Anmol Health Care Chhattisgarh

Anmol Health Care Chhattisgarh We Given Alternative / Electrohomeopathy Medicine Treatment Services For

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24/10/2025

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18/10/2025

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02/10/2025
📢 बवासीर की समस्या आज के समय में सामान्य हो गई है। विभिन्न आयु समूह में आने वाले लोगों में इस बढ़ती हुई समस्या के कई कार...
04/03/2025

📢 बवासीर की समस्या आज के समय में सामान्य हो गई है। विभिन्न आयु समूह में आने वाले लोगों में इस बढ़ती हुई समस्या के कई कारण हैं।
यदि आप पहले से ही बवासीर से पीड़ित हैं या अपनी समझ को बवासीर के लक्षण के बारे में विस्तारित करना चाहते हैं तो यह अनमोल स्वास्थ्य जागरण का लेख आपके लिए है। इस लेख में, हमने बवासीर के प्रकार, लक्षण, कारण और उपचारों को मुख्य रूप से शामिल किया है।

👉 बवासीर क्या होता है?

बवासीर, जिसे पाइल्स, हेमोरोइड्स और मूलव्याधि भी कहा जाता है, एक भयानक रोग है। यह एक व्यापक रूप से फैली समस्या है जो दुनिया भर में कई लोगों को प्रभावित करती है। बवासीर आंतरिक, बाहरी या दोनों का संयोजन हो सकता है।

👉 बवासीर के लक्षण

♻️दर्द या असहजता
बवासीर दर्द या असहजता का कारण बन सकते हैं, खासकर अगर वे बाहरी हों। यह दर्द गुदामार्ग से गुजरते समय या लम्बे समय तक बैठे रहने के दौरान ज्यादा बढ़ सकता है

♻️खुजली
बवासीर गुदा क्षेत्र में खुजली का कारण बन सकता हैं, जो स्थायी हो सकती है और राहत पाने में मुश्किल हो सकती है

♻️खून बहना
मल त्याग करने के दौरान या बाद में खून बह सकते हैं। खून शौचालय कागज पर या शौचालय बाउल में दिखाई दे सकता है

♻️गांठ या सूजन
गुदामार्ग के आसपास एक गांठ या सूजन महसूस की जा सकती है। यह मल त्याग करने के बाद पोंछाई करने पर अधिक नोटिस की जा सकती है।

♻️जायड़ू निर्गम
बवासीर गुदा से भी मल त्याग करने के बाद जायड़ू निर्गम का कारण बन सकते हैं, जो असुविधा और खुजली या चिढ़ाने में ले जा सकता है

👉 बवासीर के कारण क्या होते हैं?

बवासीर के कारण कई हो सकते हैं। इनके बारे में जानकारी आपको सतर्क रहने में मदद कर सकती है। हमने यहां सबसे आम कारणों की संक्षिप्त चर्चा की है।

नीचे बवासीर के पांच मुख्य कारण हैं:
♈मल त्याग करते समय जोर लगाना
♈अस्थायी जीवनशैली / अपचन
♈आहार में फाइबर की कमी
♈मोटापा
♈गर्भावस्था

👉 बवासीर के प्रकार क्या हैं?

यहां हम बवासीर के प्रकारों के बारे में बात करेंगे। बवासीर को उसकी गंभीरता और अन्य कारकों के आधार पर दो प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

वे दो प्रमुख प्रकार हैं - खूनी बवासीर व बादी बवासीर

♻️ खूनी बवासीर

बवासीर उभरती हुई और सूजी हुई नसों के कारण आंतरिक या बाहरी गुदा में होती है। ब्लीडिंग बवासीर उन फूली हुई नसों के टूटने से होती है जो बार-बार मल त्याग करने या बैठते समय फट जाती है।

♻️ खूनी बवासीर में परहेज

खूनी बवासीर में परहेज करना ज़रूरी है। इससे आपको परेशानी से राहत मिल सकती है और आप स्वस्थ्य जीवन का आनंद ले सकते हैं।

खूनी बवासीर से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां अपनानी चाहिए:
♈प्रतिदिन पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें
♈फाइबर युक्त आहार लें
♈मल त्याग करते समय जोर न लगाएं
♈नियमित व्यायाम करें
♈लंबे समय तक बैठे न रहें
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♻️ खूनी बवासीर का इलाज

ब्लीडिंग हेमोरोइड के उपचार की विधि समस्या की गंभीरता पर निर्भर करती है। हल्के मामलों में, दवाइयों और दवाओं का उपयोग करके सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। अधिक गंभीर मामलों में, नुस्खों या सर्जरी के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए

♻️ बादी बवासीर

बादी बवासीर एक गंभीर मलाशय संबंधी समस्या होती है, जिसमें मलाशय की नसें सूज जाती हैं और मलाशय से बाहर लटकती हैं। अंग्रेजी में यह "Grade 3 or Grade 4 " के रूप में भी जाना जाता है।

♻️ बादी बवासीर के लक्षण क्या हैं?

बादी बवासीर के लक्षणों में खून आना, खुजली, सूजन और दर्द शामिल हैं। इसके साथ ही, मलत्याग के समय भी बादी बवासीर के रोगी को बहुत दर्द होता है और मलाशय में खुजली हो सकती है। इसके अलावा, बादी बवासीर के रोगी के रक्त में उच्च रक्तचाप हो सकता है।

बादी बवासीर के लक्षणों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए ।

♻️ बवासीर के महत्वपूर्ण उपचार

बवासीर का इलाज स्थिति के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। सामान्य मामलों में उच्च फाइबर आहार लेना, शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखना और नियमित व्यायाम करना जैसी जीवनशैली में परिवर्तन करने से हल किया जा सकता है। खुजली और असहजता जैसे सामान्य लक्षणों का इलाज क्रीम और उबटनों के इस्तेमाल से किया जा सकता है। गंभीर स्थितियों में चिकित्सा उपचार की आवश्यकता हो सकती है

✅ उपचार-

👉 इलेक्ट्रो होमियोपैथी मेडिसिन
ये दवाइयां पेड़ पौधों से बनी होती है जिनसे पेट के रोगों को ठीक किया जा सकता है इसमें पेट & गुदा द्वारा से संबंधित विशेष उपचार किया जाता है सही खान-पान
पानी का सेवन, नियमित व्यायाम, अनुभवी डॉक्टर से इलाज, समस्या के स्रोत को हटाने के लिए हर्बल इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा का उपयोग करना चाहिए यदि आप इसे कूरियर से मंगाना चाहे तो हमें सूचित करें

👉शरीर में यदि टॉक्सिंन की समस्या हो तो भी शरीर में दवाइयां & पोषक तत्वों का असर कम होता है जिसे ठीक करने के लिए टॉक्सिन को निकलने के उपायो पर ध्यान देना चाहिए विशेष कर पेट और लिवर को ध्यान में रखकर यह किया जाता है लोगों की परेशानियों के अनुरूप 15 दिन से लेकर 6 माह तक का भी का कोर्स कराया जाता है

👉बवासीर के मरीज को अपने आहार में कुछ खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों की सूची में तले हुए और मसालेदार खाद्य पदार्थ, तीखे और तले हुए नमकीन स्नैक्स, तली हुई चीजें, मिर्च-मसाला वाले खाद्य पदार्थ, आदि शामिल हैं।

👉शलाद भरपूर मात्रा में खाना चाहिए,

👉बवासीर के मरीज को आहार में फाइबर से भरपूर फल और सब्जी जैसे कि गाजर, सेब, पपीता, अनार, कद्दू, गोभी, बैंगन, गोभी आदि, दालें और अन्य खाद्य पदार्थ, अधिक पानी पीना, नारियल पानी, आदि लेने की सलाह दी जाती है।

✅ परीक्षण

वैसे तो बवासीर में ब्लड, बेरियम एक्स रे एवं कई अन्य परीक्षण होते हैं लेकिन इसके साथ ही डिजिटल नाड़ी परीक्षण (पित्त की जानकारी), Resonance जाँच, QRMA जाँच के द्वारा भी इसे समझा जा सकता है जो कि हमारे सेंटर में उपलब्ध है

इनका अन्य पद्धतिओं में भी उपचार है लेकिन इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा द्वारा इसका जड़ से उपचार सम्भव है, क्योंकि इसमें दवाइयां पेड़ पौधे के अर्क के द्वारा बनाई जाती है जो किसी भी लम्बे समय से चल रही बीमारियों के प्रकार के लिए कारगर साबित हो रही है

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♻️संपर्क -
डॉ हलधर पटेल सर (इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा विशेषज्ञ)
अनमोल हेल्थ केयर, ब्रह्माविद स्कूल के पास, महादेव घाट रोड
भाठागांव, रायपुर
सुबह 9 से शाम 8 बजे
📲9098472777

प्रत्येक शनिवार सारंगढ़ मे
सुबह 9 से शाम 7 बजे तक

प्रत्येक महीने के आखिरी शुक्रवार - रायगढ़ में
सुबह 9 से शाम 7 बजे तक

मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान कई महिलाएं विभिन्न समस्याओं का सामना करती हैं। ये समस्याएँ शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक ह...
01/03/2025

मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान कई महिलाएं विभिन्न समस्याओं का सामना करती हैं। ये समस्याएँ शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक हो सकती हैं। यहां कुछ मुख्य समस्याएं दी गई हैं जो मासिक धर्म के दौरान आमतौर पर होती हैं:

1. अत्यधिक रक्तस्राव (Heavy Bleeding): कई महिलाओं को भारी रक्तस्राव का सामना करना पड़ता है, जो पीरियड्स के दौरान अधिक मात्रा में रक्त प्रवाह होता है। इसे हेमोरेजिया कहा जाता है और यह कुछ स्वास्थ्य समस्याओं जैसे एनीमिया (खून की कमी) का कारण बन सकता है।

2. पेट दर्द (Cramps): मासिक धर्म के दौरान पेट में ऐंठन या दर्द होना आम है, जिसे डिसमेनोरिया कहा जाता है। यह दर्द आमतौर पर पेट के निचले हिस्से, पीठ या पैरों में महसूस हो सकता है।

3. मूड स्विंग्स (Mood Swings): मासिक धर्म के दौरान हार्मोनल बदलावों के कारण महिलाओं को मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसमें चिड़चिड़ापन, अवसाद (डिप्रेशन), चिंता या निराशा शामिल हो सकती है।

4. कमजोरी और थकावट : रक्तस्राव के कारण महिलाओं को थकावट और कमजोरी का अनुभव हो सकता है, खासकर यदि रक्तस्राव अत्यधिक हो।

5. सिरदर्द (Headaches): हार्मोनल बदलाव और रक्तस्राव के कारण मासिक धर्म के दौरान सिरदर्द या माइग्रेन हो सकता है।

6. ब्रेस्ट टेंडरनेस (Breast Tenderness): मासिक धर्म से पहले और दौरान स्तनों में सूजन या संवेदनशीलता महसूस होना भी एक सामान्य समस्या है।

7. पीरियड्स का अनियमित होना : कई महिलाएं मासिक धर्म के समय में अनियमितता का अनुभव करती हैं, जैसे कि पीरियड्स का देर से आना या जल्दी आना।

8. पाचन समस्याएं (Digestive Issues): मासिक धर्म के दौरान कुछ महिलाओं को दस्त, कब्ज़ या गैस जैसी पाचन समस्याएं हो सकती हैं।

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इन समस्याओं से निपटने के लिए एक स्वस्थ आहार, पर्याप्त पानी, व्यायाम, और तनाव प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है। यदि ये समस्याएं गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं तो आप हमारे सेंटर पर हमारे चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ हलधर पटेल सर से उपचार ले सकते हैं

संपर्क -
डॉ हलधर पटेल (इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा विशेषज्ञ)
पता - अनमोल हेल्थ केयर, ब्रह्मविद स्कूल के पास महादेव घाट रोड, भाठागांव रायपुर (छ. ग.)
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त्वचा विकार (Skin Disorders) शरीर की त्वचा से संबंधित विभिन्न समस्याओं को दर्शाते हैं। ये विकार कई कारणों से उत्पन्न हो ...
20/02/2025

त्वचा विकार (Skin Disorders) शरीर की त्वचा से संबंधित विभिन्न समस्याओं को दर्शाते हैं। ये विकार कई कारणों से उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे संक्रमण, आहार की कमी, हार्मोनल असंतुलन, पर्यावरणीय प्रभाव, और मानसिक स्थिति। त्वचा विकारों के प्रकार बहुत विविध होते हैं, और हर प्रकार की समस्या के लिए विशिष्ट लक्षण, कारण और उपचार होते हैं।

♻️ यदि आपको या आपके किसी परिचित को कोई भी स्वास्थ्य समस्या हों तो आप नीचे लिंक को भर के भेजें
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नीचे कुछ प्रमुख त्वचा विकारों के प्रकारों की चर्चा की जा रही है:

1. एक्जिमा (Eczema)

एक्जिमा त्वचा की सूजन और जलन के कारण होता है। यह आमतौर पर बच्चों में होता है लेकिन वयस्कों में भी हो सकता है। इसमें त्वचा पर खुजली, सूजन और लाल धब्बे होते हैं। यह संक्रमण या एलर्जी से उत्पन्न हो सकता है।

2. मुँहासे (Acne)

मुँहासे एक आम त्वचा विकार है, जो विशेष रूप से किशोरावस्था में होता है, लेकिन किसी भी उम्र में हो सकता है। इसमें चेहरे पर पिंपल्स, ब्लैकहेड्स, और व्हाइटहेड्स की समस्या होती है। मुँहासे का कारण ऑयल ग्लैंड्स का अधिक सक्रिय होना होता है, जो त्वचा के रोमछिद्रों को बंद कर देता है।

3. सोरायसिस (Psoriasis)

सोरायसिस एक ऑटोइम्यून विकार है जिसमें त्वचा के ऊतकों की असामान्य वृद्धि होती है। यह अक्सर शरीर के कोहनी, घुटने, सिर, और पीठ पर सफेद-चांदी जैसे स्केल्स के रूप में दिखाई देता है। इसमें खुजली, जलन, और सूजन हो सकती है।

4. विटिलिगो (Vitiligo)

विटिलिगो एक त्वचा विकार है जिसमें त्वचा के कुछ हिस्सों में रंग खो जाता है, और सफेद धब्बे दिखाई देते हैं। यह तब होता है जब त्वचा में मेलानिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं। विटिलिगो का कारण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह ऑटोइम्यून स्थिति से संबंधित हो सकता है।

5. फंगल संक्रमण (Fungal Infections)

फंगल संक्रमण में त्वचा पर विभिन्न प्रकार के फंगस का हमला होता है, जैसे कि एथलीट फुट, जॉक इट्ज, और रिंगवर्म। ये संक्रमण आमतौर पर नमी और गर्मी में पनपते हैं और खुजली, लालिमा और जलन का कारण बनते हैं।

6. कंटैक्ट डर्मेटाइटिस (Contact Dermatitis)

यह त्वचा की एक एलर्जी प्रतिक्रिया है जो किसी बाहरी पदार्थ से संपर्क में आने के बाद होती है। यह अक्सर रासायनिक पदार्थों, साबुन, परफ्यूम, या किसी प्रकार के पौधे के संपर्क में आने के बाद होती है। इसमें त्वचा पर लालिमा, सूजन और खुजली होती है।

7. हर्पीस (Herpes)

हर्पीस एक वायरल संक्रमण है जो त्वचा पर छोटे फफोले (ब्लिस्टर) उत्पन्न करता है। यह मुख्य रूप से होंठ, जननांगों, और कभी-कभी शरीर के अन्य हिस्सों पर होता है। हर्पीस का कारण हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (HSV) होता है।

8. स्किन कैंसर (Skin Cancer)

त्वचा कैंसर, विशेष रूप से मेलानोमा और बेसल सेल कार्सिनोमा, त्वचा के ऊतकों में असामान्य कोशिकाओं के बढ़ने के कारण होता है। यह अत्यधिक सूर्य के संपर्क में आने, और जीन संबंधी कारणों से हो सकता है।

9. लूपस (Lupus)

लूपस एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के स्वस्थ ऊतकों पर हमला करती है। इसमें चेहरे पर "बटरफ्लाई रेश" जैसे लाल धब्बे होते हैं। यह त्वचा के अलावा आंतरिक अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।

10. स्कैबियस (Scabies)

स्कैबियस एक परजीवी संक्रमण है जो स्कैबियस माइट (खुजली वाले कीड़े) के कारण होता है। यह संक्रमण खुजली, लाल धब्बे और सूजन का कारण बनता है और यह अत्यधिक संक्रामक होता है।

11. रोजेशिया (Rosacea)

रोजेशिया एक पुराना त्वचा विकार है, जो चेहरे की त्वचा पर लालिमा और सूजन का कारण बनता है। इसमें मुँहासे जैसे पिंपल्स, ब्लोटेड रक्त वाहिकाएँ, और कभी-कभी आंखों में सूजन भी हो सकती है। यह आमतौर पर वयस्कों में होता है और अधिकतर महिलाएं इससे प्रभावित होती हैं।

12. एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopic Dermatitis)

यह एक प्रकार का एक्जिमा है जो बच्चों में अधिक देखा जाता है। इसमें त्वचा का बेजान होना और अत्यधिक खुजली होती है, जो सामान्य रूप से एलर्जी प्रतिक्रियाओं के कारण उत्पन्न होती है।

13. हाइपरपिग्मेंटेशन (Hyperpigmentation)

इसमें त्वचा के कुछ हिस्सों में अतिरिक्त मेलानिन का उत्पादन होता है, जिसके कारण त्वचा पर काले या भूरे धब्बे बन जाते हैं। यह सन डैमेज, हार्मोनल बदलाव, या त्वचा के किसी अन्य विकार के कारण हो सकता है।

14. हाइपोफिगमेंटेशन (Hypopigmentation)

यह स्थिति तब होती है जब त्वचा में मेलानिन का उत्पादन कम हो जाता है, जिसके कारण त्वचा के कुछ हिस्से हल्के हो जाते हैं। यह विकार विकारों जैसे कि विटिलिगो या फंगल संक्रमण से संबंधित हो सकता है।

15. सेबोरहाइक डर्मेटाइटिस (Seborrheic Dermatitis)

यह त्वचा की सूजन और जलन है, जो मुख्य रूप से सिर, चेहरे, और शरीर के अन्य हिस्सों पर होती है। इसमें त्वचा पर सफेद या पीले रंग के स्केल्स और लालिमा होती है। यह स्थिति अधिकतर तैलीय त्वचा वाले व्यक्तियों में होती है।

16. चर्मरोग (Skin Disorders Due to Allergies)

एलर्जी के कारण त्वचा पर विभिन्न प्रकार के चर्मरोग हो सकते हैं, जैसे कि उबटन (Hives), एटॉपिक डर्मेटाइटिस, या एलर्जिक रिएक्शन के कारण होने वाली लालिमा और सूजन।

17. धूप से जलन (Sunburn)

यह त्वचा पर अत्यधिक सूर्य के संपर्क में आने के कारण उत्पन्न होता है। इसमें त्वचा लाल हो जाती है, जलन महसूस होती है, और कभी-कभी त्वचा छिलने लगती है।

18. पिटिरियासिस रोजा (Pityriasis Rosea)

यह एक सामान्य त्वचा विकार है, जिसमें शरीर पर लाल धब्बे या रैशेस उत्पन्न होते हैं। यह स्थिति आमतौर पर हल्की होती है और बिना किसी विशेष उपचार के ठीक हो जाती है।

19. टैनिंग और ब्राउन स्पॉट्स (Tanning and Brown Spots)

यह त्वचा पर सूर्य के संपर्क में आने से उत्पन्न होते हैं, और आमतौर पर एंटी-एजिंग संकेत के रूप में होते हैं। इसमें त्वचा पर धब्बे और रंगत का बदलाव होता है।

20. एलर्जी की प्रतिक्रिया (Allergic Reaction)

विभिन्न प्रकार के बाहरी पदार्थों जैसे खाद्य पदार्थों, दवाओं, या पर्यावरणीय कारकों के कारण त्वचा पर एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है, जो खुजली, सूजन, या रैशेस के रूप में दिखाई देती है।

इन त्वचा विकारों के इलाज के लिए उचित निदान और उपचार महत्वपूर्ण होते हैं। यदि किसी को त्वचा की समस्या हो, और बार बार अन्य पद्धतियों से परामर्श कर के ठक चुके हों तो इलेक्ट्रो होमियोपैथी इसमें आपकी सहायता कर सकता है, अगर आप या आपके किसी परिचित को ये स्वास्थ्य समस्या हों तो आप ऊपर दिए गए फॉर्म को भर कर पंजीयन कर सकते हैं अथवा दिए गए न. पर व्हाट्सअप पर अपनी समस्या लिख सकते हैं

♻️सम्पर्क -

डॉ हलधर पटेल (इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा विशेषज्ञ )
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⏰स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता : एक नई शुरुआतस्वास्थ्य जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम अक्सर अपने दिन-प्रतिदिन के का...
16/02/2025

⏰स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता : एक नई शुरुआत

स्वास्थ्य जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम अक्सर अपने दिन-प्रतिदिन के कामों में इतने व्यस्त रहते हैं कि हम अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। परंतु यह समझना बेहद जरूरी है कि यदि स्वास्थ्य नहीं है, तो कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है। जब तक हम स्वस्थ नहीं होते, तब तक हम अपने जीवन का सही आनंद नहीं उठा सकते।

आजकल, बुरी जीवनशैली, गलत खानपान, तनाव, और प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याएं आम हो गई हैं। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, हृदय रोग, और मानसिक विकार जैसे कई स्वास्थ्य मुद्दे बढ़ते जा रहे हैं। इन बीमारियों से बचने के लिए जागरूकता और सही उपायों की जानकारी होना आवश्यक है।

👉स्वास्थ्य के महत्व को समझें

स्वास्थ्य सिर्फ शरीर की स्थिति नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्थिति भी है। जब हम अपनी सेहत का ध्यान रखते हैं, तो न केवल हम अपने शरीर को बल्कि अपनी मानसिक स्थिति को भी स्वस्थ बनाए रखते हैं। यह समझना आवश्यक है कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। यदि एक में समस्या आती है, तो दूसरा भी प्रभावित हो सकता है।

👉स्वस्थ जीवनशैली अपनाना

स्वस्थ जीवनशैली का मतलब केवल सही आहार और नियमित व्यायाम नहीं है, बल्कि इसका मतलब है एक सकारात्मक मानसिक स्थिति रखना, पर्याप्त नींद लेना, और तनाव से बचने के उपायों को अपनाना।

1. संतुलित आहार: हमारे शरीर को सही पोषण की आवश्यकता होती है। ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, प्रोटीन, और स्वस्थ वसा का सेवन हमारी सेहत को बनाए रखने में मदद करता है। वहीं, जंक फूड और अधिक मात्रा में शक्कर का सेवन हमें कई बीमारियों का शिकार बना सकता है।

2. नियमित व्यायाम: व्यायाम न केवल हमारे शरीर को फिट रखता है, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करता है। रोजाना कम से कम 30 मिनट का व्यायाम हमारी सेहत को बेहतर बनाए रखता है। यह हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, वजन को नियंत्रित करता है और हमें ऊर्जा से भरपूर रखता है।

3. पानी का सेवन: शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत महत्वपूर्ण है। पर्याप्त पानी पीने से हमारी त्वचा, आंतरिक अंग और मस्तिष्क सभी स्वस्थ रहते हैं।

4. तनाव प्रबंधन: तनाव आजकल हर किसी की जीवन का हिस्सा बन चुका है। यह हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत दोनों पर बुरा प्रभाव डालता है। ध्यान, योग, और प्राणायाम जैसी तकनीकें तनाव को कम करने में मदद कर सकती हैं।

👉बीमारियों से बचाव

स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का एक प्रमुख उद्देश्य बीमारियों से बचाव करना है। बीमारियों का इलाज होने से पहले उन्हें रोका जा सकता है, और इसके लिए सही जानकारी का होना आवश्यक है।

1. टीकाकरण: कई बीमारियों से बचाव के लिए टीके होते हैं। बच्चों को नियमित टीके लगवाना बहुत जरूरी है। यही नहीं, वयस्कों को भी फ्लू, हेपेटाइटिस, और अन्य बीमारियों से बचाव के लिए टीके लेने चाहिए।

2. स्वच्छता: हाथ धोना, स्वच्छ वातावरण में रहना और व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखना बीमारियों से बचाव के सबसे सरल और प्रभावी उपाय हैं।

3. स्वास्थ्य परीक्षण: नियमित स्वास्थ्य जांच से हम कई रोगों का समय रहते पता लगा सकते हैं और उनका इलाज कर सकते हैं। हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, और कोलेस्ट्रॉल जैसे मामलों को समय से नियंत्रित किया जा सकता है।

👉मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें

मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक स्वास्थ्य की तरह महत्वपूर्ण है। मानसिक विकारों की दर बढ़ रही है, और यह दिन-प्रतिदिन के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है।

1. सकारात्मक सोच: नकारात्मक विचारों से बचना और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। यह तनाव को कम करता है और जीवन में खुशी और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

2. मनोचिकित्सक से मदद: यदि मानसिक स्थिति गंभीर हो तो, मनोचिकित्सक से परामर्श लेना बहुत महत्वपूर्ण होता है। वे सही मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।

3. समय पर आराम: हमारे शरीर को आराम की जरूरत होती है, और यह मानसिक सेहत के लिए भी जरूरी है। पर्याप्त नींद लेना और खुद को समय देना मानसिक शांति को बढ़ावा देता है।

👉स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता

स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में सही जानकारी और उन्हें समय रहते ठीक करने के उपाय हमारे जीवन को लंबा और स्वस्थ बना सकते हैं। हमें खुद को या अपने प्रियजनों को कभी भी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में अनदेखा नहीं करना चाहिए। सही समय पर उपचार से हम गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं और अपने जीवन की गुणवत्ता को बनाए रख सकते हैं।

स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है और यह हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। सही खानपान, व्यायाम, मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना, और नियमित जांच से हम बीमारियों से बच सकते हैं और एक लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। हमें खुद से और अपने परिवार से स्वास्थ्य का ख्याल रखने का संकल्प लेना चाहिए।

हमें यह समझने की जरूरत है कि हमारे स्वास्थ्य की जिम्मेदारी पूरी तरह से हमारी है। एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए छोटी-छोटी आदतों को सुधारना बहुत जरूरी है।

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डॉ हलधर पटेल ( इलेक्ट्रो होम्योपैथिक चिकित्सा विशेषज्ञ )
अनमोल हेल्थ केयर, ब्रह्मविद स्कूल के पास महादेव घाट रोड
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(Migraine) सिर का दर्द एक आम और गंभीर स्थिति है, जिसे कई लोग अनुभव करते हैं। यह एक न्यूरोलॉजिकल एवं मेटाबोलिक विकार है ज...
16/02/2025

(Migraine) सिर का दर्द एक आम और गंभीर स्थिति है, जिसे कई लोग अनुभव करते हैं। यह एक न्यूरोलॉजिकल एवं मेटाबोलिक विकार है जो तीव्र सिर दर्द, मतली, उल्टी, और प्रकाश एवं ध्वनि से संवेदनशीलता का कारण बनता है। यह दर्द एक तरफा हो सकता है, और यह अक्सर सिर के एक हिस्से में महसूस होता है। मिग्रेन के दौरान, व्यक्ति को अक्सर अपने दैनिक कार्यों में कठिनाई होती है और यह व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

👉माइग्रेन के कारण:

माइग्रेन के कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन यह माना जाता है कि यह मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन और तंत्रिका तंत्र के सामान्य कामकाजी पैटर्न में गड़बड़ी के कारण होता है। माइग्रेन के कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:

1. आनुवंशिकता: यदि परिवार में किसी को मिग्रेन होता है, तो अन्य सदस्य को भी यह समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है।

2. हार्मोनल परिवर्तन: महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन (जैसे मासिक धर्म, गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति) मिग्रेन के हमले को बढ़ा सकते हैं।

3. पर्यावरणीय कारक: मौसम में बदलाव, तेज़ रोशनी, तेज़ आवाज़, या किसी विशिष्ट गंध से मिग्रेन हो सकता है।

4. मानसिक तनाव और चिंता: मानसिक दबाव, तनाव, और चिंता मिग्रेन के कारण हो सकते हैं।

5. खानपान: कैफीन, शराब, या कुछ खाद्य पदार्थ मिग्रेन को उत्पन्न कर सकते हैं।

👉माइग्रेन के प्रकार:

माइग्रेन को आमतौर पर दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:

1. क्लासिक माइग्रेन (Aura के साथ): इस प्रकार के मिग्रेन में सिरदर्द शुरू होने से पहले, व्यक्ति को दृष्टि में बदलाव (जैसे कि चमकती रोशनी, झिलमिलाहट, या धुंधलापन) का अनुभव हो सकता है। यह आमतौर पर सिरदर्द से 20-30 मिनट पहले होता है।

2. सादा मिग्रेन (Aura के बिना): इस प्रकार के मिग्रेन में किसी प्रकार का दृश्य बदलाव नहीं होता है, और सिरदर्द अचानक शुरू हो जाता है।

👉माइग्रेन के लक्षण:

मिग्रेन के लक्षण व्यक्तियों में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

1. सिर दर्द: यह दर्द आमतौर पर सिर के एक तरफ या दोनों तरफ महसूस होता है। यह बहुत तीव्र और कभी-कभी धड़कते हुए होता है।

2. मतली और उल्टी: मिग्रेन के दौरान व्यक्ति को मतली और उल्टी का अनुभव हो सकता है।

3. प्रकाश और ध्वनि से संवेदनशीलता: मिग्रेन के दौरान व्यक्ति को तेज़ रोशनी, ध्वनियों और गंधों से अत्यधिक संवेदनशीलता हो सकती है।

4. दृष्टि में बदलाव: कुछ लोगों को मिग्रेन के दौरान धुंधली दृष्टि, चमकती रोशनी, या झिलमिलाहट का अनुभव होता है।

5. शरीर में कमजोरी: मिग्रेन के दौरान व्यक्ति को शरीर में कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है

👉जाँच -

MRI - यह आमतौर पर कराया जाने वाला जाँच है जो कि सिर का कराया जाना चाहिए

QRMA - इस जाँच के द्वारा हमें ब्रेन के 5 पैरामीटर में रिपोर्ट दिया जाता है क्योंकि ये जाँच एक साथ पुरे शरीर का किया जाता है इसीलिए इसमें अन्य कारणों को भी जाना जा सकता है

👉माइग्रेन के उपचार:

माइग्रेन का अन्य पद्धति में कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके उपचार के कई तरीके हैं जो लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं:

1. दवाइयाँ:

एनाल्जेसिक्स (जैसे एसिटामिनोफेन, इबुप्रोफेन): ये सामान्य दर्द निवारक दवाइयाँ मिग्रेन के हल्के लक्षणों के लिए प्रभावी हो सकती हैं लेकिन यह क्षणिक प्रभाव देने वाला होता है

ट्रिप्टन्स: यह विशेष रूप से मिग्रेन के दर्द को कम करने के लिए उपयोग की जाती हैं। (जैसे, सुमाट्रिप्टान)

एंटीमेडिक्स: मतली और उल्टी को नियंत्रित करने के लिए दवाइयाँ दी जा सकती हैं।

👉 इलेक्ट्रो होमियोपैथी दवाइयां - इन विकारों को जड़ से ठीक करने के लिए पेड़ पौधों से बनी बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के इलेक्ट्रो होमियोपैथी दवाईओ का प्रयोग किया जाना चाहिए जिससे ये समस्या जड़ से ठीक किया जा सके

2. जीवनशैली में बदलाव:

समय पर सोना: नियमित नींद लेना मिग्रेन के लक्षणों को कम कर सकता है।

मानसिक तनाव का प्रबंधन: ध्यान, योग, और अन्य मानसिक विश्राम तकनीक मिग्रेन के हमलों को कम कर सकती हैं।

संतुलित आहार: नियमित और स्वस्थ आहार लेना मिग्रेन के लक्षणों को नियंत्रित कर सकता है।

3. प्राकृतिक उपचार:

कुछ लोग हर्बल उपचार, जैसे पेपरमिंट तेल, अदरक, और लैवेंडर तेल का उपयोग करके मिग्रेन के लक्षणों में राहत पाते हैं।

एक्यूप्रेसर : ये उपचार सिरदर्द और तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।

मिग्रेन के साथ जीने के लिए, व्यक्ति को अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है। नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन, और समय पर नींद लेने से माइग्रेन के हमलों की आवृत्ति और तीव्रता को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, मिग्रेन से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि वे अपने लक्षणों का ट्रैक रखें

संपर्क -
डॉ हलधर पटेल ( इलेक्ट्रो होम्योपैथिक चिकित्सा विशेषज्ञ )
अनमोल हेल्थ केयर, ब्रह्मविद स्कूल के पास महादेव घाट रोड
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📢 कल शनिवार सारंगढ़ में⏰ समय - सुबह 11 से शाम 3 बजे तकइलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ हलधर पटेल सर सारंगढ़ में प...
14/02/2025

📢 कल शनिवार सारंगढ़ में
⏰ समय - सुबह 11 से शाम 3 बजे तक

इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ हलधर पटेल सर सारंगढ़ में प्रत्येक शनिवार को सुबह 11 बजे से शाम 3 बजे तक रहेंगे

आप अपना पूर्व पंजीयन निचे दिए लिंक के माध्यम से कर सकते हैं
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दिनांक - 15 फरवरी 2025
समय - सुबह 11 बजे से शाम 3 बजे तक
पता - कोसरिया मरार धर्मशाला प्रतापगंज बिलासपुर रोड सारंगढ़ (छ. ग.)
☎️ 9098472777

नोट -
✅परामर्श शुल्क 200₹ होगा ( दवाइयों का अतिरिक्त स्वास्थ्य समस्या के अनुसार अलग अलग )
✅दिए गए समय पर ही आये ताकि न ही आपको और नहीं अन्य आये हुए मरीज कोई असुविधा हो और पर्याप्त समय आपको मिल सके
✅अपनी पूर्व में कराई गई चिकित्सा और जाँच के दस्तावेज साथ लेकर आये

✅यदि आपको QRMA या डिजिटल नाड़ी आदि विश्लेषण जाँच करानी हों तो 2 घंटे खाली पेट आये जिसका शुल्क 1200₹ है

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एक्यूप्रेशर थेरेपी (Acupressure Therapy) एक प्राकृतिक उपचार पद्धति है, जो शरीर के विभिन्न बिंदुओं पर दबाव डालने के द्वार...
23/01/2025

एक्यूप्रेशर थेरेपी (Acupressure Therapy) एक प्राकृतिक उपचार पद्धति है, जो शरीर के विभिन्न बिंदुओं पर दबाव डालने के द्वारा शारीरिक और मानसिक समस्याओं का इलाज करती है। अगर आप एक्यूप्रेशर थेरेपी बिजनेस शुरू करने की सोच रहे हैं, तो यह एक अच्छा अवसर हो सकता है, क्योंकि आजकल लोग प्राकृतिक उपचार की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं।

यहां कुछ बुनियादी कदम दिए गए हैं, जिनसे आप एक्यूप्रेशर थेरेपी बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं:

1. प्रशिक्षण प्राप्त करें: सबसे पहले, आपको एक्यूप्रेशर थेरेपी में प्रशिक्षित होना चाहिए। इसके लिए आप हमारे संस्थान से कोर्स कर सकते हैं इसके उपरान्त आप अपने क्षेत्र में अपना केंद्र खोल सकते हैं

2. मार्केट रिसर्च करें: अपने इलाके में एक्यूप्रेशर थेरेपी की मांग को समझें। यह जानने के लिए कि आपके इलाके में लोग इस उपचार के बारे में लोगों को जागरूक कर सकते हैं शिविर भी लगा सकते हैं जिनसे उन्हें आपके इस नये थेरेपी के बारे में जानकारी होंगी

3. स्थान का चुनाव: एक्यूप्रेशर थेरेपी सेंटर खोलने के लिए एक अच्छा स्थान चुनें। एक शांत, आरामदायक और पहुंच योग्य स्थान जहां लोग आसानी से आ सकें, बेहतर रहेगा।

4. सुविधाएं और उपकरण: आपको एक्यूप्रेशर थेरेपी से जुड़ी सभी आवश्यक सुविधाएं और उपकरण चाहिए होंगे, वर्तमान में अब एक्यूप्रेशर में सस्ती मशीने और काफ़ी आरामदायक उपकरण आ चुके हैं

5. मार्केटिंग: अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया, लोकल विज्ञापन, और वर्ड ऑफ माउथ का उपयोग करें। आप अपने ग्राहकों के अनुभवों और सफलता की कहानियों को भी प्रचारित कर सकते हैं।

6. सेवा की विविधता: आप सिर्फ एक्यूप्रेशर नहीं, बल्कि अन्य संबंधित सेवाएं जैसे कि ध्यान (Meditation), योग, और शारीरिक उपचार (Physical Therapy) भी प्रदान कर सकते हैं, ताकि ग्राहकों को और अधिक विकल्प मिल सकें, इसके साथ साथ आप इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सको, अन्य वैकल्पिक चिकित्सको की सहायता भी अपने केंद्र पर ले कर अपने मरीजों के लिए उचित व्यवस्था कर सकते हैं

यदि आप इस क्षेत्र में सही तरीके से निवेश करते हैं और ग्राहकों की सेवा में अच्छा ध्यान रखते हैं, तो यह एक लाभकारी और स्थिर व्यवसाय बन सकता है।

अन्य जानकारी के लिए आप संपर्क कर सकते हैं -
डॉ हलधर पटेल सर
090984 72777

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