30/01/2022
फलां व्यक्ति ने अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए टैलिविजन/यू ट्यूब/इंटरनेट पर देखकर फलां दवाई ली थी। चलो मैं भी अपनी समस्या के लिए बिना आयुर्वेद चिकित्सक को दिखाए ही दवा लें लेता हूं; फायदा नहीं हुआ तो नुकसान भी नहीं होगा आयुर्वेद दवा ही तो है।
अगर आप भी ऐसी मानसिकता रखने वाले हैं तो ध्यान दें कि आयुर्वेद वो नहीं है जो टेलिविजन/यू ट्यूब/बाबाओं/नान मेडिको व्यक्ति के माध्यम से आप तक पहुंच रहा है। आयुर्वेद एक पूर्णत: वैज्ञानिक और शास्वत शास्त्र है। इस शास्त्र को समझने में एक विद्यार्थी /आयुर्वेद चिकित्सक अपनी जिंदगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा इसको पढ़ने, समझने में देता है तब जाकर वह एक वैद्य बनता है।
आयुर्वेद न तो हर्बल मेडिसन है , न ही आयुर्वेद में सिर्फ चूर्ण चटनी है। आयुर्वेद जीवन जीने की कला है जिसमें आप कैसे हमेशा स्वस्थ बने रह सकते हैं से लेकर बीमार होने पर आपकी क्या चिकित्सा होनी चाहिए यह सब वर्णित है।
आयुर्वेद में बच्चे के पैदा होने से पहले (गर्भाधान) से लेकर मृत्यु पर्यन्त उसके शरीर में क्या क्या बदलाव आते हैं क्या क्या व्याधियां (बीमारी) होती है इन सब का बहुत ही बारीक और सुंदर वर्णन है।
प्रत्येक व्यक्ति अलग है, उसके चेहरे की बनावट,शरीर की कद काठी, उसके बाल, उसके नाखून,उसका पाचन, उसके सोचने का तरीका सब अलग है तो उसकी व्याधि को ठीक करने के लिए प्रयोग होने वाली दवा/उपचार भी तो अलग ही होगी न।
खुद सोचिए और आयुर्वेद के नाम पर अपने शरीर पर कुछ भी प्रयोग न करें। आयुर्वेद की चिकित्सा person to person varry करती है जरूरी नहीं है कि एक व्यक्ति को अभ्यारिष्ट लेने से फायदा हुआ है तो आपको भी फायदा हो जाएगा।
अतः आयुर्वेद दवाओं का self medication न करें। आयुर्वेद दवाओं का प्रयोग चाहे किसी बीमारी को ठीक करने के लिए लें या फिर इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बिना चिकित्सक अर्थात चिकित्सक भी वह जिसने आयुर्वेद पढ़ा हो उसके सानिध्य (observation) में ही लें न कि किसी सोशल मीडिया इंफ्लुएसर और बाबाओं की बात में आकर।
Dr Manoj kr Agrahari