमल करेगा यानी कि नहीं खाएगा। वह इंसान कभी बीमार नहीं होगा। चिकित्सक-वैद्य के पास नहीं जाना पड़ेगा।

हिन्दू धर्मशास्त्र के जानकार आज भी कहते है कि आयुर्वेद में भोजन के संबंध में बहुत कुछ लिखा है। जैसे किस सप्ताह में क्या खाना है क्या नहीं। किस तिथि को क्या खाना चाहिए अथवा क्या नहीं। किस महीने में क्या भोजन सही है और क्या नहीं। दरअसल, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। प्रत्येक सप्ताह, तिथि या महीने में मौसम में बदलाव होता है। इस बदलाव को समझकर ही खाना जरूरी है।

किस माह में क्या खाएं
जिस तरह पूर्वजों को बताया गया है कि चैत चना, बैसाखे बेल, जैठे शयन, आषाढ़े खेल, सावन हर्रे, भादो तिल। कुवार मास गुड़ सेवै नित, कार्तिक मूल, अगहन तेल, पूस करे दूध से मेल। माघ मास घी-खिचड़ी खाय, फागुन उठ नित प्रात नहाय। इस तरह खानें के नियम बताए गए है।

हिन्दू माह बताते हैं मौसम में बदलाव
उल्लेखनीय है कि हिन्दू माह ही मौसम के बदलाव को प्रदर्शित करते हैं अंग्रेजी माह नहीं। अक्सर हम आप जब रात में दही की डिमांड घर में करते है तो माताएं देने से मना कर देती है। न मानने पर डांट का भी सामना करना पड़ता है। इसीलिए रात को दही नहीं खाना चाहिए। वहीं देखते है अज्ञान आदमी भी दूध के साथ नमक नहीं खाता है। क्योंकि उसको भी मालुम है कि दूध के साथ नमक नहीं शक्कर मिलाकर खाना चाहिए।

ऐसे समझे किस माह में क्या न खाएं

- चैत्र माह: चैत्र माह में गुड़ खाना मना है। चना खा सकते हैं।

- वैशाख: तेल व तली-भुनी चीजों से परहेज करना चाहिए। बेल खा सकते हैं।

- ज्येष्ठ: इस माह भी बेल खाना मना है। इन महीनों में गर्मीं का प्रकोप रहता है अत: ज्यादा घूमना-फिरना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अधिक से अधिक शयन करना चाहिए।

-आषाढ़: आषाढ़ में पका बेल न खाना मना है। इस माह में हरी सब्जियों के सेवन से भी बचें। लेकिन इस माह में खूब खेल खेलना चाहिए। कसरत करना चाहिए।

- श्रावण: सावन माह में साग खाना मना है। साग अर्थात हरी पत्तेदार सब्जियां और दूध व दूध से बनी चीजों को भी खाने से मना किया गया है। इस माह में हर्रे खाना चाहिए जिसे हरिद्रा या हरडा कहते हैं।

- भाद्रपद: भादो माह में दही खाना मना है। इन दो महीनों में छाछ, दही और इससे बनी चीजें नहीं खाना चाहिए। भादो में तिल का उपयोग करना चाहिए।

- आश्विन: क्वार माह में करेला खाना मना है। इस माह में नित्य गुड़ खाना चाहिए।

- कार्तिक: कार्तिक माह में बैंगन, दही और जीरा बिल्कुल भी नहीं खाना मना है। इस माह में मूली खाना चाहिए।

- मार्गशीर्ष: अगहन में भोजन में जीरे का उपयोग नहीं करना चाहिए। तेल का उपयोग कर सकते हैं।

- पौष: पूस मास में दूध पी सकते हैं लेकिन धनिया नहीं खाना चाहिए क्योंकि धनिए की प्रवृति ठंडी मानी गई है और सामान्यत: इस मौसम में बहुत ठंड होती है। इस मौसम में दूध पीना चाहिए।

- माघ: माघ माह में मूली और धनिया खाना मना है। मिश्री नहीं खाना चाहिए। इस माह में घी-खिचड़ी खाना चाहिए।

- फाल्गुन: फागुन माह में सुबह जल्दी उठना चाहिए। इस माह में में चना खाना मना।
एस्ट्रो रोहित चोपड़ा 075088 66666

22/10/2025
*🚩🙏अष्टलक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मन्त्र**1. श्री आदि लक्ष्मी - ये जीवन के प्रारंभ और आयु को संबोधित करती है तथा इनक...
20/10/2025

*🚩🙏अष्टलक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मन्त्र*

*1. श्री आदि लक्ष्मी - ये जीवन के प्रारंभ और आयु को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं।।*

*2. श्री धान्य लक्ष्मी - ये जीवन में धन और धान्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं क्लीं।।*

*3. श्री धैर्य लक्ष्मी - ये जीवन में आत्मबल और धैर्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।*

*4. श्री गज लक्ष्मी - ये जीवन में स्वास्थ और बल को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।*

*5. श्री संतान लक्ष्मी - ये जीवन में परिवार और संतान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं।।*

*6. श्री विजय लक्ष्मी यां वीर लक्ष्मी - ये जीवन में जीत और वर्चस्व को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ क्लीं ॐ।।*
एस्ट्रो रोहित चोपड़ा 7508866666
*7. श्री विद्या लक्ष्मी - ये जीवन में बुद्धि और ज्ञान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ ऐं ॐ।।*

*8. श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी - ये जीवन में प्रणय और भोग को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है - ॐ श्रीं श्रीं।।🙏🚩*
शुभ दीपावली 🙏🌹एस्ट्रो रोहित चौपड़ा🌹7508866666

यह एक ऑर्गोनाइट पिरामिड ये आपको आपसे मिल जाएगा(Orgonite Pyramid) है, जिसे अक्सर लक्ष्मी पिरामिड या धन लाभ पिरामिड भी कहा...
11/10/2025

यह एक ऑर्गोनाइट पिरामिड ये आपको आपसे मिल जाएगा(Orgonite Pyramid) है, जिसे अक्सर लक्ष्मी पिरामिड या धन लाभ पिरामिड भी कहा जाता है।
यह पिरामिड रेज़िन (resin) में विभिन्न आध्यात्मिक और प्राकृतिक तत्वों को डालकर बनाया गया है। इसमें जो मुख्य चीज़ें दिख रही हैं, उनके मतलब यहाँ दिए गए हैं:
• सोने का पिरामिड नुमा ढाँचा (Golden Pyramid Structure at the top): यह श्री यंत्र (Shree Yantra) है, जो हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली यंत्रों में से एक माना जाता है। यह धन, समृद्धि, सफलता और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक है।
• लाल गोल दाने (Red spherical beads): ये रुद्राक्ष (Rudraksha) के मनके हो सकते हैं, जो भगवान शिव से जुड़े हैं और संरक्षण, आध्यात्मिक विकास और शांति के लिए जाने जाते हैं।
• सफेद शंख/कौड़ी (White Shells/Cowries):
• बीच में जो बड़ी अंडाकार/शंख जैसी आकृति है, वह सफेद कौड़ी (White Cowrie) हो सकती है, जिसे देवी लक्ष्मी से जुड़ा माना जाता है और यह धन, सौभाग्य और समृद्धि को आकर्षित करती है।
• छोटी सफेद, गोल, सर्पिल आकृतियाँ गोमती चक्र (Gomati Chakra) हो सकती हैं, जिन्हें सौभाग्य और सुरक्षा के लिए शुभ माना जाता है।
• लाल छोटे बीज (Red small seeds): कौड़ी के पास लाल रंग के छोटे-छोटे दाने चिरमी/गुंजा के बीज (Chirmi/Gunja Seeds) हो सकते हैं, जो सुरक्षा और सौभाग्य के लिए उपयोग किए जाते हैं।
इसका उद्देश्य क्या है?
ऑर्गोनाइट पिरामिड को नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करके उसे सकारात्मक ऊर्जा में बदलने के लिए माना जाता है। यह विशेष पिरामिड, श्री यंत्र और अन्य शुभ तत्वों के साथ मिलकर, घर या कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा (positive energy), धन, समृद्धि, अच्छा भाग्य (good luck) और सद्भाव (harmony) को आकर्षित करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे अक्सर वास्तु दोष (Vastu Doshas) को ठीक करने और वातावरण को शुद्ध करने के लिए भी रखा जाता है।
एस्ट्रो रोहित चोपड़ा 750886666

09/10/2025

*करवाचौथ 2025: करवा चौथ पूजा की सामग्री, संपूर्ण पूजन विधि और कथा* करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दौरान किया जाता है।इसे करक चतुर्थीके नामसे भी जाना जाताहै।इसदिन मिट्टीके पात्र,जिसे करवा या करक कहतेहैं,से चंद्रमाको जल अर्पित किया जाता है(जो कि अर्घ्य कहलाताहै)।इसदिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और उन्नति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और विधिवत पूजन करती हैं। धार्मिक दृष्टि से इस व्रत में करवा माता के साथ ही भगवान शिव, माता पार्वती और चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। *करवा चौथ 2025 शुभ मुहूर्त* अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। *चतुर्थी तिथि प्रारम्भ:-* 09 अक्टूबर 2025, रात्रि 10:54 बजे *चतुर्थी तिथि समाप्त:-* 10 अक्टूबर 2025, शाम 07:38 तक *करवा चौथ व्रत:-* 10 अक्टूबर 2025 (उदायातिथि अनुसार) *पूजा मुहूर्त:-* शाम 06:06 से 07:19 तक *व्रत समय:-* सुबह 06:21 से रात्रि 08:34 तक *चंद्रोदय:-* रात्रि 08:34 तक *करवा चौथ पूजा की आवश्यक पूजन सामग्री इस प्रकार है।पूजन के लिए:-* मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, अगरबत्ती, कपूर, पुष्प, लकड़ी का आसन, छलनी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी। *अर्घ्य और भोग:-* कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, गंगाजल, चंदन, चावल, शक्कर का बूरा, गेहूं, हलुआ, आठ पूरियों की अठावरी। *श्रृंगार सामग्री (सुहाग):-* सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, कुमकुम, हल्दी, शहद। *अन्य:-* मिठाई, दक्षिणा के लिए पैसे आदि संपूर्ण सामग्री इकट्‍ठा करके रख लें। *करवा चौथ की सरल पूजन विधि व्रत संकल्प:-* सूर्योदयसे पूर्व उठकर,स्नानादि करके स्वच्छ कपड़े पहनें और श्रृंगार करें। निर्जला व्रत का संकल्प बोलकर व्रत आरंभ करें।जलपान नकरें। *प्रातःमंत्रजाप:-* प्रातः काल पूजाके समय निम्नमें से किसीएक मंत्र का जपकरें:- *मम सुख सौभाग्य पुत्र पौत्रादि सुस्थिर श्रीप्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।* अथवा,देवताओंके नाम से पूजन करें:- *ॐशिवायैनमः* से पार्वती का, *ॐनमःशिवाय* से शिव का, *ॐ षण्मुखाय नमः* से स्वामी कार्तिकेय का, *ॐ गणेशाय नमः* से गणेशका, *ॐसोमायनमः* से चंद्रमा का पूजन करें। *स्थापना:-* सायंकाल, बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर यालकड़ीके आसनपर शिव-पार्वती,स्वामी कार्तिकेय,गणेश और चंद्रमाकी स्थापनाकरें।मूर्ति न होनेपर सुपारीपर नाड़ा बांधकर देवता की भावना करके स्थापित कर सकते हैं।मां पार्वती की प्रतिमाकी गोदमें श्रीगणेशको विराजमानकरें। *पूजन और कथा:-* माता पार्वती का सुहाग सामग्री आदिसे श्रृंगारकरें।भगवानशिव और मां पार्वतीकी आराधना करें।कोरे करवेमें पानी भरकर उसकी पूजा करें।एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें।पूजन के समय करवा चौथ कथा अवश्य सुनें या सुनाएं। *🌕चंद्रमा को अर्घ्य और व्रत पारण:-* चाँद को छलनी से देखने के बाद चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए।चंद्रोदयकेबाद चंद्रमाको अर्घ्यदेते समय इस मंत्रको बोलें:- *करकं क्षीर संपूर्णा तोय पूर्ण मयापिवा।ददामि रत्न संयुक्तं चिरं जीवतु मे पतिः॥इति मन्त्रेण करकान् प्रदद्याद्विज सत्तमे।सुवासिनीभ्योदद्याच्चआदद्यात्ताभ्यएववा।।एवं व्रतं याकुरूते नारी सौभाग्य काम्यया।सौभाग्यं पुत्रपौत्रादिलभतेसुस्थिरां श्रियम्।* चांद को देखने के बाद यानि चंद्रमा पूजनके पश्चात अपने पतिके हाथसे जल पीकर व्रत खोलना चाहिए।
*अग्निष्टोमादिभिर्ययज्ञैः इष्ट्वा विपुल दक्षिणैः।न तत् फलमवाप्नोति तीर्थाभि गमनेन यत्।।महाभारत,वनपर्व- ८२/१९*
मनुष्य तीर्थयात्रासे जिस फलको पाता है, उसे बहुत दक्षिणा वाले अग्निष्टोम आदि यज्ञों द्वारा यजन करके भी कोई नहीं पा सकता।
*न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।तत् स्वयं योगसंसिद्धःकालेनात्मनि विन्दति॥*
इससंसारमें ज्ञानके समान पवित्र करने वाला कुछ भी नहीं है।उस ज्ञान को (कर्म) योग द्वारा सिद्ध (शुद्धान्तःकरण)हुआ मनुष्य, कुछ समय पश्चात् अपने आप में ही पा लेता है। *ॐजय मांलक्ष्मी*
*आजकादिवसमङ्गलमयहो भगवान श्री कृष्ण,श्रीमंगलामाँ,भगवतीदेवीमाँ,लक्ष्मी माँ समस्त कामनाओंकी पूर्तिकरें,आपका सदा कल्याण करें*

*ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ **
*रोहित चौपड़ा 7508866666**

Har Har Mahadav
09/10/2025

Har Har Mahadav

कपूर के पौधे के वास्तु एवं ज्योतिषीय लाभ....हम सभी अपने घर की पूजा में कपूर जलाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि कपूर कहा...
06/10/2025

कपूर के पौधे के वास्तु एवं ज्योतिषीय लाभ....
हम सभी अपने घर की पूजा में कपूर जलाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि कपूर कहां से आता है? कैसा होता है इसका पौधा? क्या इस पौधे को घर में लगा सकते हैं, लगा लिया तो क्या फायदे होंगे?*

आजकल जो प्रचलित कपूर हम लाते हैं वह केमिकल्स के बने होते हैं। कपूर एक विशालकाय पेड़ से प्राप्त होते हैं जिनका चिकित्सकीय लाभ कमाल का होता है। केमिकल्स वाले कपूर में मेडिसिनल वैल्यू बहुत कम होती है। कपूर का पेड़ लंबे समय तक चलने वाला सदाबहार वृक्ष है।

इसका वृक्ष भारत, श्रीलंका, चीन, जापान, मलेशिया, कोरिया, ताइवान, इन्डोनेशिया आदि देशों में पाया जाता है। कपूर के पेड़ की लम्बाई 50 से 100 फीट तक होती है। इसके फूल, फल तथा पत्तियां सभी आकर्षक होते हैं। इसे सजावटी पेड़ के रुप में भी लोग अपनाते हैं। इसकी पत्तियां बड़ी, सुन्दर और लालिमा व हरापन लिए होती हैं। वसन्त ऋतु में इसमें छोटे-छोटे खुशबूदार फूल लगते हैं। इसके फल भी बड़े मोहक होते हैं।

कपूर के पेड़ की लकड़ियां फर्नीचर के काम में भी लाई जाती हैं। यह काफी मजबूत और टिकाऊ होती है। इसके पेड़ से प्राप्त लकड़ियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर, तेज आंच पर उबाला जाता है फिर भाप और शीतलीकरण विधि से कपूर का निर्माण होता है। इससे अर्क और तेल भी बनाया जाता है, जिसका प्रयोग प्रसाधन एवं औषधि कार्यों में होता है।

आयुर्वेद, एलोपैथी और होमियोपैथी दवाइयों में भी कपूर का प्रयोग होता है। इसकी तासीर ठंडी है। कपूर और गाय के घी से काजल भी बनाया जाता है। यह आंखों के लिए बड़ा गुणकारी होता है।

कपूर के पौधे को हम अपने घर, बाहर, बगिया, गमले आदि कहीं भी किसी भी जगह पर लगा सकते हैं। कपूर का पौधा अच्छी सेहत का भंडार और वरदान है।

कपूर के पौधे के संपर्क में जो रहता है तो वह हमेशा स्वस्थ रहता है।

कपूर का पौधा पर्यावरण को शुद्ध करने में बहुत बड़ी मदद करता है।

कपूर का पौधा हमें प्राण वायु प्रदान करता है।एस्ट्रो रोहित चोपड़ा
वास्तु और ज्योतिषीय फायदे 7508866666
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कपूर का पौधा लगाने से घर से बीमारियां दूर हो जाती हैं।

कपूर का पौधा घर में लगाने से आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती हैं।

कपूर का पौधा अपनी सुगंध से चारों ओर के वातावरण को खुशबूदार बना देता है।

कपूर का पौधा धन की आवक को आकर्षित करता है।

कपूर का पौधा रिश्तों में मिठास लाता है।

कपूर का पौधा घर में रखने से खुशियों का आगमन होता है।

कपूर का पौधा घर और घर के सदस्यों को नजर से बचाता है।

कपूर का पौधा घर में रखने से बुरी आत्माएं घर से दूर रहती हैं।

कपूर का पौधा घर के किसी भी कोने में रख सकते हैं यह पूरे घर के वास्तु दोष को हर लेता है।

घर के बाहर रख रहे हैं तो इसे प्रवेश की तरफ से द्वार के दाएं तरफ रखें।

कपूर का पौधा घर के मंदिर के आसपास भी रख सकते हैं। इससे पूजा का फल दो गुना हो जाता है।

कपूर का पौधा तरक्की लाता है सदस्यों के बीच की तकरार को खत्म करता है।

कपूर का पौधा सेहत के लिए तो अत्यंत फायदेमंद है ही मन और आध्यात्मिक शांति के लिए भी आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी है।
एस्ट्रो रोहित चोपड़ा 7508866666

06/10/2025

नमस्कार मित्रों आज की चर्चा चंद्रमा से बनने वाले केमद्रुम दोष को लेकर है तो आज हम जानेंगे कि
केमद्रुम दोष क्या है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब चंद्रमा के दोनों ओर (द्वितीय और द्वादश भाव) में कोई भी ग्रह उपस्थित नहीं होता, तब केमद्रुम दोष बनता है। यह योग जातक के जीवन में मानसिक तनाव, आर्थिक अस्थिरता, सामाजिक अपमान और एकाकीपन ला सकता है। चंद्रमा मन और भावनाओं का कारक ग्रह है, इसलिए यह दोष सीधे तौर पर व्यक्ति के मानसिक जीवन को प्रभावित करता है।
केमद्रुम दोष के प्रभाव
आर्थिक कठिनाइयाँ – आय में अस्थिरता और धन का अभाव।
मानसिक चिंता – व्यक्ति को अनावश्यक तनाव और बेचैनी रहती है।
सामाजिक जीवन में बाधा – मित्र और सहयोगी साथ नहीं देते।
आत्मविश्वास की कमी – व्यक्ति निर्णय लेने में हिचकिचाता है।
विवाह और दांपत्य जीवन में परेशानी – रिश्तों में दूरी और असहमति।
केमद्रुम दोष के उपाय
चंद्रमा की शांति – सोमवार के दिन व्रत करें और शिवलिंग पर दूध व जल चढ़ाएँ।
मंत्र जाप –
ॐ चंद्राय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
ॐ नमः शिवाय का नियमित जाप भी लाभकारी है।
दान – सोमवार को सफेद वस्त्र, चावल, दही, शंख या चाँदी का दान करें।
रत्न धारण – योग्य ज्योतिषी की सलाह लेकर चंद्रमा को बल देने के लिए मोती (Pearl) धारण करें।
उपासना – भगवान शिव, देवी पार्वती और माता गौरी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
जल में चंद्र दर्शन – पूर्णिमा की रात चंद्रमा को जल अर्पित करें और मनोकामना करें।
सकारात्मक जीवनशैली – ध्यान, योग और अच्छे विचार रखने से मानसिक शांति बनी रहती है।
इति 🖋️
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ज्योतिषाचार्य ए वास्तु विशेषज्ञ
रोहित चोपड़ा 7508866666

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