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Buddha Charitable Clinic Weight Loss /, weight Gain And Disease Managment. Based on Individual Need of A Person.

Buddha Charitable Clinic is a Ayurvedic, Neturopathy, Yoga therapy, Diat Therapy Clinic Providing Full Body Detoxification, Pain Management services, Weight Managment.

15/08/2025
 #पैरों के  #तलवों पर  #कांसे (Kansa)  #धातु की कटोरी से  #मालिश करना एक  #प्राचीन  #आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है, जिसे...
14/08/2025

#पैरों के #तलवों पर #कांसे (Kansa) #धातु की कटोरी से #मालिश करना एक #प्राचीन #आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है, जिसे #कांसा वाटी #मसाज कहा जाता है। यह मालिश सिर्फ #आराम ही नहीं देती, बल्कि इसके कई गहरे #शारीरिक और #मानसिक फायदे भी हैं

कांसे की धातु, जो तांबे और टिन का मिश्रण होती है, आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह मालिश शरीर के ऊर्जा बिंदुओं (मर्म) को उत्तेजित करती है, जिससे कई लाभ होते हैं।

कांसे की कटोरी से मालिश के फायदे :

* शरीर की गंदगी (टॉक्सिन) बाहर निकालना:
* कांसे की धातु में शरीर की गर्मी और विषाक्त पदार्थों (toxins) को खींचने का गुण होता है।
* जब तलवों पर तेल या घी लगाकर कांसे की कटोरी से मालिश की जाती है, तो कटोरी का निचला हिस्सा धीरे-धीरे काला या भूरा हो जाता है। यह इस बात का संकेत माना जाता है कि कटोरी शरीर से जमी हुई गंदगी को बाहर निकाल रही है।

* तनाव और थकान दूर करना:

* पैरों के तलवों में हजारों तंत्रिकाएं (nerves) होती हैं। मालिश करने से ये तंत्रिकाएं शांत होती हैं, जिससे पूरे शरीर को गहरा आराम मिलता है।
* यह दिन भर की थकान, तनाव और चिंता को दूर करने का एक बेहतरीन तरीका है।

* बेहतर नींद में सहायक:

* तनाव और थकान दूर होने से मन शांत होता है।
* यह मस्तिष्क को आराम देता है, जिससे रात में गहरी और आरामदायक नींद आने में मदद मिलती है।

* रक्त संचार बढ़ाना:

* तलवों पर मालिश से रक्त वाहिकाओं (blood vessels) में रक्त का प्रवाह बढ़ता है।
* बेहतर रक्त संचार से पैरों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति बढ़ जाती है, जिससे पैरों की सूजन और दर्द में कमी आती है।

* आंखों की रोशनी के लिए:

* आयुर्वेद और रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) के अनुसार, पैरों के तलवे में कुछ खास बिंदु आंखों से जुड़े होते हैं।
* कांसे की कटोरी से इन बिंदुओं पर दबाव पड़ने से आंखों की रोशनी बेहतर होती है और आंखों का तनाव कम होता है।

* वात और पित्त दोष को शांत करना:

* कांसे की तासीर ठंडी मानी जाती है, जो शरीर की अतिरिक्त गर्मी (पित्त दोष) को शांत करती है।
* मालिश की क्रिया से वात दोष (जो दर्द और सूखापन का कारण बनता है) संतुलित होता है। इस तरह, यह शरीर में तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने में मदद करती है।
* पैरों की त्वचा और मांसपेशियों को स्वस्थ रखना:
* यह मसाज पैरों की मांसपेशियों को आराम देती है और उनकी कठोरता को कम करती है।
* यह तलवों की सूखी और फटी हुई त्वचा को नरम बनाने में भी मदद करती है।

इस मालिश को करने के लिए आप घी या कोई भी प्राकृतिक तेल (जैसे नारियल तेल) का उपयोग कर सकते हैं। यह बहुत ही सरल और प्रभावी तरीका है अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का।

तुलसी  तुलसी के पत्तों को सभी देवताओं का प्रतिनिधि माना जाता है। तुलसी में अलौकिक औषधीय गुण होते हैं। मानव जीवन में तुलस...
13/08/2025

तुलसी

तुलसी के पत्तों को सभी देवताओं का प्रतिनिधि माना जाता है। तुलसी में अलौकिक औषधीय गुण होते हैं। मानव जीवन में तुलसी का बहुत महत्व है क्योंकि यह एक ही समय में अनेक रोगों का नाश करती है।*

*गर्मी के रोगों में तुलसी के बीजों को पानी में भिगोकर उसकी खीर बनाई जाती है। लकवा और गठिया रोग में तुलसी के पत्तों के काढ़े की भाप ली जाती है। अनिद्रा के लिए काली तुलसी की गोलियाँ खाई जाती हैं। तुलसी में एकाग्रता बढ़ाने का भी गुण होता है। इसलिए विद्यार्थियों को इन पत्तों का विशेष लाभ उठाना चाहिए। प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. उपेंद्र राय ने शोध द्वारा सिद्ध किया है कि तुलसी के पत्तों में कैंसर, हृदय रोग, गुर्दे के रोग और त्वचा रोगों को ठीक करने की असाधारण शक्ति होती है। तुलसी बुखार, खांसी-जुकाम के इलाज में कारगर है और तुलसी के पत्ते मच्छरों को दूर भगाते है

*यदि आप अपने आँगन में प्रचुर मात्रा में तुलसी के पेड़ लगाते हैं, तो उन पेड़ों का सान्निध्य आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है और आपको कई छोटी-मोटी बीमारियों से बचा सकता है। प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद तुलसी के पेड़ के सामने बैठकर लंबी साँसें लेने से आपको स्वास्थ्य लाभ होगा।

*भारतीय संस्कृति में तुलसी का अत्यधिक महत्व है। हिंदू धर्म में तुलसी को प्रार्थना का प्रतीक माना जाता है। भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के हर कोने में तुलसी की विभिन्न किस्में पाई जाती हैं।*

*प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में तुलसी की चार प्रमुख किस्मों का उल्लेख है:*

*1) कृष्ण तुलसी,*
*2) राम तुलसी,*
*3) रण तुलसी,*
*4) कपूर तुलसी*

*तुलसी एक औषधीय पौधे के रूप में बहुत मूल्यवान है। कई लोग नियमित रूप से तुलसी के ताज़ा पत्तों का रस पीते हैं। सदियों से तुलसी का उपयोग कई बीमारियों के इलाज के रूप में किया जाता रहा है।*

*कृष्ण तुलसी के कुछ औषधीय लाभ:*
*1) यह गले के रोगों, श्वसन विकारों, नाक के छालों, कान के दर्द और त्वचा रोगों के लिए प्रभावी है। तुलसी का काढ़ा पीना चाहिए।*
*2) तुलसी के तेल की बूँदें कान में औषधि के रूप में डाली जा सकती हैं।*
*3) तुलसी का उपयोग मलेरिया जैसे रोगों के इलाज के लिए किया जाता है।*
*4) तुलसी का काढ़ा अपच, सिरदर्द, अनिद्रा, दौरे और दाद जैसी बीमारियों के लिए भी प्रभावी

*आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने के कारण तुलसी का पौधा औषधीय पौधों में अग्रणी स्थान रखता है। तुलसी के पत्ते ही नहीं, बल्कि इसके फूल भी उतने ही लाभकारी होते हैं। तुलसी का पौधा निम्नलिखित दस स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए एक उत्कृष्ट औषधि है।*

*1. बुखार- तुलसी के पत्तों का रस बुखार कम करने में मदद करता है।*

*2. सर्दी-खाली पेट तुलसी के पत्ते चबाने से सर्दी-जुकाम ठीक हो जाता है।*

*3. गले में खराश- तुलसी के पत्तों को गर्म पानी में मिलाकर गरारे करें। यह अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से पीड़ित लोगों के लिए भी फायदेमंद है।*

*4. सिरदर्द- अत्यधिक गर्मी के कारण सिरदर्द एक आम समस्या है। ऐसे में तुलसी के पत्तों और चंदन का लेप माथे पर लगाना चाहिए। इससे सिरदर्द निश्चित रूप से कम होता है।*

*5. आँखों की समस्याएँ- काली तुलसी के पत्तों का रस आँखों की समस्याओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। काली तुलसी के पत्तों (कृष्ण तुलसी) के रस की कुछ बूँदें आँखों में डालने से सूजन कम होती है।*

*6. दांतों की समस्याएँ- तुलसी के पत्तों के चूर्ण को सरसों के तेल में मिलाकर पेस्ट बनाएँ और इस पेस्ट से दाँत साफ़ करें। इससे मसूड़ों और दाँतों के दर्द में तुरंत आराम मिलता है।*

*7. त्वचा की समस्याएँ- तुलसी के पत्तों का रस त्वचा की समस्याओं के लिए भी कारगर है।*

*8. कीड़े-मकोड़ों का काटना- मच्छर और अन्य कीड़ों के काटने की घटनाएँ मुख्यतः मानसून के महीनों में बढ़ जाती हैं। ऐसे में, तुलसी की जड़ों का लेप उस जगह पर लगाना चाहिए जहाँ कीड़े ने काटा हो।*

*9. गुर्दे की पथरी- जिन लोगों को गुर्दे की पथरी की समस्या है, उन्हें शहद और तुलसी के पत्तों के रस का मिश्रण पीना चाहिए।*

*10. मानसिक तनाव- भागदौड़ भरी ज़िंदगी में मानसिक तनाव भी रोज़मर्रा की बात हो गई है। तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए, रोज़ाना 10 से 12 तुलसी के पत्ते खाएँ। तुलसी के पत्ते तनाव दूर करने में एक हथियार की तरह काम करते हैं।*
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एक समय ऐसा भी था जब डॉक्टर धूम्रपान को फायदेमंद मानते थे।  लोगों को सिगरेट पीने की सलाह भी दी गई। लोगों को गले के दर्द, ...
12/08/2025

एक समय ऐसा भी था जब डॉक्टर धूम्रपान को फायदेमंद मानते थे। लोगों को सिगरेट पीने की सलाह भी दी गई। लोगों को गले के दर्द, सर्दी, खांसी , गमगिनी, थकान में दवाई के रूप में लिखकर देते थे।जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने 6 अप्रैल, 1917 को प्रथम विश्व युद्ध में प्रवेश किया और जर्मनी से लड़ने के लिए यूरोप में सेना भेजी, तो अमेरिकी डॉक्टरों के एक समूह ने सैनिकों को यथासंभव ज्यादा से ज्यादा सिगरेट देने की सिफारिश करते हुऐ सरकार को पत्र लिखा। साल 1906 में एक डॉक्टर ने तो सिगरेट के फ़ायदे बताने वाला एक पुरा अभ्यास लेख लिख दिया। साल 1927 में अमेरिका के 20000 डॉक्टरों ने अमेरिकन तंबाकू कंपनी की toasted cigarette यानी भुंजी हुई सिगरेट की Lucky strike brand को दवाई के रूप में प्रमोट भी कर दिया। इसके 56 साल बाद ब्रिटन के दो तबीबी वैज्ञानिक ब्रेडफोर्ड हिल और रिचार्ड डोल ने अपने संशोधन में पाया की धुम्रपान से कैंसर होता है। बदकिस्मती से तब तक लाखों लोग धूम्रपान के आदि हो चुके थे एवं फेफड़े के कैंसर से मरने वालो की संख्या 20 प्रतिशत बढ़ गईं थीं और यह सिलसिला आज भी चालु हैं! आपको बता दूं की यह सिर्फ़ सिगरेट तक सीमित नहीं है टूथपेस्ट , शैम्पू, साबुन, दवाईयां जैसे ढेर सारे केमिकल्स जो शुरू में डॉक्टरों द्वारा दवाई के रूप में प्रिस्क्रिब्शन में लिखे जाते थे और आज हमारी रोजबरोज की जिंदगी में आदतें बन गई हैं उन में से बहुत सारे कैंसर कारक पाए गए हैं और कुछ तो प्रतिबंधित भी किए गए हैं और बहुत सारे आज भी इस्तेमाल किए जाते है। लोग डॉक्टर्स या वैज्ञानिक पे आंख बंद कर भरोसा करते हैं क्योंकि उन्होंने विज्ञान को नजदीकी से देखा जाना होता है उसके फायदे नुकसान दोनों ही उनसे बेहतर कौन जान सकता है! लेकिन उनमें से कुछ लोग जाने अनजाने में या कोई उत्पादक कंपनी आर्थिक लाभ लेकर बिक्री बढ़ाने के लिए उसे तोड़मरोड़कर सिर्फ़ फायदे ही दिखाकर विज्ञापन करते है जिसे लोगों के आंतरिक मन पर वही घूमता रहता है कि इसके इस्तेमाल से मेरी समस्या का समाधान हो जाएगा उनको यह समज में नहीं आता कि बालों या त्वचा जैसे विज्ञापन में दिखाए गए लोग पहले से ही अच्छे काले बाल या अच्छी त्वचा वाले होते हैं ना कि इन उत्पादों की वजह से! जैसा कुदरत ने बनाया ऐसा स्वीकार करने में ही हमारी भलाई होती हैं लेकिन आजकल लोगों को काले से गोरा या गोरे हैं उनको ब्राऊन बनना हैं जिसके घुंघराले बाल हैं उनको सीधे करने है जिनके सीधे हैं उनको घुंघराले बनाने हैं, पतले को मोटा बनना हैं मोटे को पतला बनना है छोटे को लंबा बनना हैं इसी कामना या भावना ओ का दुरूपयोग कर विज्ञापन से लोगों को शीशे में उतारा जाता हैं कही पर आपको जीवन जीने का तरीका या खान पान में बदलाव कर के बिना कोई केमिकल से भी खुशहाल जीवन जीया जा सकता हैं इसका प्रचार होता नहीं मिलेगा क्योंकि उसमें कोई भी कंपनी को आर्थिक लाभ नहीं मिलता है। कुछ अच्छे डॉक्टर्स भी होते हैं जो खानपान में बदलाव करने को बताते हैं बिना जरूरत कोई दवाईयां नहीं देते हैं लेकिन लोग बस यही उम्मीद रखते हैं कि बस कुछ जादुई दवाई या जड़ीबूटी मिल जाए और सबकुछ खा पीकर भी स्वस्थ रहे ऐसे लोग उन अच्छे डॉक्टर्स को भी बुरा बना देते हैं और जो डॉक्टर्स सीधे भारी भरकम और दूसरे नुकसान करने वाली दवाई का डोज देके कुछ पल के लिए ठीक कर देते हैं उनको अच्छे डॉक्टर्स मान लिया जाता हैं उनको यह समज में नहीं आता है कि ऐसा कर हम बाड़े में घुसी बकरी को निकालने के चकर में पूरा ऊंट ही बाड़े में डाल रहे हैं! कहने का मतलब है कि आज के समय में मोबाइल टीवी मिडिया से आप समुद्र मंथन कर रहे होते हैं जिसमें विष और अमृत दोनों होते हैं जो आपको आपकी सूझबूझ से अलग करना होता है। कृपया ऐसे विज्ञापनों से सावधान रहें हों सके उतने कैमिकल से दुर रहे संयमित इस्तेमाल करे बुरी आदतें छोड़ मां प्रकृति की ओर लौटे।👍🙏

पत्थरचट्टा (ब्रायोफिलम) जिसे चमत्कारी पौधा भी कहा जाता हैं, यह पौधा सदियों से आयुर्वेद में अपनी जगह बनाये हुए हैं, यह न ...
11/08/2025

पत्थरचट्टा (ब्रायोफिलम) जिसे चमत्कारी पौधा भी कहा जाता हैं, यह पौधा सदियों से आयुर्वेद में अपनी जगह बनाये हुए हैं, यह न केवल अपनी हरी-भरी पत्तियों से घर को सजाता हैं बल्कि सेहत से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान भी देता हैं।

■ पत्थरचट्टा का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में किया जाता हैं।

1. गुर्दे की पथरी को खत्म करता हैं :-
पत्थरचट्टा गुर्दे की पथरी को घोलने में मदद कर सकता हैं, खासकर कैल्शियम ऑक्सालेट से बनी पथरी को। इसमें सैपोनिन होते हैं, जो शरीर से पथरी को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

2. पाचन तंत्र को मजबूत करता हैं :-
पत्थरचट्टा के पौधे में विटामिन और खनिज होते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं। पत्थरचट्टा एसिडिटी और सीने में जलन जैसी पाचन समस्याओं में भी मदद करता हैं।

3. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता हैं :-
पत्थरचट्टा के पौधे में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाते हैं।

4. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद :-
पत्थरचट्टा के पौधे में विटामिन और खनिज होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करते है और बालों को भी मजबूत और स्वस्थ बनाते हैं।

5. मधुमेह को नियंत्रित करता हैं :-
पत्थरचट्टा के पौधे में मधुमेह रोधी गुण होते हैं जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह पौधा रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और मधुमेह के लक्षणों को कम करने में मदद करता हैं।

6. लीवर को स्वस्थ बनाता हैं :-
पत्थरचट्टा लीवर को साफ और उसके कार्य को बेहतर बनाने में मदद करता हैं।

7. घाव भरने में मदद करता हैं :-
पत्थरचट्टा के पत्तों का लेप घाव और चोटों पर लगाने से जल्दी ठीक होते हैं।

8. वजन प्रबंधन में सहायता करता हैं :-
पत्थरचट्टा के रस में कैलोरी कम होती हैं और यह वजन घटाने या उसे बनाये रखने में मदद करता हैं।

9. श्वसन सबंधित समस्याओं के लिए :-
पत्थरचट्टा खांसी और अस्थमा जैसी श्वसन संबधित समस्याओं में मदद कर सकता हैं।

10. मौखिक स्वास्थ्य में सुधार करता हैं :-
पत्थरचट्टा दांत दर्द और मसूड़ों की सूजन और उपचार में मदद कर सकता हैं।

■ पत्थरचट्टा का सेवन कैसे करें :-
आप पत्थरचट्टा के पत्तों को उबालकर काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। यदि आपको इसका स्वाद अच्छा नहीं लगता हैं तो आप काढ़े में थोड़ा सा शहद मिलाकर पी सकते हैं। इसका जूस या लेप बनाकर भी उपयोग कर सकते हैं हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण हैं कि पत्थरचट्टा के पौधे का उपयोग करने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

■ पौधा कैसे लगाए :-
पत्थरचट्टा का पौधा आप नर्सरी से खरीदकर लगा सकते हैं, इसे बीजों के अलावा पत्तों से भी उगा सकते हैं। पत्थरचट्टा को उगाने के लिए पॉटिंग मिक्स तैयार करने के लिए 60% मिट्टी, 20% वर्मीकम्पोस्ट और 20% रेत का इस्तेमाल करें।

■ पत्थरचट्टा की देखभाल कैसे करें :-
पत्थरचट्टा के पौधे को रोजाना कम से कम 4-5 घंटे धूप की जरूरत होती हैं। पौधे में पानी तभी डालें जब इसकी मिट्टी एक-तिहाई भाग तक सूखी दिखें। हर दो महीने में एक बार खाद अवश्य दें। पोस्ट इनफॉर्मेटिव लगा हो तो Like करके इस पेज को Follow जरूर करें, धन्यवाद

अगर ये 6 चीज़ें रोज़ आपके साथ हो रही हैं तो आपका शरीर अंदर से टूट रहा है – समझिए वरना देर हो जाएगीआज की भागदौड़ भरी ज़िं...
11/08/2025

अगर ये 6 चीज़ें रोज़ आपके साथ हो रही हैं तो आपका शरीर अंदर से टूट रहा है – समझिए वरना देर हो जाएगी

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम शरीर को नजरअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन शरीर हर दिन हमें कुछ संकेत देता है कि वो अंदर ही अंदर थक रहा है, टूट रहा है, और अगर अब भी ना रुके तो बीमारियों का घर बन सकता है।

अगर आपमें ये 6 लक्षण रोज़ देखने को मिल रहे हैं, तो ये सिर्फ थकान नहीं है – ये आपके शरीर की एक इमरजेंसी कॉल है। आइए इन संकेतों को समझते हैं एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से –

1. सुबह उठते ही थकान महसूस होना – (Adrenal Fatigue)
सुबह उठने के बाद भी अगर आप खुद को थका हुआ महसूस करते हैं, तो ये आपका शरीर नहीं बल्कि आपका “adrenal system” है जो थक चुका है। लगातार तनाव और नींद की कमी से cortisol (stress hormone) का स्तर बिगड़ता है और शरीर की natural energy production प्रभावित होती है।

2. पेट बार-बार खराब रहना – (Gut Inflammation & Dysbiosis)
अगर आपका पाचन रोज़ खराब रहता है, गैस, अपच, भारीपन जैसी समस्या बनी रहती है, तो ये आपकी आंतों में सूजन (Inflammation) और खराब बैक्टीरिया का संकेत है। 70% इम्यून सिस्टम आपकी आंतों से जुड़ा होता है, और जब यही गड़बड़ हो जाए तो पूरी सेहत बिगड़ती है।

3. रोज़ मूड चिड़चिड़ा रहना – (Serotonin Imbalance)
हर छोटी बात पर गुस्सा आना या मन उदास रहना सिर्फ मानसिक तनाव नहीं है, ये serotonin नामक हैप्पी हार्मोन की कमी भी हो सकती है। serotonin का 90% हिस्सा आपकी आंतों में बनता है – इसका अर्थ ये है कि मानसिक सेहत सीधे पाचन से जुड़ी है।

4. भूख न लगना या बहुत ज्यादा लगना – (Hormonal Imbalance)
Leptin और Ghrelin ये दो हार्मोन आपके भूख के सिग्नल कंट्रोल करते हैं। नींद की कमी, प्रोसेस्ड फूड और तनाव से इन हार्मोनों का संतुलन बिगड़ जाता है। नतीजा – कभी भूख बिल्कुल नहीं लगती और कभी ओवरईटिंग होती है।

5. बाल झड़ना या सफेद होना – (Nutritional Deficiencies & Oxidative Stress)
बाल झड़ना और सफेद होना केवल उम्र की निशानी नहीं है। ये शरीर में zinc, biotin, iron, और antioxidants की कमी और free radicals की अधिकता का नतीजा हो सकता है। मतलब, शरीर अंदर से कमजोर हो चुका है।

6. लगातार सिर दर्द या माइग्रेन – (Chronic Inflammation & Poor Sleep)
लगातार सिर दर्द रहना या माइग्रेन का बार-बार आना शरीर में systemic inflammation, poor sleep cycle, और तनाव का नतीजा हो सकता है। ये शरीर का साफ इशारा है कि उसे आराम, सही पोषण और स्ट्रेस मैनेजमेंट की ज़रूरत है।

ये 6 लक्षण सिर्फ मामूली परेशानी नहीं, बल्कि आपके शरीर की आवाज़ हैं – जो कह रही है कि अब संभल जाओ। विज्ञान भी मानता है कि lifestyle-related बीमारियाँ सबसे पहले इसी तरह के subtle signs से शुरू होती हैं।

आज से नींद को प्राथमिकता दीजिए, खानपान को सुधारिए, शरीर को हिलाइए, और अपने आप को समय दीजिए – क्योंकि अगर शरीर अंदर से रो रहा है, तो बाहर की मुस्कान भी बस एक मुखौटा बनकर रह जाएगी।

अपने शरीर की सुनिए, क्योंकि ये ही एकमात्र जगह है जहां आप ज़िंदगी भर रहने वाले हैं।

“Health is not a goal, it’s a lifestyle.”

*आंतों की सफाई के 10 फायदे* लेखक: शेलघ ब्रेली सुनिश्चित करें कि आप बृहदान्त्र शुद्ध प्रभाव को समझते हैं और हमेशा पहले से...
08/08/2025

*आंतों की सफाई के 10 फायदे*

लेखक: शेलघ ब्रेली

सुनिश्चित करें कि आप बृहदान्त्र शुद्ध प्रभाव को समझते हैं और हमेशा पहले से एक डॉक्टर से परामर्श करें।

बृहदान्त्र सफाई आपके शरीर के समग्र स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करने में मदद कर सकती है, और यहां तक ​​कि बृहदान्त्र कैंसर के लिए आपके जोखिम को कम कर सकती है। अपने कोलन को साफ करने के फायदे नीचे पढ़ें।

1. *पाचन तंत्र को अधिक प्रभावी बनाता है*
जैसे ही कोलन साफ ​​होता है, यह आपके सिस्टम के माध्यम से कचरे को धकेलता है, अच्छे पोषक तत्वों के अवशोषण का रास्ता साफ करता है। कोलन डिटॉक्स से एक साफ कोलन अपशिष्ट को आसानी से पारित करने की अनुमति देता है।

2. *नियमितता बनाए रखता है और कब्ज रोकता है*
कब्ज - विशेष रूप से जब यह पुरानी है - एक धीमी पाचन प्रतिक्रिया का कारण बनती है, जो बदले में सिस्टम में लंबे समय तक बर्बाद हो जाती है। इससे बवासीर और वैरिकाज़ नसों जैसी कुछ स्थितियों और परेशानियों की संभावना बढ़ जाती है।

3. *आंतों की सफाई से ऊर्जा बढ़ती है*
आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना कायाकल्प है क्योंकि यह आमतौर पर आपकी आंतों के माध्यम से आपके शरीर के अन्य भागों में अपशिष्ट को मजबूर करने के लिए उपयोग की जाने वाली ऊर्जा को पुन: केंद्रित करता है। जिन लोगों का कोलन डिटॉक्सिफिकेशन हुआ है, उनका कहना है कि उनके पास बेहतर रक्त परिसंचरण, अधिक आरामदायक नींद और ऊर्जा में वृद्धि है।

4. *शरीर द्वारा विटामिन और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है*
एक कोलन जिसे साफ किया गया है, केवल पानी, विटामिन और पोषक तत्वों को रक्त प्रवाह में अवशोषित करने की अनुमति देता है, जिससे आपके शरीर में फ़िल्टर करने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के लिए एक अबाधित मार्ग बन जाता है।

5. *एकाग्रता में सुधार*
खराब आहार और अप्रभावी विटामिन अवशोषण से आप विचलित हो सकते हैं और अपनी एकाग्रता खो सकते हैं। आपके बृहदान्त्र में श्लेष्मा और विषाक्त पदार्थों का निर्माण आपके शरीर को वह प्राप्त करने से रोक सकता है जो उसे कार्य करने की आवश्यकता होती है, भले ही आप लगातार स्वस्थ आहार खाते हों। एक डिटॉक्स आहार के साथ कोलन को साफ करना सतर्क महसूस करने और फोकस करने में सक्षम नहीं होने के बीच का अंतर हो सकता है। इसका काम, आपके रिश्तों और आपके समग्र स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।

6. *बृहदान्त्र की सफाई से वजन कम होना शुरू हो सकता है*
फाइबर की कमी वाले खाद्य पदार्थ पाचन तंत्र के माध्यम से उच्च-फाइबर विकल्पों की गति से एक-चौथाई गति से चलते हैं। यह धीमी गति से चलने वाला भोजन अतिरिक्त श्लेष्मा पैदा करता है जो सचमुच आंतों की दीवारों से चिपक जाता है, आंतों के मार्ग को वजन कम करने वाले फेकल पदार्थ के पाउंड के साथ वजन कम करता है। बृहदान्त्र सफाई में वजन घटाने में सहायता करने की क्षमता होती है; कुछ लोग एक महीने के दौरान 20 पाउंड तक वजन कम करने का दावा करते हैं। औसत मानव बृहदान्त्र का वजन लगभग चार पाउंड खाली होता है और अंत में पाचन होने से पहले आठ भोजन तक का भोजन ग्रहण कर सकता है। एक बृहदान्त्र सफाई महत्वपूर्ण वजन घटाने और आपके चयापचय को किक-स्टार्ट करने के साथ-साथ बेहतर भोजन विकल्पों और पूरे शरीर के कल्याण पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकती है।

7. *बृहदान्त्र कैंसर के जोखिम को कम करता है*
आप जो भी विषाक्त पदार्थ खाते हैं, पीते हैं, सांस लेते हैं और अपनी त्वचा के माध्यम से अवशोषित करते हैं, वे आपके गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम, गुर्दे और यकृत द्वारा संसाधित होते हैं। यदि उन्हें आपके अंगों से जल्दी से जल्दी बाहर नहीं निकाला गया, तो वे आपके शरीर के सिस्टम पर कहर बरपा सकते हैं। स्थिर शरीर अपशिष्ट को मुक्त करके, आप अपने कोलन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में पॉलीप्स, सिस्ट और कैंसर के विकास के कारणों और जोखिम को कम करते हैं।

8. *बृहदान्त्र की सफाई प्रजनन क्षमता बढ़ा सकती है*
बृहदान्त्र सफाई, साथ ही फाइबर सेवन और स्वस्थ भोजन विकल्पों में वृद्धि, नियमितता में सुधार करती है और आपके वजन को नियंत्रण में रखने में मदद करती है। फैट एस्ट्रोजेन-आधारित होता है, और यदि बहुत अधिक मौजूद हो, तो गर्भवती होना अधिक कठिन हो जाता है। एक बृहदान्त्र जो वर्षों के बिल्डअप से तौला जाता है, महिलाओं में गर्भाशय और आसपास के प्रजनन अंगों पर भी दबाव डाल सकता है, जिससे तनाव होता है। कोलन की सफाई अंडे और शुक्राणु को प्रभावित करने वाले कई रसायनों और विषाक्त पदार्थों के शरीर से छुटकारा दिलाती है। कई प्राकृतिक चिकित्सक अनुशंसा करते हैं कि गर्भावस्था का प्रयास करने से पहले दोनों भागीदारों को कोलन सफाई से गुज़रना पड़े।

9. *रक्तधारा में PH संतुलन बनाए रखता है*
कोलन ब्लॉकेज का कारण बनने वाले खाद्य पदार्थ एसिड बनाने वाले होते हैं - विशेष रूप से पर्याप्त फाइबर के बिना उच्च प्रोटीन वाले आहार। इससे शरीर में सामान्य अस्वस्थता होती है। बृहदान्त्र के ऊतक अंततः सूजन हो जाते हैं, इसकी अपनी नौकरी करने की क्षमता को कम कर देते हैं, जो रक्त प्रवाह में केवल पानी, खनिज और विटामिन को पारित करने की अनुमति देता है। यदि यीस्ट, मोल्ड्स, फंगस, बैक्टीरिया, परजीवी या फेकल सामग्री रक्तप्रवाह और जुड़े ऊतक में प्रवेश करती है, तो शरीर का पीएच संतुलन से बाहर हो जाएगा।

10. *कोलन की सफाई से पूरे शरीर की सेहत में सुधार होता है*
बृहदान्त्र निर्माण की परतों को जारी करके अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों के बृहदान्त्र को मुक्त करने से हल्कापन, बढ़ी हुई ऊर्जा और समग्र अच्छे स्वास्थ्य की भावना पैदा हो सकती है।

कसरत और योग में क्या है अंतरयोग एक ऐसी प्रमाणिक व्यायाम पद्धति है, जिसके लिए न तो ज्यादा साधनों की जरुरत होती है और न ही...
06/08/2025

कसरत और योग में क्या है अंतर
योग एक ऐसी प्रमाणिक व्यायाम पद्धति है, जिसके लिए न तो ज्यादा साधनों की जरुरत होती है और न ही अधिक खर्च होता है। इसलिए पिछले कुछ सालों से योग की लोकप्रियता और इसका अभ्यास करने वालों की संख्या पूरे संसार में लगातार बढ़ती जा रही है।
बहुत से लोग अभी भी योग को सिर्फ कसरत या व्यायाम के रूप में ही जानते हैं। परंतु ये सच नहीं है। योग सिर्फ एक कसरत नहीं है। कसरत में तो आप सिर्फ शारीरिक प्रक्रिया करते हैं। लेकिन योग में आप शारीरिक, मानसिक एवं भावात्मिक प्रक्रिया करते हैं।
यहाँ हमने योग और कसरत में क्या अंतर होता है ये बताया है:
1. जगह और साधन:
कसरत के लिए आपको पर्याप्त जगह और साधन/ समान की ज़रूरत होती है।
लेकिन योग के लिए आपको सिर्फ एक मैट और थोड़ी सी जगह की ज़रूरत होती है।
2. साँस लेना:
कसरत में आप अपनी साँसों पर ध्यान नहीं देते और साँसें काफी तेज़ हो जाती है।
योग में साँसों पर संतुलन सिखाया जाता है और आसन के आधार पर सांस लेनी होती है।
3. तीव्रता:
कसरत तीव्रता और प्रबलता पे ज़ोर देती है, जिससे मांसपेशियों को नुकसान भी पहुच सकता है।
योग धीमी गति से किया जाता है और सहनशक्ति बढ़ाता है। योग से मांसपेशियाँ कमजोर नहीं होती।
4. पाचन शक्ति:
कसरत से पाचन शक्ति तेज़ हो जाती है जिससे भूख ज़्यादा लगती है और इंसान अधिक खाता है।

योग से पाचन शक्ति धीरे होती है जिससे भूख कम होती है और इंसान कम खाने लगता है।
5. ऊर्जा:
कसरत से तेज़ी से ऊर्जा खर्च होती है जिससे आप थक जाते हैं।
योग करते समय ऊर्जा धीरे धीरे खर्च होती है जिससे आप थकते नहीं बल्कि तारो ताज़ा महसूस करते हैं।
6. जागरूकता:
कसरत करते समय आपको अपना ध्यान केन्द्रित नहीं करना होता।
योग करते समय आपको अपनी साँसों और आसान पर ध्यान केन्द्रित करना होता है जिससे शरीर के प्रति जागरूकता बढ़ती है।

7. सिद्धांत:
कसरत में कोई सिद्धांत नहीं होता।
योग पाँच सिद्धांतों पर आधारित है: सही भोजन, सही सोच, सही सांसें, नियमित व्यायाम और आराम।
8. योग्यता:
कसरत से केवल शारीरिक योग्यता बढ़ती है।
योग से शारीरिक, मानसिक और भवात्मिक योग्यता बढ़ती है।
9. बाधाएँ:
कसरत हर उम्र का इंसान नहीं कर सकता जैसे की वृद्ध या बीमार व्यक्ति।
योग हर उम्र का व्यक्ति कर सकता है। बीमार इंसान भी कुछ आसान साँसों की क्रिया कर सकता है।

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डॉ. अविनाश कुमार वर्मा
आयुर्वेद हेल्थ केयर
संपर्क: 7897948155
079917 02895

अंकुरित मूंग (Mung bean sprouts) खाने के कई फायदे हैं। यह पाचन में सुधार करता है, एनीमिया को रोकता है, वजन नियंत्रण में ...
05/08/2025

अंकुरित मूंग (Mung bean sprouts) खाने के कई फायदे हैं। यह पाचन में सुधार करता है, एनीमिया को रोकता है, वजन नियंत्रण में मदद करता है, हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, और आंखों की रोशनी में सुधार करता है. इसके अलावा, यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है, हड्डियों को मजबूत बनाता है, और ब्लड शुगर को कम करने में मदद कर सकता है |।
विस्तार में:
पाचन में सुधार:
अंकुरित मूंग में मौजूद एंजाइम पाचन को आसान बनाते हैं, जिससे यह आसानी से पचने योग्य हो जाता है |.
एनीमिया से बचाव:
इसमें आयरन की मात्रा अधिक होती है, जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे एनीमिया से बचाव होता है |.
पोषक तत्वों से भरपूर:
अंकुरित मूंग में विटामिन बी, फास्फोरस, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे कई आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं |.
वजन नियंत्रण:
यह कम कैलोरी वाला भोजन है, जो वजन घटाने में सहायक हो सकता है |.
हृदय स्वास्थ्य:
अंकुरित मूंग में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं |.
आंखों की रोशनी में सुधार:
यह विटामिन ए का एक अच्छा स्रोत है, जो आंखों के लिए फायदेमंद होता है |.
हड्डियों को मजबूत बनाना:
यह मजबूत हड्डियों के रखरखाव और निर्माण के साथ-साथ कोशिकाओं की वृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |.
ब्लड शुगर को कम करना:
इसमें एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं |.
ध्यान दें: यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित है.

डॉ. अविनाश कुमार वर्मा
आयुर्वेद हेल्थ केयर
संपर्क: 7897948155
079917 02895

_*एनिमा और उपवास*_ *उपवास (Fasting) के दौरान शरीर स्वयं को शुद्ध करने की प्रक्रिया में रहता है। इस समय पाचन तंत्र को आरा...
04/08/2025

_*एनिमा और उपवास*_

*उपवास (Fasting) के दौरान शरीर स्वयं को शुद्ध करने की प्रक्रिया में रहता है। इस समय पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर जमा हुए विषाक्त पदार्थों (toxins) को बाहर निकालने का प्रयास करता है। इस प्राकृतिक डिटॉक्स प्रक्रिया को तेज़ और अधिक प्रभावी बनाने में एनीमा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।भुख प्यास की तृष्णा पे संयम रखने में बहुत मदद मिलती हैं, गैस सिरदर्द शरीर में भारीपन लगना कही मन ना लगना जैसे विषहरण के लक्षण में राहत मिलती हैं। लंबे उपवास में कभी-कभी मल त्याग रुक सकता है। एनीमा से यह रुकावट दूर होती है और कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। इसलिए ही तो "बिना एनिमा के उपवास करना बड़ा गुनाह माना जाता है"।*

*एनिमा लेना क्यों ज़रूरी है – इसे नज़र अंदाज़ न करें:*

हमारी आंतों में जो खाना पचता नहीं है, वह सड़ने और गलने लगता है। ये गंदगी कीटाणुओं और ज़हर से भर जाती है, और हमारे शरीर के अंदर बहुत पतली झिल्ली के पीछे जमा रहती है। जब तक ये गंदगी शरीर से बाहर नहीं निकाली जाती, तब तक कोई भी इलाज पूरी तरह से असर नहीं करता।

दवाइयाँ सिर्फ लक्षणों को दबाती हैं, लेकिन अगर आंतें गंदगी से भरी हैं, तो बीमारी बार-बार लौट सकती है।

*एनिमा क्या करता है?*

एनिमा के ज़रिए हम आंतों में पानी डालते हैं। ये पानी अंदर जमी हुई गंदगी को नरम करता है और उसे मल के साथ बाहर निकालने में मदद करता है।
ये ठीक वैसे ही काम करता है जैसे शरीर खुद ज़हर से बचने के लिए दस्त करता है—ताकि सब कुछ जल्दी बाहर निकल जाए।

आंतें अंदर से बहुत जटिल होती हैं। वे सीधी और सपाट नहीं होती—उनमें बहुत सारी सिलवटें और छोटे-छोटे तंतु/रेशे जैसी बनावट होती है। इनको विली (villi) कहते हैं। इन जगहों में गंदगी आसानी से छिप जाती है। जब हम एनिमा करते हैं, तो पानी इन मोड़ों में घुसकर छुपा हुआ कचरा भी निकालता है।

*एनिमा के फायदे:*

• बुखार और दर्द कम हो जाता है

• शरीर की ताकत बचती है ,स्फूर्ति का संचार होता हैं

• पाचन तंत्र की सफाई होती है

आंतों की झिल्ली फिर से सही से काम करने लगती है और शरीर से गंदगी निकालने में मदद करती है। हमारी आंतों की झिल्ली का क्षेत्र बहुत बड़ा होता है—करीब 600 वर्ग मीटर। *अगर हम एनिमा नहीं करते, तो शरीर इस बड़े हिस्से से गंदगी निकालने का मौका खो देता है।*

इसलिए, शरीर को साफ और बीमारी से दूर रखने के लिए समय-समय पर सिर्फ़ सादा या गुनगुने पानी का एनिमा लेना बहुत ज़रूरी है।

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