14/11/2022
लिवर हमारे शरीर का एक प्रमुख अंग है। यह हमारे शरीर में भोजन पचाने से लेकर पित्त बनाने तक का काम करता है। लिवर शरीर को संक्रमण से लड़ने, रक्त शर्करा या ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने, शरीर से विषैले पदार्थो को निकालने, फैट को कम करने तथा प्रोटीन बनाने में अहम भूमिका अदा करता है। अत्यधिक मात्रा में खाने, शराब पीने एवं अनुचित मात्रा में फैट युक्त भोजन करने से फैटी लिवर जैसे रोग लिवर में होने की संभावना होती है। आप घर पर ही फैटी लीवर का इलाज (Fatty Liver Treatment) कर सकते हैं। इसके लिए आपको जरूरी जानकारी होनी जरूरी है।
Fatty Liver Treatment in hindi
कुछ लोग सोचते हैं फैटी लिवर केवल शराब या अन्य मादक चीजों का सेवन करने से ही होता है और फैटी लीवर का इलाज घर में करना संभव नहीं है। सबसे पहले तो यह जान लें कि फैटी लिवर की बीमारी शराब के साथ-साथ मोटापे और खाने की अनुचित आदतों वाले लोगों में भी यह हो सकता है। दूसरी बात यह जान लें कि फैटी लीवर का उपचार आप घर पर भी कर सकते हैं। फैटी लीवर का इलाज करने के लिए घरेलू नुस्ख़े बहुत काम आते हैं।
Contents
1 फैटी लिवर क्या है? (What is Fatty liver?)
2 फैटी लिवर होने के कारण (Causes of Fatty liver in Hindi)
3 फैटी लिवर के लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi)
4 फैटी लिवर को रोकने के उपाय (How to prevent Fatty liver in Hindi)
4.1 फैटी लीवर के इलाज के दौरान खानपान और जीवनशैली में लाएं ये बदलाव
4.2 बच्चों में फैटी लिवर होने की संभावना को कम करने के उपाय
5 फैटी लीवर का उपचार करने के लिए घरेलू नुस्खे (Home remedies For Fatty liver Treatment)
5.1 सूखे आंवला का चूर्ण करता है फैटी लीवर का इलाज (Dry amla powder : Treatment for Fatty Liver in Hindi)
5.2 छांछ के सेवन से होता है फैटी लीवर का उपचार(Buttermilk beneficial in Fatty Liver in Hindi)
5.3 ग्रीन टी पीने से होगा फैटी लीवर का इलाज (Green tea help in Fatty Liver Treatment in Hindi)
5.4 गोमूत्र करता है फैटी लीवर का उपचार(Cow Urine benefits for Fatty Liver in Hindi)
5.5 नींबू और संतरे से होगा फैटी लीवर का इलाज (Lemon and Orange Juice benefits for Fatty Liver in Hindi)
5.6 करेले का जूस करता है फैटी लिवर का उपचार(Bitter Gourd Treats Fatty Liver in Hindi)
5.7 मिल्क थिसल हर्ब के इस्तेमाल से फैटी लीवर का इलाज (Milk thistle good for Fatty Liver in Hindi)
5.8 फैटी लीवर का इलाज करने के लिए करें सेब के सिरका का इस्तेमाल(Apple cider vinegar beneficial in Fatty Liver in Hindi)
5.9 फैटी लिवर का उपचार करने के लिए जामुन का प्रयोग (Jambolan helps in Fatty Liver in Hindi)
5.10 टमाटर के सेवन से फैटी लीवर का इलाज (Raw tomato help to get relief from Fatty Liver in Hindi)
6 फैटी लीवर का उपचार कराने के लिए डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए (When to see a Doctor)
फैटी लिवर क्या है? (What is Fatty liver?)
अगर सबसे पहले समझते हैं कि फैटी लिवर क्या है। लिवर की कोशिकाओं में अधिक मात्रा में फैट जमा हो जाता है। लिवर में वसा की कुछ मात्रा का होना तो सामान्य बात है लेकिन फैटी लिवर बीमारी व्यक्ति को तब होती है जब वसा की मात्रा लिवर के भार से दस प्रतिशत अधिक हो जाती है। ऐसी स्थिति में लिवर सामान्य रूप से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है तथा अनेक लक्षणों को उत्पन्न करता है। इसके बाद फैटी लीवर का इलाज कराने की जरूरत पड़ती है।
सामान्यत इसके लक्षण देर में देखने को मिलते है लेकिन लम्बे समय तक लिवर में अधिक वसा का जमा होना नुकसानदायक बन जाता है। आम तौर पर 40-60 वर्ष की आयु में यह देखने को मिलता है। आयुर्वेद में लिवर (fatty liver in hindi) का संबंध पित्त से बताया गया है यानि पित्त के दूषित होने पर लिवर रोग ग्रस्त हो जाता है एवं भलीभाँति अपना कार्य नहीं कर पाता।
दूषित पित्त ही फैटी लिवर जैसे रोगों को जन्म देता है। अनुचित खान-पान से लिवर में विषाक्त तत्व जमा होने लगते है जिस कारण लिवर को सामान्य से अधिक कार्य करना पड़ता है। जिसके कारण लिवर में सूजन आ जाती है जो फैटी लीवर का उपचार कराने की जरूरत पड़ जाती है।
फैटी लिवर दो प्रकार के होते हैं-
1- एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज (Alcoholic fatty liver disease)-शराब का अत्यधिक सेवन करने वालों में होता है। एल्कोहॉल का अधिक सेवन लिवर पर फैट जमा होने का एक कारण है। शराब का ज्यादा सेवन करने से लिवर में सूजन आ सकती है तथा लिवर क्षतिग्रस्त हो सकता है।
2- नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज (Non-Alcoholic fatty liver disease or NAFLD)-उच्च वसायुक्त भोजन एवं अनुचित जीवनशैली के कारण व्यक्ति में मोटापे एवं डायबिटीज की समस्या होने लगती है जो कि फैटी लिवर होने में बड़े कारण है। शराब न लेने पर भी इन स्थितियों में फैटी लिवर होने की पूरी संभावना है।
फैटी लिवर होने पर अन्य रोग होने की संभावना भी होती है। नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज के चार चरण होते हैं।
सामान्य फैटी लिवर और स्टियाटोसिस (Normal fatty liver and steatosis)-इस चरण में लिवर में वसा का जमा होना शुरू हो जाता है किन्तु किसी भी तरह की सूजन नहीं होती। इस अवस्था में किसी भी तरह के लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi) दिखाई नहीं देते तथा केवल उचित आहार के सेवन से यह ठीक हो जाता है।
नॉन-एल्कोहलिक स्टियाटोहेपाटाइटिस (Non-alcoholic steatohepatitis)-इस अवस्था में वसा जमे हुए लिवर में सूजन आना शुरू हो जाती है। लिवर में जब सूजन आ जाता है तब वह क्षतिग्रस्त ऊतकों या टिशु को ठीक करने की कोशिश करते है, जितने ज्यादा टिशु वहाँ पर क्षतिग्रस्त होते है, लिवर उतनी तेजी से उनको ठीक करने की कोशिश करता है और इस प्रकार सूजन वाले टिशुओं में घाव हो जाती है। इस अवस्था में जब घाव वाले टिशु वहाँ पर विकसित होने लगते है तब फिब्रोसिस होने की अवस्था आती है।
फिबरोसिस (Fibrosis)-यह तब होता है जब लिवर और उसके आस-पास के ब्लड सेल्स या रक्तवाहिकाओं में स्थायी रूप से घाव वाले ऊतक या टिशुएं बनने लगते हैं। इस अवस्था में लिवर कुछ हद तक सामान्य रूप से कार्य करता रहता है। इस समय उपचार करने पर लिवर में आगे की क्षति होने से रोका जा सकता है और जो क्षति हुई है वह सामान्य अवस्था में आ सकती है। हालांकि समय के साथ ये घाव वाले ऊतकों के जगह स्वस्थ ऊतक बन जाते है। इस कारण से लिवर का कार्य प्रभावित होता है तथा सिरोसिस हो सकता है।
सिरोसिस (Cirrhosis)-इस अवस्था में लिवर सामान्य रूप से कार्य करना बंद कर देता है तथा त्वचा एवं आँखों का पीलापन जैसे लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi) दिखने लगते है। इस समय लिवर में बने जिन ऊतकों में घाव हो जाता है उनको हटाना मुश्किल हो जाता है। ज्यादातर लोगों में सामान्य फैटी लिवर (steatosis) ही पाया जाता है जो कि आहार योजना में बदलाव करके सामान्य अवस्था में लाया जा सकता है, फिबरोसिस तथा सिरोसिस को विकसित होने में 3-4 वर्ष लगते है।
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फैटी लिवर होने के कारण (Causes of Fatty liver in Hindi)
आपको फैटी लीवर का इलाज करना है फैटी लिवर होने कारण का पता होना जरूरी है। इसलिए फैटी लिवर को होने से रोकने के लिए सबसे पहले आम कारणों के जान लेना जरूरी है जिससे वयस्कों के साथ बच्चों में होने के संभावनाओं को रोका जा सकता है, साथ ही घरेलू उपायों को शारीरिक अवस्था को संभाला जा सकता है। फैटी लिवर होने के आम कारण निम्नलिखित है-
अत्यधिक शराब पीना
आनुवांशिकता
मोटापा
फैटी फूड और मसालेदार खाने का सेवन
रक्त में वसा का स्तर ज्यादा होना
मधुमेह या डायबिटीज
स्टेरॉयड, एस्पिरीन या ट्रेटासिलीन जैसी दवाइयों का लम्बे समय तक सेवन
पीने के पानी में क्लोरीन की अत्यधिक मात्रा
वायरल हेपाटाइटिस
Healthy and Fatty Liver
फैटी लिवर के लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi)
इसी तरह अगर आपको फैटी लीवर का उपचार करना है तो फैटी लिवर के लक्षणों को शुरुआती अवस्था में समझना होगा। हालांकि यह मुश्किल होता है क्योंकि बहुत कम लोगों को फैटी लिवर के लक्षणों के बारे में पता होता है इसलिए शारीरिक अवस्था बहुत ज्यादा खराब हो जाने के बाद बीमारी का पता चलता है। चलिये कुछ आम लक्षणों के बारे में पता लगाते हैं-
पेट के दाएँ भाग के ऊपरी हिस्से में दर्द
वजन में गिरावट
कमजोरी महसूस करना
आँखों और त्वचा में पीलापन दिखाई देना
भोजन सही प्रकार से हजम नहीं होना जिसके कारण एसिडिटी का होना
पेट में सूजन होना
बच्चों में फैटी लिवर-बच्चों में फैटी लिवर बहुत कम देखा जाता है। इनमें नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज के कोई विशिष्ट लक्षण नहीं देखे जाते है परन्तु यह मोटापे से ग्रस्त बच्चों में या जिनमें जन्म से ही चयापचय विकार (Metabolic disorder) पाया जाता है। जंक फूड, चॉकलेट, चिप्स का अधिक सेवन तथा शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण ये समस्या आजकल बच्चों में बढ़ रही है। सबसे पहले आप कोशिश करें कि बच्चे इस बीमारी से ग्रस्त ना हो, लेकिन अगर ऐसी स्थिति आ गई तो आप फैटी लिवर का इलाज करने के लिए इन लक्षणों की पहचान कर सकते हैं।
बच्चों में यह लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi) पाए जा सकते है-
थकावट होना
पेट दर्द
रक्त में लिवर एन्जाइम्स का बढ़ा हुआ स्तर पाया जाना
और पढ़ें : पेट दर्द दूर करने के घरेलू उपाय
फैटी लिवर को रोकने के उपाय (How to prevent Fatty liver in Hindi)
आयुर्वेदीय केवल औषधियों से ही नहीं उचित आहार एवं जीवनशैली से भी रोग शान्त करता है। आयुर्वेद शरीर में उपस्थित तीन दोष वात, पित्त एवं कफ के सिद्धान्त पर काम करता है। आयुर्वेदीय उपचार प्राकृतिक रूप से असंतुलित दोषों को सामान्य अवस्था में लेकर आता है। यह एलौपैथिक दवाओं की तरह लक्षणों को कुछ समय के लिए दबाता नहीं अपितु विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर कर तथा दोषों को संतुलित कर रोग को जड़ से मिटाता है। परंतु आयुर्वेदीय उपचार के समय रोगी को उचित जीवनशैली एवं निर्दिष्ट आहार-विहार का ही सेवन करना चाहिए नहीं तो उसे चिकित्सा का लाभ नहीं मिल सकता। उचित खान-पान एवं दिनचर्या आयुर्वेदीय उपचार का हिस्सा है।
आयुर्वेद में वर्णित शोधन चिकित्सा द्वारा फैटी लीवर का इलाज (Fatty Liver Treatment) किया जा सकता है। फैटी लिवर पित्त की विकृति से उत्पन्न विकार है अत इसमें विरेचन कराया जाता है, विरेचन द्वारा पित्त का शमन होता है तथा विषाक्त तत्व शरीर से बाहर निकल जाते है। शरद् ऋतु में पित्त का प्रकोप हेने के कारण यह विरेचन के लिए उचित समय बताया गया है तथा वय के अनुसार 30-50 वर्ष भी पित्त का काल कहा गया है अत इस समय फैटी लिवर होने की सम्भावना रहती है। यदि फैटी लिवर के रोगी को 2-3 बार शरद् ऋतु में विरेचन कराया जाए तो फैटी लीवर का उपचार हो जाएगा मतलब लिवर अपनी पहली वाली स्थिति में आ जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को ऋतु के अनुसार पंचकर्म कराना चाहिये।
फैटी लीवर के इलाज के दौरान खानपान और जीवनशैली में लाएं ये बदलाव
-ताजे फल एवं सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
-अधिक फाइबर युक्त आहार का सेवन करें, जैसे फलियाँ और साबुत अनाज।
-अधिक नमक,ट्रांसफैट, रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट्स तथा सफेद चीनी का प्रयोग बिल्कुल बंद कर दें।
– एल्कोहल या शराब का सेवन बिल्कुल न करें।
-भोजन में लहसुन को शामिल करें यह फैट जमा होने से रोकता है।
-ग्रीन टी का सेवन करें। शोध के अनुसार लिवर में जमा फैट को कम करती है तथा लिवर के कार्यकलाप को सुधारती है।
-तले-भुने एवं जंक फूड का सेवन सर्वथा त्याग दें।
-इन सब्जियों का प्रयोग ज्यादा करें जैसे पालक,ब्रोक्ली, करेला, लौकी, टिण्डा, तोरी, गाजर, चुकंदर, प्याज, अदरक तथा अंकुरित अनाज खाएँ।
-राजमा, सफेद चना, काली दाल इन सब का सेवन बहुत कम करना चाहिए तथा हरी मूंग दाल और मसूर दाल का सेवन करना चाहिए।
-मक्खन, मेयोनीज, चिप्स, केक, पिज्जा, मिठाई, चीनी इनका उपयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
-नियमित रूप से प्राणायाम करें तथा सुबह टहलने जाएँ।